थाईलैंड और कंबोडिया ने संघर्षविराम व्यवस्था पर सहमति बना ली है, जिसके तहत दोनों देशों ने सभी प्रकार की सशस्त्र झड़पों को रोकने और अपनी साझा सीमा पर मौजूदा सैनिक तैनाती को बनाए रखने का संकल्प लिया है। यह समझौता मलेशिया के रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित एक विशेष जनरल बॉर्डर कमेटी (जीबीसी) बैठक के दौरान औपचारिक रूप से किया गया। इस बैठक में दोनों देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने भाग लिया, जबकि अमेरिका, चीन और मलेशिया ने तीसरे पक्ष के पर्यवेक्षक के रूप में भागीदारी की।
समझौते के मुख्य बिंदु
- संघर्षविराम का दायरा: इसमें सभी प्रकार के हथियार शामिल हैं; बिना उकसावे के दूसरी ओर की चौकियों या सैनिकों पर गोलीबारी पर प्रतिबंध रहेगा।
- सैनिक स्तर: सेनाओं की संख्या में कोई वृद्धि नहीं होगी; तैनाती 28 जुलाई 2025 की मध्यरात्रि से लागू हुए संघर्षविराम के समय जैसी थी, वैसी ही बनी रहेगी।
- कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार: बंदी बनाए गए सैनिकों के साथ अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुसार व्यवहार करने की प्रतिबद्धता।
पृष्ठभूमि: सीमा संघर्ष और संघर्षविराम
- थाई और कंबोडियाई बलों के बीच 24 जुलाई 2025 को विवादित सीमा क्षेत्रों में सशस्त्र झड़पें हुई थीं।
- दोनों पक्षों ने 28 जुलाई की दोपहर संघर्षविराम पर सहमति जताई, जो उसी दिन मध्यरात्रि से प्रभावी हुआ।
- 7 अगस्त को आयोजित जीबीसी बैठक का उद्देश्य संचालन संबंधी विवरण को पुख्ता करना और युद्धविराम को स्थायी बनाना था।
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्व
थाई–कंबोडिया सीमा दशकों से एक संवेदनशील तनाव बिंदु रही है, जहां समय-समय पर होने वाली झड़पें व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा करती रही हैं। पर्यवेक्षक के रूप में प्रमुख शक्तियों की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि आगे किसी भी तरह की वृद्धि को रोकने और दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय रुचि बढ़ रही है।


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