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UIDAI ने आधार-आधारित ई-केवाईसी के लिए स्टारलिंक को शामिल किया

भारत में डिजिटल एकीकरण और वैश्विक तकनीकी सहयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक क़दम उठाते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड को आधार प्रमाणीकरण (Aadhaar Authentication) का उपयोग कर ग्राहक सत्यापन की अनुमति दी है। यह घोषणा 20 अगस्त 2025 को की गई, जो भारत की भरोसेमंद डिजिटल पहचान प्रणाली और अत्याधुनिक सैटेलाइट इंटरनेट तकनीक के बीच एक मज़बूत समन्वय को दर्शाती है।

सहयोग में क्या शामिल है?

स्टारलिंक उपयोगकर्ताओं के लिए आधार ई-केवाईसी

  • सैटेलाइट-आधारित वैश्विक इंटरनेट प्रदाता स्टारलिंक अब भारत में उपयोगकर्ताओं को आधार-आधारित e-KYC और प्रमाणीकरण के ज़रिए जोड़ेगा।

  • यह प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी और मौजूदा KYC नियमों व डेटा सुरक्षा मानकों के अनुरूप होगी।

  • इससे दूरदराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राहकों का तेज़, पेपरलेस और नियम-संगत ऑनबोर्डिंग संभव होगा।

आधिकारिक मान्यता
स्टारलिंक को दो प्रमुख श्रेणियों में मान्यता मिली है:

  • सब-ऑथेंटिकेशन यूज़र एजेंसी (Sub-AUA)

  • सब-eKYC यूज़र एजेंसी (Sub-eKYC UA)

इनसे स्टारलिंक को UIDAI की सुरक्षित प्रणालियों तक पहुँच मिलती है ताकि पहचान सत्यापन और डिजिटल सेवाओं की सुविधा प्रदान की जा सके।

इस क़दम का महत्व

  1. भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को सशक्त बनाना

    • आधार पहले से ही भारत की डिजिटल सेवाओं की रीढ़ है, जो सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों को सशक्त बनाता है।

    • स्टारलिंक के जुड़ने से यह सैटेलाइट-आधारित कनेक्टिविटी तक पहुँचेगा, जो ग्रामीण व सुदूर भारत के लिए बेहद अहम है।

  2. जीवन और व्यापार को आसान बनाना

    • आधार-आधारित प्रमाणीकरण तेज़ और सुरक्षित सेवा पहुँच सुनिश्चित करता है, जिससे भौतिक दस्तावेज़ों और देरी की ज़रूरत कम हो जाती है।

    • यह पारदर्शिता, जवाबदेही और डिजिटल अर्थव्यवस्था में व्यापार करने की सरलता को बढ़ावा देता है।

  3. तकनीक-सक्षम सेवा वितरण

    • स्टारलिंक का एकीकरण दिखाता है कि भारत की मज़बूत पहचान प्रणाली वैश्विक तकनीकी समाधानों का समर्थन कर सकती है।

    • यह क्रॉस-सेक्टर सहयोग का एक आदर्श मॉडल स्थापित करता है।

आधार का बढ़ता तकनीकी प्रभाव

फेस ऑथेंटिकेशन का विस्तार

  • UIDAI का फेस ऑथेंटिकेशन समाधान तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह सुविधाजनक और कॉन्टैक्टलेस है।

  • अब इसका उपयोग बैंकिंग, दूरसंचार, कल्याण योजनाओं और अब सैटेलाइट इंटरनेट तक में होने लगा है।

स्केलेबिलिटी और विश्वसनीयता

  • यह सहयोग आधार की स्केलेबिलिटी और मजबूती को साबित करता है, जो उन्नत और वैश्विक डिजिटल सेवाओं को भी संभाल सकता है।

  • यह भारत की डिजिटल कूटनीति और नवाचार नेतृत्व की स्थिति को और सुदृढ़ करता है।

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