भारतीय रिजर्व बैंक (RBI ) ने आईडीएफ-एनबीएफसी को बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण में बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम बनाने के मकसद से नए दिशानिर्देश जारी किए। इसके तहत उन्हें अब शुद्ध रूप से कम-से-कम 300 करोड़ रुपये का खुद का कोष (एनओएफ) रखना आवश्यक होगा। साथ ही जोखिम भारांश पूंजी-संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) न्यूनतम 15 प्रतिशत होना चाहिए। इसमें न्यूनतम शेयर पूंजी (टियर 1) 10 प्रतिशत होनी चाहिए।
आरबीआई ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड-नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (आईडीएफ-एनबीएफसी) पर लागू दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है ताकि उन्हें बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण में बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम बनाया जा सके। साथ ही एनबीएफसी के बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण को नियंत्रित करने वाले नियमों में तालमेल बनाया जा सके। यह समीक्षा सरकार के परामर्श से की गयी है।
आईडीएफ-एनबीएफसी: एक नजर में
आईडीएफ-एनबीएफसी से आशय ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी से है, जो जमा नहीं लेती हैं। यह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में दीर्घकालिक कर्ज प्रवाह को सुविधाजनक बनाती हैं। यह न्यूनतम पांच साल की परिपक्वता की अवधि वाले बॉन्ड जारी करके संसाधन जुटाती है। बॉन्ड रुपये या डॉलर मूल्य में जारी किया जाता है। केवल बुनियादी ढांचा वित्त कंपनियां (आईएफसी) ही आईडीएफ-एनबीएफसी को प्रायोजित कर सकती हैं।
इसमें कहा गया है कि बेहतर परिसंपत्ति-देनदारी प्रबंधन (एएलएम) की सुविधा के उद्देश्य से आईडीएफ-एनबीएफसी घरेलू बाजार से छोटी अवधि के लिये बॉन्ड और वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी कर कोष जुटा सकते हैं। यह राशि कुल बकाया कर्ज का 10 प्रतिशत होगी।
कर्ज के बारे में दिशानिर्देश में कहा गया है कि आईडीएफ-एनबीएफसी के लिये कर्ज सीमा किसी एक उधारकर्ता के मामले में उनकी इक्विटी शेयर पूंजी (टियर 1 पूंजी) का 30 प्रतिशत जबकि उधारकर्ताओं के एकल समूह के लिये यह 50 प्रतिशत होगी। आरबीआई ने कहा कि आईडीएफ-एनबीएफसी के लिये प्रायोजक की जरूरत को अब वापस ले लिया गया है।