भारत के बाघ संरक्षण अभियान को नई मजबूती मिली है क्योंकि राजस्थान मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व से एक बाघिन को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (RVTR) लाने की तैयारी कर रहा है। यह राजस्थान का पहला अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण होगा और पूरे भारत का दूसरा, जो वन्यजीव संरक्षण व नीति निर्माण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कदम है।
इस स्थानांतरण का उद्देश्य है:
बाघों की संख्या बढ़ाना
जीन विविधता (genetic diversity) को मजबूत करना
नए टाइगर रिज़र्व में पारिस्थितिक संतुलन को पुनर्जीवित करना
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 1,501.89 वर्ग किमी है:
कोर क्षेत्र: 481.90 वर्ग किमी
बफर क्षेत्र: 1,019.98 वर्ग किमी
इसे 16 मई 2022 को आधिकारिक तौर पर टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
यह रिज़र्व दो बड़े टाइगर लैंडस्केप को जोड़ने वाला महत्त्वपूर्ण गलियारा (corridor) है:
रणथंभौर टाइगर रिज़र्व (उत्तर-पूर्व में)
मुखंदर्रा हिल्स टाइगर रिज़र्व (दक्षिण में)
यह गलियारा बाघों की आवाजाही, प्रसार और जीन प्रवाह के लिए बेहद आवश्यक है।
रिज़र्व से मेज़ नदी (चम्बल की सहायक नदी) बहती है। इसका भू-आकृतिक स्वरूप बेहद विविध है, जिसमें शामिल है:
अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखलाएँ
पथरीली ढलानें
खुली घाटियाँ
वनाच्छादित पठार
यह विविधता अनेक वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास प्रदान करती है।
प्रकार: सूखा पर्णपाती वन (Dry Deciduous Forest)
प्रमुख प्रजाति: ढोक (Anogeissus pendula) — सबसे अधिक पाई जाने वाली
अन्य प्रजातियाँ: खैर, रोंज, अमलतास, गुरजन, सालेर और औषधीय पौधे
तेंदुआ
भालू (Sloth bear)
गोल्डन सियार
जंगल कैट
लकड़बग्घा
साही
इंडियन हेजहॉग
रीसस बंदर
हनुमान लंगूर
यह जैव विविधता RVTR को बाघों के टिकाऊ आवास के लिए उपयुक्त बनाती है।
चूँकि RVTR एक नया टाइगर रिज़र्व है, इसलिए यहाँ बाघों की आबादी अभी विकसित हो रही है। स्थानांतरण से:
जीन विविधता बढ़ेगी
शिकारी-शिकार संतुलन बेहतर होगा
प्रजनन (breeding) के अवसर बढ़ेंगे
पेंच टाइगर रिज़र्व की एक बाघिन को लगभग 800 किमी हवाई मार्ग से लाकर यहाँ छोड़ा जाएगा। यह कदम प्रोजेक्ट टाइगर की राष्ट्रीय रणनीतियों के अनुरूप है।
यहां का इलाका नम हरी-भरी घाटियों से लेकर खुले सूखे पतझड़ वाले जंगलों तक फैला हुआ है, जिससे अलग-अलग तरह के वन्यजीव क्षेत्र बनते हैं।
इंदिरा प्रियदर्शिनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान
पेंच मोगली अभयारण्य
बफर क्षेत्र
यही क्षेत्र रुडयार्ड किपलिंग की “द जंगल बुक” की प्रेरणा भी रहा है।
हरे-भरे नम घाटी क्षेत्र
खुले सूखे पर्णपाती वन
विविध वन्यजीव ज़ोन
लगभग 25% हिस्सा सागौन (Teak) के घने जंगलों से भरापूरा
साग, महुआ, और झाड़ीदार क्षेत्र
बाघ — शीर्ष शिकारी
तेंदुआ
जंगली कुत्ते (Dhole)
भेड़िया
बड़े शाकाहारी जैसे चीतल, सांभर, नीलगाय, गौर, जंगली सूअर
यह पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है — यहाँ 325 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ मिलती हैं, जैसे:
मालाबार पाइड हॉर्नबिल
इंडियन पिट्टा
ग्रे-हेडेड फिशिंग ईगल
ऑस्प्रे
व्हाइट-आइड बज़र्ड
यह स्थानांतरण भारत की जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:
नए और उभरते टाइगर रिज़र्व को मजबूत करता है
बाघों का घनत्व (density) बाँटता है
आनुवंशिक विविधता में सुधार करता है
लैंडस्केप कनेक्टिविटी बढ़ाता है
राजस्थान के लिए यह कदम उसके टाइगर संरक्षण प्रयासों को नई पहचान देने वाला ऐतिहासिक क्षण है।
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