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आरबीआई मौद्रिक नीति बैठक 2024: रेपो दर अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार दसवीं बार रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय मौद्रिक नीति की स्थिति को ‘सुविधा की वापसी’ से ‘तटस्थ’ की ओर ले जाता है। इससे सभी बाह्य बेंचमार्क उधारी दरें स्थिर रहेंगी, जिससे उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी और उनकी समसामयिक किस्तें (EMIs) नहीं बढ़ेंगी।

मुख्य बिंदु

  1. रेपो दर निर्णय: RBI ने रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखा है, जो लगातार 10वीं बार है।
  2. मौद्रिक नीति की स्थिति: मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अपनी स्थिति को “सुविधा की वापसी” से “तटस्थ” में बदल दिया है। यह बदलाव महंगाई के रुझानों के आधार पर ब्याज दरों को समायोजित करने की लचीलापन प्रदान करता है।
  3. MPC मतदान: रेपो दर बनाए रखने का निर्णय 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से लिया गया।
  4. महंगाई की भविष्यवाणियाँ: RBI ने FY25 की तीसरी तिमाही के लिए महंगाई का अनुमान 4.8% और चौथी तिमाही में 4.2% तक गिरने का पूर्वानुमान लगाया है। FY25 के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान 4.5% है, यदि सामान्य मानसून की स्थिति बनी रहती है। Q1FY26 के लिए महंगाई दर 4.3% रहने की उम्मीद है, जो 4% के लक्ष्य से थोड़ा अधिक है।
  5. आर्थिक विकास के अनुमान: RBI ने FY25 के लिए GDP विकास का अनुमान 7.2% पर बनाए रखा है। विशिष्ट तिमाहियों के लिए विकास के अनुमान: Q2FY25 के लिए 7.0%, Q3FY25 और Q4FY25 के लिए 7.4%, और Q1FY26 के लिए 7.3%।
  6. रिवर्स रेपो दर और अन्य दरें: रिवर्स रेपो दर 3.35% पर बनी रही। स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) दरें क्रमशः 6.25% और 6.75% पर अपरिवर्तित रहीं।

उधारकर्ताओं और ऋणदाताओं पर प्रभाव

जहां रेपो दर से जुड़े उधारकर्ताओं को लाभ होगा, वहीं मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) से जुड़े उधारकर्ताओं को उच्च ब्याज दरों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि पहले के रेपो दर वृद्धि का पूरा प्रभाव नहीं देखा गया है। मई 2022 से MCLR में 170 बेसिस प्वाइंट (bps) की वृद्धि हुई है। पिछले MPC बैठक में, खाद्य महंगाई के स्थायी प्रभावों पर चिंता जताई गई थी, जिसने कुल खुदरा महंगाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

बाजार की प्रतिक्रिया और भविष्य की दृष्टि

इस घोषणा का शेयर बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा, बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 के सूचकांकों में वृद्धि हुई। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई की गतिशीलता के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर दिया और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों से उत्पन्न चुनौतियों को स्वीकार किया। बैंकबाजार.com के आदिल शेट्टी जैसे हितधारकों ने उल्लेख किया कि जबकि वर्तमान दरें स्थिर हैं, यदि महंगाई नियंत्रित रहती है तो भविष्य में दरों में कटौती की संभावनाएँ हो सकती हैं।

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