एसबीआई रिसर्च की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2024–25 (FY25) में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 297 अरब डॉलर का योगदान दिया, जो कि वैश्विक GDP वृद्धि का 6.7% है। इसमें से अकेले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 44 अरब डॉलर यानी 1.1% वैश्विक वृद्धि में हिस्सेदारी निभाई। यह रिपोर्ट न केवल भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि एसबीआई जैसी संस्थाएं भारत और वैश्विक दोनों स्तरों पर आर्थिक विकास को गति देने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका
FY25 में दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था में $4,118 अरब की वृद्धि हुई, जिसमें भारत की हिस्सेदारी $297 अरब रही। यह दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार बन चुका है, और कुल वैश्विक वृद्धि का लगभग 7% हिस्सा भारत ने जोड़ा है।
एसबीआई का बड़ा योगदान
एसबीआई ने अपने विशाल एसेट बेस के जरिए FY25 में 44 अरब डॉलर का योगदान दिया, जो वैश्विक GDP वृद्धि का 1.1% है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की GDP वृद्धि में अकेले एसबीआई का योगदान 16% रहा, जो इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक स्तंभ सिद्ध करता है।
वित्तीय सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि
एसबीआई ने भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में भी 8.7% का योगदान दिया। FY25 में एसबीआई का GVA ₹1,38,533 करोड़ रहा, जो FY24 के ₹1,32,157 करोड़ से बढ़कर आया — यानी सिर्फ एक साल में 5% वृद्धि।
भारत की आर्थिक ताकत का उभार
यह रिपोर्ट भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था की ओर संकेत करती है। भारत अब केवल विकासशील राष्ट्र नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक विकास का प्रमुख इंजन बन रहा है। एसबीआई की यह उपलब्धि भारतीय संस्थानों की क्षमता और योगदान को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने में मदद करती है।


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