प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 जनवरी 2015 को शुरू की गई उजाला योजना ने अपने 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह योजना, जिसे मूल रूप से घरेलू दक्ष प्रकाश कार्यक्रम (DELP) के रूप में लॉन्च किया गया था, ने भारत के घरेलू प्रकाशन क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इसने सस्ते और ऊर्जा-कुशल एलईडी बल्ब, ट्यूब लाइट और पंखे प्रदान करके ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान दिया है। उजाला योजना ने स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम (SLNP) के साथ मिलकर देश की ऊर्जा दक्षता, आर्थिक बचत और पर्यावरणीय स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाला है।
उजाला योजना की मुख्य विशेषताएं
- लॉन्च की तारीख: 5 जनवरी 2015
- दृष्टि: भारतीय घरों में सस्ती ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था को बढ़ावा देना, बिजली की खपत को कम करना, और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देना।
- साझेदारी: यह योजना ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (EESL) और बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) के सहयोग से ऊर्जा मंत्रालय के तहत लागू की गई।
- उद्देश्य: ऊर्जा की खपत को कम करना, घरेलू बिजली बिलों को घटाना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना।
- प्रभाव: 6 जनवरी 2025 तक, उजाला योजना के तहत 36.87 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए, जिससे प्रति वर्ष ₹19,153 करोड़ की बचत हुई।
उजाला की आवश्यकता और ऊर्जा दक्षता
- परंपरागत प्रकाश व्यवस्था की समस्या:
- 2014 में, एक एलईडी बल्ब की कीमत ₹450-500 थी, जबकि CFL ₹100-150 और ICL ₹10-15 में उपलब्ध थे।
- उजाला योजना ने एलईडी बल्ब को सस्ते दरों पर उपलब्ध कराकर इस बाधा को दूर किया।
- ऊर्जा दक्षता:
- 7W का एलईडी बल्ब 14W के CFL और 60W के ICL के बराबर रोशनी देता है।
- ICL की तुलना में 90% और CFL की तुलना में 50% ऊर्जा की बचत करता है।
- लागत बचत:
- एक एलईडी बल्ब 140 घंटे में केवल 1 यूनिट बिजली का उपयोग करता है, जबकि CFL 2 यूनिट और ICL 9 यूनिट खपत करता है।
उजाला का दशक भर का प्रभाव
- वितरण: 2025 तक 36.87 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित।
- आर्थिक बचत: घरेलू बिजली बिलों में प्रति वर्ष ₹19,153 करोड़ की बचत।
- पर्यावरणीय प्रभाव: एलईडी के व्यापक उपयोग ने देश के कार्बन फुटप्रिंट को कम किया।
- बाजार परिवर्तन: एलईडी बल्ब की बढ़ती मांग ने 407.92 करोड़ एलईडी बल्बों की बिक्री सुनिश्चित की।
स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम (SLNP)
- कार्यान्वयन:
- यह कार्यक्रम EESL द्वारा शहरी स्थानीय निकायों (ULBs), नगर निगमों, और ग्राम पंचायतों (GPs) के साथ साझेदारी में लागू किया गया।
- उपलब्धियां:
- जनवरी 2025 तक 1.34 करोड़ एलईडी स्ट्रीट लाइट्स स्थापित की गईं।
- प्रति वर्ष 9,001 मिलियन यूनिट (MUs) बिजली की बचत।
ऊर्जा बचत और पर्यावरणीय लाभ
- पीक डिमांड में 1,500 मेगावाट से अधिक की कमी।
- CO₂ उत्सर्जन में प्रति वर्ष 6.2 मिलियन टन की कमी।
निष्कर्ष
उजाला और SLNP योजनाओं ने भारत की ऊर्जा खपत और पर्यावरणीय स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाला है। ये योजनाएं न केवल आर्थिक बचत को प्रोत्साहित करती हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रयासों में भी मदद करती हैं। भारत के ऊर्जा-कुशल पहल का यह मॉडल वैश्विक स्तर पर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।
बिंदु | विवरण |
क्यों चर्चा में? | उजाला – ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था के 10 वर्ष पूरे। |
लॉन्च तिथि | 5 जनवरी 2015 |
उद्देश्य | सस्ते, ऊर्जा-कुशल प्रकाश उत्पादों को बढ़ावा देना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना। |
कार्यान्वयन एजेंसियां | ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (EESL), डिस्कॉम्स, ऊर्जा मंत्रालय। |
मुख्य उत्पाद | एलईडी बल्ब, एलईडी ट्यूब लाइट, ऊर्जा-कुशल पंखे। |
उत्पादों की लागत | एलईडी बल्ब: ₹70, ट्यूब लाइट: ₹220, पंखा: ₹1,110। |
ऊर्जा दक्षता | 140 घंटे के लिए 1 यूनिट बिजली खपत (एलईडी बल्ब) बनाम CFL (2 यूनिट) और ICL (9 यूनिट)। |
कुल वितरण | 2025 तक 36.87 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित। |
वार्षिक बचत | बिजली लागत में ₹19,153 करोड़ की बचत। |
पर्यावरणीय प्रभाव | कार्बन उत्सर्जन और ऊर्जा खपत में कमी। |
स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम | 1.34 करोड़ एलईडी स्ट्रीट लाइट्स स्थापित; प्रति वर्ष 9,001 मिलियन यूनिट (MUs) ऊर्जा की बचत। |
ऊर्जा बचत (SLNP) | पीक डिमांड में 1,500 मेगावाट की कमी, प्रति वर्ष 6.2 मिलियन टन CO₂ की बचत। |
बाजार परिवर्तन | भारत में 407.92 करोड़ एलईडी बल्ब बेचे गए। |