भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक अहम विकास के रूप में, थर्मल पावर उद्योग में वित्त वर्ष 2026 से 2028 के बीच निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा ₹77,000 करोड़ का निवेश किया जाएगा। यह जानकारी क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में सामने आई है। यह बदलाव खास है क्योंकि अदानी पावर, टाटा पावर, JSW एनर्जी और वेदांता पावर जैसी निजी कंपनियाँ अब देश की थर्मल पावर क्षमता को मज़बूत करने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। अधिकांश परियोजनाएँ ब्राउनफील्ड मॉडल पर आधारित होंगी, जिससे भूमि अधिग्रहण जैसी जटिलताओं से बचा जा सकेगा और परियोजनाओं को तेजी से क्रियान्वित किया जा सकेगा।
थर्मल पावर निवेश में दोगुनी वृद्धि
आगामी तीन वर्षों में सार्वजनिक और निजी परियोजनाओं सहित थर्मल पावर क्षेत्र में कुल निवेश बढ़कर ₹2.3 लाख करोड़ होने की उम्मीद है।
अब तक जहां निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी सिर्फ 7–8% थी, वह अब बढ़कर कुल निवेश का लगभग एक-तिहाई हो जाएगी।
यह कोयला-आधारित परियोजनाओं में एक दशक की सुस्ती के बाद निजी क्षेत्र की वापसी और रुचि को दर्शाता है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने के मुख्य कारण
1. दीर्घकालिक विद्युत खरीद समझौते (PPAs):
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10 वर्षों में पहली बार, चार राज्य वितरण कंपनियों (Discoms) ने निजी थर्मल उत्पादकों के साथ 25 वर्षीय PPA पर हस्ताक्षर किए हैं।
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ये समझौते निवेशकों के लिए वित्तीय जोखिम कम करते हैं।
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इससे स्थिर राजस्व सुनिश्चित होता है और थर्मल परियोजनाओं की व्यवहार्यता बेहतर होती है।
2. बिजली की बढ़ती मांग:
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भारत की बिजली मांग वर्ष 2031–32 तक 366 गीगावॉट (GW) तक पहुँचने की संभावना है।
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सौर और पवन जैसे नवीकरणीय स्रोत इस मांग का लगभग 70% पूरा करेंगे, लेकिन इनकी अंतराल प्रकृति (intermittency) के कारण 24×7 आपूर्ति के लिए थर्मल पावर जरूरी होगा।
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सरकार ने 2032 तक 80 GW नई कोयला आधारित थर्मल क्षमता की योजना बनाई है, जिसमें से 60 GW की पहल पहले ही हो चुकी है।
निजी क्षेत्र की मुख्य भागीदारी
ब्राउनफील्ड परियोजनाओं पर फोकस:
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अधिकांश नई क्षमता ब्राउनफील्ड विस्तार के रूप में विकसित की जाएगी, जिससे:
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भूमि अधिग्रहण में देरी से बचा जा सकेगा।
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मौजूदा बुनियादी ढांचे और कोयला स्रोतों से जुड़ाव (pit-head linkages) का उपयोग होगा, जिससे तेजी से कार्यान्वयन संभव होगा।
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मुख्य कंपनियाँ:
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अदानी पावर, टाटा पावर, JSW एनर्जी और वेदांता पावर इस विस्तार के प्रमुख खिलाड़ी हैं।
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ये कंपनियाँ वित्तीय व्यवहार्यता और परिचालन दक्षता को ध्यान में रखते हुए परियोजनाओं में निवेश कर रही हैं।
वेदांता पावर की रणनीतिक योजना
विभाजन (Demerger) और विस्तार योजना:
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वेदांता पावर एक स्वतंत्र इकाई के रूप में संचालन के लिए डिमर्जर की तैयारी कर रही है।
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दीर्घकालिक योजना के तहत 15 GW क्षमता जोड़ने की योजना है, मुख्यतः ब्राउनफील्ड परियोजनाओं के ज़रिए।
मौजूदा पोर्टफोलियो का पुनर्जीवन:
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2,200 मेगावाट (MW) की परियोजनाओं को फिर से सक्रिय किया जा रहा है:
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1,200 MW – छत्तीसगढ़ थर्मल पावर प्लांट (पूर्व में एथेना)।
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1,000 MW – मीनाक्षी संयंत्र, दोनों में कोयला निकटता (pit-head advantage) और मौजूदा सप्लाई लिंक है।
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वित्तीय दृष्टिकोण:
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आगामी परियोजनाएँ ₹5.5–₹5.8 प्रति यूनिट की टैरिफ संरचना पर संचालित होंगी।
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दो-भागीय टैरिफ प्रणाली में:
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60% भाग तय शुल्क (fixed charge) के रूप में होगा, जिससे स्थिर रिटर्न सुनिश्चित हो सकेगा।
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शेष लागत-आधारित मूल्य निर्धारण पर आधारित होगा।
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इन परियोजनाओं से 15% का आंतरिक प्रतिफल (IRR) प्राप्त होने की संभावना है, जिससे ये आकर्षक और समय पर निष्पादन योग्य बनती हैं।


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