प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मक्तूम ने 8 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में उच्च स्तरीय वार्ता की, जिसका उद्देश्य भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना था। उनकी बातचीत रक्षा, तटरक्षक बल संचालन, व्यापार, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और जनसंपर्क संबंधों में सहयोग को सशक्त बनाने पर केंद्रित रही। भारत में क्राउन प्रिंस के रूप में शेख हमदान की यह पहली आधिकारिक यात्रा थी, जो द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। यह यात्रा दोनों देशों की साझा रणनीतिक प्राथमिकताओं और पारस्परिक आर्थिक हितों को रेखांकित करती है।
प्रमुख बिंदु
रक्षा और सुरक्षा सहयोग
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भारत और यूएई ने रक्षा एवं तटरक्षक बल सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई।
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तटरक्षक बल सहयोग को औपचारिक रूप देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
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शेख हमदान और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच हुई बातचीत में व्यापारिक संबंधों की तरह रक्षा संबंधों को भी ऊंचे स्तर तक ले जाने पर बल दिया गया।
प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान:
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संयुक्त प्रशिक्षण और आदान-प्रदान कार्यक्रम
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सह-उत्पादन और सह-विकास परियोजनाएं
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रक्षा निर्माण में सहयोग
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दोनों पक्षों ने इंडिया-यूएई डिफेंस पार्टनरशिप फोरम का स्वागत किया।
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मेक-इन-इंडिया और मेक-इन-एमिरेट्स पहलों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई।
उच्च स्तरीय राजनयिक संवाद
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प्रधानमंत्री मोदी ने शेख हमदान की यात्रा को “गहरी मित्रता की पुष्टि” बताया।
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी शेख हमदान से मुलाकात की और मजबूत संबंधों के लिए आभार जताया।
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शेख हमदान ने भारत-यूएई संबंधों को “विश्वास पर आधारित, इतिहास द्वारा आकारित” बताया।
व्यापार और आर्थिक सहयोग
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दुबई चैंबर ने मुंबई में दुबई-इंडिया बिज़नेस फोरम का आयोजन किया, जिसमें 200 भारतीय व्यापारिक नेताओं ने भाग लिया।
महत्वपूर्ण व्यापारिक आँकड़े:
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भारत-यूएई गैर-तेल व्यापार (2023): $54.2 बिलियन
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दुबई-भारत द्विपक्षीय व्यापार: $45.4 बिलियन
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भारत में दुबई का निवेश: $4.68 बिलियन
2024 में:
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16,623 भारतीय कंपनियाँ दुबई चैंबर ऑफ कॉमर्स में शामिल हुईं।
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अब दुबई में 70,000 से अधिक भारतीय कंपनियाँ कार्यरत हैं।
संपर्क और जन-सामान्य संबंध
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2024 में दुबई ने 3.14 मिलियन दक्षिण एशियाई पर्यटकों का स्वागत किया, जिनमें सबसे अधिक संख्या भारत से थी।
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नेताओं ने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और संपर्क के माध्यमों की भूमिका को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण बताया।