प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अगस्त से 1 सितम्बर 2025 तक चीन के तिआनजिन में आयोजित 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन में सदस्य देशों के नेताओं ने सुरक्षा, वैश्विक शासन, आर्थिक सहयोग और सतत विकास जैसे विषयों पर व्यापक चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की मुख्य बातें
1. भारत की SCO दृष्टि के तीन स्तंभ: सुरक्षा, संपर्क, अवसर
प्रधानमंत्री ने भारत के SCO दृष्टिकोण को तीन प्रमुख स्तंभों के आधार पर प्रस्तुत किया:
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सुरक्षा – आतंकवाद, आतंकी वित्तपोषण और कट्टरपंथ से मुकाबला
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संपर्क (कनेक्टिविटी) – क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचा और परिवहन गलियारों को बढ़ावा
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अवसर – नवाचार, युवा आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संवाद को प्रोत्साहन
आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद पर शून्य सहनशीलता की नीति दोहराते हुए:
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आतंकी फंडिंग और कट्टरपंथी विचारधाराओं पर सख्त, सामूहिक कार्रवाई की अपील की।
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आतंकवाद पर “दोहरा रवैया” अपनाने वाले देशों की आलोचना की।
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सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों से जवाबदेही तय करने की मांग की।
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद एकजुटता दिखाने के लिए SCO देशों का आभार व्यक्त किया।
क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा
बुनियादी ढाँचे को विश्वास निर्माण का साधन बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने समर्थन दोहराया:
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चाबहार पोर्ट पहल को मध्य एशिया के द्वार के रूप में
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अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) को व्यापार एकीकरण के लिए
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डिजिटल और भौतिक संपर्क को साझा विकास का आधार बनाने के लिए
ये परियोजनाएँ भारत की यूरो-एशिया नीति और क्षेत्रीय एकीकरण लक्ष्यों में अहम हैं।
नया प्रस्ताव: सभ्यतागत संवाद मंच
लोगों के बीच आपसी संबंध मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने SCO के तहत सभ्यतागत संवाद मंच बनाने का प्रस्ताव रखा, जो:
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साझा धरोहर और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देगा।
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इतिहास, भाषा और परंपराओं में आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगा।
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युवाओं और शिक्षा में SCO के मौजूदा प्रयासों को पूरक बनाएगा।
यह भारत की सॉफ्ट पावर कूटनीति और संवाद के माध्यम से सद्भावना बढ़ाने की नीति से मेल खाता है।
SCO सुधार और वैश्विक शासन पर समर्थन
प्रधानमंत्री ने SCO के सुधार एजेंडा के लिए पूरा समर्थन जताया, जिसमें नए केंद्र शामिल होंगे:
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संगठित अपराध से निपटने के लिए
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मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए
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साइबर सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए
साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) सुधार की मांग दोहराई ताकि वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व हो सके।
भारत ने नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यवस्था का समर्थन किया, जो ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को दर्शाए।
राजनयिक परिणाम और तिआनजिन घोषणा
प्रधानमंत्री मोदी ने:
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सम्मेलन की मेज़बानी के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का धन्यवाद किया।
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SCO की अगली अध्यक्षता सँभालने पर किर्गिज़स्तान को बधाई दी।
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तिआनजिन घोषणा का अनुमोदन किया, जिसमें दोहराया गया:
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शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
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एआई, ऊर्जा और सतत विकास में गहरी साझेदारी
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मानवता के साझा भविष्य को आकार देने में सामूहिक जिम्मेदारी
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