केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शहरी सहकारी बैंकों और बहु-राज्य सहकारी बैंकों पर बेहतर नियंत्रण बनाने और भारतीय रिजर्व बैंक को मजबूत बनाने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है। ये संशोधन सभी शहरी सहकारी बैंकों और बहु-राज्य सहकारी बैंकों पर लागू होंगे।
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, अभी प्रशासनिक भूमिका सहकारी समिति के रजिस्ट्रार द्वारा प्रबंधित ही की जाएगी। वर्तमान में सहकारी बैंक को सहकारी समितियों और भारतीय रिज़र्व बैंक दोनों ही नियंत्रित करते हैं। जिसमे निगमन, पंजीकरण, प्रबंधन, वसूली, लेखा परीक्षा, निदेशक मंडल और परिसमापन का नियंत्रण सहकारी समिति के पास होता हैं, जबकि रिज़र्व बैंक रेगुलेटरी मामलों के लिए जिम्मेदार होता है।
देश में अभी 1,540 सहकारी बैंक परिचालन में है जिसमें 8.6 करोड़ जमाकर्ताओं के लगभग 5 लाख करोड़ जमा हैं और इस प्रस्तावित संशोधन से जमाकर्ताओं को सुरक्षा मिल पाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग विनियमन कानून में संशोधन का कदम मुंबई स्थित पंजाब महाराष्ट्र बैंक (PMC) के ढहने के महीनों बाद सहकारी बैंकों को मजबूत करने की दिशा में उठाया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने सितंबर 2019 में ऋणों की अंडर रिपोर्टिंग के बाद ऋणदाता बोर्ड को छह महीने के लिए अधिगृहीत कर लिया था। छह महीने के लिए 1,000 प्रति खाता निकासी की सीमा निर्धारित की गई लेकिन बाद में जमाकर्ताओं में डर फैलने के कारण राहत देते हुए इसे 50,000 रु तक कर दिया गया था।
उपरोक्त समाचार से सभी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-
i. भारत में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत सभी बैंकिंग फर्मों को नियंत्रित किया जाता है।
ii. शक्तिकांत दास भारतीय रिज़र्व बैंक के 25 वें गवर्नर हैं।



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