प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मध्य प्रदेश के इंदौर में 550 टन क्षमता वाले “गोबर-धन (बायो-सीएनजी) प्लांट” का उद्घाटन किया। यह एशिया का सबसे बड़ा बायो-सीएनजी प्लांट है। इसे 150 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। गोवर्धन प्लांट वेस्ट-टू-वेल्थ इनोवेशन की अवधारणा पर आधारित है। गीला शहरी घरेलू कचरा और मवेशियों और खेत से निकलने वाला कचरा गोबर धन है।
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बायो सीएनजी प्लांट की क्या जरूरत है?
देश भर में दशकों से लाखों टन कचरे ने हजारों एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया है, जिससे वायु और जल प्रदूषण हो रहा है, जो बीमारियों के फैलने का प्रमुख कारण है। प्लांट जीरो-लैंडफिल मॉडल पर आधारित है, जिसका मतलब है कि कोई रिजेक्ट नहीं होगा।
प्लांट्स के क्या लाभ हैं?
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, हरित ऊर्जा और उर्वरक के रूप में जैविक खाद प्रदान करना।
- इंदौर गोबर धन बायो सीएनजी प्लांट प्रतिदिन लगभग 17,000 किलोग्राम सीएनजी और 100 टन प्रतिदिन जैविक खाद का उत्पादन करेगा।
- आने वाले दो वर्षों में 75 बड़े नगर निकायों में ऐसे गोबर धन बायो सीएनजी प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव है।