सद्भावना दिवस हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती को समर्पित है। इसे साम्प्रदायिक सद्भावना दिवस (Communal Harmony Day) भी कहा जाता है। इस दिवस का उद्देश्य भारत की विविध धार्मिक, भाषायी और सांस्कृतिक समुदायों के बीच सद्भाव, सहिष्णुता और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करना है। आज के समय में जब समाज में विभाजन और असंतोष दिखाई देता है, सद्भावना दिवस एकजुटता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का आह्वान करता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
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सद्भावना दिवस की शुरुआत भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए की गई थी।
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20 अगस्त की तिथि राजीव गांधी की जयंती को चिह्नित करती है, जो एक प्रगतिशील और समावेशी भारत की उनकी दृष्टि को दर्शाती है।
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यह दिवस सभी समुदायों के बीच आपसी सम्मान, स्वीकार्यता और सहानुभूति को बढ़ावा देता है।
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समय के साथ यह एक प्रतीकात्मक आयोजन बन गया है, जिसमें सरकारी संस्थाएँ, शैक्षणिक संस्थान और आम नागरिक सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
उद्देश्य
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शांति और सहिष्णुता का प्रसार – विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना।
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राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना – विविधता में एकता को सुदृढ़ करना।
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साम्प्रदायिक तनाव कम करना – संवाद, सहानुभूति और शिक्षा के माध्यम से भेदभाव और पूर्वाग्रहों को कम करना।
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भाईचारे की भावना जगाना – सामाजिक एकजुटता और राष्ट्रीय विकास के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करना।
महत्व और प्रभाव
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धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक एकता – सभी समुदायों के प्रति समान सम्मान की लोकतांत्रिक भावना को सुदृढ़ करना।
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साम्प्रदायिकता की रोकथाम – समाज को विभाजन और भेदभाव के खतरों से सचेत करना।
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राजीव गांधी की विरासत को आगे बढ़ाना – शांति, विकास और राष्ट्रीय एकता के उनके आदर्शों को प्रोत्साहित करना।
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राष्ट्र निर्माण – सभी नागरिकों में साझा पहचान और उद्देश्य की भावना का विकास करना।


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