युगांडा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और वैश्विक साझेदारों के सहयोग से सूडान प्रजाति के इबोला वायरस के खिलाफ पहला नैदानिक परीक्षण शुरू किया है। यह परीक्षण 30 जनवरी को प्रकोप की पुष्टि के केवल चार दिन बाद शुरू किया गया, जो आपातकालीन स्थिति में टीके के परीक्षण की अभूतपूर्व गति को दर्शाता है। यदि यह सफल होता है, तो यह टीका भविष्य में इबोला के प्रकोप को नियंत्रित करने और नियामकीय मंजूरी प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मुख्य बिंदु
ऐतिहासिक परीक्षण
- यह सूडान प्रजाति के इबोला वायरस के खिलाफ पहला नैदानिक परीक्षण है।
- 30 जनवरी को प्रकोप की पुष्टि के मात्र चार दिन बाद इसे शुरू किया गया, जो बेहद तेज़ प्रतिक्रिया को दर्शाता है।
- ज़ैरे इबोला वायरस के लिए पहले से लाइसेंस प्राप्त टीका मौजूद है, लेकिन सूडान प्रजाति के लिए अब तक कोई टीका उपलब्ध नहीं था।
समर्थन और सहयोगी संगठन
- यह परीक्षण मेकरेरे यूनिवर्सिटी और युगांडा वायरस अनुसंधान संस्थान (UVRI) के नेतृत्व में किया जा रहा है।
- WHO, CEPI, कनाडा का IDRC, यूरोपीय संघ का HERA और अफ्रीका CDC द्वारा समर्थित।
- गैर-लाभकारी संगठन IAVI द्वारा टीका दान किया गया है।
प्रक्रिया और अपेक्षा
- रिंग वैक्सीनेशन रणनीति अपनाई गई है, जिसमें पुष्टि किए गए मामलों के संपर्क में आए लोगों को टीका लगाया जाएगा।
- कड़े नियामक और नैतिक मानकों का पालन किया जा रहा है।
- परिणाम कुछ महीनों में मिलने की उम्मीद, जो भविष्य में इबोला के प्रकोप के प्रति प्रतिक्रिया रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
इबोला वायरस: एक परिचय
खोज और इतिहास
- खोज वर्ष: 1976, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में।
- परिवार: ऑर्थोइबोलावायरस (पूर्व में इबोलावायरस)।
- नाम की उत्पत्ति: इबोला नदी के नाम पर रखा गया, जो डीआरसी में पहले प्रकोप के निकट थी।
- मुख्य मेजबान: मुख्य रूप से फ्रूट बैट (Pteropodidae परिवार), अन्य प्राइमेट और जंगली जानवर जैसे गोरिल्ला, चिम्पांजी, बंदर, वन मृग और साही।
संक्रमण कैसे फैलता है?
- प्राथमिक स्रोत: संक्रमित चमगादड़ों के माध्यम से।
- पशु से मानव संक्रमण: संक्रमित जानवरों (चमगादड़, प्राइमेट) के शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से।
- मानव से मानव संक्रमण: संक्रमित व्यक्ति के रक्त, लार, मूत्र, पसीने, उल्टी, मल, या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है।
इबोला के लक्षण
- इन्क्यूबेशन पीरियड: संक्रमण के 2 से 21 दिनों के भीतर लक्षण विकसित हो सकते हैं।
- सामान्य लक्षण:
- तेज बुखार
- डायरिया
- उल्टी
- आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव
- अत्यधिक थकान
- अंग विफलता
- मृत्यु दर लगभग 50%
इबोला का उपचार
- कोई निश्चित इलाज नहीं: अब तक इबोला का कोई प्रमाणित उपचार नहीं है।
- प्रायोगिक उपचार:
- ज़ैरे इबोला वायरस के लिए FDA द्वारा अनुमोदित दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार: इनमाज़ेब (Inmazeb) और एबांगा (Ebanga)।
- हालांकि, ये उपचार सूडान प्रजाति पर पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं।
- सहायक देखभाल:
- तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखना।
- रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ्यूज़न) और प्लाज्मा थेरेपी द्वारा रक्तस्राव नियंत्रित करना।
- रिकवरी कारक:
- वायरस के संपर्क में आने की मात्रा।
- समय पर उपचार की उपलब्धता।
- रोगी की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और आयु।
विषय | विवरण |
क्यों चर्चा में? | युगांडा ने ऐतिहासिक इबोला वैक्सीन परीक्षण शुरू किया |
वैक्सीन का लक्ष्य | सूडान प्रजाति का इबोला वायरस |
परीक्षण स्थल | युगांडा |
नेतृत्व करने वाले संस्थान | मेकरेरे यूनिवर्सिटी, युगांडा वायरस अनुसंधान संस्थान (UVRI) |
सहयोगी संगठन | WHO, CEPI, IDRC (कनाडा), EU HERA, अफ्रीका CDC |
वैक्सीन प्रकार | पुनः संयोजित वेसिकुलर स्टोमैटाइटिस वायरस (rVSV) वैक्सीन |
वैक्सीन दाता | IAVI (गैर-लाभकारी संगठन) |
नैतिक मानक | राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नियामकों का पालन करता है |
अपेक्षित समयरेखा | कुछ महीनों में डेटा संग्रह |
वैश्विक प्रभाव | नियामकीय मंजूरी और भविष्य में प्रकोप नियंत्रण में मदद की संभावना |
इबोला की खोज वर्ष | 1976 |
वायरस प्रकार | ऑर्थोइबोलावायरस (पूर्व में इबोलावायरस) |
खोज का स्थान | डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) |
वायरस के मेजबान | फ्रूट बैट, प्राइमेट्स (गोरिल्ला, बंदर, चिम्पांजी), वन्यजीव (जैसे मृग) |
संक्रमण का तरीका | ज़ूनोटिक संक्रमण (जानवरों से मनुष्यों में शारीरिक तरल पदार्थ के माध्यम से) और मानव-से-मानव संक्रमण (शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क से) |
लक्षण | बुखार, डायरिया, उल्टी, रक्तस्राव, मृत्यु (औसत मृत्यु दर: 50%) |
उपचार | कोई ज्ञात इलाज नहीं; FDA द्वारा अनुमोदित मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (इनमाज़ेब, एबांगा) ज़ैरे इबोला स्ट्रेन के लिए; सहायक देखभाल (तरल पदार्थ, रक्त/प्लाज्मा) |
इन्क्यूबेशन पीरियड | 2 से 21 दिन |
सुधार के कारक | वायरस के संपर्क में आने की मात्रा, समय पर उपचार, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, आयु |
मृत्यु दर | लगभग 50% |
वर्तमान उपचार | तरल संतुलन बनाए रखना, रक्त/प्लाज्मा चिकित्सा, प्रयोगात्मक उपचार |