भारत की साहित्यिक समृद्धि का भव्य उत्सव — राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रतिष्ठित कवि-गीतकार गुलज़ार और विद्वान-संत रामभद्राचार्य को 17 मई 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रदान किया। इस समारोह ने उन दो महान व्यक्तित्वों को सम्मानित किया, जिनकी रचनाओं ने भारतीय साहित्य को गहराई और व्यापकता प्रदान की — गुलज़ार ने अपनी भावनात्मक कविताओं और गीतों से, और रामभद्राचार्य ने संस्कृत-हिंदी रचनाओं, शिक्षा व आध्यात्मिक साहित्य के माध्यम से।
क्यों हैं ख़बरों में?
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58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा गुलज़ार और रामभद्राचार्य को प्रदान किया गया।
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समारोह विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित हुआ।
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गुलज़ार को उनकी कविताओं, पटकथा लेखन और फिल्मी गीतों के लिए, जबकि रामभद्राचार्य को उनके संस्कृत महाकाव्यों, आध्यात्मिक साहित्य और शिक्षा में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
ज्ञानपीठ पुरस्कार — संक्षिप्त जानकारी
विशेषता | विवरण |
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स्थापना | 1961 में, भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा |
प्रस्तुतकर्ता संस्था | भारतीय ज्ञानपीठ |
उद्देश्य | भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित करना |
पुरस्कार में शामिल | प्रशस्ति पत्र, नकद राशि, और वाग्देवी (सरस्वती) की कांस्य मूर्ति |
प्रसिद्ध पूर्व विजेता | महादेवी वर्मा, अमृता प्रीतम, गिरीश कर्नाड, प्रतिभा राय |
विषय | जानकारी |
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वास्तविक नाम | जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य |
विशेष रचनाएँ | गीत रामायण, दशावतार चरितम् सहित चार संस्कृत महाकाव्य |
जीवन तथ्य | बचपन में दृष्टिहीनता, 5 वर्ष की आयु तक भगवद्गीता और रामचरितमानस कंठस्थ |
शैक्षिक योगदान | जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट (स्थापना: 2001) |
सामाजिक योगदान | 2000+ दृष्टिबाधित छात्रों को उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाई |
विषय | जानकारी |
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वास्तविक नाम | समपूरण सिंह कालरा |
प्रसिद्ध रचनाएँ | तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी, छैंया छैंया, हमको मन की शक्ति देना |
प्रमुख पुरस्कार | ऑस्कर, ग्रैमी, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार |
साहित्यिक कार्य | 20+ किताबें, हिंदी साहित्य, सिनेमा और टेलीविजन में योगदान |
विशेषता | जीवन की कठोरताओं में कोमलता और संवेदनशीलता को व्यक्त करने की शैली |
समारोह में अनुपस्थित | स्वास्थ्य कारणों से समारोह में नहीं आ सके |
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संस्कृत की पारंपरिक भक्ति साहित्य से लेकर आधुनिक हिंदी कविता तक की एकता का प्रतीक
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भारतीय साहित्य के समावेशी स्वरूप को दर्शाता है — आध्यात्मिकता और आधुनिकता दोनों को मान्यता
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राष्ट्रपति मुर्मू के अनुसार, साहित्य राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक एकता को आकार देने में अहम भूमिका निभाता है
सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | राष्ट्रपति मुर्मू ने गुलज़ार और रामभद्राचार्य को सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान प्रदान किया |
आयोजन | 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार समारोह |
स्थान | विज्ञान भवन, नई दिल्ली |
तिथि | 17 मई 2025 |
प्रस्तुतकर्ता | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू |
पुरस्कार प्राप्तकर्ता | गुलज़ार और रामभद्राचार्य |
गुलज़ार का योगदान | कविता, फिल्मी गीत, पटकथा लेखन, भावनात्मक कहानी लेखन |
रामभद्राचार्य का योगदान | संस्कृत महाकाव्य, आध्यात्मिक साहित्य, दिव्यांग छात्रों की शिक्षा में योगदान |
पुरस्कार का महत्व | भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान, 1961 में प्रारंभ |
आयोजक | भारतीय ज्ञानपीठ |
पुरस्कार के घटक | प्रशस्ति पत्र, नकद राशि, वाग्देवी (सरस्वती) की कांस्य प्रतिमा |