भारतीय बैडमिंटन ने बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप 2025 में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जहां तन्वी शर्मा और वेन्नला कलगोटला पहली ऐसी भारतीय जोड़ी बनीं जिन्होंने टूर्नामेंट के एक ही संस्करण में महिला एकल वर्ग में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह अद्वितीय उपलब्धि भारतीय बैडमिंटन इतिहास में उनके नाम दर्ज करती है और एशियाई मंच पर भारत की जूनियर महिला खिलाड़ियों की बढ़ती ताकत को दर्शाती है।
पृष्ठभूमि
बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप एक वार्षिक टूर्नामेंट है जिसमें पूरे एशिया के सर्वश्रेष्ठ अंडर-19 खिलाड़ी भाग लेते हैं। ऐतिहासिक रूप से भारत ने इस प्रतियोगिता में व्यक्तिगत और टीम स्पर्धाओं में सफलता पाई है, लेकिन एक ही संस्करण में महिला एकल वर्ग में दो पदक कभी नहीं जीते थे। पीवी सिंधु, समीर वर्मा और लक्ष्य सेन जैसे खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पहले पदक जीत चुके हैं, लेकिन महिला एकल में डबल पोडियम पहली बार संभव हो पाया है — और यह रिकॉर्ड अब टूट चुका है।
तन्वी शर्मा का स्वर्णिम सफ़र
- टूर्नामेंट में दूसरी वरीयता प्राप्त और जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 तन्वी शर्मा ने क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया की थालिता रामधानी विर्यावान को 21-19, 21-14 से सीधे गेम में हराकर शानदार प्रदर्शन किया।
- इससे पहले तन्वी ने चीन की शी सी चेन और थाईलैंड की फन्नाचेट पासा-ऑर्न जैसी शीर्ष खिलाड़ियों को भी सीधे सेटों में हराया था।
- तन्वी हाल ही में सुर्खियों में रही थीं जब वह यूएस ओपन 2025 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर इवेंट की सबसे कम उम्र की भारतीय फाइनलिस्ट बनीं।
वेन्नला कलागोटला की ऐतिहासिक उपलब्धि
- विश्व रैंकिंग में 103वें स्थान पर काबिज वेन्नला कलागोटला ने थाईलैंड की जन्यापोर्न मीपंथोंग को रोमांचक तीन गेमों के मुकाबले में 21-18, 17-21, 21-17 से हराया।
- इससे पहले उन्होंने मलेशिया की लर ची एंग और चाइनीज़ ताइपे की वेन शु-यू जैसी खिलाड़ियों को भी कठिन मुकाबलों में मात दी।
- वेन्नला की दृढ़ता और लंबी रैलियों में संयम ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनके बढ़ते कौशल का प्रमाण दिया।
उपलब्धि का महत्व
- यह पहली बार है जब भारत ने बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप के एक ही संस्करण में महिला एकल वर्ग में दो पदक जीते हैं।
- यह उपलब्धि भारत की उभरती महिला बैडमिंटन प्रतिभा की गहराई और विविधता को दर्शाती है।
- यह सफलता इन जूनियर सितारों के लिए सीनियर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में संक्रमण का मार्ग प्रशस्त करती है, जिससे भविष्य में विश्व स्तर पर भारत की पदक संभावनाओं को बल मिलेगा।
भारत की बीते वर्षों की सफलता
- 2011 में भारत ने पीवी सिंधु के कांस्य और समीर वर्मा के रजत सहित तीन पदकों के साथ वापसी की थी।
- 2012 में सिंधु ने इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता।
- 2018 में लक्ष्य सेन ने दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया।
- हालांकि पहले भी व्यक्तिगत सफलताएं रही हैं, लेकिन 2025 में महिला एकल वर्ग में दो पदकों के साथ भारत ने एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है।


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