ओपनएआई की वैल्यूएशन 500 अरब डॉलर तक पहुंच गई

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की दुनिया में एक मील का पत्थर स्थापित करते हुए ChatGPT के निर्माता OpenAI ने 500 अरब डॉलर (लगभग ₹41 लाख करोड़) का अभूतपूर्व मूल्यांकन हासिल किया है। यह उपलब्धि SoftBank को किए गए 6.6 अरब डॉलर के सेकेंडरी शेयर बिक्री सौदे के बाद सामने आई है, जैसा कि Reuters ने रिपोर्ट किया। इस सौदे में OpenAI के वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों ने अपने शेयर बेचे, जिससे कंपनी के तेज़ी से बढ़ते मूल्य और राजस्व का संकेत मिलता है।

सौदे की प्रमुख बातें

  • मूल्यांकन में उछाल: OpenAI का मूल्यांकन 300 अरब डॉलर से बढ़कर 500 अरब डॉलर हो गया — जो निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।

  • सेकेंडरी सेल की प्रकृति: यह सौदा कंपनी की पूँजी को कम नहीं करता (non-dilutive sale), बल्कि कर्मचारियों और शुरुआती निवेशकों को अपने लाभ साकार करने का अवसर देता है।

  • लिक्विडिटी स्ट्रेंथ: कंपनी ने पहले ही सेकेंडरी मार्केट में 10 अरब डॉलर तक के शेयर बेचने की अनुमति दी थी, जिससे उसकी वित्तीय लचीलापन स्पष्ट होता है।

2025 में राजस्व और वृद्धि 

OpenAI ने 2025 की पहली छमाही में ही लगभग 4.3 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया — जो 2024 के कुल राजस्व से 16% अधिक है।
इस तेज़ वृद्धि के प्रमुख कारण हैं —

  • ChatGPT Enterprise और Pro योजनाओं का विस्तार

  • Microsoft Copilot जैसे उत्पादों में एकीकरण

  • कस्टम एआई मॉडल्स की बढ़ती माँग, विशेष रूप से स्वास्थ्य, वित्त, और शिक्षा क्षेत्रों में

इन उपलब्धियों के साथ, OpenAI अब दुनिया की सबसे मूल्यवान निजी तकनीकी कंपनियों में शामिल हो गया है, जिनमें ByteDance (TikTok की मूल कंपनी) और SpaceX भी शामिल हैं।

रणनीतिक महत्व 

  • SoftBank की भागीदारी एआई क्षेत्र में वैश्विक निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी को रेखांकित करती है।

  • इस मूल्यांकन से OpenAI को तकनीकी और नीतिगत वार्ताओं में अधिक मजबूत स्थिति मिलती है।

  • कंपनी का यह तेज़ विकास भविष्य में संभावित IPO (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) की दिशा में एक संकेत माना जा रहा है, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक समयरेखा अभी घोषित नहीं की गई है।

मुख्य तथ्य 

बिंदु विवरण
कंपनी OpenAI
नवीनतम मूल्यांकन $500 अरब (₹41 लाख करोड़)
सौदे का आकार $6.6 अरब (SoftBank द्वारा सेकेंडरी खरीद)
राजस्व (H1 2025) $4.3 अरब
पिछला मूल्यांकन $300 अरब
मुख्य वृद्धि स्रोत ChatGPT Enterprise, Microsoft एकीकरण, कस्टम मॉडल्स
संभावित दिशा भविष्य में IPO की संभावना

यह सौदा न केवल OpenAI के लिए बल्कि संपूर्ण जनरेटिव एआई उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है — यह दर्शाता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब केवल तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की एक निर्णायक शक्ति बन चुकी है।

हरिंदर बावेजा की संस्मरणात्मक पुस्तक ‘दे विल शूट यू, मैडम’ का विमोचन

वरिष्ठ पत्रकार हरिंदर बावेजा (Harinder Baweja) ने अपनी दुर्लभ और रोमांचक आत्मकथा ‘They Will Shoot You, Madam: My Life Through Conflict’ में अपने चार दशकों से अधिक के पत्रकारिता जीवन के अनुभवों को साझा किया है। यह पुस्तक 1 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में लॉन्च की गई। इसमें उन्होंने भारत और दुनिया के कई संघर्षग्रस्त क्षेत्रों से की गई अपनी साहसी रिपोर्टिंग का वर्णन किया है। शीर्षक ही इस बात का प्रतीक है कि बावेजा का जीवन जोखिम, निडरता और सच्चाई की खोज से भरा रहा है — जहाँ कई बार साहस ने भय पर विजय पाई।

संकटों में गढ़ा गया करियर

लॉन्च कार्यक्रम में पूर्व पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भावुक होकर उस घटना को याद किया जब उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984) के बाद बावेजा की जान बचाई थी।
यही अनुभव उनके निर्भीक करियर की शुरुआत बना, जो आगे कश्मीर, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से लेकर मलेशिया के अंडरवर्ल्ड ठिकानों तक फैला।

बावेजा ने कहा —

“मेरे लिए धर्म पत्रकारिता है। मेरे संपादक मुझे कठिन जगहों पर भेजते थे, और मैं जाती थी — क्योंकि सच्चाई तक पहुँचने के लिए हिम्मत और किस्मत दोनों ज़रूरी हैं।”

संघर्ष के बीच रिपोर्टिंग: प्रमुख अनुभव

उनकी रिपोर्टिंग असाइनमेंट किसी थ्रिलर उपन्यास से कम नहीं लगते —

  • 26/11 मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान में रिपोर्टिंग:
    हमलों के केवल 10 दिन बाद बावेजा पाकिस्तान पहुँचीं और जमीनी तथ्यों को उजागर किया।

  • मलेशिया में छोटा राजन का इंटरव्यू:
    भारत के सबसे वांछित अंडरवर्ल्ड डॉन से इंटरव्यू के लिए उन्होंने रणनीतिक और साहसिक कदम उठाया।

  • कश्मीर में यासीन मलिक से मुलाकात:
    1990 के दशक में अलगाववादी नेता यासीन मलिक से इंटरव्यू के दौरान उन्होंने एक असहज और व्यक्तिगत स्थिति का सामना किया, जिसे बाद में उन्होंने उत्पीड़न का अनुभव बताया।

पत्रकारिता और लोकतंत्र पर गहरा संदेश

बावेजा का करियर बताता है कि लोकतंत्र में स्वतंत्र पत्रकारिता कितनी आवश्यक है।
संघर्ष क्षेत्रों में जाकर रिपोर्टिंग करना, जान जोखिम में डालना — यह सब उनकी सच्चाई के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उनकी आत्मकथा केवल व्यक्तिगत इतिहास नहीं, बल्कि भारतीय पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य का दस्तावेज़ है — जहाँ आज राजनीतिक दबाव, गलत सूचना और डिजिटल शोर नई चुनौतियाँ बनकर उभरे हैं।

लॉन्च पैनल की चर्चा

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई भी उपस्थित थे।
दोनों ने संघर्ष क्षेत्रों में रिपोर्टिंग की जटिलताओं पर चर्चा की —

  • उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बावेजा जैसे पत्रकार वे सच दर्ज करते हैं जिन्हें बोलने की हिम्मत कई लोगों में नहीं होती।

  • राजदीप सरदेसाई ने ऐसी रिपोर्टिंग में आने वाले नैतिक द्वंद्व (ethical dilemmas) पर प्रकाश डाला।

मुख्य तथ्य 

  • लेखिका: हरिंदर बावेजा

  • पुस्तक का शीर्षक: They Will Shoot You, Madam: My Life Through Conflict

  • विमोचन तिथि: 1 अक्टूबर 2025

  • स्थान: नई दिल्ली

  • अनुभव: 40 वर्षों से अधिक की संघर्ष पत्रकारिता

  • प्रमुख घटनाएँ: ऑपरेशन ब्लू स्टार, 26/11 मुंबई हमले, कश्मीर और पाकिस्तान में रिपोर्टिंग

  • अतिथि वक्ता: कैप्टन अमरिंदर सिंह, उमर अब्दुल्ला, राजदीप सरदेसाई

मीराबाई चानू ने 2025 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता

भारत की स्टार वेटलिफ्टर मीरा बाई चानू ने नॉर्वे के फ़ॉरडे (Førde) में आयोजित वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए महिलाओं के 48 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक (Silver Medal) जीता। इस जीत के साथ उन्होंने दो नई राष्ट्रीय रिकॉर्ड (National Records) भी स्थापित किए और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी शानदार वापसी दर्ज कराई।

प्रतियोगिता की झलकियां

  • आयोजन तिथि: 2 अक्टूबर 2025

  • प्रतिभागी: 26 देशों की शीर्ष वेटलिफ्टर्स

  • स्वर्ण (Gold): री सोंग-गुम (उत्तर कोरिया) – 213 किग्रा (विश्व रिकॉर्ड)

  • रजत (Silver): मीरा बाई चानू (भारत) – 199 किग्रा (राष्ट्रीय रिकॉर्ड)

  • कांस्य (Bronze): थान्याथोन सुचारोन (थाईलैंड) – 198 किग्रा

उत्तर कोरिया की री सोंग-गुम ने स्नैच (91 किग्रा), क्लीन एंड जर्क (122 किग्रा) और कुल भार (213 किग्रा) में तीन विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता।

मीरा बाई चानू का रिकॉर्ड-ब्रेकिंग प्रदर्शन

चानू ने प्रतियोगिता की शुरुआत स्नैच में मजबूत प्रदर्शन से की —

  • पहला प्रयास: 84 किग्रा (सफल)

  • दूसरा व तीसरा प्रयास: 87 किग्रा (असफल)

लेकिन असली दमखम उन्होंने क्लीन एंड जर्क में दिखाया —

  • पहला प्रयास: 109 किग्रा

  • दूसरा प्रयास: 112 किग्रा

  • तीसरा प्रयास: 115 किग्रा — (नया भारतीय रिकॉर्ड)

उनका कुल भार 199 किग्रा (84 + 115) रहा, जो न केवल भारत के लिए रजत पदक लेकर आया, बल्कि क्लीन एंड जर्क और कुल भार, दोनों में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बना।

यह मीरा बाई चानू के करियर का तीसरा विश्व चैम्पियनशिप पदक है, जिससे उन्होंने एक बार फिर खुद को भारत की सर्वश्रेष्ठ वेटलिफ्टर के रूप में स्थापित किया।

री सोंग-गुम का विश्व रिकॉर्ड प्रदर्शन

उत्तर कोरिया की री सोंग-गुम ने प्रतियोगिता में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया —

  • स्नैच: 91 किग्रा

  • क्लीन एंड जर्क: 122 किग्रा

  • कुल: 213 किग्रा (विश्व रिकॉर्ड)

उनका कुल प्रदर्शन बाकी प्रतियोगियों से काफी आगे रहा, हालांकि चानू का प्रयास विश्व स्तर पर दूसरा सर्वश्रेष्ठ रहा।

मुख्य तथ्य 

  • इवेंट: वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप 2025

  • स्थान: फ़ॉरडे, नॉर्वे

  • वर्ग: महिला 48 किग्रा

  • मीरा बाई चानू के लिफ्ट्स:

    • स्नैच – 84 किग्रा

    • क्लीन एंड जर्क – 115 किग्रा

    • कुल – 199 किग्रा

  • नए भारतीय रिकॉर्ड: क्लीन एंड जर्क और कुल भार में

  • स्वर्ण पदक विजेता: री सोंग-गुम (उत्तर कोरिया) – 213 किग्रा (विश्व रिकॉर्ड)

केरल में 5 अक्टूबर को रामचंद्रन संग्रहालय खुलेगा

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा 5 अक्टूबर 2025 को कोल्लम में भारत के प्रसिद्ध समकालीन कलाकार आ. रामचंद्रन के सम्मान में एक संग्रहालय का उद्घाटन किया जाएगा। यह श्रद्धांजलि उनके निधन के ठीक दो वर्ष से भी कम समय बाद दी जा रही है, जो उनके कला-परंपरा और योगदान को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

स्थान और उद्घाटन

  • संग्रहालय श्री नारायण गुरु सांस्कृतिक परिसर, कोल्लम में स्थापित किया गया है, जो कला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है।

  • कोल्लम का चयन रामचंद्रन की केरल की सौंदर्य परंपराओं से गहरे जुड़ाव को दर्शाता है, हालांकि उनका पेशेवर जीवन मुख्य रूप से दिल्ली और राजस्थान में केंद्रित रहा।

आ. रामचंद्रन: एक दृष्टिवान कलाकार

  • जन्म: 1935

  • कला शैली: शहरी यथार्थवाद और पौराणिक कथाओं का मिश्रण, जिसमें आधुनिक प्रयोग और भारतीय पारंपरिक दृश्य संस्कृति का अद्वितीय सम्मिलन।

  • आरंभिक कार्यों में मानव पीड़ा और सामाजिक संघर्ष को दर्शाया गया, जबकि बाद के चित्र प्रकृति, मिथक और ग्रामीण जीवन की दृढ़ता का उत्सव मनाते हैं।

  • केरल की भित्ति चित्रकला और राजस्थान की भील जनजातियों के अध्ययन ने उनके विविध और बड़े प्रारूप के चित्रों को प्रभावित किया।

  • उनके कार्य भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रदर्शित हुए और स्वतंत्रता के बाद की भारतीय कला इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

संग्रहालय की विशेषताएँ और उद्देश्य
संग्रहालय का उद्देश्य रामचंद्रन की कलात्मक यात्रा, व्यक्तिगत जीवन और कला शिक्षा में योगदान को प्रदर्शित करना है। इसमें शामिल हैं:

  • उनके मूल चित्र, रेखाचित्र और स्केच

  • उनकी कलात्मक दर्शन पर मल्टीमीडिया प्रस्तुतियाँ

  • जीवन यात्रा को दर्शाने वाली फोटोग्राफ और पाठ्य सामग्री

  • शैक्षिक कार्यक्रम और कार्यशालाओं के लिए व्यवस्थित क्षेत्र

संग्रहालय केवल एक संग्रह स्थल नहीं बल्कि कला में सक्रिय सहभागिता और भारतीय दृश्य परंपराओं की समकालीन सराहना को बढ़ावा देने वाला केंद्र है।

सांस्कृतिक और शैक्षिक महत्व

  • यह पहल केरल की कलात्मक विरासत को संस्थागत रूप देने और जनता में दृश्य कला के प्रति रुचि बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा है।

  • रामचंद्रन की भूमिका केवल चित्रकार के रूप में नहीं बल्कि संप्रेषक और शिक्षक के रूप में भी मान्यता प्राप्त है; उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ाया और कई छात्रों को प्रभावित किया।

मुख्य बिंदु

  • संग्रहालय उद्घाटन तिथि: 5 अक्टूबर 2025

  • स्थान: श्री नारायण गुरु सांस्कृतिक परिसर, कोल्लम, केरल

  • उद्घाटनकर्ता: केरल मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन

  • कलाकार का निधन: फरवरी 2024, उम्र 88 वर्ष

  • प्रसिद्धि: शहरी यथार्थवाद, भारतीय मिथक, भित्ति कला प्रभाव

  • विरासत: चित्रकार, शिक्षक, आधुनिक भारतीय कला आइकन

सामाजिक सुरक्षा कवरेज के विस्तार के लिए भारत को ISSA पुरस्कार से सम्मानित किया गया

कुआलालंपुर में आयोजित विश्व सामाजिक सुरक्षा मंच (WSSF) 2025 में केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने भारत की सामाजिक सुरक्षा कवरेज में उल्लेखनीय वृद्धि को उजागर किया। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में भारत की सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में 19% से बढ़कर 2025 में 64.3% हो गई है, जिससे 940 मिलियन से अधिक नागरिक लाभान्वित हुए — यह उपलब्धि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है।

पुरस्कार और सम्मान

इस परिवर्तन को पहचानते हुए भारत को International Social Security Association (ISSA) Award 2025 से सम्मानित किया गया, जिसमें इसे “Outstanding Achievement in Social Security” के लिए चुना गया। यह पुरस्कार 1,200+ नीति निर्माताओं और पेशेवरों की उपस्थिति में प्रस्तुत किया गया, जो 163 देशों से आए थे।

डिजिटल अवसंरचना और योजनाएँ

भारत की सामाजिक सुरक्षा कवरेज में वृद्धि का एक प्रमुख कारण डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है:

  • e‑Shram पोर्टल: 310 मिलियन से अधिक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं से जोड़ने वाला राष्ट्रीय डेटाबेस।

  • National Career Service (NCS): e‑Shram के साथ जुड़ा यह प्लेटफ़ॉर्म कुशल युवाओं और नियोक्ताओं को वैश्विक अवसरों तक पहुँच प्रदान करता है, बिना सामाजिक सुरक्षा लाभ खोए।

EPFO और ESIC की भूमिका

मंत्री ने Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) और Employees’ State Insurance Corporation (ESIC) की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो भारत की श्रमिक शक्ति को पेंशन, स्वास्थ्य देखभाल, बीमा और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करते हैं।

आगे की रणनीति

  • भारत का दृष्टिकोण सामाजिक सुरक्षा सुदृढ़ीकरण में समग्र है — जिसमें नीति सुधार, प्रक्रिया सुधार और डिजिटल नवाचार शामिल हैं।

  • वित्तीय समावेशन, कौशल विकास, स्वरोजगार और सामाजिक सुरक्षा को आपस में जुड़े स्तंभों के रूप में जोड़ने पर जोर।

मुख्य तथ्य

  • सामाजिक सुरक्षा कवरेज: 2015 – 19% → 2025 – 64.3%

  • लाभार्थी: 940 मिलियन से अधिक लोग

  • प्रमुख डिजिटल उपकरण: e‑Shram, NCS

  • संस्थागत संस्थाएँ: EPFO, ESIC

मुकेश अंबानी भारत में हुरुन रिच लिस्ट 2025 में शीर्ष पर

मुकेश अंबानी, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन, फिर से भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बने हैं। उनकी कुल संपत्ति ₹9.55 लाख करोड़ आंकी गई है। गोटम अदानी इस बार दूसरे स्थान पर हैं, जिनकी संपत्ति ₹8.15 लाख करोड़ है। 2025 की यह सूची Hurun Research Institute और M3M India द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई 14वीं संस्करण है।

2025 सूची के मुख्य बिंदु

शीर्ष तीन अरबपति

  1. मुकेश अंबानी एवं परिवार – ₹9.55 लाख करोड़ (पिछले वर्ष –6%)

  2. गोटम अदानी एवं परिवार – ₹8.15 लाख करोड़ (–30%)

  3. रोशनी नादर मल्होत्रा – ₹2.84 लाख करोड़ (पहली बार शीर्ष तीन में)

रोशनी नादर, HCL Technologies की चेयरपर्सन, भारत की सबसे अमीर महिला बन गई हैं।

शीर्ष 10 अरबपतियों की सूची

रैंक नाम संपत्ति (₹ करोड़) कंपनी
1 मुकेश अंबानी एवं परिवार 9,55,410 रिलायंस इंडस्ट्रीज
2 गोटम अदानी एवं परिवार 8,14,720 अदानी ग्रुप
3 रोशनी नादर मल्होत्रा 2,84,120 HCL
4 साइरस पूनावाला 2,46,460 सीरम इंस्टीट्यूट
5 कुमार मंगलम बिड़ला 2,32,850 आदित्य बिड़ला
6 निरज बजाज एवं परिवार 2,32,680 बजाज ग्रुप
7 दिलीप सांघवी 2,30,560 सन फार्म
8 अजीम प्रेमजी एवं परिवार 2,21,250 विप्रो
9 गोपीचंद हिन्दूजा एवं परिवार 1,85,310 हिन्दूजा
10 राधाकिशन दमानी एवं परिवार 1,82,980 एवन्यू सुपरमार्ट्स (D-Mart)

2025 के रुझान

  • अरबपतियों की संख्या में वृद्धि: भारत में अब 350 से अधिक अरबपति हैं, जो सूची शुरू होने के 13 वर्षों में छह गुना बढ़ी है।

  • कुल संपत्ति: सूची में शामिल सभी व्यक्तियों की कुल संपत्ति ₹167 लाख करोड़ है, जो भारत की GDP का लगभग आधा है।

  • युवा अरबपति:

    • अरविंद श्रीनिवास (31), Perplexity, सबसे युवा अरबपति, ₹21,190 करोड़

    • कैवल्य वोहरा (22) और आदित पालीचा (23), Zepto के सह-संस्थापक

  • नई प्रविष्टियाँ: शाहरुख़ ख़ान पहली बार सूची में ₹12,490 करोड़ के नेट वर्थ के साथ शामिल हुए।

  • सबसे अधिक संपत्ति वृद्धि: निरज बजाज ने सबसे अधिक वृद्धि देखी, +₹69,875 करोड़

  • महिलाएँ और स्वनिर्मित उद्यमी:

    • कुल 101 महिलाएँ सूची में शामिल, जिनमें 26 डॉलर अरबपति हैं

    • 66% लोग स्वनिर्मित हैं, नए प्रवेशकों में 74% ने अपनी संपत्ति स्वयं बनाई

त्वरित तथ्य 

  • भारत के सबसे अमीर: मुकेश अंबानी – ₹9.55 लाख करोड़

  • सबसे अमीर महिला: रोशनी नादर – ₹2.84 लाख करोड़

  • भारत में अब 350+ अरबपति

  • शीर्ष संपत्ति वृद्धि: निरज बजाज (+₹69,875 करोड़)

  • नई अरबपति प्रवेशिका: शाहरुख़ ख़ान

  • सबसे युवा अरबपति: अरविंद श्रीनिवास (31)

श्यामजी कृष्ण वर्मा की 96वीं जयंती: एक क्रांतिकारी नेता को याद करते हुए

भारत ने 4 अक्टूबर 2025 को श्यामजी कृष्ण वर्मा की 96वीं जयंती मनाई। वे एक प्रमुख क्रांतिकारी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे, जिन्होंने विदेश से भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान को उजागर किया, उन्हें एक दूरदर्शी राष्ट्रवादी और कई भविष्य के क्रांतिकारियों के लिए वैचारिक मार्गदर्शक बताया।

प्रारंभिक जीवन और प्रभाव

  • जन्म: 4 अक्टूबर 1857, मंडवी, गुजरात

  • प्रेरणास्रोत: बाल गंगाधर तिलक, स्वामी दयानंद सरस्वती और अंग्रेज दार्शनिक हर्बर्ट स्पेंसर से प्रभावित

  • उन्होंने छोटे ही उम्र में राष्ट्रवाद की भावना विकसित की और पश्चिमी राजनीतिक विचारों को भारतीय सुधारवादी परंपराओं के साथ जोड़ा।

लंदन में क्रांतिकारी कार्य
श्यामजी कृष्ण वर्मा लंदन गए, जहाँ उन्होंने महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी संस्थाएँ स्थापित कीं, जो भारतीय छात्रों और क्रांतिकारियों के लिए बौद्धिक और संगठनात्मक केंद्र बन गईं।

  • इंडियन होम रूल सोसाइटी (1905): स्वशासन का समर्थन और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की आलोचना।

  • इंडिया हाउस: लंदन में भारतीय छात्रों का हॉस्टल, जो क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बना। वीर सावरकर सहित कई नेताओं पर इसका प्रभाव पड़ा।

  • द इंडियन सोसियोलॉजिस्ट: एक मासिक पत्रिका, जिसने राष्ट्रवादी विचार और ब्रिटिश नीतियों की आलोचना को फैलाया।

आर्य समाज और राष्ट्रवादी विचारधारा में भूमिका
वर्मा बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष बने और भारत में सामाजिक व राजनीतिक सुधारों को बढ़ावा दिया। उन्होंने आर्य समाज और इंडिया हाउस जैसे मंचों का उपयोग कर सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राजनीतिक सक्रियता को जोड़ा, जिससे क्रांतिकारी आंदोलनों का मजबूत आधार तैयार हुआ। उनके लेखन में स्वराज (स्वशासन) का जोर था, जो भारतीय राजनीति में मुख्यधारा बनने से बहुत पहले ही प्रचलित था।

निर्वासन और अंतिम जीवन
ब्रिटिश अधिकारियों के दबाव और आलोचना के कारण, वर्मा इंग्लैंड छोड़ गए।

  • पेरिस: बिना लगातार निगरानी के राष्ट्रवादी कार्य जारी रखने के लिए उन्होंने फ्रांस में स्थानांतरित किया।

  • जिनेवा: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे स्विट्ज़रलैंड में बसे और यहीं 30 मार्च 1930 को उनका निधन हुआ।

देश से दूर होने के बावजूद, वे उपनिवेशवाद के खिलाफ अडिग रहे और कई क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा बने।

विरासत और महत्व

  • श्यामजी कृष्ण वर्मा की विदेश में भारतीय राष्ट्रवाद में योगदान अमूल्य है।

  • इंडिया हाउस जैसी संस्थाओं ने उन क्रांतिकारियों को पोषित किया, जिन्होंने बाद में स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • उनकी पत्रिका, द इंडियन सोसियोलॉजिस्ट, भारतीय स्वशासन के शुरुआती बौद्धिक मंचों में से एक मानी जाती है।

  • उनकी अस्थियाँ 2003 में भारत लौटाई गईं और गुजरात के मंडवी स्थित क्रांति तीर्थ स्मारक में प्रतिष्ठित की गईं, जिससे उनकी विरासत संरक्षित हो गई।

विश्व पशु दिवस 2025: करुणा के 100 वर्ष

विश्व पशु दिवस 2025, जो 4 अक्टूबर को मनाया जाता है, एक वैश्विक आंदोलन की 100वीं वर्षगांठ को चिह्नित करता है जो पशु अधिकार, कल्याण और करुणा को बढ़ावा देता है। इस वर्ष का विषय है “जानवरों को बचाओ, ग्रह को बचाओ!”, जो पशु संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता के अविभाज्य संबंध को उजागर करता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
विश्व पशु दिवस का पहला आयोजन 1925 में हेनरिच ज़िमरमैन, जो एक जर्मन लेखक और पशु अधिकार कार्यकर्ता थे, द्वारा किया गया था। उद्घाटन समारोह 24 मार्च को बर्लिन में आयोजित किया गया था, जिसमें 5,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। 1929 तक इस दिन को 4 अक्टूबर पर स्थिर कर दिया गया ताकि इसे पशुओं के संरक्षक संत फ्रांसिस ऑफ अस्सीसी के पर्व दिवस के साथ जोड़ा जा सके। समय के साथ, यह आंदोलन वैश्विक स्तर पर फैल गया और सरकारों, नागरिक समाज और ऐसे व्यक्तियों द्वारा समर्थित हुआ जो पशुओं के बेहतर उपचार की वकालत करते हैं।

वर्ष 2025 का विषय: “जानवरों को बचाओ, ग्रह को बचाओ!”
सेंचुरी वर्ष 2025 का विषय इस बात पर जोर देता है कि पशुओं की रक्षा करना सीधे तौर पर एक स्वस्थ और अधिक सतत ग्रह का समर्थन करता है। इसमें शामिल प्रयास हैं:

  • जलवायु परिवर्तन और आवासीय क्षेत्रों के नुकसान से लड़ना

  • जैव विविधता के विलुप्त होने को रोकना

  • पशुओं के साथ सह-अस्तित्व और नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देना

यह विषय याद दिलाता है कि पशु कल्याण केवल नैतिक चिंता नहीं है, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन और मानव कल्याण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।

आज इसका महत्व
विश्व पशु दिवस वैश्विक स्तर पर इन खतरों के प्रति जागरूकता पैदा करता है:

  • शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार

  • वनों की कटाई और शहरी विस्तार

  • जलवायु परिवर्तन के कारण प्रजातियों का विलुप्त होना

  • पशु संरक्षण कानूनों का कमजोर प्रवर्तन

व्यक्तिगत प्रयासों जैसे आवारा जानवरों को बचाना या बड़े पैमाने पर संरक्षण अभियान चलाना, इस दिन के माध्यम से सहानुभूति और जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देता है।

2025 के लिए आह्वान
इस शताब्दी वर्ष के अवसर पर लोग कर सकते हैं:

  • पशु आश्रयों और वन्यजीव संगठनों में स्वयंसेवी बनें

  • मजबूत पशु संरक्षण कानूनों की वकालत करें

  • दूसरों को प्रजातियों के संरक्षण के बारे में शिक्षित करें

  • ऐसे स्थायी आदतें अपनाएं जो जानवरों के आवास को नुकसान पहुँचाने से रोकें

  • पर्यावरण-मित्र ब्रांड और क्रूरता-मुक्त उत्पादों का समर्थन करें

रोचक तथ्य और खोजें (2025 अपडेट)

  • नई प्रजातियाँ: करामोज़ा ड्रॉर्फ गेको (अफ्रीका), हिमालयन आइबेक्स, लाइरियोथेमिस अब्राहामी ड्रैगनफ्लाई (भारत), ब्लॉब-हेडेड फिश (पेरू)

  • सबसे बड़ा जानवर: ब्लू व्हेल, 98 फीट तक लंबा

  • सबसे लंबा जानवर: सिफोनोफोर, 150 फीट से अधिक, गहरे समुद्र का जीव

  • सबसे दुर्लभ जानवर: वाक्विता, मेक्सिको का पोर्पाइस, 10 से कम जीवित

  • सबसे संकटग्रस्त प्रजातियाँ: वाक्विता, जावन गैंडा, अमूर तेंदुआ, साओला, सुंडा बाघ

मुख्य तथ्य

  • दिनांक: 4 अक्टूबर 2025

  • विषय: “जानवरों को बचाओ, ग्रह को बचाओ!”

  • 100वीं वर्षगांठ, 1925 में हेनरिच ज़िमरमैन द्वारा शुरू

  • संत फ्रांसिस ऑफ अस्सीसी के पर्व दिवस के साथ मेल खाता है

  • उद्देश्य: जागरूकता बढ़ाना, पशु कल्याण सुधारना, इसे सततता से जोड़ना

सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन वर्ष 2026-27 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में उल्लेखनीय वृद्धि को मंजूरी दी है। इस निर्णय का उद्देश्य किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही सरकार ने एक बड़ी पहल — “मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेज़” — भी शुरू की है, जिसका लक्ष्य दालों के आयात पर निर्भरता घटाना और घरेलू उत्पादन बढ़ाना है।

MSP क्या है और इसका महत्व

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह सुनिश्चित मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी उपज की खरीद करती है। यह किसानों को बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करता है। MSP मूल्य स्थिरीकरण, फसल पैटर्न पर प्रभाव, और मुख्य खाद्य फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर तब जब बाजार मूल्य उत्पादन लागत से नीचे चला जाता है।

रबी फसलों के MSP में वृद्धि (2026-27)

केंद्रीय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने सभी प्रमुख रबी फसलों के MSP में वृद्धि की घोषणा की है। सबसे अधिक वृद्धि कुसुम (Safflower) के लिए की गई है — ₹600 प्रति क्विंटल। अन्य प्रमुख फसलों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है:

फसल MSP में वृद्धि (₹/क्विंटल)
मसूर (Lentil) ₹300
सरसों/तोरी (Rapeseed & Mustard) ₹250
चना (Gram) ₹225
जौ (Barley) ₹170
गेहूं (Wheat) ₹160

गेहूँ का एमएसपी अब ₹2,585 प्रति क्विंटल हो गया है, जो पहले ₹2,425 था—6.6% की वृद्धि। इस बढ़ोतरी से विपणन सत्र के दौरान किसानों को लगभग ₹84,263 करोड़ मिलने की उम्मीद है।

उत्पादन लागत पर मार्जिन इस प्रकार अनुमानित है:

  • गेहूँ: 109%
  • रेपसीड और सरसों: 93%
  • मसूर: 89%
  • चना: 59%
  • जौ: 58%
  • कुसुम: 50%

ये मार्जिन रबी की खेती, खासकर तिलहन और दलहन में लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए सरकार के महत्वपूर्ण प्रयासों का संकेत देते हैं।

मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेज़ 

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि के साथ ही, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बड़ी पहल — “मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेज़” — को भी मंजूरी दी है। यह कार्यक्रम 2025-26 से 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।

मिशन की प्रमुख विशेषताएँ

बिंदु विवरण
वित्तीय प्रावधान ₹11,440 करोड़ (छह वर्षों की अवधि में)
उत्पादन लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक 350 लाख टन दालों का उत्पादन
लाभार्थी किसान लगभग 2 करोड़ किसान — गुणवत्तापूर्ण बीज, खरीद आश्वासन और फसल कटाई के बाद सहायता के माध्यम से
प्रमुख फोकस क्षेत्र उच्च उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-अनुकूल दाल किस्मों का प्रचार
राष्ट्रीय लक्ष्य दालों के आयात पर निर्भरता घटाना और घरेलू बाजारों को स्थिर करना

स्थैतिक तथ्य

  • गेहूँ का एमएसपी अब ₹2,585/क्विंटल, ₹160 की वृद्धि
  • कुसुम के एमएसपी में सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी: ₹600/क्विंटल
  • दलहन मिशन: ₹11,440 करोड़, लक्ष्य 350 लाख टन
  • अवधि: 2025-26 से 2030-31
  • फ़ोकस: उच्च उपज वाली, जलवायु-प्रतिरोधी किस्में
  • 2 करोड़ से ज़्यादा किसान लाभान्वित होंगे

मन की बात: 11 साल का संवाद जो बना नए भारत का स्वर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” ने 3 अक्टूबर 2025 को अपनी 11वीं वर्षगांठ पूरी की। इसका पहला प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 को विजयदशमी के दिन हुआ था। वर्षों के इस सफर में यह कार्यक्रम केवल एक प्रसारण नहीं रहा — यह जन आकांक्षाओं, प्रेरक कहानियों और नागरिक–सरकार संवाद का प्रतीक बन गया है।

शुरुआत से 11 वर्षों की यात्रा

  • अक्टूबर 2014 में “मन की बात” की शुरुआत प्रधानमंत्री और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से हुई।

  • प्रारंभ में केवल ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर प्रसारित होने वाला यह कार्यक्रम बाद में दूरदर्शन नेशनल, डीडी न्यूज़ और अन्य चैनलों पर भी प्रसारित होने लगा।

  • यह कार्यक्रम अब हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होता है।

  • सितंबर 2025 तक इसके 126 एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं।

विषय, प्रभाव और पहुँच

11 वर्षों के दौरान “मन की बात” ने भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक, पर्यावरणीय, व्यवहारिक और जमीनी पहलुओं को उजागर किया है।

कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ :

  • अनसुने नायकों की कहानियाँ सामने लाना।

  • जन-जागरूकता अभियानों को प्रोत्साहन देना।

  • नागरिकों को राष्ट्र निर्माण में भागीदारी के लिए प्रेरित करना।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं कहा है कि “मन की बात के असली एंकर देश के नागरिक हैं”, जिनकी सहभागिता और प्रेरक पहल ही इसे जीवंत बनाती है।

इस कार्यक्रम के माध्यम से कई सरकारी योजनाओं, अभियानों और जन आंदोलनों को नई दिशा और गहराई मिली है। यह सरकार की प्राथमिकताओं को जन-जन तक पहुँचाने का प्रभावी मंच बन चुका है।

मुख्य तथ्य 

बिंदु विवरण
पहला प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 (विजयदशमी)
उद्देश्य प्रधानमंत्री द्वारा नागरिकों से मासिक संवाद
प्रसारण माध्यम ऑल इंडिया रेडियो, डीडी नेशनल, डीडी न्यूज़
कुल एपिसोड (सितंबर 2025 तक) 126
कार्यक्रम की आवृत्ति हर महीने के अंतिम रविवार को
प्रमुख विषय समाज, संस्कृति, पर्यावरण, जन अभियानों की प्रेरक कहानियाँ
महत्व नागरिक सहभागिता को सशक्त बनाना और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन देना

Recent Posts

about | - Part 81_12.1