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प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिपुरा में पुनर्विकसित 524 साल पुराने त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा के गोमती जिले के उदयपुर में स्थित 524 वर्ष पुराने त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का पुनर्विकसित परिसर 2025 में उद्घाटित किया। यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस पुनर्विकास परियोजना को पर्यटन मंत्रालय की PRASAD योजना (Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Heritage Augmentation Drive) के अंतर्गत संचालित किया गया। त्रिपुरा सरकार ने भी इसमें ₹7 करोड़ का योगदान दिया।

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

  • निर्माण: 1501 ई. में महाराज धान्य माणिक्य बहादुर ने कराया, जब उदयपुर (तत्कालीन रंगमती) माणिक्य साम्राज्य की राजधानी थी।

  • संरचना: मंदिर एक कछुए की पीठ के आकार की पहाड़ी पर बना है, जो हिंदू परंपरा में पवित्र मानी जाती है।

  • कथा: मान्यता है कि महाराज को माता आदिशक्ति से ‘स्वप्नादेश’ प्राप्त हुआ था, जिसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ।

  • देवी स्वरूप: मंदिर में दो देवियों की प्रतिमाएँ हैं — त्रिपुरा सुंदरी (मुख्य प्रतिमा) और छोटी माँ। इनकी पूजा आज भी उन्हीं पुजारी परिवारों द्वारा की जाती है जिन्हें मूल रूप से कन्नौज (उत्तर प्रदेश) से बुलाया गया था।

  • धार्मिक महत्त्व: भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक, जहाँ दीपावली के समय 2 लाख से अधिक भक्त दर्शन करने आते हैं।

पुनर्विकास परियोजना

  • समयरेखा व लागत

    • 2018: पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के कार्यकाल में माता त्रिपुरा सुंदरी मंदिर ट्रस्ट का गठन और पुनर्विकास परियोजना की शुरुआत।

    • 2025: मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा द्वारा नए शक्तिपीठ पार्क की आधारशिला रखी गई।

    • कुल लागत: लगभग ₹52 करोड़ (₹7 करोड़ राज्य सरकार, शेष PRASAD योजना से)।

  • नई विशेषताएँ

    • शक्तिपीठ पार्क: भारत के सभी 51 शक्तिपीठों की प्रतिकृतियाँ स्थापित, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा।

    • तीन-मंजिला संरचना:

      • भूतल (6,784 वर्ग मी.): लॉबी, 86 दुकानें, बहुउद्देश्यीय हॉल, प्रसाद घर, डॉरमिटरी, संन्यासियों के आवास।

      • ऊपरी मंजिल (7,355 वर्ग मी.): मुख्य मंदिर (नाटमंदिर) व खुले सभा स्थल।

    • सुविधाएँ: फूड कोर्ट, स्मृति चिह्न दुकानें, पेयजल, पार्किंग, हरित परिदृश्य (लैंडस्केपिंग), अतिथि गृह, जनसुविधाएँ और त्रिपुरा के इतिहास व पौराणिक कथाओं पर आधारित संग्रहालय।

त्रिपुरा व पूर्वोत्तर भारत के लिए महत्व

  • धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा: देशभर से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन अपेक्षित।

  • स्थानीय व्यापार व हस्तशिल्प को अवसर: मंदिर परिसर में नए स्टॉल व दुकानों से रोजगार और आय के अवसर।

  • पर्यटन मानचित्र पर त्रिपुरा की स्थिति मजबूत: राज्य को भारत के प्रमुख आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा।

  • सांस्कृतिक गौरव व पहचान को सुदृढ़ करना: माणिक्य वंश की विरासत को उजागर करना।

स्थिर तथ्य 

  • मंदिर का नाम: त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (माँ त्रिपुरेश्वरी मंदिर)

  • स्थान: उदयपुर, गोमती जिला, त्रिपुरा (अगरतला से 60 किमी)

  • निर्माता: महाराज धान्य माणिक्य बहादुर (1501)

  • महत्त्व: भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक

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