राष्ट्रपति मुर्मू ने 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में विजेताओं को सम्मानित किया

71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का आयोजन 23 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया गया, जहाँ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेताओं को सम्मानित किया। इस अवसर ने वर्ष 2023 के भारतीय सिनेमा की उत्कृष्ट उपलब्धियों का जश्न मनाया और दिग्गज कलाकारों के साथ समकालीन प्रतिभाओं को भी एक मंच पर एकत्र किया। समारोह का विशेष आकर्षण उस समय बना जब मलयालम सुपरस्टार मोहलाल को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा “12th फेल,” “जवान,” “मिसेज़ चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे” और “कटहल – ए जैकफ्रूट मिस्ट्री” जैसी फिल्मों ने प्रमुख पुरस्कार अपने नाम किए।

समारोह की मुख्य झलकियाँ

  • मोहलाल – दादासाहेब फाल्के पुरस्कार
    शाम का सबसे भावनात्मक क्षण वह था जब मलयालम सुपरस्टार मोहलाल को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (2023) से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पूरे हॉल ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिनंदन किया। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान की पहचान है।

  • श्रेष्ठ फीचर फिल्म – 12th फेल
    विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्देशित प्रेरणादायक बायोपिक “12th फेल” को श्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला। वास्तविक जीवन के आईएएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा के संघर्षों पर आधारित इस फिल्म ने अपने यथार्थवादी चित्रण और कहानी कहने की शैली से दर्शकों और समीक्षकों दोनों को गहराई से प्रभावित किया।

  • श्रेष्ठ हिंदी फिल्म – कटहल: ए जैकफ्रूट मिस्ट्री
    सत्या और व्यंग्यात्मक अंदाज़ में गढ़ी गई फिल्म “कटहल – ए जैकफ्रूट मिस्ट्री”, जिसमें सान्या मल्होत्रा ने मुख्य भूमिका निभाई, को श्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार मिला। यह मुख्यधारा के सिनेमा में अनोखी और प्रयोगात्मक कहानियों को बढ़ावा देने का संकेत है।

  • श्रेष्ठ अभिनेता – शाहरुख़ खान और विक्रांत मैसी
    एक दुर्लभ अवसर पर, श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया गया—

    • शाहरुख़ खान को उनकी फिल्म “जवान” में दोहरी भूमिका और सामाजिक मुद्दों से जुड़े एक्शन-ड्रामा में दमदार अभिनय के लिए।

    • विक्रांत मैसी को “12th फेल” में उनकी संवेदनशील और गहरी भूमिका के लिए, जिसने उन्हें भारत के श्रेष्ठ अभिनेताओं की पंक्ति में खड़ा कर दिया।

  • श्रेष्ठ अभिनेत्री – रानी मुखर्जी
    अनुभवी अभिनेत्री रानी मुखर्जी को “मिसेज़ चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे” में उनके सशक्त प्रदर्शन के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। यह फिल्म वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है, जिसमें एक माँ को नॉर्वे में अन्यायपूर्ण अभिरक्षा मामले से जूझते हुए दिखाया गया है।

इस संस्करण की विशेषताएँ

  • इसमें एक ओर सिनेमा के दिग्गजों को सम्मानित किया गया तो दूसरी ओर नई पीढ़ी की प्रतिभाओं को भी, जिससे भारतीय सिनेमा की निरंतरता और समृद्धि का संदेश मिला।

  • “12th फेल” और “मिसेज़ चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे” जैसी सामाजिक सरोकार से जुड़ी फिल्मों को पहचान मिली, जो सिनेमा की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाती है।

  • “कटहल” को श्रेष्ठ हिंदी फिल्म चुनना, पारंपरिक बड़े बजट की फिल्मों से परे, प्रयोगात्मक और असामान्य कहानियों को प्रोत्साहन देने का संकेत है।

71वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (2023) – विजेताओं की सूची (अभिनेता/अभिनेत्री वर्ग)

श्रेणी विजेता फ़िल्म
श्रेष्ठ अभिनेता (मुख्य भूमिका) शाहरुख़ ख़ान जवान
रानी मुखर्जी मिसेज़ चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे
विक्रांत मैसी 12th फेल
श्रेष्ठ अभिनेत्री (सहायक भूमिका) उर्वशी उल्लोझुक्कु
जानकी बोदिवाला वश
विजय राघवन पुक्कलम
मुथुपेट्टई सोमु भास्कर पार्किंग

71वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (2023) – क्षेत्रीय फ़िल्म वर्ग

श्रेणी विजेता फ़िल्म
श्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म कथाल
श्रेष्ठ तेलुगु फ़िल्म भगवंत केशरी
श्रेष्ठ तमिल फ़िल्म पार्किंग
श्रेष्ठ मलयालम फ़िल्म उल्लोझुक्कु
श्रेष्ठ मराठी फ़िल्म श्यामची आई
श्रेष्ठ कन्नड़ फ़िल्म कंदीलु
श्रेष्ठ पंजाबी फ़िल्म गॉड्डे गॉड्डे चा
श्रेष्ठ असमिया फ़िल्म रोंगतापु 1982
श्रेष्ठ बांग्ला फ़िल्म डीप फ़्रिज
श्रेष्ठ गुजराती फ़िल्म वश
श्रेष्ठ उड़िया (ओड़िया) फ़िल्म पुष्कर

71वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (2023) – तकनीकी पुरस्कार वर्ग

श्रेणी विजेता फ़िल्म
श्रेष्ठ एक्शन निर्देशन नंदू–प्रुध्वी हनुमान
श्रेष्ठ नृत्य निर्देशन (कोरियोग्राफी) वैभवी मर्चेंट रॉकी और रानी की प्रेम कहानी
श्रेष्ठ गीत (लिरिक्स) कसरला श्याम ऊरु पललेटुरु – बलगम
श्रेष्ठ संगीत निर्देशन जी. वी. प्रकाश कुमार वात्थी
हर्षवर्धन रमेश्वर एनिमल
श्रेष्ठ मेकअप श्रीकांत देसाई सैम बहादुर
श्रेष्ठ वेशभूषा (कॉस्ट्यूम डिज़ाइन) सचिन, दिव्या, निधि सैम बहादुर
श्रेष्ठ निर्माण डिज़ाइन (प्रोडक्शन डिज़ाइन) मोहनदास 2018
श्रेष्ठ संपादन (एडिटिंग) मिधुन मुरली पूक्कालम
श्रेष्ठ ध्वनि डिज़ाइन सचिन सुधाकरण, हरिहरन एनिमल
श्रेष्ठ पटकथा (स्क्रीनप्ले) साई राजेश बेबी
रामकुमार बालकृष्णन पार्किंग
श्रेष्ठ संवाद दीपक किंगरानी सिर्फ एक बंधा काफी है
श्रेष्ठ छायांकन (सिनेमैटोग्राफी) प्रसंथानु मोहापात्र द केरला स्टोरी
श्रेष्ठ पार्श्व गायन (महिला) शिल्पा राव चलिया – जवान
श्रेष्ठ पार्श्व गायन (पुरुष) रोहित प्रेमीस्थुन्ना – बेबी
श्रेष्ठ बाल कलाकार सुकृति बांदिरेड्डी गांधी ठाठा चेत्टु
कबीर खंडारे जिप्सी
त्रीषा तोशार, श्रीनिवास पोकले, भार्गव नाल 2
श्रेष्ठ निर्देशन सुदीप्तो सेन द केरला स्टोरी

71वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (2023) – श्रेष्ठ फ़िल्म वर्ग

श्रेणी विजेता
एवीजीसी (AVGC) में श्रेष्ठ फ़िल्म हनुमान
श्रेष्ठ बाल फ़िल्म नाल 2
राष्ट्रीय, सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाली श्रेष्ठ फ़िल्म सैम बहादुर
संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली श्रेष्ठ लोकप्रिय फ़िल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी
श्रेष्ठ प्रथम फ़िल्म (डेब्यू फ़िल्म) आत्मापम्पलेट
श्रेष्ठ फ़िल्म 12th फेल
श्रेष्ठ वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म) गॉड वल्चर एंड ह्यूमन
श्रेष्ठ लघु फ़िल्म (शॉर्ट फ़िल्म) गिद्ध – द स्कैवेंजर
श्रेष्ठ गैर-कथा फ़िल्म (नॉन-फिक्शन फ़िल्म) फ्लॉवरिंग मैन

गैर-फीचर फिल्म पुरस्कार

  • गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय कहानी कहने पर ज़ोर दिया गया।
  • सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फिल्म का पुरस्कार गॉड वल्चर एंड ह्यूमन को मिला।
  • सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार द साइलेंट एपिडेमिक को मिला।
  • सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म का पुरस्कार गिद्ध द स्कैवेंजर को मिला।
  • गैर-फीचर वर्ग में द स्पिरिट ड्रीम्स ऑफ चेराव को सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फिल्म का पुरस्कार मिला।

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते में भूमिका के लिए केअर स्टारमर को ‘लिविंग ब्रिज’ सम्मान

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टारमर को भारत-यूके संबंधों को गहराई देने और लंबे समय से प्रतीक्षित भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रतिष्ठित ‘लिविंग ब्रिज’ सम्मान से नवाजा गया है। यह सम्मान 23 सितंबर 2025 को लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। इस सम्मान का उद्देश्य उन व्यक्तियों और संस्थाओं को मान्यता देना है, जिन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। स्टारमर की ओर से यह पुरस्कार सीमा मल्होत्रा, जो ब्रिटेन की भारतीय मूल की मंत्री हैं और विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय (FCDO) में इंडो-पैसिफिक मामलों की जिम्मेदारी संभालती हैं, ने ग्रहण किया।

‘लिविंग ब्रिज’ सम्मान क्या है?

‘लिविंग ब्रिज अवॉर्ड्स’ का आयोजन हर वर्ष इंडिया बिज़नेस ग्रुप (IBG) द्वारा किया जाता है। इन पुरस्कारों का उद्देश्य उन व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित करना है जो भारत और ब्रिटेन के बीच प्रतीकात्मक ‘लिविंग ब्रिज’ का कार्य करते हुए व्यापार, शिक्षा, संस्कृति और कूटनीति जैसे क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ बनाते हैं। वर्ष 2025 में इसका चौथा संस्करण आयोजित हुआ।

2025 के अन्य सम्मानित व्यक्ति/संस्थान:

  • जीएमआर ग्रुप (भारत-आधारित बहुराष्ट्रीय समूह)

  • जीपी हिंदुजा (ब्रिटिश-भारतीय उद्योगपति)

  • बीना मेहता (चेयर, केपीएमजी यूके)

  • यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन

इन सभी को भारत की वैश्विक कूटनीतिक पहुँच और ब्रिटेन की ब्रेक्सिट के बाद की आर्थिक रणनीति के अनुरूप साझेदारी को मजबूत करने के लिए सराहा गया।

भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (FTA)

भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता, जिसे कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (CETA) भी कहा जाता है, एक बड़ा कूटनीतिक और आर्थिक उपलब्धि है। कई चरणों की जटिल वार्ताओं के बाद यह समझौता प्रधानमंत्री कीयर स्टारमर के नेतृत्व में पूरा हुआ और अब इसकी अंतिम स्वीकृति 2026 में ब्रिटेन की संसद द्वारा की जाएगी।

समझौते की मुख्य विशेषताएँ:

  • लक्ष्य: वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक दोगुना करना

  • बाज़ार तक बेहतर पहुँच, शुल्क अवरोधों में कमी और निवेश प्रवाह में वृद्धि

  • शामिल क्षेत्र: फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र, फिनटेक, शिक्षा, विधिक सेवाएँ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सतत विकास

  • मानकों की परस्पर मान्यता को प्रोत्साहन, जिससे व्यवसायों को सुरक्षा और स्थिरता मिलेगी

डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा कि यह समझौता ब्रिटिश व्यवसायों को भारत के साथ आत्मविश्वास और सुरक्षा के साथ व्यापार करने में मदद करेगा। वहीं, हरजिंदर कांग (यूके के ट्रेड कमिश्नर, दक्षिण एशिया और अवॉर्ड्स के प्रमुख निर्णायक) ने इसे दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए नए अवसरों को खोलने वाला करार दिया।

मुख्य बिंदु

  • पीएम कीयर स्टारमर को 2025 का लिविंग ब्रिज अवॉर्ड भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता अंतिम रूप देने के लिए मिला।

  • पुरस्कार हाउस ऑफ लॉर्ड्स, लंदन में दिया गया और उनकी ओर से सीमा मल्होत्रा (मंत्री, इंडो-पैसिफिक, FCDO) ने ग्रहण किया।

  • FTA का नाम: कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (CETA)

  • लक्ष्य: 2030 तक 120 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार

  • आयोजक: इंडिया बिज़नेस ग्रुप (IBG)

भारत के तमिलनाडु में लाल गर्दन वाला फैलेरोप देखा गया

तमिलनाडु के नांजारायण पक्षी अभयारण्य (तिरुप्पूर) में हाल ही में रेड-नेक्ड फैलेरोप (Phalaropus lobatus) का देखा जाना पक्षी वैज्ञानिकों और वन्यजीव प्रेमियों के बीच उत्साह का विषय बना हुआ है। यह आर्कटिक क्षेत्र में प्रजनन करने वाला दुर्लभ प्रवासी तटवर्ती पक्षी अपनी गोलाई में तैरने की अनोखी शैली और प्रजनन कालीन चमकीले रंगों के कारण पहचाना जाता है। भारत में इसकी उपस्थिति बहुत कम देखने को मिलती है, जिससे यह अवलोकन पारिस्थितिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

रेड-नेक्ड फैलेरोप के बारे में

वैज्ञानिक नाम: Phalaropus lobatus
परिवार: स्कोलोपासिडाए (सैंडपाइपर परिवार)

वितरण क्षेत्र

  • प्रजनन स्थल: आर्कटिक और उप-आर्कटिक टुंड्रा (60°–70° अक्षांश)

  • शीतकालीन स्थल: खुले महासागर – अरब सागर, दक्षिण अमेरिका का तटीय भाग, इंडोनेशिया, पश्चिमी मेलानेशिया

रूप-रंग और व्यवहार

  • आकार: छोटा तटीय पक्षी

  • प्रजनन काल में रंग: गले और किनारों पर गहरा लाल-भूरा, सीधी पतली काली चोंच, सफेद चेहरा और अधोभाग

  • भोजन: छोटे जलजीव एवं प्लवक (प्लैंकटन)

  • विशेषता: पानी में तेज़ी से घूम-घूमकर सतह के नीचे से भोजन निकालना

विशिष्ट प्रजनन लक्षण

  • संभोग प्रणाली: पॉलीएंड्रस (मादा कई नर से मिलन करती है)

  • अभिभावक देखभाल: अंडे सेने और बच्चों की परवरिश की ज़िम्मेदारी नर की होती है – पक्षियों में यह भूमिका परिवर्तन अत्यंत दुर्लभ है।

क्यों है यह अवलोकन महत्वपूर्ण?

  • नांजारायण टैंक (तिरुप्पूर) प्रवासी पक्षियों का उभरता हुआ हॉटस्पॉट है।

  • रेड-नेक्ड फैलेरोप की उपस्थिति यह दर्शाती है कि भारतीय आर्द्रभूमियाँ प्रवासी प्रजातियों के लिए अनुकूल हो रही हैं।

  • यह प्रवासी क्षेत्र के विस्तार और अनुकूलन क्षमता को उजागर करता है।

  • दक्षिण भारत की आर्द्रभूमियों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देता है।

संरक्षण स्थिति

  • आईयूसीएन रेड लिस्ट: “Least Concern” (न्यूनतम चिंता)

  • वैश्विक आबादी स्थिर है, लेकिन आवास ह्रास और जलवायु परिवर्तन लंबी दूरी के प्रवासी पक्षियों को प्रभावित कर सकते हैं।

मुख्य तथ्य

  • नांजारायण अभयारण्य (तमिलनाडु) में पहली बार दर्ज उपस्थिति।

  • भोजन पाने के लिए पानी में घूम-घूमकर तैरने की अनोखी तकनीक।

  • मादा पॉलीएंड्रस, जबकि नर अंडे सेते और बच्चों की परवरिश करते हैं।

  • तटों पर रहने की बजाय समुद्र में शीतकाल बिताता है।

  • भारतीय आर्द्रभूमियों के वैश्विक प्रवासी जैव विविधता में महत्व को रेखांकित करता है।

BBNJ संधि जनवरी 2026 में लागू होगी

वैश्विक महासागर शासन (Global Ocean Governance) के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए बीबीएनजे संधि (BBNJ Treaty – Marine Biological Diversity of Areas Beyond National Jurisdiction) को 60 देशों की पुष्टि (Ratification) प्राप्त हो चुकी है। इसके साथ ही यह संधि 17 जनवरी 2026 से प्रभावी हो जाएगी। यह संधि संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून सम्मेलन (UNCLOS) के तहत विकसित की गई है और अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्रों (High Seas) में समुद्री जैव विविधता संरक्षण को सुदृढ़ करेगी।

बीबीएनजे संधि क्या है?

यह एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी समझौता है, जिसका उद्देश्य है:

  • राष्ट्रीय अधिकार-क्षेत्र (200 समुद्री मील की EEZ) से परे समुद्री जीवन की रक्षा करना

  • महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना

  • मरीन जेनेटिक रिसोर्सेज (MGR) से होने वाले लाभों का न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करना

  • महासागर गतिविधियों के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) को मानकीकृत करना

संधि की मुख्य विशेषताएँ

  1. मरीन प्रोटेक्टेड एरियाज़ (MPAs)

    • समुद्री प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा हेतु संरक्षित क्षेत्र बनाना।

    • वैश्विक MPA कवरेज 6.35% से बढ़ाने का लक्ष्य।

    • “नो-टेक ज़ोन” (जहाँ शिकार/खनन वर्जित होगा) को 1.89% से अधिक बढ़ाना।

  2. मरीन जेनेटिक रिसोर्सेज (MGR)

    • दवाओं और चिकित्सा में उपयोग होने वाले सूक्ष्म एंजाइम जैसी खोजों से लाभ का न्यायपूर्ण वितरण।

  3. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA)

    • गहरे समुद्र खनन, कार्बन भंडारण जैसी गतिविधियों के लिए पूर्व-आकलन अनिवार्य।

  4. क्लियरिंग-हाउस मैकेनिज़्म और वित्तीय ढाँचा

    • गतिविधियों की निगरानी के लिए केंद्रीकृत व्यवस्था।

    • पारदर्शिता को बढ़ावा देना और वित्तीय संसाधनों का समान वितरण।

वैश्विक भागीदारी

  • 143 देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं (भारत भी शामिल)।

  • 60 देशों ने इसकी पुष्टि की, जिससे प्रवर्तन की प्रक्रिया शुरू हुई।

  • हालिया पुष्टि करने वाले देश: श्रीलंका, मोरक्को, सिएरा लियोन, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडाइंस।

  • और अधिक पुष्टि की उम्मीद 22 सितंबर 2025 से शुरू हो रहे UNGA हाई-लेवल वीक के दौरान है।

मुख्य तथ्य

  • प्रवर्तन तिथि: 17 जनवरी 2026

  • हस्ताक्षरकर्ता देश: 143

  • पुष्टि करने वाले देश: 60

  • कवरेज: 200 समुद्री मील EEZ से बाहर का समुद्री जीवन

  • फोकस क्षेत्र: MPA, MGR लाभ-साझेदारी, EIA

ईपीएफओ अधिकारी विश्व बैंक-मिल्केन पीएफएएम कार्यक्रम के लिए चयनित

क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (Regional Provident Fund Commissioner) श्री विवेकानंद गुप्ता को भारत और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतिष्ठित पब्लिक फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट (PFAM) प्रोग्राम 2025–26 में चुना गया है। यह कार्यक्रम विश्व बैंक और मिल्केन इंस्टीट्यूट द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है और इसका आयोजन बेज़ बिजनेस स्कूल, सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में होगा।

यह पहली बार है कि किसी EPFO अधिकारी और भारत से किसी प्रतिनिधि को इस उच्च स्तरीय वैश्विक कार्यक्रम के लिए चुना गया है। यह उपलब्धि न केवल EPFO के लिए बल्कि भारत के लिए भी सार्वजनिक वित्तीय नेतृत्व और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी का एक मील का पत्थर है।

पीडीयूएनएएसएस की भूमिका

इस चयन प्रक्रिया को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा अकादमी (PDUNASS) ने आगे बढ़ाया। कठोर चयन प्रक्रिया के माध्यम से श्री गुप्ता को नामित किया गया। इससे EPFO की वैश्विक उपस्थिति मज़बूत हुई और निवेश शासन, पूंजी बाजार तथा परिसंपत्ति प्रबंधन में भविष्य के सहयोग का मार्ग प्रशस्त हुआ।

उपलब्धि का महत्व

यह उपलब्धि EPFO के रणनीतिक लक्ष्यों से मेल खाती है, जिनमें शामिल हैं—

  • वैश्विक बेंचमार्किंग को अपनाना

  • अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करना

  • दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता हेतु क्षमता निर्माण

PFAM प्रोग्राम के बारे में

PFAM प्रोग्राम एक वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त नेतृत्व विकास पहल है। 2025–26 के बैच में शामिल हैं—

  • 13 देशों से 16 प्रतिभागी

  • 11 केंद्रीय बैंकों से

  • 3 सॉवरेन वेल्थ फंड से

  • 2 प्रमुख पेंशन फंड से

इसका फोकस है—

  • पूंजी बाज़ार संचालन

  • दीर्घकालिक परिसंपत्ति प्रबंधन की रणनीति

  • सार्वजनिक संस्थानों के लिए प्रशासनिक ढांचे

श्री गुप्ता का चयन भारत को विश्व के अग्रणी वित्तीय पेशेवरों और संस्थानों के नेटवर्क से जोड़ता है।

EPFO के लिए महत्व

₹25 लाख करोड़ से अधिक की निधि का प्रबंधन करने वाला EPFO विश्व के सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा संस्थानों में से एक है। इस अंतर्राष्ट्रीय मान्यता से—

  • एसेट मैनेजमेंट प्रथाओं में सुधार होगा

  • वैश्विक प्रशासनिक मानकों का एकीकरण होगा

  • रिटायरमेंट बचत पर बेहतर रिटर्न सुनिश्चित होगा

  • पारदर्शिता, जवाबदेही और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा

मुख्य तथ्य

  • चयनित अधिकारी: श्री विवेकानंद गुप्ता, क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त

  • कार्यक्रम: PFAM प्रोग्राम 2025–26

  • आयोजक: विश्व बैंक और मिल्केन इंस्टीट्यूट

  • आयोजन स्थल: बेज़ बिजनेस स्कूल, सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन

  • प्रतिभागी संस्थान: केंद्रीय बैंक (11), सॉवरेन वेल्थ फंड (3), पेंशन फंड (2)

  • भारत की पहली भागीदारी: हाँ

भारत और मोरक्को ने रक्षा सहयोग के लिए रक्षा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

भारत की वैश्विक सामरिक साझेदारियों को और मज़बूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मोरक्को के रक्षा मंत्री अब्देलतिफ़ लूदीयी ने 22 सितम्बर 2025 को रबात (मोरक्को) में रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को गहराई देता है और उत्तर अफ्रीका में भारत की बढ़ती रक्षा कूटनीति को दर्शाता है।

इस MoU के साथ ही रबात स्थित भारतीय दूतावास में एक नया रक्षा प्रकोष्ठ (Defence Wing) खोलने की घोषणा भी की गई, जो सैन्य आदान-प्रदान, संयुक्त प्रशिक्षण और औद्योगिक साझेदारियों को संस्थागत रूप देगा। भारत के लिए यह अफ्रीका में रणनीतिक संबंधों के विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जबकि मोरक्को के लिए यह भारतीय तकनीक और विशेषज्ञता के माध्यम से रक्षा आधुनिकीकरण के नए रास्ते खोलता है।

भारत–मोरक्को रक्षा MoU की मुख्य बातें

रक्षा सहयोग का संस्थागत ढांचा

नए समझौते से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को औपचारिक रूप मिला है। इसमें प्रावधान किए गए हैं—

  • संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम

  • रक्षा उद्योग सहयोग (सह-विकास और सह-उत्पादन)

  • सैन्य चिकित्सा और शांति स्थापना जैसे क्षेत्रों में क्षमता निर्माण

  • विशेषज्ञों और सैन्य कर्मियों का आदान-प्रदान

सामरिक सहयोग के फोकस क्षेत्र

भारत और मोरक्को ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई—

  • आतंकवाद-रोधी अभियान

  • साइबर सुरक्षा और डिजिटल रक्षा

  • हिंद महासागर और अटलांटिक क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा

  • सैन्य चिकित्सा और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रशिक्षण

  • संयुक्त राष्ट्र ढांचे के तहत शांति स्थापना अभियानों में सहयोग

रबात में नया रक्षा प्रकोष्ठ

  • भारतीय दूतावास में रक्षा प्रकोष्ठ खोला जाएगा।

  • यह कार्यालय दोनों सेनाओं के बीच संपर्क सूत्र होगा।

  • प्रशिक्षण, रक्षा निर्यात और संयुक्त परियोजनाओं का समन्वय करेगा।

  • राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्रकोष्ठ भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा।

भारत–मोरक्को रक्षा सहयोग का रणनीतिक महत्व

भारत की अफ्रीका पहुँच

  • यह समझौता इंडिया-अफ्रीका डिफेंस डायलॉग (IADD) जैसे कार्यक्रमों के अंतर्गत भारत की व्यापक कूटनीति का हिस्सा है।

  • मोरक्को उत्तर अफ्रीका का प्रमुख देश है और अटलांटिक व भूमध्यसागर के बीच सेतु का काम करता है।

  • भारत की सुरक्षा, व्यापार और ऊर्जा रणनीति में इसका विशेष महत्व है।

मोरक्को की रक्षा आधुनिकीकरण की आकांक्षा

  • मोरक्को अपनी सेनाओं को आधुनिक बना रहा है और पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं से आगे नए साझेदार खोज रहा है।

  • भारत के ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम और साइबर सुरक्षा तकनीक मोरक्को को नई सामरिक क्षमता प्रदान कर सकते हैं।

स्थिर तथ्य

  • भारत और मोरक्को ने 1957 में राजनयिक संबंध स्थापित किए।

  • भारत की अफ्रीका नीति में रणनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक साझेदारी पर ज़ोर है।

  • मोरक्को उत्तर अफ्रीका में स्थित है, जो अटलांटिक महासागर और भूमध्य सागर से घिरा है और यूरोप तथा पश्चिम अफ्रीका के समीप है।

  • हिंद महासागर और अटलांटिक क्षेत्र वैश्विक नौवहन और समुद्री डकैती खतरों के कारण समुद्री सुरक्षा सहयोग के उभरते केंद्र हैं।

इंडसइंड बैंक ने नेतृत्व परिवर्तन के बीच विरल दमानिया को मुख्य वित्तीय अधिकारी नियुक्त किया

इंडसइंड बैंक ने विरल दमानीया को अपना नया मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) और प्रमुख प्रबंधकीय पदाधिकारी नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 22 सितम्बर 2025 से प्रभावी हुई। यह कदम बैंक में हुई बड़ी लेखांकन गड़बड़ी (Accounting Lapse) के बाद किए गए नेतृत्व पुनर्गठन का हिस्सा है। इस बदलाव के साथ संतोष कुमार अपने अतिरिक्त दायित्व विशेष अधिकारी – वित्त एवं लेखा से मुक्त होंगे, लेकिन उप-मुख्य वित्तीय अधिकारी (Deputy CFO) के रूप में कार्य करते रहेंगे। इस नियुक्ति को बैंक में स्थिरता और सुशासन बहाल करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।

नियुक्ति से जुड़े प्रमुख तथ्य

  • प्रभावी तिथि और भूमिका: विरल दमानीया ने 22 सितम्बर 2025 से CFO और Key Managerial Personnel का कार्यभार संभाला।

  • डिप्टी CFO की भूमिका: संतोष कुमार अब विशेष अधिकारी – वित्त एवं लेखा का अतिरिक्त दायित्व नहीं निभाएँगे, लेकिन डिप्टी CFO बने रहेंगे।

विरल दमानीया का पेशेवर अनुभव

  • अनुभव: 27+ वर्षों का बैंकिंग और प्रोफेशनल सर्विसेज़ का अनुभव।

  • पिछला पद: CFO, बैंक ऑफ अमेरिका इंडिया।

  • अन्य अनुभव: सिटीबैंक (भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका) और प्राइस वाटरहाउस कूपर्स।

  • योग्यताएँ: चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी, कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट, तथा सूचना प्रणाली लेखा एवं नियंत्रण (ISACA) प्रमाणन।

संदर्भ और रणनीतिक महत्व

  • नेतृत्व बदलाव: अगस्त 2025 में राजीव आनंद को 3 वर्ष के कार्यकाल के लिए प्रबंध निदेशक और CEO बनाया गया था।

  • लेखांकन गड़बड़ी: 2025 की शुरुआत में बैंक को डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो से जुड़ी बड़ी लेखा विसंगति का सामना करना पड़ा, जिससे वित्तीय नुकसान हुआ और वरिष्ठ प्रबंधन के इस्तीफे हुए।

  • रणनीतिक असर: नए CFO की नियुक्ति का उद्देश्य है –

    • निवेशकों का विश्वास बहाल करना

    • आंतरिक नियंत्रण को मजबूत करना

    • वित्तीय रिपोर्टिंग में सटीकता सुनिश्चित करना

  • दमानीया का वैश्विक संस्थानों में अनुभव और ऑडिट/अनुपालन (compliance) योग्यता बैंक की साख बढ़ाती है।

त्वरित पुनरावलोकन

  • CFO का नाम: विरल दमानीया

  • प्रभावी तिथि: 22 सितम्बर 2025

  • संतोष कुमार की भूमिका: विशेष अधिकारी – वित्त एवं लेखा का अतिरिक्त दायित्व समाप्त, पर डिप्टी CFO बने रहेंगे

  • अनुभव: 27+ वर्ष (बैंकिंग और प्रोफेशनल सर्विसेज़)

  • पिछला पद: CFO, बैंक ऑफ अमेरिका इंडिया

CDS ने प्रथम त्रि-सेवा अकादमिक प्रौद्योगिकी संगोष्ठी (टी-एसएटीएस) का उद्घाटन किया

भारत की रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करते हुए, चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने 22 सितम्बर 2025 को नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में प्रथम त्रि-सेवाएं अकादमिक प्रौद्योगिकी संगोष्ठी (T-SATS) का उद्घाटन किया। यह आयोजन अपनी तरह का पहला प्रयास है, जिसमें भारतीय सशस्त्र सेनाएँ, शैक्षणिक संस्थान और अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन एक साथ आकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अगली पीढ़ी की स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास करेंगे। इसका थीम था – “विवेक व अनुसंधान से विजय”, जो आधुनिक और भविष्य के युद्ध की जटिलताओं से निपटने हेतु संपूर्ण राष्ट्र-आधारित दृष्टिकोण को दर्शाता है।

टी-सेट्स का उद्देश्य और दृष्टि

रक्षा-अकादमिक नवाचार सेतु का निर्माण
मुख्य लक्ष्य सेनाओं और शैक्षणिक जगत के बीच अनुसंधान व विकास (R&D) में सामंजस्य स्थापित करना है। इसके अंतर्गत –

  • शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को सैन्य आवश्यकताओं में योगदान हेतु प्रोत्साहित करना।

  • सहयोगी प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना।

  • महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और प्लेटफॉर्म्स का स्वदेशीकरण तेज करना।

जनरल चौहान ने बल दिया कि आधुनिक युद्ध अब साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित हथियार, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी पारंपरिक और अप्रत्यक्ष चुनौतियों के मेल से संचालित हो रहा है, जिसके लिए उच्च-प्रौद्योगिकी समाधान आवश्यक हैं।

संगोष्ठी की प्रमुख विशेषताएँ

प्रतिभाग और दायरा

  • 62 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों ने भाग लिया, जिनमें IISc, IITs, IIITs और कई निजी तकनीकी विश्वविद्यालय शामिल थे।

  • निदेशक, संकाय प्रमुख और छात्र सैन्य व द्वि-उपयोगी अनुप्रयोगों के लिए तैयार नवाचार प्रदर्शित कर रहे थे।

प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी

  • 43 नवोन्मेषी शैक्षणिक प्रदर्श प्रस्तुत हुए, जिनका मूल्यांकन त्रि-सेवाओं के विशेषज्ञों (SMEs) ने किया।

  • चयनित प्रौद्योगिकियों को भविष्य में R&D सहयोग और वित्तपोषण मिलेगा।

  • यह मंच भारतीय शिक्षा जगत से रक्षा-उपयोगी नवाचार पहचानने का अवसर बना।

संस्थागत सहयोग व समझौते

कई प्रमुख संस्थानों के साथ एमओयू हस्ताक्षरित हुए, जिनमें शामिल हैं –

  • आईआईटी मद्रास

  • राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU)

  • मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी

  • गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी

  • एमएस रामैया यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज

  • अजीन्क्या डीवाई पाटिल यूनिवर्सिटी

  • ओरिएंटल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी

  • निर्मा यूनिवर्सिटी

  • राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC)

इन समझौतों का उद्देश्य रक्षा-केंद्रित शोध ढाँचा स्थापित करना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना और सशस्त्र सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुप्रयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है।

स्थिर तथ्य

  • चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस) भारत का वरिष्ठतम वर्दीधारी अधिकारी है, जो त्रि-सेवाओं के एकीकरण का दायित्व निभाता है।

  • भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत थे (2020 में नियुक्त)।

  • मानेकशॉ सेंटर, दिल्ली उच्च-स्तरीय सैन्य आयोजनों का प्रमुख स्थल है।

  • iDEX (Innovations for Defence Excellence) रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय के अधीन है।

  • डीआरडीओ, iDEX और DIO भारत में रक्षा R&D को बढ़ावा देने वाली प्रमुख एजेंसियाँ हैं।

प्रोजेक्ट विजयक ने कारगिल में अपना 15वां स्थापना दिवस मनाया

सीमा सड़क संगठन (BRO) के प्रोजेक्ट विजयक ने हाल ही में करगिल (लद्दाख) में अपना 15वाँ स्थापना दिवस मनाया। वर्ष 2010 में स्थापित इस परियोजना का उद्देश्य लद्दाख के दुर्गम और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सामरिक सड़कों का निर्माण और रखरखाव करना है। इसका नामकरण ऑपरेशन विजय (करगिल युद्ध, 1999) के सम्मान में किया गया था, जो इसकी सामरिक महत्ता और ऐतिहासिक प्रतीकात्मकता को दर्शाता है।

प्रोजेक्ट विजयक क्या है?

  • शुरुआत व नामकरण: 2010 में बीआरओ द्वारा शुरू किया गया, पहले ये क्षेत्र प्रोजेक्ट हिमांक के अधीन थे।

  • उद्देश्य: करगिल और ज़ंस्कार क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सड़क ढाँचे का विकास करना, सेना की रसद आपूर्ति को सक्षम बनाना और नागरिकों को हर मौसम में संपर्क प्रदान करना।

सामरिक महत्व

प्रोजेक्ट विजयक के तहत बनाए और सँभाले जाने वाले प्रमुख सड़क मार्ग:

  1. ज़ोजिला – करगिल – लेह धुरी : कश्मीर घाटी को लद्दाख से जोड़ने वाला मुख्य आपूर्ति मार्ग।

  2. निम्मू – पदम – दारचा धुरी : मध्य लद्दाख को हिमाचल प्रदेश से जोड़ने वाला मार्ग, जो सामरिक रूप से वैकल्पिक संपर्क उपलब्ध कराता है।

ये सड़कें सैनिकों की आवाजाही, रसद पहुँचाने और नियंत्रण रेखा (LC) के पास दूरदराज़ के क्षेत्रों को जोड़ने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

श्रमिक कल्याण पहल

प्रोजेक्ट विजयक ने मजदूरों के लिए कई कल्याणकारी कदम उठाए हैं, जैसे –

  • उप-शून्य तापमान में काम करने हेतु इंसुलेटेड आश्रय।

  • कार्यस्थलों पर बेहतर स्वच्छता सुविधाएँ।

  • ऊँचाई पर काम के लिए सुरक्षा उपकरण व शीतकालीन वस्त्र।

  • नियमित स्वास्थ्य शिविर और चिकित्सकीय सुविधाएँ।

मुख्य तथ्य

  • प्रोजेक्ट विजयक की शुरुआत: 2010

  • नामकरण: ऑपरेशन विजय के आधार पर

  • संचालन क्षेत्र: करगिल और ज़ंस्कार (लद्दाख)

  • प्रमुख सड़क धुरी: ज़ोजिला–करगिल–लेह और निम्मू–पदम–दारचा

  • 15वाँ स्थापना दिवस: सितंबर 2025, करगिल

यह परियोजना न केवल रणनीतिक और सैन्य दृष्टि से बल्कि स्थानीय निवासियों के विकास और कनेक्टिविटी के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अहमदनगर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘अहिल्यानगर’ रखा गया

महाराष्ट्र के अहमदनगर रेलवे स्टेशन का आधिकारिक नाम ‘अहिल्यानगर’ कर दिया गया है। यह नामकरण लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर को समर्पित है, जो भारत की सबसे प्रतिष्ठित महिला शासकों में से एक मानी जाती हैं। यह परिवर्तन अहमदनगर जिले के हाल ही में नाम बदलने के अनुरूप है और भारत की स्थानीय विरासत के संरक्षण के प्रति बढ़ती सार्वजनिक भावना को दर्शाता है।

अहिल्याबाई होलकर कौन थीं?

अहिल्याबाई होलकर (1725–1795) मराठा साम्राज्य के होलकर वंश की प्रसिद्ध रानी थीं। उन्हें उनके दयालु शासन, प्रशासनिक कुशलता और मंदिर निर्माण कार्यों के लिए जाना जाता है। वह जनकल्याण, महिलाओं के अधिकार और आध्यात्मिक वास्तुकला की प्रेरक थीं। उनके शासनकाल में इंदौर एक समृद्ध शहर बन गया और उनका योगदान न्याय, ईमानदारी और नेतृत्व का प्रतीक माना जाता है।

नाम परिवर्तन के मुख्य विवरण

  • अब अहमदनगर रेलवे स्टेशन का नया नाम अहिल्यानगर रेलवे स्टेशन है।

  • नया नाम तीन लिपियों में दर्शाया गया है:

    • देवनागरी (मराठी)

    • देवनागरी (हिंदी)

    • रोमन (अंग्रेज़ी)

  • स्टेशन कोड ANG अपरिवर्तित रखा गया है, ताकि संचालन और बुकिंग में कोई बाधा न आए।

  • सभी प्लेटफॉर्म, साइनबोर्ड और टाइमटेबल अपडेट किए जा चुके हैं।

परिवर्तन की प्रक्रिया

  • महाराष्ट्र सरकार द्वारा नाम परिवर्तन का प्रस्ताव रखा गया।

  • उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा।

  • प्रस्ताव को गृह मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त हुई।

  • आधिकारिक मंजूरी के बाद, रेलवे बोर्ड ने नोटिफिकेशन जारी किया, जिससे पूरे भारतीय रेलवे नेटवर्क में नाम परिवर्तन लागू हो गया।

मुख्य बिंदु

  • अहमदनगर रेलवे स्टेशन का आधिकारिक नाम अब अहिल्यानगर रेलवे स्टेशन है।

  • यह परिवर्तन अहिल्याबाई होलकर, 18वीं सदी की मराठा रानी, को सम्मानित करता है।

  • स्टेशन का नाम अब जिले के नाम बदलने के अनुरूप हो गया है, जिससे स्टेशन और जिले की पहचान में सामंजस्य बना है।

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