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सागरमाला कार्यक्रम की 10वीं वर्षगांठ

सागरमाला कार्यक्रम, जो मार्च 2015 में शुरू किया गया था, भारत के समुद्री क्षेत्र को विकसित करने के लिए बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय की प्रमुख पहल है। 7,500 किमी लंबी तटरेखा, 14,500 किमी संभावित नौगम्य जलमार्ग, और वैश्विक व्यापार मार्गों पर भारत की रणनीतिक स्थिति इसे बंदरगाह आधारित आर्थिक विकास के लिए अत्यधिक संभावनाएं प्रदान करती है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बंदरगाहों के आधुनिकीकरण, कनेक्टिविटी में सुधार, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और तटीय नौवहन व अंतर्देशीय जलमार्गों के उपयोग से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करके व्यापार प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।

सागरमाला 2.0 और सागरमाला स्टार्टअप इनोवेशन इनिशिएटिव (S2I2) भारत की विकसित भारत 2047 और आत्मनिर्भर भारत 2047 की दृष्टि को साकार करने के लिए समुद्री बुनियादी ढांचे, शिपबिल्डिंग, नवाचार और आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करने के लिए तैयार हैं।

सागरमाला कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

  • कुल परियोजनाएँ: ₹5.79 लाख करोड़ की लागत से 839 परियोजनाएँ निर्धारित।

  • पूर्ण परियोजनाएँ: 272 परियोजनाएँ पूरी, ₹1.41 लाख करोड़ का निवेश।

  • तटीय नौवहन वृद्धि: पिछले दशक में 118% की वृद्धि, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आई।

  • अंतर्देशीय जलमार्गों में उछाल: 700% वृद्धि, सड़क और रेल यातायात का भार कम हुआ।

  • Ro-Pax फेरी सेवा: 40 लाख+ यात्रियों को लाभ, तटीय कनेक्टिविटी में सुधार।

  • वैश्विक पोर्ट रैंकिंग: 9 भारतीय बंदरगाह दुनिया के शीर्ष 100 में, विशाखापट्टनम शीर्ष 20 कंटेनर बंदरगाहों में।

  • सागरमाला 2.0 निवेश: ₹40,000 करोड़ की सरकारी सहायता से अगले दशक में ₹12 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य।

  • S2I2 पहल: अनुसंधान, नवाचार, स्टार्टअप और उद्यमिता (RISE) को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च।

सागरमाला कार्यक्रम के घटक

  1. बंदरगाह आधुनिकीकरण एवं विकास – दक्षता बढ़ाने के लिए उन्नयन और मशीनीकरण।

  2. बंदरगाह कनेक्टिविटी में सुधार – सड़क, रेल और जलमार्गों से बेहतर संपर्क।

  3. बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण – बंदरगाहों के पास औद्योगिक क्लस्टर विकसित करना।

  4. तटीय समुदायों का विकास – कौशल विकास, मत्स्य पालन और पर्यटन को बढ़ावा देना।

  5. तटीय नौवहन एवं अंतर्देशीय जल परिवहन – पर्यावरण-अनुकूल परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देना।

वित्तीय व्यवस्था एवं कार्यान्वयन

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): बंदरगाह अवसंरचना में निजी निवेश को प्रोत्साहन।

  • आंतरिक एवं अतिरिक्त बजटीय संसाधन (IEBR): बंदरगाह प्राधिकरणों के मौजूदा वित्तीय संसाधनों का उपयोग।

  • सरकारी अनुदान: तटीय कौशल विकास और पर्यटन जैसी सामाजिक प्रभाव वाली परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता।

  • सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (SDCL): विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के माध्यम से परियोजनाओं को लागू करने में सहायता।

भविष्य की योजना: सागरमाला 2.0 और S2I2

सागरमाला 2.0

  • शिपबिल्डिंग, मरम्मत, रीसाइक्लिंग और बंदरगाह आधुनिकीकरण पर केंद्रित।

  • ₹40,000 करोड़ की सरकारी सहायता से ₹12 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य।

  • विकसित भारत 2047 और आत्मनिर्भर भारत 2047 की दिशा में कदम।

सागरमाला स्टार्टअप इनोवेशन इनिशिएटिव (S2I2)

  • ग्रीन शिपिंग, स्मार्ट पोर्ट, समुद्री लॉजिस्टिक्स और तटीय सतत विकास से जुड़े स्टार्टअप्स को सहयोग।

  • वित्तीय सहायता, मेंटरशिप और उद्योग साझेदारी प्रदान करना।

सागरमाला कार्यक्रम भारत के समुद्री क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को लागत प्रभावी व टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? सागरमाला कार्यक्रम के कार्यान्वयन को 10 वर्ष पूरे
शुरुआत का वर्ष मार्च 2015
कार्यान्वयन निकाय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय
कुल परियोजनाएँ 839 परियोजनाएँ, ₹5.79 लाख करोड़
पूर्ण परियोजनाएँ 272 परियोजनाएँ, ₹1.41 लाख करोड़ का निवेश
तटीय नौवहन वृद्धि पिछले दशक में 118% वृद्धि
अंतर्देशीय जलमार्ग कार्गो वृद्धि 700% वृद्धि
Ro-Pax फेरी यात्रियों की संख्या 40 लाख+ यात्रियों को लाभ
वैश्विक बंदरगाह रैंकिंग 9 भारतीय बंदरगाह शीर्ष 100 में, विशाखापट्टनम शीर्ष 20 में
सागरमाला 2.0 निवेश ₹40,000 करोड़ बजट, ₹12 लाख करोड़ निवेश का लक्ष्य
सागरमाला कार्यक्रम की 10वीं वर्षगांठ |_3.1

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