भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक्सिस सिक्योरिटीज पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया है, क्योंकि कंपनी ने स्टॉकब्रोकर नियमों के कई उल्लंघन किए। यह कार्रवाई अप्रैल 2021 से नवंबर 2022 तक की अवधि के निरीक्षण के बाद की गई है। SEBI ने एक्सिस सिक्योरिटीज द्वारा नियमों के उल्लंघन, ग्राहक निधियों के अनुचित प्रबंधन और शिकायत निवारण में कमियों को उजागर किया।
SEBI द्वारा पहचाने गए प्रमुख उल्लंघन:
रिपोर्टिंग में विसंगतियाँ: एक्सिस सिक्योरिटीज ने स्टॉक एक्सचेंजों को सौंपे गए निगरानी रिपोर्ट में सही जानकारी नहीं दी। जमा खातों और वास्तविक होल्डिंग्स में अंतर पाया गया, जिससे अनुपालन में खामियां उजागर हुईं।
ग्राहक निधियों का दुरुपयोग: कंपनी ने ग्राहकों की निधियों और प्रतिभूतियों को उनकी पसंद के अनुसार तय समय में नहीं निपटाया। साथ ही, कंपनी ने ग्राहकों को आवश्यक रिटेंशन स्टेटमेंट प्रदान नहीं किए। SEBI ने पाया कि एक्सिस सिक्योरिटीज ने ग्राहक की शुद्ध शेष राशि वाली प्रतिभूतियों को “क्लाइंट अनपेड सिक्योरिटीज अकाउंट” में स्थानांतरित कर दिया, जो नियमों का उल्लंघन है।
गलत दंड आवंटन: SEBI के निरीक्षण में यह सामने आया कि मार्जिन की कमी के लिए लगाए गए दंड को कंपनी ने ग्राहकों पर डाल दिया, जबकि यह दंड खुद ब्रोकर्स को वहन करना चाहिए।
शिकायत निवारण में कमी: SEBI ने पाया कि एक्सिस सिक्योरिटीज ने ग्राहकों की शिकायतों को प्रभावी रूप से हल नहीं किया, जिससे इसकी अनुपालन प्रणाली की कमजोरियां सामने आईं। निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए शिकायतों का उचित निवारण आवश्यक माना जाता है।
SEBI की कार्रवाई का उद्देश्य:
SEBI की यह कार्रवाई स्टॉकब्रोकरों और बाजार मध्यस्थों को नियामक नियमों का पालन कराने की दिशा में की गई है। इससे पहले, सितंबर 2024 में, SEBI ने एक्सिस बैंक की सहायक कंपनी एक्सिस कैपिटल पर भी कड़ी कार्रवाई की थी और उसे नए ऋण निर्गमों के लिए मर्चेंट बैंकर के रूप में कार्य करने से रोक दिया था। हालाँकि, नवंबर 2024 में कुछ प्रतिबंध हटा दिए गए थे, लेकिन SEBI ने कंपनी की कुछ गतिविधियों पर नियंत्रण बनाए रखा।
ब्रोकरेज फर्मों के लिए इस कार्रवाई का संदेश:
SEBI ने एक्सिस सिक्योरिटीज को 45 दिनों के भीतर जुर्माना भरने का निर्देश दिया है। यह अन्य ब्रोकरेज फर्मों के लिए एक कड़ा संदेश है कि उन्हें नियामक दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा।
इस तरह की सख्ती से यह स्पष्ट है कि SEBI वित्तीय मध्यस्थों पर कड़ी निगरानी रख रहा है और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। निवेशकों के लिए यह कार्रवाई आश्वासन देती है कि बाजार नियामक उनके हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है।