रूस की S-500 मिसाइल प्रणाली, जिसे आधिकारिक रूप से 55R6M “ट्रायंफेटर-M” या प्रोमेतेय कहा जाता है, वैश्विक मिसाइल-रक्षा तकनीक के भविष्य को आकार दे रही है। 2021 में सेवा में शामिल हुई यह प्रणाली रूस की सबसे उन्नत मोबाइल एयर और मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जो बैलिस्टिक मिसाइलों, हाइपरसोनिक हथियारों, स्टील्थ विमान, UAVs और लो-ऑर्बिट उपग्रहों तक का मुकाबला कर सकती है।
अल्माज़-आंते (Almaz-Antey) द्वारा रूसी स्पेस फोर्सेज के लिए विकसित S-500, पहले से तैनात S-400 और A-235 प्रणालियों को पूरक करती है और लगभग अंतरिक्ष (near-space) तक अवरोधन क्षमता प्रदान करती है।
600 किमी दूर तक के लक्ष्यों को इंटरसेप्ट कर सकती है — दुनिया की सबसे लंबी दूरी की एयर-डिफेंस प्रणालियों में से एक।
वायु रक्षा रेंज: लगभग 500 किमी।
7 किमी/सेकंड की गति से चलने वाले 10 हाइपरसोनिक लक्ष्यों को ट्रैक और एंगेज कर सकती है।
आधुनिक मैनेवरिंग हाइपरसोनिक हथियारों को निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन की गई।
180–200 किमी की ऊँचाई तक लक्ष्य भेद सकती है।
यही क्षमता इसे एंटी-सैटेलाइट (ASAT) भूमिका निभाने योग्य बनाती है।
केवल 4 सेकंड से भी कम समय में प्रतिक्रिया दे सकती है।
तेज़ी से आते लक्ष्यों के बीच जीवित रहने की क्षमता बढ़ती है।
इसमें कई अत्याधुनिक रडार शामिल हैं:
91N6A(M) रडार
96L6-TsP रडार
76T6 एवं 77T6 एंगेजमेंट रडार
ये लंबे-दूरी की खोज और सटीक ट्रैकिंग सुनिश्चित करते हैं।
S-500 निम्न मिसाइलों का प्रयोग करती है:
40N6M
77N6
77N6-N1
प्रत्येक मिसाइल अलग-अलग प्रकार के खतरों — विमान, बैलिस्टिक लक्ष्य, उपग्रह — के लिए बनाई गई है।
| पैमाना | S-400 | S-500 |
|---|---|---|
| अधिकतम रेंज | 380 किमी | 600 किमी |
| ASAT क्षमता | नहीं | लो-ऑर्बिट उपग्रहों को मार गिरा सकती है |
| प्रतिक्रिया समय | <10 सेकंड | 3–4 सेकंड |
| इंटरसेप्शन ऊँचाई | 30–40 किमी | 200 किमी तक |
| रडार क्षमता | उन्नत, पर सीमित स्टील्थ डिटेक्शन | मल्टी-बैंड, अत्यधिक शक्तिशाली |
| हाइपरसोनिक इंटरसेप्शन | सीमित | मैक 5–7 लक्ष्यों को रोकने योग्य |
स्पष्ट है कि S-500 नई पीढ़ी का सिस्टम है, खासकर बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक रक्षा के क्षेत्र में।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर 2025 भारत यात्रा के दौरान संकेत मिले कि भारत के रक्षा मंत्री S-500 में रुचि दिखा सकते हैं। यह रुचि व्यापक भारत-रूस रक्षा वार्ताओं का हिस्सा है।
रूस ने 2021 में संकेत दिया था कि भारत पहला निर्यात ग्राहक बन सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर में S-400 के प्रदर्शन से भारत में विश्वास बढ़ा।
अत्यंत उच्च लागत
जटिल रखरखाव
विशेषज्ञ ऑपरेटर प्रशिक्षण
भारतीय कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम के साथ एकीकरण
इसीलिए अभी तक कोई अंतिम खरीद निर्णय नहीं हुआ है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और रूसी मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव में बातचीत के दौरान चर्चा हो सकती है:
लंबित रक्षा उपकरणों की समय पर आपूर्ति
भविष्य में S-500 पर संभावित सहयोग
लेकिन वर्तमान में S-500 का निर्यात बहुत सीमित है, इसलिए वार्ताएँ लंबी चल सकती हैं।
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