भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने हाल ही में बताया कि उसने क्यूआईपी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) के जरिये ₹25,000 करोड़ जुटाए हैं। बैंक के मुताबिक, यह अब तक का सबसे बड़ा क्यूआईपी इश्यू है जो भारतीय पूंजी बाजार में दर्ज हुआ है। यह प्रस्ताव 4.5 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ, जो भारत के बैंकिंग क्षेत्र और आर्थिक संभावनाओं में निवेशकों के मजबूत विश्वास को दर्शाता है। इस फंडरेजिंग में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) सहित कई घरेलू संस्थागत निवेशकों और विदेशी निवेशकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस राशि से SBI की पूंजी पर्याप्तता (capital adequacy) मजबूत होगी और बैंक अपनी ऋण विस्तार रणनीति (credit expansion strategy) को और गति दे सकेगा।
QIP की पृष्ठभूमि और SBI के ऐतिहासिक फंडरेजिंग का महत्व
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) एक ऐसी व्यवस्था है जिसके माध्यम से कोई सूचीबद्ध कंपनी योग्य संस्थागत खरीदारों (QIBs) को इक्विटी शेयर जारी करके पूंजी जुटा सकती है, और इसके लिए उसे विस्तृत नियामकीय प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता। इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2006 में शुरू किया था, ताकि कंपनियाँ त्वरित पूंजी जुटा सकें और साथ ही बाजार अनुशासन भी बना रहे। इस मामले में SBI ने प्रति शेयर ₹817 की दर से शेयर जारी किए, जो कि ₹811.05 के फ्लोर प्राइस से अधिक है—यह दर्शाता है कि निवेशक SBI के शेयरों के लिए प्रीमियम देने को तैयार हैं।
SBI QIP का महत्व
₹25,000 करोड़ की यह QIP भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास की सबसे बड़ी है, जो SBI की साख और बाजार में उसके प्रति भरोसे को दर्शाती है। इस इश्यू में 64.3% मांग विदेशी निवेशकों से आई, जो भारत की आर्थिक विकास गाथा में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है। वहीं, दो-तिहाई शेयर आवंटन घरेलू संस्थागत निवेशकों को गया, जिससे निवेश में संतुलन भी स्पष्ट होता है। यह भारत के बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती और आकर्षण को रेखांकित करता है, विशेषकर ऐसे समय में जब वैश्विक वित्तीय अस्थिरता बनी हुई है।
पूंजी जुटाने का मुख्य उद्देश्य
इस पूंजी जुटाने का मुख्य उद्देश्य भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET-1) अनुपात को बढ़ाना है, जो इस निर्गम के बाद 10.81% से बढ़कर 11.50% हो जाएगा। बढ़ा हुआ CET-1 बफर बैंक को अधिक वित्तीय स्थिरता और बेसल III मानकों के तहत नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करने में मदद करेगा। साथ ही, यह पूंजी खुदरा, MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) और कॉर्पोरेट ऋण जैसे क्षेत्रों में संतुलित ऋण वृद्धि को भी सक्षम बनाएगी, जो भारत की आर्थिक पुनरुद्धार और विस्तार के प्रमुख चालक हैं।
प्रभाव और रणनीतिक दृष्टिकोण
SBI के अध्यक्ष सी.एस. सेट्टी ने इस QIP को बैंक की मजबूत बुनियाद, डिजिटल परिवर्तन पहलों और विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंधन में “विश्वास मत” बताया। QIP की सफलता यह दर्शाती है कि बाजार को SBI के नेतृत्व पर विश्वास है और यह बैंक उभरते विकास अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार है। इस फंड से SBI की ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी, डिजिटल अवसंरचना का विस्तार होगा और यह बैंक भारत की अग्रणी वित्तीय संस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने में सक्षम रहेगा।


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