भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को तुरंत चूक की पहचान करने तथा 23 फरवरी से शुरू करते हुए हर शुक्रवार को आरबीआई की क्रेडिट रजिस्ट्री में दर्ज करने के लिए कहते हुए कई ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. शीर्ष बैंक ने मौद्रिक दंड और उच्च प्रावधानों के बैंकों को कड़े नए मानदंडों का उल्लंघन करने पर चेतावनी दी है.
केंद्रीय बैंक ने तत्काल प्रभाव से दबाव वाली परिसंपत्तियों के निपटान के लिए बैंकों के संयुक्त मंच (जॉइंट लेंडर्स फोरम-जेएलएफ) की सांस्थानिक व्यवस्था को भी खत्म कर दिया गया है. संकटग्रस्त संपत्तियों को पुनर्जीवित करने के फ्रेमवर्क, कॉर्पोरेट ऋण पुनर्रचना योजना, मौजूदा दीर्घकालिक ऋण परियोजनाओं की लचीले संरचना, स्ट्रेटेजिक डेब्ट रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम(SDR), एसडीआर के बाहर स्वामित्व में बदलाव, और स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेस्ड एसेट्स (S4A) जैसी संकटग्रस्त परिसंपत्ति के प्रस्ताव पर मौजूदा निर्देशों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है.
इसके अलावा, उधारदाताओं को विशेष रूप से निर्दिष्ट खातों (स्पेशल मेंशन एकाउंट्स (एसएमए) के रूप में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को वर्गीकृत करते हुए, तत्काल ऋण खातों में प्रारंभिक तनाव की पहचान करेगा. ऋणदाता सभी ऋण लेने वाली संस्थाओं पर 50 मिलयन (5 करोड़ रूपए) और उससे अधिक निवेश के साथ बड़े क्रेडिट (सीआरएएलसी) पर सेंट्रल रिपॉजिटरी सूचना पर एसएमए के रूप में खाते के वर्गीकरण सहित क्रेडिट जानकारी की ब्यौरा देंगे. सीआरआईएलसी-मुख्य रिपोर्ट 1 अप्रैल से मासिक आधार पर जमा करानी होगी.



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