Home   »   सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में राहत की...

सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में राहत की निगरानी के लिए पूर्ण महिला पैनल नियुक्त करेगा

सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में राहत की निगरानी के लिए पूर्ण महिला पैनल नियुक्त करेगा |_3.1

सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी करने को तैयार हो गया है। कोर्ट ने हिंसा मामलों की जांच की निगरानी महाराष्ट्र के पूर्व IPS अफसर दत्तात्रेय पद्सालजिलकर को सौंपी है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच CBI ही करेगी, लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई में दूसरे राज्यों से DySP रैंक के 5-5 अफसर लेने का फैसला किया गया है। बाकी मामलों की पुलिस जांच में 42 SIT बनेंगी। इनका नेतृत्व SP रैंक का अधिकारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राहत और पुनर्वास का काम देखने के लिए 3 पूर्व हाई कोर्ट जजों की कमिटी भी बनाई है, जिसकी तीनों सदस्य महिला हैं।

DIG स्तर के अफसर 6-6 SIT की निगरानी करेंगे। तीन पूर्व हाईकोर्ट जजों की अध्यक्षता में एक समिति का गठन होगा। जो मणिपुर में राहत, पुनर्वास की निगरानी करेगी। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व CJ गीता मित्तल की अगुवाई में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व जज शालिनी और दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन की कमेटी का गठन करेंगे। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम हाईकोर्ट के जजों की कमेटी और IPS अफसर दत्तात्रेय पद्सालजिलकर को समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहेंगे। हमारा प्रयास कानून व्यवस्था और भरोसे को बहाल करने का होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जांच की निगरानी करने और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करने के लिए मुंबई के पूर्व कमिश्नर और महाराष्ट्र के डीजीपी दत्तात्रय पडसलगीकर को नियुक्त किया है. सीजेआई का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि संतुलन बना रहे और जांच ठीक से हो। मणिपुर हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। केंद्र की ओर से AG आर वेंकेटरमनी ने कोर्ट में अपनी दलील रखी।

 

केंद्र ने कोर्ट को बताया कि मणिपुर में हिंसा से संबंधित मामलों की जांच के लिए जिलावार विशेष जांच दल गठित किए जाएंगे। वहीं कोर्ट की निगरानी समिति से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि किसी भी बाहरी जांच की अनुमति दिए बिना, जिला स्तर पर एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए।

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित 11 से अधिक एफआईआर हैं, जिनकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की जा रही है, तो उनकी जांच एक पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय एसआईटी द्वारा की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में मौजूदा संकट को कम करने के उद्देश्य से वकील निज़ाम पाशा के मूल्यवान और ‘निष्पक्ष’ सुझावों के लिए पिछले महीने सराहना की थी।

 

गौरतलब है कि 01 अगस्त को शीर्ष अदालत ने कहा था कि मणिपुर में कानून-व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से चरमरा गई है। कोर्ट ने जातीय हिंसा की घटनाओं, विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाने वाली घटनाओं की धीमी और सुस्त जांच के लिए राज्य पुलिस को फटकार लगाई थी और 7 अगस्त को अपने सवालों का जवाब देने के लिए डीजीपी को तलब किया था। पीठ हिंसा से संबंधित लगभग 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पुनर्वास और अन्य राहतों के अलावा मामलों की अदालत की निगरानी में जांच सहित राहत की मांग की गई है।

Find More News Related to Schemes & Committees

 

Ministry implemented 'Naya Savera' scheme ('Free Coaching and Allied' scheme)_100.1

FAQs

मणिपुर की राजधानी क्या है?

मणिपुर भारत के पूर्वोत्तर में स्थित एक राज्य है। इसकी राजधानी इंफाल है।