भारतीय खेल प्रशासन में सुधार, खिलाड़ियों की सुरक्षा को मजबूत करने और वैश्विक एंटी-डोपिंग मानकों के अनुरूप बनने के उद्देश्य से संसद ने दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं—राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025।
केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इन विधेयकों को “नैतिक शासन और खिलाड़ी-केंद्रित खेल नीति की दिशा में निर्णायक कदम” बताते हुए कहा कि ये भारत के 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
ये सुधार क्यों ज़रूरी थे
लंबे समय से भारतीय खेल शासन को लेकर कई आलोचनाएँ हो रही थीं, जिनमें प्रमुख हैं:
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राष्ट्रीय खेल महासंघों में प्रशासनिक अक्षमता।
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कानूनी विवादों में वर्षों की देरी, जिससे खिलाड़ियों का करियर प्रभावित होता है।
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एंटी-डोपिंग नियमों के कमजोर प्रवर्तन।
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खेल निकायों में महिलाओं की सीमित भागीदारी।
2025 के ये विधेयक खेल शासन को पेशेवर बनाने, विवादों का त्वरित समाधान करने और खिलाड़ियों को अनुचित प्रथाओं से बचाने के लिए बनाए गए हैं, जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब पहुंच सके।
राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 – मुख्य प्रावधान
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खिलाड़ियों की अधिक भागीदारी: खेल निकायों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में खिलाड़ियों की आवाज़ को मज़बूती।
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खेल विवाद न्यायाधिकरण: स्वतंत्र संस्था जो विवादों का त्वरित समाधान करेगी, जिससे अदालतों पर निर्भरता घटेगी।
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महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य: सभी खेल प्रशासनिक निकायों में लैंगिक विविधता सुनिश्चित।
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पारदर्शी चुनाव, कार्यकाल की सीमा और वित्तीय खुलासा।
प्रभाव:
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खिलाड़ियों के चयन और नीतिगत फैसलों में देरी में कमी।
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खेल महासंघों में सत्ता के केंद्रीकरण को रोका जाएगा।
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अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के मानकों के अनुरूप शासन संरचना।
राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025 – मुख्य प्रावधान
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भारत के कानूनों को विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) कोड 2021 के अनुरूप अपडेट करना।
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डोपिंग में शामिल खिलाड़ियों, कोचों या अधिकारियों के लिए कड़ी सज़ा।
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डोपिंग सुनवाई और अपील की प्रक्रिया को तेज़ और सरल बनाना।
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प्रतियोगिता के बाहर भी अधिक टेस्टिंग और उन्नत प्रयोगशाला सुविधाएं।
प्रभाव:
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वैश्विक खेल मंचों पर भारत की विश्वसनीयता में वृद्धि।
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स्वच्छ (क्लीन) खिलाड़ियों की सुरक्षा और निष्पक्ष खेल सुनिश्चित।
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अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाव।


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