केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खेप भेजने के पहले और बाद में रुपया निर्यात ऋण की सुविधा अगले साल 30 जून तक देने के लिए शुक्रवार को ब्याज समरूपता या सब्सिडी योजना के तहत 2,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी दे दी। इस कदम से चिन्हित क्षेत्रों के निर्यातकों और सभी एमएसएमई निर्यातकों को ऐसे समय में प्रतिस्पर्धी दरों पर रुपया निर्यात ऋण प्राप्त करने में मदद मिलेगी जब वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रतिकूल परिस्थितियों से गुजर रही है।
निर्यातकों को ‘ब्याज समरूपता योजना के तहत खेप भेजने के पहले और बाद ट रुपया निर्यात ऋण पर सब्सिडी मिलती है। इस संबंध में निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ”30 जून, 2024 तक ब्याज समरूपता योजना को जारी रखने के लिए 2,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी दी गई है।”
इस योजना के तहत 9,538 करोड़ रुपये के मौजूदा परिव्यय से इतर 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय जून, 2024 तक योजना को जारी रखने के लिए मुहैया कराया गया है। इसके तहत निर्दिष्ट 410 उत्पादों का निर्यात करने वाले विनिर्माताओं और व्यापारी निर्यातकों को दो प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी जबकि सभी एमएसएमई निर्यातकों को तीन प्रतिशत मिलेगी।
यह योजना एक अप्रैल, 2015 को शुरू की गई थी और इसकी अवधि 31 मार्च, 2020 तक ही रखी गई थी। लेकिन बाद में इसकी अवधि बढ़ा दी गई। इस वित्तीय वर्ष में 30 नवंबर तक सरकार ने योजना के तहत आवंटित बजट 2932 रुपये के मुकाबले 2641.28 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। 2022-23 में 3118 करोड़ रुपये और 2021-22 में 3488 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
प्रश्न: केंद्रीय मंत्रिमंडल का हालिया निर्णय क्या है?
उत्तर: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून 2024 तक निर्यातकों और एमएसएमई को लाभ पहुंचाने वाली ब्याज समानीकरण योजना के लिए अतिरिक्त 2,500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी।
प्रश्न: योजना के तहत ब्याज समकारी दरें क्या हैं?
उत्तर: निर्माता और व्यापारी निर्यातकों को 2% ब्याज समतुल्यता मिलती है, जबकि एमएसएमई निर्यातकों को 3% की दर मिलती है।
प्रश्न: योजना का कार्यान्वयन और निगरानी कैसे की जाती है?
उत्तर: आरबीआई इसे डीजीएफटी और आरबीआई की संयुक्त निगरानी के साथ बैंकों के माध्यम से लागू करता है।
प्रश्न: निर्यात वृद्धि और रोजगार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: आईआईएम काशीपुर का अध्ययन निर्यात वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव का संकेत देता है, विशेष रूप से श्रम-गहन क्षेत्रों और एमएसएमई के लिए फायदेमंद है, जो रोजगार सृजन में योगदान देता है।
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