आरबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआइ और निजी क्षेत्र के आइसीआइसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को फिर से प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआइबी) के रूप में चुना है। एसआईबी ऐसे बैंक को कहा जाता है जो टू बिग टू फेल (टीबीटीएफ) की श्रेणी में आता है। यानी इस बैंक के फेल होने का असर व्यापक होता है। टीबीटीएफ दर्जा के चलते फेल होने पर सरकार ऐसे बैंकों की मदद करती है। एसआईबी दर्जा की वजह से ऐसे बैंक वित्त पोषण बाजार में भी कुछ फायदा उठाते हैं। इससे पहले 2021 में भी आरबीआई ने इन तीनों बैंकों को डी-एसआइबी के रूप में चुना था।
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आरबीआई ने 31 मार्च 2022 तक बैंकों से मिले डाटा के आधार पर इन तीनों बैंकों का चयन किया है। केंद्रीय बैंक ने 22 जुलाई 2014 को प्रणालीगत रूप से डी-आरबीआई के संबंध में फ्रेमवर्क जारी किया था। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि ‘एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को उसी बकेटिंग ढांचे के तहत व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) के रूप में पहचाना जाता है, जैसा कि 2021 की डी-एसआईबी की सूची में था।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2015 और 2016 में SBI और ICICI बैंक को D-SIB के रूप में घोषित किया था। 31 मार्च, 2017 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर, HDFC बैंक को भी D-SIB के रूप में वर्गीकृत किया गया था। मौजूदा अपडेट 31 मार्च, 2022 तक बैंकों से जुटाए गए डेटा पर आधारित है। डी-एसआईबी से निपटने के लिए ढांचा जुलाई 2014 में जारी किया गया था। ढांचे के लिए आरबीआई को 2015 से शुरू होने वाले डी-एसआईबी के रूप में नामित बैंकों के नामों का खुलासा करना होगा और इन उधारदाताओं को उनके प्रणालीगत महत्व स्कोर (एसआईएस) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखना होगा।
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