इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में नए कुलपति का नियुक्ति हो गई है। प्रोफेसर उमा कांजीलाल को यह कमान सौंपी गई है। इसी के साथ उन्हें इग्नू की पहली महिला कुलपति बनने का गौरव हासिल हुआ। ओपन और डिस्टेंस लर्निंग (ODL), डिजिटल शिक्षा और अकादमिक नेतृत्व में तीन दशकों से अधिक के अनुभव के साथ, उनका इस प्रतिष्ठित पद पर आसीन होना समावेशी और प्रौद्योगिकी-प्रेरित उच्च शिक्षा पर भारत के बढ़ते फोकस को दर्शाता है।
पृष्ठभूमि
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), जिसकी स्थापना 1985 में हुई थी, विश्व का सबसे बड़ा मुक्त विश्वविद्यालय है, जो लाखों शिक्षार्थियों को समावेशी और लचीली शिक्षा प्रदान करता है। स्थापना से ही यह ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) मॉडल का अग्रणी रहा है। कई प्रतिष्ठित विद्वानों के नेतृत्व के बावजूद, प्रोफेसर उमा कंजारिलाल इग्नू की 40 वर्षीय इतिहास में पहली महिला कुलपति बनी हैं।
प्रो. कंजारिलाल ने 2003 में इग्नू में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यभार संभाला था और इसके बाद उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक और प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। मार्च 2021 से जुलाई 2024 तक उन्होंने प्रो-वाइस चांसलर के रूप में सेवा दी, और जुलाई 2024 से जुलाई 2025 तक कार्यकारी कुलपति के रूप में कार्यरत रहीं। जुलाई 2025 में उन्हें औपचारिक रूप से कुलपति नियुक्त किया गया।
नियुक्ति का महत्व
कांच की दीवार को तोड़ना: प्रो. उमा कंजारिलाल की नियुक्ति इग्नू की पहली महिला कुलपति के रूप में भारतीय शैक्षणिक क्षेत्र में लैंगिक प्रतिनिधित्व के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) नेतृत्व: ओडीएल क्षेत्र में 36 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, उनके नेतृत्व से इग्नू की वैश्विक अकादमिक साख को और मजबूती मिलने की अपेक्षा है।
डिजिटल शिक्षा में विशेषज्ञता: भारत की ऑनलाइन शिक्षा पहल की प्रमुख हस्ती के रूप में, वह डिजिटल सामग्री वितरण और व्यापक पहुँच के क्षेत्र में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं, जो इग्नू को तकनीक-संचालित शिक्षा के अगले चरण तक ले जा सकती है।
मुख्य योगदान
SWAYAM और SWAYAM PRABHA की राष्ट्रीय समन्वयक: शिक्षा मंत्रालय की इन पहलों के तहत, प्रो. कंजिलाल ने गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन और टेलीविज़न शिक्षा को निःशुल्क रूप में देशभर में पहुँचाने का कार्य किया।
नेतृत्व भूमिकाएँ: उन्होंने इग्नू की कई प्रमुख इकाइयों का नेतृत्व किया, जिनमें शामिल हैं –
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सेंटर फॉर ऑनलाइन एजुकेशन
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इंटर-यूनिवर्सिटी कंसोर्टियम फॉर टेक्नोलॉजी एनैबल्ड फ्लेक्सिबल एजुकेशन
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एडवांस्ड सेंटर फॉर इनफॉर्मेटिक्स एंड इनोवेटिव लर्निंग
फुलब्राइट फेलोशिप: 1999–2000 में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय, अर्बाना-शैंपेन में फेलोशिप के दौरान उन्हें वैश्विक शैक्षणिक दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।
अंतरराष्ट्रीय अनुभव: जॉर्डन में UNRWA (संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी) के साथ कार्य कर अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक परियोजनाओं में योगदान दिया।
मुख्य फोकस क्षेत्र और दृष्टिकोण
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समावेशी शिक्षा: ओपन लर्निंग सिस्टम के माध्यम से हाशिए पर रहने वाले समुदायों को शिक्षा तक पहुँच प्रदान करना।
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प्रौद्योगिकी एकीकरण: ICT-सक्षम पुस्तकालयों, ई-लर्निंग उपकरणों और MOOCs के ज़रिए डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना।
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वैश्विक सहयोग: ओपन एजुकेशन में अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करना।
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क्षमता निर्माण: शिक्षकों के प्रशिक्षण और शिक्षार्थियों के समर्थन तंत्र को सुदृढ़ बनाना।


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