रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने हाल ही में लिक्विडिटी के लिए दो बड़े कदम उठाए हैं, जिसमें ₹1 ट्रिलियन का ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) परचेज़ और $5 बिलियन का डॉलर-रुपया स्वैप शामिल है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब रुपया 90 प्रति अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है, जिससे फाइनेंशियल मार्केट और बैंकिंग लिक्विडिटी पर दबाव पड़ रहा है।
ओपन मार्केट ऑपरेशन RBI का एक प्रमुख मौद्रिक उपकरण है, जिसका उपयोग बैंकिंग प्रणाली में तरलता (Liquidity) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
OMO खरीद: RBI बैंकों से सरकारी बॉन्ड खरीदता है → सिस्टम में पैसा डालता है।
OMO बिक्री: RBI बैंकों को सरकारी बॉन्ड बेचता है → अतिरिक्त तरलता खींच लेता है।
इसका उद्देश्य है:
ब्याज दरों को स्थिर रखना
बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त नकदी बनाए रखना
अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को सुचारू रखना
रुपये की तेज़ गिरावट और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बैंकिंग प्रणाली में तरलता कम हो गई। जब विदेशी निवेशक बाज़ार से पैसा निकालते हैं, तो बैंकों के पास रुपये की उपलब्धता घट जाती है।
इस स्थिति को संभालने के लिए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने OMO खरीद की घोषणा की।
इससे उद्देश्य है:
बाज़ार में स्थिरता लाना
बैंकों को सस्ती फंडिंग उपलब्ध कराना
मौद्रिक नीति के प्रभाव को सही तरीके से आगे पहुँचाना
रुपया गिरने पर आमतौर पर ये समस्याएँ पैदा होती हैं:
डॉलर की मांग बढ़ती है
विदेशी निवेशक पैसा निकालते हैं
अल्पकालिक ब्याज दरें बढ़ती हैं
बैंकों में नकदी की कमी होती है
ऐसे में OMO तीन बड़े तरीकों से मदद करता है:
विदेशी निकासी से सिस्टम में रुपये की कमी हो जाती है।
OMO खरीद से RBI बैंकों में स्थायी नकदी डालता है।
डॉलर की मांग बढ़ने से कॉल मनी रेट और ट्रेज़री यील्ड बढ़ जाती हैं।
OMO इन्हें नियंत्रित करता है।
जब सिस्टम में नकदी असमान होती है, तो रेपो कट का प्रभाव ठीक से नहीं पहुंचता।
OMO इसे संतुलित करता है।
| OMO खरीद | Repo ऑपरेशन |
|---|---|
| स्थायी (Durable) तरलता प्रबंधन | अस्थायी (Temporary) तरलता प्रबंधन |
| दीर्घकालिक धन आपूर्ति को प्रभावित करता है | दिन–प्रतिदिन की नकदी की ज़रूरतों को पूरा करता है |
इसलिए, यदि RBI लंबी अवधि के लिए तरलता बढ़ाना चाहता है, तो वह OMO खरीद करता है।
बैंकिंग प्रणाली को संतुलित रखने के लिए RBI कभी-कभी यह करता है:
OMO से स्थायी तरलता डालता है, और
VRR (Variable Rate Repo) से अल्पकालिक नकदी खींचता है
इससे शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों जरूरतें पूरी होती हैं।
इन तरलता उपायों के बावजूद RBI का रुख सकारात्मक बना हुआ है।
गवर्नर मल्होत्रा के अनुसार:
भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बीच भी मजबूत बनी हुई है
GDP वृद्धि मज़बूत है
मुद्रास्फीति नियंत्रित स्तर पर है
इसलिए विकास-समर्थक नीतियों की गुंजाइश बनी हुई है
इसका मतलब है कि ऊंचे वैश्विक जोखिमों के बावजूद भारत की घरेलू आर्थिक स्थिति स्थिर और सुदृढ़ है।
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