पाकिस्तान में अब मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल तीन साल का होगा। जबकि न्यायाधीशों की नियुक्ति 12 सदस्यीय आयोग करेगा। पाकिस्तान की सीनेट में 20 अक्टूबर 2024 को 26वां संविधान संशोधन पारित हो गया। संविधान संशोधन विधेयक का पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने विरोध किया। सीनेट के ऊपरी सदन 65 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया। जबकि चार सदस्यों ने विरोध में वोट डाले।
कैबिनेट से अनुमोदन मिलने के बाद विधेयक को कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने संसद में पेश किया। उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य के संविधान में और संशोधन करने के लिए 26वां संविधान संशोधन विधेयक 2024 पेश करना चाहता हूं। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के पांच सदस्यों और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी एम के दो सांसदों ने भी विधेयक के पक्ष में मतदान किया। इसके बाद सीनेट अध्यक्ष गिलानी ने परिणाम की घोषणा करते हुए कहा कि पैंसठ सदस्य विधेयक के संबंध में प्रस्ताव के पक्ष में हैं और चार सदस्य विधेयक का विरोध करते हैं। इसलिए विधेयक पारित हो गया है।
12 सदस्यीय आयोग का गठन
विधेयक के तहत मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए 12 सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है। इसके बाद न्यायाधीश को तीन साल के लिए नियुक्त किया जाएगा। बिल अब नेशनल असेंबली में जाएगा, जहां इसे दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है। इसके बाद विधेयक संविधान का हिस्सा बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए होगी।
विधेयक के प्रस्तावित मसौदे को मंजूरी
इससे पहले दिन में कैबिनेट ने गठबंधन सहयोगियों से आम सहमति लेने के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में एक बैठक के दौरान विधेयक के प्रस्तावित मसौदे को मंजूरी दी। इससे पहले प्रधानमंत्री शहबाज ने प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन पर विस्तृत चर्चा के लिए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति को विधेयक के बारे में जानकारी दी गई।
जजों की नियुक्ति के लिए एक नई संस्था
कानून मंत्री तरार ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए एक नई संस्था बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि 18वें संशोधन से पहले न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी। अब नए आयोग में मुख्य न्यायाधीश, शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश, दो सीनेटर और दो नेशनल असेंबली सदस्य (एमएनए) शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि कानून में बदलाव से शीर्ष अदालत द्वारा न्याय देने में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
PTI के नेताओं ने संशोधन की आलोचना करते हुए कहा कि यह न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है क्योंकि इससे न्यायिक नियुक्तियों के अधिकार सरकार को सौंप दिए जाते हैं। PTI के सीनेटर अली जफर ने तर्क दिया कि वोट हासिल करने के लिए दबाव का इस्तेमाल किया गया, जो संसद सदस्यों पर राजनीतिक दबाव की व्यापक समस्या को दर्शाता है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के बिलावल भुट्टो-जरदारी ने विपक्ष के विरोध के बावजूद इस संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया, जो न्यायिक सुधारों को लेकर सरकार और PTI के बीच चल रहे तनाव को उजागर करता है।