केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने 8 मई को नई दिल्ली में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के प्रमुख देवाशीष पांडा, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच, पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) के प्रमुख दीपक मोहंती, वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, राजस्व सचिव राजेश मल्होत्रा, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव विवेक जोशी, आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के सचिव अजय सेठ और वित्त मंत्रालय के अन्य अधिकारियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
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नियामकों को वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करने की सलाह:
नियामकों को लगातार निगरानी रखनी चाहिये क्योंकि ’वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करना नियामकों की साझा जिम्मेदारी है।’ नियामकों को वित्तीय क्षेत्र की किसी भी कमजोरी को दूर करने के लिये समय पर उपयुक्त कदम उठाकर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिये। नियामकों को अनुपालन बोझ और कम करने तथा कारगर एवं सक्षम नियामकीय परिवेश सुनिश्चित करने के वास्ते केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिये। इस दिशा में जो भी प्रगति होती है उसकी जून 2023 में प्रत्येक नियामक के साथ केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा समीक्षा की जानी चाहिये।
नियामकों से साइबर सुरक्षा तैयारियां सुनिश्चित करने का आग्रह:
सीतारमण ने कहा कि साइबर-हमले, संवेदनशील वित्तीय आंकड़ों की सुरक्षा और प्रणाली की समग्रता बनाये रखने के लिये नियामकों को सक्रिय रहने और सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली की साइबर- सुरक्षा तैयारियों को सुनिश्चित करने की जरूरत है ताकि समूचे भारतीय वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और लोचशीलता का बचाव किया जा सके। नियामकों को सभी वित्तीय कार्यक्षेत्रों जैसे कि बैंक जमा, शेयर और लाभांश, म्युचुअल फंड, बीमा आदि में पड़ी बिना दावे वाली राशि की निपटान सुविधा के लिये विशेष अभियान चलाना चाहिये।
बजट घोषणाओं के कार्यान्वयन पर चर्चा:
इस दौरान 2019 के बाद की गई बजट घोषणाओं पर हुई कार्रवाई रिपोर्ट पर भी चर्चा की गई। नियामकों को 2023-24 के बजट में की गई घोषणाओं, जिनके लिये समयसीमा तय की गई है, पर अमल के वास्ते केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
विभिन्न वित्तीय विषयों पर विचार-विमर्श:
परिषद ने इन मुद्दों के साथ ही अर्थव्यवस्था के संबंध में मिलने वाले शुरूआती चेतावनी संकेतकों और उनसे निपटने के लिये हमारी तैयारियों, वित्तीय क्षेत्र में नियामकीय गुणवत्ता में सुधार लाकर नियमन दायरे में आने वाली इकाइयों पर अनुपालन बोझ कम करने, भारत में कंपनियों और परिवारों के रिण स्तर, डिजिटल इंडिया की जरूरतों को पूरा करने के लिये केवाईसी ढांचे को सरल और कारगर बनाना, सरकारी प्रतिभूतियों के मामले में खुदरा निवेशको को बेहतर अनुभव कराना, बीमाकृत भारत – बीमा सुविधाओं का प्रसार अंतिम पायदान तक पहुंचाने के लिये विशिष्ट मूल्य प्रस्ताव, और आत्मनिर्भर भारत में रणनीतिक भूमिका निभाने के लिये गिफ्ट आईएफएससी के अंतर- नियामकीय मुद्दों को सुलझाने के संदर्भ में जरूरी समर्थन पर चर्चा की। परिषद ने रिजर्व बैंक गवर्नर की अध्यक्षता वाले एफएसडीसी उप-समूह की गतिविधियों के साथ ही एफएसडीसी द्वारा पूर्व में लिये गये फैसलों पर सदस्यों द्वारा की गई कार्रवाई पर भी गौर किया।
FSDC उप-समिति की गतिविधियाँ और पिछले निर्णय:
परिषद ने आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली एफएसडीसी उप-समिति द्वारा की गई गतिविधियों और एफएसडीसी के पिछले निर्णयों पर सदस्यों द्वारा की गई कार्रवाई पर भी ध्यान दिया।
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC)
- यह “वित्तीय क्षेत्र सुधार” पर रघु राम राजन समिति की सिफारिश पर स्थापित किया गया था।
- FSDC की स्थापना भारत सरकार ने 2010 में की थी।
एफएसडीसी का कार्य
- परिषद बड़े वित्तीय समूहों के कामकाज सहित अर्थव्यवस्था के व्यापक विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण की निगरानी करती है, और अंतर-नियामक समन्वय और वित्तीय क्षेत्र के विकास के मुद्दों को संबोधित करती है।
- यह वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेशन पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
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