नामिबिया के पहले राष्ट्रपति और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता सैम नुजोमा का 10 फरवरी 2025 को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने 1990 में दक्षिण अफ्रीका से नामिबिया को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 15 वर्षों तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया। उन्हें “नामिबियन राष्ट्रपिता” के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनके नेतृत्व में देश में लोकतंत्र, सुलह और स्थिरता की नींव रखी गई, हालांकि उनके कार्यकाल में कुछ विवादास्पद बयान और नीतियां भी देखने को मिलीं।
सैम नुजोमा: जीवन और विरासत
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- जन्म 1929 में नामिबिया के एक गरीब ग्रामीण परिवार में हुआ।
- 11 भाई-बहनों में सबसे बड़े, बचपन में पशुपालन और खेती का काम किया।
- मिशनरी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद विंडहोक (Windhoek) चले गए।
- दक्षिण अफ्रीकी रेलवे में नौकरी की और अंग्रेजी सुधारने के लिए रात की कक्षाएं लीं।
राजनीतिक यात्रा और निर्वासन
- 1959 में एक राजनीतिक प्रदर्शन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार हुए।
- जेल से रिहा होने के बाद तंजानिया भाग गए, जहां लगभग 30 वर्षों तक निर्वासन में रहे।
- 1960 में SWAPO (साउथ वेस्ट अफ्रीकन पीपल्स ऑर्गनाइजेशन) की स्थापना में मदद की और इसके पहले अध्यक्ष बने।
- दक्षिण अफ्रीकी शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष शुरू किया, हालांकि सीमित संसाधनों के कारण संघर्ष कठिन रहा।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र ने SWAPO को नामीबियाई लोगों का एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी।
नामिबिया की स्वतंत्रता में भूमिका
- तीन दशकों तक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद 1990 में दक्षिण अफ्रीका ने नामिबिया से कब्जा हटा लिया।
- 1989 में पहली लोकतांत्रिक चुनावों में SWAPO को जीत मिली और नुजोमा नामिबिया के पहले राष्ट्रपति बने।
- राष्ट्र निर्माण और सुलह प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राष्ट्रपति कार्यकाल (1990-2005)
- 1990 से 2005 तक तीन कार्यकालों तक राष्ट्रपति रहे।
- नामिबिया के लोकतांत्रिक संविधान की स्थापना, जिसे समावेशिता के लिए सराहा गया।
- श्वेत व्यापारियों और राजनेताओं को सरकार में शामिल कर सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया।
- महिला सशक्तिकरण का समर्थन किया और कहा कि अफ्रीकी महिलाएं नेतृत्व करने में सक्षम हैं।
- चीन, रूस, क्यूबा और उत्तर कोरिया के साथ मजबूत संबंध स्थापित किए, क्योंकि इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नामिबिया का समर्थन किया था।
- 1993 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा मेजबानी पाने वाले पहले अफ्रीकी नेता बने।
विवाद और आलोचना
- पश्चिम विरोधी बयानबाजी के लिए जाने जाते थे।
- एक बार AIDS को “मानव निर्मित जैविक हथियार” बताया।
- समलैंगिकता का विरोध किया और इसे “विदेशी और भ्रष्ट विचारधारा” कहा।
- विदेशी टेलीविजन कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाया, यह कहते हुए कि वे “नामिबियाई युवाओं को भ्रष्ट कर रहे हैं”।
- निर्वासन के दौरान असहमति को दबाने के आरोप लगे, हालांकि बाद में उन्हें एक लोकतांत्रिक नेता के रूप में सराहा गया।
विरासत और प्रभाव
- अफ्रीका के उन अंतिम नेताओं में से एक, जिन्होंने उपनिवेशवाद का अंत किया।
- नेल्सन मंडेला (दक्षिण अफ्रीका)
- जूलियस न्येरेरे (तंजानिया)
- रॉबर्ट मुगाबे (जिम्बाब्वे)
- केनेथ कौंडा (जाम्बिया) जैसे नेताओं के समकक्ष माने जाते हैं।
- लोकतंत्र और स्थिरता को बढ़ावा दिया, जिससे नामिबिया में सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित हुआ।
- आर्थिक विकास और शिक्षा को बढ़ावा दिया।
- SWAPO पार्टी आज भी स्वतंत्रता के बाद से सत्ता में बनी हुई है।
अंतिम वर्ष और निधन
- 2007 में 47 वर्षों तक SWAPO पार्टी के नेता रहने के बाद पद छोड़ा।
- विंडहोक में अस्पताल में भर्ती रहने के बाद 10 फरवरी 2025 को 95 वर्ष की आयु में निधन।
- वर्तमान नामीबियाई राष्ट्रपति नंगोलो मबुम्बा ने उनके निधन पर कहा:
“नामिबिया गणराज्य की नींव हिल गई है।”
क्यों चर्चा में? | सैम नुजोमा, नामीबिया के पहले राष्ट्रपति, 95 वर्ष की आयु में निधन |
पूरा नाम | सैमुअल शफीशुना नुजोमा |
जन्म | 1929, नामीबिया |
मुख्य भूमिका | नामीबिया के पहले राष्ट्रपति (1990-2005) |
राजनीतिक दल | साउथ वेस्ट अफ्रीकन पीपल्स ऑर्गनाइजेशन (SWAPO) |
निर्वासन के वर्ष | 1959-1989 |
मुख्य उपलब्धि | दक्षिण अफ्रीका से नामीबिया को स्वतंत्रता दिलाई (1990) |
अंतरराष्ट्रीय मान्यता | UN ने SWAPO को नामीबिया के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी |
मित्र राष्ट्र | चीन, रूस, क्यूबा, उत्तर कोरिया |
अमेरिकी मान्यता | 1993 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा आमंत्रित पहले अफ्रीकी नेता |
प्रमुख विवाद | पश्चिम विरोधी बयान, LGBTQ विरोधी टिप्पणी, मीडिया सेंसरशिप |
नेतृत्व शैली | करिश्माई, राष्ट्रवादी, सुलहकारी लेकिन विवादास्पद |
मृत्यु पर अंतिम श्रद्धांजलि | “हमारे देश के सबसे बहादुर सपूत अपनी बीमारी से उबर नहीं सके।” – राष्ट्रपति मबुम्बा |