सूडान की सेना प्रमुख जनरल अब्देल-फताह अल-बुरहान ने 19 मई 2025 को कामिल अल-ताएब इदरीस को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो अप्रैल 2023 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद पहली बार यह पद भरा गया है। यह कदम राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है, खासकर खार्तूम पर सैन्य नियंत्रण की पुनः स्थापना के बाद।
क्यों चर्चा में है?
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कामिल अल-ताएब इदरीस की नियुक्ति 2022 के बाद पहली बार किसी प्रधानमंत्री की नियुक्ति है, जब अबदल्ला हमदोक ने इस्तीफा दिया था।
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यह कदम सूडानी सेना द्वारा तेज़ प्रतिक्रिया बल (RSF) के खिलाफ हालिया सैन्य बढ़त, विशेष रूप से मार्च 2025 में खार्तूम की पुनः प्राप्ति, के बाद लिया गया है।
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अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवीय संकट के बीच, यह लोकतांत्रिक संक्रमण और नागरिक शासन की बहाली के प्रयास का हिस्सा है।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
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अप्रैल 2023: सेना और अर्धसैनिक बल RSF के बीच युद्ध शुरू हुआ।
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मूल कारण: सुरक्षा बलों और राजनीतिक नेतृत्व पर नियंत्रण को लेकर शक्ति संघर्ष।
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संघर्ष ने खार्तूम से बाहर अन्य क्षेत्रों में भी व्यापक रूप ले लिया।
मानवीय प्रभाव
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20,000 से अधिक मौतें (अनौपचारिक आंकड़े इससे भी अधिक हो सकते हैं)।
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1.3 करोड़ से अधिक विस्थापित, जिनमें से 40 लाख से अधिक शरणार्थी पड़ोसी देशों में भागे।
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2.5 करोड़ लोग (सूडान की आधी आबादी) भुखमरी और खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
कौन हैं कामिल अल-ताएब इदरीस?
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एक प्रशंसित विधि विशेषज्ञ और राजनयिक।
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संयुक्त राष्ट्र में सूडान मिशन के पूर्व कानूनी सलाहकार।
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यूएन अंतरराष्ट्रीय विधि आयोग के सदस्य।
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राजनीतिक रूप से निष्पक्ष और गैर-पक्षपाती माने जाते हैं, जिससे उनकी विभिन्न गुटों द्वारा स्वीकार्यता अधिक है, यहां तक कि RSF समर्थकों के बीच भी।
नियुक्ति का उद्देश्य
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एक संक्रमणकालीन सरकार का गठन, जो अंततः चुनावों और नागरिक शासन की ओर बढ़े।
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घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक वैधता की पुनर्स्थापना।
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RSF के “नैरोबी चार्टर” का मुकाबला करना, जो एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और विकेंद्रीकृत सूडान की मांग करता है और वैकल्पिक सरकार बनाने की दिशा में है।
विशेषज्ञ राय
“उनकी स्वीकार्यता विभिन्न समुदायों में अधिक प्रतीत होती है, यहां तक कि RSF समर्थकों में भी, क्योंकि वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं।”
— उस्मान मिर्घानी, राजनीतिक विश्लेषक
यह नियुक्ति सूडान में नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है, जो लंबे संघर्ष के बाद शांति और लोकतंत्र की बहाली की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।