भारत के वित्तीय क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक फैसले में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) को यस बैंक में अधिकतम 24.99% हिस्सेदारी अधिग्रहण की मंज़ूरी दे दी है। यह सौदा, जो शुरुआती रूप से 20% हिस्सेदारी (1.6 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य) के रूप में तय हुआ था, अब भारत के बैंकिंग उद्योग के सबसे बड़े सीमा-पार विलय एवं अधिग्रहण (M&A) लेनदेन में से एक बनने जा रहा है। खास बात यह है कि RBI ने स्पष्ट किया है कि SMBC को यस बैंक का प्रमोटर नहीं माना जाएगा, जिससे जापानी बैंक के लिए नियामकीय दायित्व आसान होंगे।
सौदे का विवरण
20% से 24.99% तक
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मई 2025 में प्रारंभिक समझौते के तहत SMBC ने 20% हिस्सेदारी लेने की घोषणा की थी।
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बाद में 4.9% अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए मंज़ूरी मांगी गई, जिससे कुल निवेश 24.99% हो गया।
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यह सीमा 25% से कम है, जो आमतौर पर RBI के सख्त प्रमोटर नियमों को लागू करती।
मूल्यांकन और पैमाना
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20% अधिग्रहण का मूल्य 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर आँका गया था।
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विस्तारित हिस्सेदारी यस बैंक की पूँजी स्थिति को मजबूत करेगी और SMBC को भारत के वित्तीय बाज़ार में रणनीतिक स्थान प्रदान करेगी।
RBI का गैर-प्रमोटर रुख
SMBC को प्रमोटर न मानने से बचेंगे:
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हिस्सेदारी पर लॉक-इन प्रतिबंध,
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विस्तृत खुलासा दायित्व,
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प्रबंधन पर अतिरिक्त निगरानी।
इससे होगा लाभ:
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यस बैंक के गवर्नेंस में लचीलापन,
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SMBC के निवेश प्रक्रिया में सरलता,
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विदेशी निवेशकों की भूमिका पर नियामकीय स्पष्टता।
व्यापक प्रभाव
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भारत को विदेशी निवेशकों के लिए बैंकिंग एवं वित्तीय केंद्र के रूप में और आकर्षक बनाएगा।
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बैंकिंग क्षेत्र में बड़े सीमा-पार M&A लेनदेन का उदाहरण बनेगा।
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भारत-जापान वित्तीय सहयोग को मजबूत करेगा, जो पहले से ही अवसंरचना, व्यापार और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में प्रगाढ़ है।
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यह सौदा अन्य वैश्विक बैंकों को भी भारतीय निजी क्षेत्र के बैंकों में इक्विटी साझेदारी पर विचार करने का रास्ता दिखा सकता है।


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