सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के चंदे से संबंधित चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 30 अक्टूबर की तारीख तय की है। वही, कोर्ट ने इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है।
दलीलों पर सहमति जताते हुए सीजेआई ने कहा कि उठाए गए मुद्दे के महत्व को देखते हुए और भारत के संविधान के अनुच्छेद 145(4) के संबंध में, मामले को कम से कम पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष रखा जाएगा। 30 अक्टूबर, 2023 के लिए ये सूचीबद्ध है। अदालत विधानसभा चुनावों के वर्ष में चुनावी बांड की बिक्री के लिए एडिशनल विंडो की अनुमति देने वाली केंद्र की हालिया अधिसूचना को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
12,000 करोड़ रुपये का भुगतान
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जरूरी है कि राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग से जुड़े इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजा जाए। बता दें कि जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं में से एक ने मार्च में कहा था कि चुनावी बांड के माध्यम से अब तक राजनीतिक दलों को 12,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और दो-तिहाई राशि एक प्रमुख राजनीतिक दल को गई है।
आम चुनाव के लिए यह योजना
कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि 2024 के आम चुनाव के लिए यह योजना शुरू होने से पहले इसका न्यायिक परीक्षण जरूरी है। गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड के जरिये अज्ञात स्रोतों से होने वाली फंडिंग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है और भ्रष्टाचार मुक्त देश में रहने के नागरिकों के अधिकार का हनन कर रही है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।