सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलें (Tactical Ballistic Missiles – TBMs) ऐसी कम दूरी की मिसाइलें होती हैं जिन्हें मुख्य रूप से युद्ध के मैदान में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) के विपरीत, TBMs को अपेक्षाकृत कम दूरी (आमतौर पर 100 से 1,000 किलोमीटर) पर सटीक हमले करने के लिए तैनात किया जाता है।
भारत की प्रलय मिसाइल और रूस की इस्कंदर मिसाइल प्रणाली दो प्रमुख TBM उदाहरण हैं, जो अलग-अलग सैन्य सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह लेख इन दोनों मिसाइलों की मारक क्षमता (range), वॉरहेड भार (payload), सटीकता (accuracy), गतिशीलता (mobility) और रणनीतिक उपयोगिता (strategic utility) के आधार पर व्यापक तुलना प्रस्तुत करता है।
1. सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों का परिचय
सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल (Tactical Ballistic Missile – TBM) क्या है?
सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल (TBM) एक छोटी दूरी की मिसाइल होती है, जिसे युद्धक्षेत्र में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह रणनीतिक बैलिस्टिक मिसाइलों (जैसे ICBM) से भिन्न होती है, जो दूर स्थित शहरों या आधारभूत संरचनाओं को लक्ष्य बनाती हैं। TBM का उद्देश्य कम से मध्यम दूरी तक के लक्ष्य जैसे कि कमांड सेंटर, दुश्मन की सेनाएं, एयरफील्ड और रसद केंद्रों पर सटीक हमला करना होता है।
TBM आमतौर पर 1,000 किमी से कम की दूरी तय करती हैं और इनकी विशेषताएं होती हैं — त्वरित तैनाती, उच्च गतिशीलता और विभिन्न प्रकार के वॉरहेड ले जाने की क्षमता।
2. प्रलय मिसाइल का परिचय
विकास पृष्ठभूमि:
प्रलय मिसाइल भारत की एक सामरिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य भारत की पारंपरिक स्ट्राइक क्षमता को सुदृढ़ करना और क्षेत्रीय खतरों के विरुद्ध एक सशक्त प्रतिरोध प्रदान करना है।
प्रमुख विशेषताएं:
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मारक क्षमता: 150–500 किमी (नवीन संस्करणों में 700 किमी तक)
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गति: मैक 5+
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वॉरहेड प्रकार: पारंपरिक (हाई एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन या पेनिट्रेशन)
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वॉरहेड वज़न: 350 से 700 किलोग्राम
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प्रणोदन प्रणाली: ठोस ईंधन रॉकेट मोटर
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लॉन्च प्लेटफॉर्म: मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL)
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मार्गदर्शन प्रणाली: जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (INS) + उपग्रह नेविगेशन (GPS/IRNSS)
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सटीकता: सर्कुलर एरर प्रॉबेबिलिटी (CEP) 10 मीटर से कम
प्रलय मिसाइल में पृथ्वी और अग्नि श्रृंखला की तकनीकों का उपयोग हुआ है और यह एक क्वासी-बैलिस्टिक ट्रेजेक्टरी अपनाती है जिसमें मेन्यूवेरेबल रीएंट्री व्हीकल्स (MaRV) होते हैं, जो मिसाइल रक्षा प्रणालियों से बच निकलने में सक्षम होते हैं।
3. इस्कंदर मिसाइल का परिचय
विकास पृष्ठभूमि:
इस्कंदर मिसाइल प्रणाली, जिसे 9K720 Iskander के नाम से भी जाना जाता है, रूस की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है। इसे पुरानी स्कड मिसाइलों की जगह लेने के लिए विकसित किया गया था। यह 1990 के दशक में KB Mashinostroyeniya द्वारा विकसित की गई थी और 2000 के दशक की शुरुआत में पूर्णतः परिचालित हुई।
प्रमुख विशेषताएं:
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मारक क्षमता: 50–500 किमी (कुछ संस्करणों में 700 किमी तक की रिपोर्ट)
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गति: मैक 7 तक
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वॉरहेड प्रकार: पारंपरिक और परमाणु
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वॉरहेड वज़न: 480 से 700 किलोग्राम
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प्रणोदन प्रणाली: एक-चरणीय ठोस ईंधन रॉकेट मोटर
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लॉन्च प्लेटफॉर्म: मोबाइल TEL
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मार्गदर्शन प्रणाली: INS, उपग्रह नेविगेशन, और ऑप्टिकल टर्मिनल गाइडेंस
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सटीकता: CEP 5–7 मीटर
इस्कंदर अपनी गुप्त लॉन्च तकनीक, कम रडार क्रॉस सेक्शन, और विविध वॉरहेड (जैसे EMP, क्लस्टर बम, बंकर बस्टर) ले जाने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
4. तुलनात्मक विश्लेषण: प्रलय बनाम इस्कंदर
मारक क्षमता और कवरेज
हालांकि दोनों मिसाइलें सामरिक श्रेणी (tactical class) में आती हैं, प्रलय की प्रारंभिक रेंज 500 किमी तक थी जिसे बढ़ाया जा सकता है। यह इस्कंदर के समान है, जिसकी मूल रेंज भी लगभग 500 किमी है। रूसी सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली इस्कंदर-M की रेंज गैर-निर्यात संस्करणों में 700 किमी से अधिक मानी जाती है।
विजेता: बराबरी, लेकिन संस्करण पर निर्भर करता है।
गति और उड़ान विशेषताएँ
इस्कंदर की गति मैक 6 से मैक 7 के बीच है, जो प्रलय (मैक 5 से मैक 6) की तुलना में थोड़ी अधिक है। दोनों मिसाइलें क्वासी-बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ और मैनुवरेबल वॉरहेड्स का उपयोग करती हैं, जिससे वे मिसाइल रक्षा प्रणालियों से बच निकलने में सक्षम हैं।
विजेता: इस्कंदर, बेहतर गति और परिपक्व चकमा तकनीकों के कारण।
सटीकता और दिशा-निर्देशन
दोनों मिसाइलों में उन्नत दिशा-निर्देशन प्रणाली है, लेकिन इस्कंदर में ऑप्टिकल टर्मिनल गाइडेंस मौजूद है, जो अंतिम चरण में बहुत उच्च सटीकता प्रदान करता है। प्रलय सैटेलाइट-सहायित INS प्रणाली का उपयोग करता है, जिसकी त्रिज्या त्रुटि (CEP) 10 मीटर से भी कम है।
विजेता: इस्कंदर को मामूली बढ़त, हालांकि प्रलय भी अत्यधिक सटीक है।
वॉरहेड की बहुपरता (Versatility)
प्रलय फिलहाल केवल पारंपरिक वॉरहेड ले जाने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ (NFU) परमाणु नीति के अनुरूप है। दूसरी ओर, इस्कंदर में पारंपरिक के साथ-साथ परमाणु वॉरहेड ले जाने की क्षमता है, जिससे इसकी रणनीतिक उपयोगिता अधिक हो जाती है।
विजेता: इस्कंदर, अधिक वॉरहेड विकल्पों के कारण।
गतिशीलता और लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म
दोनों प्रणालियाँ रोड-मोबाइल TEL (Transporter Erector Launcher) का उपयोग करती हैं और अत्यधिक मोबाइल हैं। प्रलय स्वदेशी रूप से विकसित TEL का उपयोग करता है, जबकि इस्कंदर का लॉन्चर युद्ध में परखा गया, ऑल-वेदर सिस्टम है, जिसमें तेज़ पुनः लोडिंग और फिर से तैनाती की विशेषताएँ हैं।
विजेता: इस्कंदर, परिचालन परिपक्वता और परीक्षणित युद्ध उपयोग के कारण।
5. रणनीतिक प्रभाव
भारतीय सिद्धांत में प्रलय की भूमिका
प्रलय भारत के कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत का प्रमुख घटक है, जो बिना परमाणु सीमा पार किए शत्रु की गहराई तक सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करता है। यह पाकिस्तान और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध भारत की पारंपरिक प्रतिरोध क्षमता को सुदृढ़ करता है।
रूसी सिद्धांत में इस्कंदर की भूमिका
इस्कंदर रूस की “एस्केलेट टू डी-एस्केलेट” रणनीति का केंद्र है, जो उच्च-सटीकता वाले हमलों और सीमित परमाणु विकल्पों की सुविधा देता है। इसे कालिनिनग्राद, क्रीमिया और यूक्रेन संघर्ष में तैनात किया गया है, जिससे इसकी परिचालन साख प्रमाणित हुई है।
6. निर्यात क्षमता और भू-राजनीतिक प्रभाव
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प्रलय वर्तमान में निर्यात नहीं की जाती, जो भारत की स्वदेशी उपयोग और क्षेत्रीय स्थिरता की नीति के अनुरूप है।
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इस्कंदर-E (निर्यात संस्करण) को आर्मेनिया और अल्जीरिया जैसे देशों को बेचा गया है, हालांकि इसकी रेंज MTCR (Missile Technology Control Regime) के तहत सीमित की गई है।
निष्कर्षतः, इस्कंदर जैसी प्रणालियों का प्रसार क्षेत्रीय हथियार होड़ को प्रभावित करता है, जबकि प्रलय रणनीतिक आत्म-रक्षा का साधन बनी हुई है।