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पिछले 9 वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने ₹12 लाख करोड़ से अधिक की राशि बट्टे खाते में डाली

एक महत्वपूर्ण वित्तीय खुलासे में वित्त मंत्रालय ने हाल ही में राज्यसभा को सूचित किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने वित्त वर्ष 2016 से 2025 के बीच ₹12 लाख करोड़ से अधिक की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) को बट्टे खाते में डाल दिया है। हालांकि इतने बड़े पैमाने पर ऋण बट्टे खाते में डाले गए हैं, फिर भी विभिन्न कानूनी माध्यमों के तहत ऋण की वसूली के प्रयास जारी हैं। इसके साथ ही, सार्वजनिक बैंकों में 48,570 पदों पर एक बड़े स्तर की भर्ती प्रक्रिया चल रही है, जो बैंकिंग क्षेत्र में एक अहम प्रगति मानी जा रही है। यह विकास अर्थव्यवस्था, बैंकिंग और शासन से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है।

पृष्ठभूमि: बैंक ऋणों को बट्टे खाते में क्यों डालते हैं

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) पर पूर्ण प्रावधान कर दिया गया है, तो बैंक उसे चार वर्षों के बाद बट्टे खाते में डाल सकते हैं। हालांकि, बट्टे खाते में डालना उधारकर्ता की देनदारी को समाप्त नहीं करता; बैंक अब भी कानूनी माध्यमों से ऋण वसूली का प्रयास जारी रखते हैं, जैसे कि:

  • ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT)

  • सारफेसी अधिनियम (SARFAESI)

  • राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के अंतर्गत दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC)

वित्त वर्ष 2016 से 2025 के बीच सार्वजनिक बैंकों द्वारा कुल ₹12,08,828 करोड़ की राशि को बट्टे खाते में डाला गया। इसमें से ₹5.82 लाख करोड़ की राशि केवल FY21 से FY25 के बीच लिखी गई।

बट्टे खाते की प्रवृत्तियाँ

12 सार्वजनिक बैंकों में से 10 बैंकों ने पिछले पाँच वर्षों में बट्टे खाते की राशि में गिरावट दर्ज की। हालांकि, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और केनरा बैंक जैसे प्रमुख बैंकों में विशेष रूप से FY25 में इसमें वृद्धि देखी गई। यह अंतर सार्वजनिक बैंकों में परिसंपत्ति गुणवत्ता प्रबंधन के विभिन्न स्तरों को दर्शाता है।

वसूली और कानूनी कार्रवाई

इन बट्टे खातों से वसूली की प्रक्रिया जारी है। मंत्रालय ने बताया कि:

  • 1,629 उधारकर्ताओं (₹1.62 लाख करोड़ से अधिक के ऋण वाले) को जानबूझकर चूककर्ता घोषित किया गया है (31 मार्च 2025 तक)।

  • धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA) के तहत ₹15,000 करोड़ और ₹750 करोड़ की संपत्तियाँ जब्त की गईं।

  • बैंक धोखाधड़ी मामलों में ₹25,000 करोड़ से अधिक की राशि पीड़ित बैंकों को वापस मिली है।

  • नौ व्यक्तियों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है, और नौ को PMLA के तहत दोषी ठहराया गया है।

रोज़गार और भर्ती (PSBs में)

31 मार्च 2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार:

  • सार्वजनिक बैंकों में 96% पद भरे गए हैं।

  • FY20 से FY25 के बीच 1.48 लाख कर्मचारियों की भर्ती की गई।

  • FY25–26 के लिए 48,570 कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

  • सेवानिवृत्ति, अप्रत्याशित इस्तीफे और अधिवार्षिकी के कारण कर्मचारियों की कमी बनी रहती है।

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