श्री रामकृष्ण परमहंस, जिनका जन्म 18 फरवरी 1836 को गदाधर चट्टोपाध्याय के रूप में हुआ था, भारत के महान आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। उनकी शिक्षाएँ प्रेम, भक्ति और आत्म-साक्षात्कार पर केंद्रित थीं। हिंदू पंचांग के अनुसार, उनकी जयंती फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में उनकी 189वीं जयंती 18 फरवरी को मनाई जाएगी।
श्री रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर में हुआ था। उनकी 189वीं जयंती 18 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह तिथि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को आती है।
श्री रामकृष्ण परमहंस भारत के महान संत और आध्यात्मिक गुरु थे। वे माँ काली के परम भक्त थे और उन्होंने अपना जीवन आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में समर्पित कर दिया। उनका मानना था कि मानव सेवा ही ईश्वर की सच्ची आराधना है और जीवन का परम लक्ष्य ईश्वर को प्राप्त करना है।
उनकी शिक्षाएँ आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करती हैं और विश्वास, विनम्रता और भक्ति के साथ जीने का मार्ग दिखाती हैं।
श्री रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएँ प्रेम, भक्ति और आत्म-साक्षात्कार पर आधारित थीं। वे मानते थे कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं और उन्होंने विभिन्न धार्मिक परंपराओं का सम्मान करने और उनसे सीखने की प्रेरणा दी।
उन्होंने बंगाल में हिंदू धर्म के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्वामी विवेकानंद सहित कई अनुयायियों को प्रेरित किया, जिन्होंने उनकी शिक्षाओं को पूरे विश्व में फैलाया। उनके नाम पर स्थापित रामकृष्ण मिशन आज भी आध्यात्मिक मार्गदर्शन और मानव सेवा के कार्यों में संलग्न है।
श्री रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएँ हमें आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनाती हैं और प्रेम, करुणा, भक्ति और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाती हैं।
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