जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने और जमीनी स्तर की शासन व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, पंचायती राज मंत्रालय ने मध्य प्रदेश सरकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU), अमरकंटक के साथ मिलकर PESA पर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की है। इस पहल का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था विस्तार अधिनियम, 1996 (PESA) के प्रभावी क्रियान्वयन को रूपांतरित करना है, जिसके अंतर्गत भागीदारी आधारित योजना निर्माण, जनजातीय संस्कृति का संरक्षण और संस्थागत क्षमताओं का विकास प्रमुख हैं। यह पहल विकसित भारत की परिकल्पना के अंतर्गत समावेशी विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
पृष्ठभूमि
अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था विस्तार अधिनियम, 1996 (PESA), संविधान के 73वें संशोधन के प्रावधानों को पंचम अनुसूची वाले क्षेत्रों तक विस्तारित करता है, जिससे आदिवासी ग्राम सभाओं को स्वशासन का अधिकार मिलता है। हालांकि, PESA का क्रियान्वयन अब तक असमान रहा है और संस्थागत क्षमता, जागरूकता और स्थानीय योजना निर्माण में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण खामियों को दूर करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU), अमरकंटक में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की पहल की है।
पहल का महत्त्व
इस केंद्र की स्थापना एक ऐतिहासिक और रणनीतिक निर्णय है। अमरकंटक, जो कि एक जनजातीय बहुल क्षेत्र है, में स्थित IGNTU इस दिशा में अनुसंधान, प्रशिक्षण, प्रलेखन और समुदाय सशक्तिकरण के लिए एक संचालक केंद्र (nerve centre) के रूप में कार्य करेगा। यह केंद्र केवल एक थिंक टैंक ही नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक कार्यवाहक इकाई के रूप में भी काम करेगा जो नीति कार्यान्वयन, क्षमता विकास और नवाचार को बढ़ावा देगा, विशेषकर PESA जिलों में। यह पहल स्थानीयकृत सतत विकास लक्ष्यों (LSDGs) के अनुरूप है और प्रधानमंत्री के जनजातीय उत्थान और आत्मनिर्भरता के विज़न को मजबूती प्रदान करती है।
समझौता ज्ञापन (MoU) के उद्देश्य
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PESA के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत करना।
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प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से जनजातीय समुदायों की क्षमताओं का विकास करना।
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भागीदारी आधारित योजना निर्माण, अनुसंधान और नीति नवाचार के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करना।
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जनजातीय विरासत, परंपराओं और पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण करना।
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जनजातीय प्रतिनिधियों के बीच जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और नेतृत्व को बढ़ावा देना।
प्रमुख विशेषताएँ और कार्य
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जागरूकता निर्माण: PESA के प्रति जनजागरूकता फैलाने के लिए IEC सामग्री (सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्री) का डिज़ाइन और प्रचार।
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भागीदारी आधारित योजना: जनजातीय ग्राम पंचायतों को ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (GPDPs) तैयार करने में सहयोग।
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नेतृत्व विकास: चुनिए गए जनजातीय प्रतिनिधियों की क्षमता निर्माण ताकि वे अपने शासन अधिकारों का प्रभावी ढंग से प्रयोग कर सकें।
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परंपरागत कानूनों का प्रलेखन: जनजातीय कानूनी प्रणालियों, सामाजिक प्रथाओं और पारंपरिक औषधीय ज्ञान का संरक्षण और प्रलेखन।
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अनुसंधान और नवाचार: PESA के क्रियान्वयन को समर्थन देने हेतु शैक्षणिक शोध और नीतिगत लेखन को बढ़ावा।
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संस्थागत सहयोग: राज्य और जिला स्तर पर PESA संसाधन केंद्रों को तकनीकी और शोध समर्थन प्रदान करना।
“पेसा इन एक्शन” संग्रह का विमोचन
इस शुभारंभ समारोह के दौरान मंत्रालय ने “पेसा इन एक्शन: स्टोरीज ऑफ स्ट्रेंथ एंड सेल्फ-गवर्नेंस” नामक एक संग्रह जारी किया, जिसमें सर्वोत्तम व्यवहारों, केस स्टडीज़, कानूनी व्याख्याओं और समुदाय आधारित शासन नवाचारों को प्रस्तुत किया गया है, जो विभिन्न PESA-प्रवर्तक राज्यों से लिए गए हैं। यह दस्तावेज़ एक संदर्भ मार्गदर्शिका और भावी कार्यान्वयन के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करेगा।
अपेक्षित परिणाम
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PESA के प्रावधानों का अधिक प्रभावी और सुसंगत क्रियान्वयन।
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अधिकारियों और जनजातीय प्रतिनिधियों के लिए नियमित प्रशिक्षण मॉड्यूल।
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जनजातीय परंपरागत ज्ञान और रीति-रिवाज़ों का समृद्ध दस्तावेज़ीकरण।
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सतत और समावेशी विकास के लिए मजबूत संस्थागत तंत्र का निर्माण।
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ग्राम सभाओं को आत्मशासित शासन की धुरी के रूप में सशक्त बनाना।