भगवान शिव की थीम से प्रेरित वाराणसी में काशी रोपवे, आध्यात्मिकता और आधुनिक परिवहन को मिलाकर एक ऐतिहासिक परियोजना बनने जा रही है। यह लेख इस अनूठी पहल का एक सिंहावलोकन प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक में यात्रा के अनुभव को बढ़ाना है।
भगवान शिव का विषय
- प्रेरणा: वाराणसी कैंट के रोपवे स्टेशनों पर डमरू (ड्रम), त्रिशूल, शंख, नदी, चंद्रमा और नदी के किनारे सहित भगवान शिव को प्रतिबिंबित करने वाली कलाकृतियाँ हैं।
- सांस्कृतिक एकीकरण: शहर की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को एकीकृत करते हुए, रोपवे स्टेशनों पर वाराणसी के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रदर्शित करने का प्रयास किया जा रहा है।
काशी रोपवे का परियोजना विवरण
क्षमता और संचालन: सिस्टम में 153 गोंडोल होंगे, प्रत्येक में दस यात्री होंगे, जो प्रत्येक दिशा में प्रति घंटे 3,000 लोगों को ले जाने में सक्षम होंगे। प्रतिदिन 16 घंटे संचालित, यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए परिवहन का एक सुविधाजनक साधन प्रदान करता है।
मार्ग और स्टेशन: 3.85 किमी की यात्रा में पांच स्टेशन शामिल होंगे: विद्या पीठ, भारतमाता मंदिर, रथ यात्रा, गिरजा घर और गोदौलिया चौक। यह वाराणसी कैंट से गोदौलिया चौराहे तक 16 मिनट की तेज सवारी का वादा करता है।
तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के अनुकूल: प्रमुख स्थलों और धार्मिक स्थलों पर रुकने के साथ, रोपवे तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय यात्रियों की जरूरतों को पूरा करता है।
काशी रोपवे की स्थापना एवं लागत
आधारशिला: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च, 2023 को ₹644 करोड़ की परियोजना की आधारशिला रखी। यह परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण है।
निर्माण विवरण: रोपवे में 30 खंभे शामिल हैं, जिनमें 10 सरकारी भूमि पर और 20 निजी या संस्थागत भूमि पर हैं।
केबल कार और यात्रा अनुभव
केबल कार डिज़ाइन: प्रत्येक केबल कार, 35 से 45 मीटर की ऊंचाई पर उड़ती हुई, 10 यात्रियों को ले जाती है और वाराणसी का मनोरम दृश्य प्रदान करती है।
आध्यात्मिक यात्रा: भगवान शिव से प्रेरित केबल कारों और स्टेशनों का डिज़ाइन, वाराणसी के हृदय में एक आध्यात्मिक यात्रा की पेशकश करता है।