रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 29 अक्टूबर 2025 को बताया कि रूस ने सफलतापूर्वक पोसाइडन (Poseidon) — एक परमाणु-संचालित और परमाणु-सशस्त्र मानवरहित जल-ड्रोन — का परीक्षण किया है। पुतिन के अनुसार, यह प्रणाली “अवरोधन (Intercept) के परे” है और शत्रु देशों के तटों के पास रेडियोधर्मी सुनामी उत्पन्न करने में सक्षम है, जो व्यापक विनाश ला सकती है। यह विकास रणनीतिक निरोध और समुद्री युद्ध के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है “पोसाइडन”?
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“पोसाइडन” (पूर्व नाम स्टेटस-6) एक स्वायत्त पाणबुडी वाहन (Autonomous Underwater Vehicle) है, जो एक लघु परमाणु रिएक्टर से संचालित है।
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इस हथियार का परीक्षण पहली बार इसके परमाणु शक्ति स्रोत पर चलते हुए किया गया, जिसे पुतिन ने “विशाल सफलता” बताया।
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पारंपरिक पनडुब्बी या मिसाइल की तुलना में, पोसाइडन में लंबी दूरी तक जलमग्न रहने की क्षमता और विनाशकारी शक्ति का अनूठा संयोजन है।
दावा किए गए क्षमताएं
राष्ट्रपति पुतिन के अनुसार पोसाइडन ड्रोन:
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पारंपरिक पनडुब्बियों में प्रयुक्त रिएक्टर से 100 गुना छोटे परमाणु रिएक्टर से संचालित है।
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इसमें सार्मत (Sarmat) अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल से भी अधिक शक्ति वाला परमाणु वारहेड है।
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यह अत्यधिक गहराई और तेज़ गति से यात्रा कर सकता है, जिससे वर्तमान पनडुब्बी-रोधी रक्षा प्रणालियाँ इसे पकड़ नहीं सकतीं।
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इसे तटीय क्षेत्रों के निकट विस्फोट के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे रेडियोधर्मी सुनामी उत्पन्न हो सकती है और बड़े शहर अवसंवहनीय (Uninhabitable) हो सकते हैं।
रणनीतिक महत्त्व
पोसाइडन परमाणु निरोध के दर्शन में एक नया मोड़ लाता है—
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यह पारंपरिक मिसाइल रक्षा तंत्रों को दरकिनार कर पानी के अंदर से चरम गहराई और गति पर हमला कर सकता है।
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इसके तटीय लक्ष्यों पर प्रयोग से बड़े शहरी केंद्र और आर्थिक हब नष्ट हो सकते हैं, जिससे नई रणनीतिक कमज़ोरियाँ उभर सकती हैं।
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यह घोषणा यूक्रेन संघर्ष के बीच आयी है और हाल में किए गए बुरेवेस्टनिक (Burevestnik) परमाणु मिसाइल परीक्षण के बाद, जो रूस की रणनीतिक संदेश-नीति (Signaling) का हिस्सा मानी जा रही है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
भारत जैसे एशियाई देशों के लिए यह विकास महत्त्वपूर्ण संदेश देता है—
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नौसैनिक पता-लगाने और पनडुब्बी निगरानी प्रणालियों को आधुनिक बनाने की ज़रूरत है।
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तटीय सुरक्षा और नागरिक रक्षा (सिविल डिफेंस) को नए सिरे से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
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परमाणु सिद्धांतों (Nuclear Doctrines) की पुनः समझ और स्वायत्त हथियारों के दौर में नई रणनीति अपनाने की ज़रूरत है।


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