राजस्थान सरकार ने ‘राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स’ (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 पेश किया । यह देश का पहला ऐसा विधेयक है, जो गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने का प्रयास करता है। राजस्थान प्लेटफ़ॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन एंड वेलफेयर) विधेयक, 2023 को 21 जुलाई को विधानसभा में रखा गया था। सदन में ये बिल 24 जुलाई को पास हो गया। यह देश का पहला ऐसा विधेयक है, जो गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देता है।
यदि कोई एग्रीगेटर इसके तहत कानून का पालन करने में नाकाम रहता है, तो उसके लिए जुर्माने और दंड का प्रावधान है। राज्य सरकार पहले उल्लंघन के लिए 5 लाख रुपये तक और बाद के उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है। यह विधेयक गिग श्रमिकों को एक विशिष्ट आईडी देगा जो सभी प्लेटफार्मों पर लागू होगा। आईडी ऐसे श्रमिकों को सामान्य और विशिष्ट सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंचने, शिकायत होने पर सुनवाई करने और बोर्ड में प्रतिनिधित्व के माध्यम से उनके कल्याण के लिए लिए गए सभी निर्णयों में भाग लेने में सक्षम बनाएगी।
गिग वर्कर्स कौन होते हैं?
दरअसल, हर कारोबार में कुछ काम ऐसे होते हैं जिनको स्थायी कर्मचारी के बजाए गैर स्थायी कर्मचारी से कराया जा सकता है। ऐसे काम के लिए कंपनियों कर्मचारियों को काम के आधार पर पेमेंट करती हैं। ऐसे ही कर्मचारियों को गिग वर्कर (Gig Worker) कहा जाता है। हालांकि, ऐसे कर्मचारी कंपनी के साथ लंबे समय तक भी जुड़े रहते हैं। स्वतंत्र रूप से ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारी, ठेका फर्म के कर्मचारी, कॉल पर काम के लिए उपलब्ध कर्मचारी, अस्थायी कर्मचारी गिग वर्कर्स हुए।
भारत में गिग वर्कर्स की स्थिति
भारत में ऑनलाइन कारोबार बढ़ने के बाद गिग वर्कर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 10 से 12 करोड़ गिग वर्कर हैं। भारत में अधिकांश गिग वर्कर ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनी और सामान की डिलीवरी जैसे कार्यों से जुड़े हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें
- राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश: ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह
- राजस्थान के मुख्यमंत्री: अशोक गहलोत