भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें सतत विकास और कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के चार महत्वपूर्ण पहलुओं को संबोधित करती है, जिसमें इसके व्यापक आर्थिक प्रभाव, वित्तीय स्थिरता निहितार्थ और जलवायु जोखिमों को कम करने के लिए रणनीतियां शामिल हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, भारत को हरित वित्तपोषण के लिए 2030 तक सालाना सकल घरेलू उत्पाद के न्यूनतम 2.5% की आवश्यकता है। भारत ने अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और 2023 के लिए जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में जी -20 देशों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। भारत का लक्ष्य 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है, जिसके लिए सकल घरेलू उत्पाद की ऊर्जा तीव्रता में सालाना लगभग 5% की कमी और 2070-71 तक नवीकरणीय ऊर्जा के पक्ष में ऊर्जा मिश्रण में 80% सुधार की आवश्यकता होगी।
आरबीआई ने एक संतुलित नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे भारत 2030 तक अपने हरित संक्रमण लक्ष्यों को प्राप्त कर सके और अंततः 2070 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य प्राप्त कर सके। इसने हरित और स्वच्छ भारत में सफल संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए सभी नीतिगत लीवरों में प्रगति के महत्व पर प्रकाश डाला।
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