विश्व पर्यावास दिवस 2025: शहरी संकट प्रतिक्रिया फोकस

हर वर्ष अक्टूबर के पहले सोमवार को पूरी दुनिया विश्व आवास दिवस (World Habitat Day) मनाती है — यह दिन मानव बस्तियों की स्थिति पर विचार करने और प्रत्येक व्यक्ति के उचित आवास के अधिकार को पुनः स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2025 में यह दिवस 6 अक्टूबर को मनाया जा रहा है, जिसका विषय है — “Urban Crisis Response” (शहरी संकट प्रतिक्रिया)। इस वर्ष का फोकस जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, असमानता और लचीले (resilient) एवं समावेशी शहरों की आवश्यकता जैसे तत्काल शहरी चुनौतियों का समाधान खोजने पर है। यह दिवस “Urban October” (शहरी अक्टूबर) नामक एक महीने की वैश्विक मुहिम की शुरुआत भी करता है, जो 31 अक्टूबर को विश्व नगर दिवस (World Cities Day) के साथ समाप्त होती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 1985 में विश्व आवास दिवस की स्थापना की।

  • पहली बार यह दिवस 1986 में नैरोबी (केन्या) में “Shelter is My Right” (आवास मेरा अधिकार है) विषय के साथ मनाया गया।

  • तब से यह दिवस सतत शहरी विकास, किफायती आवास और समावेशी नगरीय योजना को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक मंच बन चुका है।

  • 1989 में, संयुक्त राष्ट्र ने UN-Habitat Scroll of Honour Awards की शुरुआत की, जो शहरी जीवन स्थितियों में सुधार के उत्कृष्ट योगदानों को सम्मानित करते हैं।

विषय 2025 — “Urban Crisis Response” (शहरी संकट प्रतिक्रिया)

इस वर्ष का विषय दुनिया भर के शहरों के सामने आने वाली संयुक्त चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है —

  • जलवायु परिवर्तन (Climate Change)

  • संघर्ष और विस्थापन (Conflict-driven Displacement)

  • बढ़ती शहरी असमानता (Urban Inequality)

यह विषय संकट-तैयार शासन (Crisis-ready Governance), लचीले बुनियादी ढांचे (Resilient Infrastructure) और समावेशी नीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करता है ताकि शहरी समुदायों के सबसे कमजोर वर्गों की रक्षा की जा सके। यह न्यू अर्बन एजेंडा (New Urban Agenda) और सतत विकास लक्ष्य 11 (SDG 11) के अनुरूप है, जो “समावेशी, सुरक्षित, लचीले और सतत शहरों” के निर्माण का आह्वान करता है।

मुख्य उद्देश्य और फोकस क्षेत्र

विश्व आवास दिवस 2025 का लक्ष्य है —

  • सभी के लिए उचित आवास के अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ाना

  • शहरी लचीलापन (Urban Resilience) और सतत पुनर्प्राप्ति (Sustainable Recovery) को बढ़ावा देना

  • सरकारों, संगठनों और नागरिकों को सामूहिक कार्रवाई के लिए प्रोत्साहित करना

  • जलवायु तैयारी, शहरी-ग्रामीण संबंध और प्रकृति-आधारित समाधानों पर जोर देना

  • किफायती आवास और आपदा प्रबंधन में नवाचार को समर्थन देना

इन उद्देश्यों को क्षेत्रीय गतिविधियों, कार्यशालाओं, सामुदायिक कार्यक्रमों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है।

वैश्विक आयोजन और गतिविधियाँ

2025 में विश्व आवास दिवस के तहत आयोजित प्रमुख कार्यक्रम —

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा उच्च-स्तरीय पैनल चर्चाएँ

  • UN-Habitat Scroll of Honour Awards का वितरण

  • समावेशी नगर नियोजन, हरित अवसंरचना और आवास नवाचार पर कार्यशालाएँ

  • जलवायु लचीलापन और विस्थापित आबादी पर सामुदायिक कार्यक्रम

  • शिक्षण सत्र, फ़िल्म प्रदर्शन और जागरूकता अभियानों के माध्यम से सतत शहरों पर चर्चा

इन गतिविधियों ने विभिन्न महाद्वीपों में सरकारों, संस्थानों और नागरिक समाज को बेहतर शहरी भविष्य के साझा लक्ष्य के लिए एकजुट किया है।

“Urban October” का महत्व

“Urban October” (शहरी अक्टूबर) अभियान विश्व आवास दिवस से शुरू होकर विश्व नगर दिवस (31 अक्टूबर) तक चलता है।
इस महीने भर चलने वाले अभियान का उद्देश्य है —

  • आवास संकट (Housing Crisis) से निपटना

  • समावेशी और किफायती शहरों की योजना बनाना

  • बाढ़, गर्मी की लहरें, संघर्षजन्य पलायन जैसे संकटों के प्रति शहरी तैयारियों को मजबूत करना

  • दीर्घकालिक शहरी लचीलापन हेतु बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना

मुख्य जानकारी एक नजर में

बिंदु विवरण
तिथि 6 अक्टूबर 2025 (अक्टूबर का पहला सोमवार)
विषय (Theme) Urban Crisis Response (शहरी संकट प्रतिक्रिया)
प्रथम आयोजन 1986, नैरोबी
स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा, 1985
अभियान “Urban October” का हिस्सा (31 अक्टूबर को समाप्त — विश्व नगर दिवस)
मुख्य फोकस जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, असमानता, और शहरी लचीलापन

निष्कर्ष:
विश्व आवास दिवस 2025 हमें याद दिलाता है कि एक सुरक्षित और सतत शहर हर व्यक्ति का अधिकार है। “शहरी संकट प्रतिक्रिया” का यह विषय दुनिया को एक ऐसे भविष्य की दिशा में प्रेरित करता है जहाँ शहर न केवल विकास के केंद्र हों, बल्कि समानता, सुरक्षा और सह-अस्तित्व के भी प्रतीक बनें।

यूआईडीएआई ने 5 से 17 वर्ष तक के बच्चों के लिए आधार बायोमेट्रिक अपडेट शुल्क माफ किया

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने 7 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (Mandatory Biometric Updates – MBU) पर लगने वाले सभी शुल्कों को पूरी तरह माफ कर दिया है। यह निर्णय 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगा और एक वर्ष तक (अर्थात् 30 सितंबर 2026 तक) लागू रहेगा। इस पहल से पूरे देश के लगभग 6 करोड़ बच्चों को लाभ होगा।

क्या है आधार बायोमेट्रिक अपडेट (MBU)?

जब किसी बच्चे का 5 वर्ष से कम आयु में आधार कार्ड बनाया जाता है, तब केवल जनसांख्यिकीय जानकारी (नाम, जन्मतिथि, लिंग, फोटो और पता) ली जाती है।
उस समय बायोमेट्रिक डेटा (जैसे उंगलियों के निशान और आईरिस स्कैन) नहीं लिया जाता क्योंकि बच्चे के शारीरिक अंग पूरी तरह विकसित नहीं होते।

इसलिए UIDAI ने दो चरणों में अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (Mandatory Biometric Updates) निर्धारित किए हैं —

चरण आयु सीमा उद्देश्य
पहला MBU 5 से 7 वर्ष के बीच पहली बार बायोमेट्रिक डेटा (फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन, नई फोटो) एकत्र करना
दूसरा MBU 15 से 17 वर्ष के बीच किशोरावस्था में पुनः बायोमेट्रिक डेटा अपडेट करना ताकि पहचान सटीक रहे

2025 में क्या बदलाव हुआ है?

पहले तक केवल वही बच्चे निःशुल्क MBU करवा सकते थे जो निर्धारित आयु सीमा (5–7 या 15–17 वर्ष) के भीतर अपडेट करवाते थे।
यदि कोई अपडेट देरी से होता, तो ₹125 शुल्क देना पड़ता था।

अब UIDAI के नए निर्णय के अनुसार —

  • 7 से 15 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए बायोमेट्रिक अपडेट पूरी तरह निशुल्क होगा।

  • यह सुविधा 1 अक्टूबर 2025 से 30 सितंबर 2026 तक लागू रहेगी।

  • इस अवधि में 5 से 17 वर्ष के सभी बच्चों को नि:शुल्क बायोमेट्रिक अपडेट का लाभ मिलेगा।

किसे और क्या करना चाहिए

माता-पिता और अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि:

  • यदि बच्चा 7 वर्ष से अधिक का है और पहला MBU नहीं हुआ है, तो जल्द अपडेट करवाएँ।

  • यदि बच्चा 15 वर्ष से अधिक का है और दूसरा MBU नहीं हुआ है, तो तुरंत कराएँ।

बायोमेट्रिक अपडेट आधार सेवा केंद्र (Aadhaar Seva Kendra) या अधिकृत नामांकन केंद्रों पर करवाया जा सकता है।

मुख्य बिंदु सारांश

बिंदु विवरण
नीति लागू होने की तिथि 1 अक्टूबर 2025
लागू अवधि एक वर्ष (30 सितंबर 2026 तक)
लाभार्थी आयु वर्ग 7 से 15 वर्ष (प्रभावी रूप से 5–17 वर्ष तक)
शुल्क माफ ₹125 प्रति अपडेट
मुख्य उद्देश्य बच्चों के लिए आधार आधारित सेवाओं तक आसान पहुँच सुनिश्चित करना
प्राधिकरण भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI)

निष्कर्ष:
UIDAI का यह निर्णय बच्चों के लिए आधार अपडेट प्रक्रिया को सरल, सुलभ और निशुल्क बनाता है। इससे न केवल आधार आधारित सेवाओं की पहुँच बढ़ेगी, बल्कि प्रत्येक बच्चे की पहचान की सटीकता और सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

राजस्थान के पहले नमो जैव विविधता पार्क का अलवर में उद्घाटन

भारत की हरित अवसंरचना (Green Infrastructure) को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने 5 अक्टूबर 2025 को राजस्थान का पहला “नमो जैवविविधता उद्यान” (Namo Biodiversity Park) — जिसे “नमो वन (Namo Van)” भी कहा जाता है — का उद्घाटन अलवर के प्रताप बंध (Pratap Bandh) में किया। इस अवसर पर राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री संजय शर्मा भी उपस्थित रहे। समारोह के दौरान एक प्रतीकात्मक वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जो पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी का प्रतीक बना।

नमो जैवविविधता उद्यान (Namo Van) के बारे में

नमो जैवविविधता उद्यान को अलवर क्षेत्र के “ग्रीन लंग्स (Green Lungs)” के रूप में विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय वायु गुणवत्ता में सुधार, शहरी हरित आवरण (urban green cover) बढ़ाना और पारिस्थितिक संतुलन (ecological balance) को पुनर्स्थापित करना है।
यह उद्यान केवल एक मनोरंजन क्षेत्र नहीं बल्कि शहरी पारिस्थितिकी विकास (urban ecological development) का एक मॉडल है, जो मनुष्य और प्रकृति के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है।

उद्यान के उद्देश्य

  • प्राकृतिक कार्बन सिंक (carbon sink) के रूप में कार्य कर वायु प्रदूषण को कम करना।

  • अरावली पारिस्थितिकी तंत्र (Aravalli ecosystem) की स्थानीय वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण करना।

  • नागरिकों, विशेषकर छात्रों में पर्यावरण जागरूकता बढ़ाना।

  • सामुदायिक भागीदारी और शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण-मित्र जीवनशैली (eco-friendly lifestyle) को प्रोत्साहित करना।

मुख्य विशेषताएँ और डिज़ाइन तत्व

उद्यान को सततता (sustainability), शिक्षा और पारिस्थितिकी (ecology) को एकीकृत करने के लिए निम्न विशेषताओं के साथ विकसित किया गया है –

  • स्थानीय वृक्षारोपण (Native Tree Plantation): अरावली श्रेणी की स्वदेशी प्रजातियों का चयन, जिससे पारिस्थितिक संतुलन और जल दक्षता सुनिश्चित हो सके।

  • हरित गलियारे (Green Corridors): प्रकृति से जुड़ने के लिए पैदल मार्ग और ईको-ट्रेल्स

  • शैक्षणिक क्षेत्र (Educational Zones): जागरूकता केंद्र, जहाँ जैवविविधता, जलवायु परिवर्तन और सतत जीवनशैली पर जानकारी दी जाएगी।

  • जल संरक्षण उपाय (Water Conservation): वर्षा जल संचयन प्रणाली और ग्रीन लैंडस्केपिंग तकनीकें अपनाई गई हैं।

इन सभी प्रयासों का उद्देश्य एक ऐसा शहरी पारिस्थितिक मॉडल प्रस्तुत करना है जो संरक्षण और सुलभता (accessibility) के बीच संतुलन स्थापित करे।

राजस्थान और भारत के जलवायु लक्ष्यों के लिए महत्व

राजस्थान, जो अपने शुष्क जलवायु और नाजुक पारिस्थितिक तंत्र के लिए जाना जाता है, वनों की कटाई (deforestation), मरुस्थलीकरण (desertification) और वायु प्रदूषण जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
नमो जैवविविधता उद्यान इन समस्याओं से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा —

  • वृक्ष घनत्व बढ़ाकर और हीट आइलैंड प्रभाव को कम करके पर्यावरणीय संतुलन बनाना।

  • वन्यजीव आवास और परागण प्रजातियों को समर्थन देना।

  • जलवायु अनुकूलन उपाय (climate adaptation measure) के रूप में भारत के पेरिस समझौते (Paris Agreement) के तहत प्रतिबद्धताओं को सुदृढ़ करना।

  • “लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (LiFE)” मिशन के तहत सतत जीवनशैली को बढ़ावा देना।

यह पहल भारत सरकार के “मिशन LiFE” की भावना को प्रतिबिंबित करती है, जो पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार व्यवहार को प्रोत्साहित करती है।

मुख्य तथ्य 

विषय विवरण
कार्यक्रम राजस्थान के पहले नमो जैवविविधता उद्यान (Namo Biodiversity Park) का उद्घाटन
तिथि 5 अक्टूबर 2025
स्थान प्रताप बंध, अलवर, राजस्थान
आधिकारिक नाम नमो वन (Namo Van)
उद्घाटनकर्ता श्री भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री
सहयोगी मंत्री श्री संजय शर्मा, कैबिनेट मंत्री, राजस्थान सरकार

विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ पदक प्रदर्शन

भारत ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 (World Para Athletics Championships 2025) में अपने इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 18 पदक जीते — 6 स्वर्ण, 7 रजत और 5 कांस्य। यह उपलब्धि भारत के पिछले रिकॉर्ड (17 पदक, कोबे 2024) को पार करती है, और यह दर्शाती है कि भारत अब वैश्विक पैरा खेलों में एक उभरती हुई शक्ति बन चुका है। यह चैंपियनशिप नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित हुई, जिसमें 104 देशों के 2,000 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया। भारत के इस प्रदर्शन ने न केवल खेल उत्कृष्टता बल्कि समावेशिता और सशक्तिकरण की भावना को भी प्रदर्शित किया।

भारत का पदक विवरण

पदक का प्रकार संख्या
स्वर्ण (Gold) 6
रजत (Silver) 7
कांस्य (Bronze) 5
कुल पदक 18

स्वर्ण पदक विजेता – अदम्य संकल्प के चैंपियन

भारत के छह खिलाड़ियों ने स्वर्ण जीतकर देश का गौरव बढ़ाया —

खिलाड़ी का नाम स्पर्धा
सिमरन शर्मा महिलाओं की 100 मीटर T12
निशाद कुमार पुरुषों की हाई जंप T47
सुमित अंतील पुरुषों की भाला फेंक F64
संदीप संजय सारगर पुरुषों की भाला फेंक F44
रिंकू हूडा पुरुषों की भाला फेंक F46
शैलेश कुमार पुरुषों की हाई जंप T63

इनमें से सिमरन शर्मा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दो पदक जीते — 100 मीटर में स्वर्ण और 200 मीटर में रजत।

डबल मेडलिस्ट्स — सिमरन शर्मा और प्रीति पाल

दो भारतीय खिलाड़ियों ने दो-दो पदक जीतकर बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया —

खिलाड़ी स्वर्ण/रजत/कांस्य स्पर्धा
सिमरन शर्मा 🥇 स्वर्ण – 100m T12
🥈 रजत – 200m T12
प्रीति पाल 🥈 रजत – 100m T35
🥉 कांस्य – 200m T35

दोनों ने स्प्रिंट इवेंट्स में अद्भुत गति और तकनीक का प्रदर्शन किया।

रजत पदक विजेता

खिलाड़ी स्पर्धा
नवदीप पुरुष भाला फेंक F41
एकता भयान महिला क्लब थ्रो F51
धरमबीर पुरुष क्लब थ्रो F51
संदीप पुरुष भाला फेंक F44
योगेश कथुनिया पुरुष डिस्कस थ्रो F56
सुंदर सिंह गुर्जर पुरुष भाला फेंक F46
दीप्थि जीवनजी महिला 400m T20

कांस्य पदक विजेता

खिलाड़ी स्पर्धा
संदीप पुरुष 200m T44
सोमन राणा पुरुष शॉट पुट F57
प्रवीण कुमार पुरुष हाई जंप T64
प्रीति पाल महिला 200m T35
प्रदीप कुमार पुरुष डिस्कस थ्रो F64
अतुल कौशिक पुरुष डिस्कस थ्रो F57
वरुण सिंह भाटी पुरुष हाई जंप T63

भारत की बढ़ती पैरा स्पोर्ट्स शक्ति

  • भारत ने भाला फेंक और हाई जंप जैसे फील्ड इवेंट्स में बेहतरीन प्रदर्शन किया।

  • पैरा ओलंपिक समिति (PCI) और भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के सहयोग से खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण मिला।

  • इस आयोजन ने भारत में पैरा खेलों के प्रति जागरूकता और समावेशन को नई दिशा दी।

मुख्य तथ्य

विषय विवरण
कार्यक्रम विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025
स्थान नई दिल्ली, भारत
स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम
तिथियाँ 27 सितंबर – 5 अक्टूबर 2025
भारत की रैंकिंग 10वीं
कुल पदक 18 (6 स्वर्ण, 7 रजत, 5 कांस्य)

निष्कर्ष:
नई दिल्ली में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 भारत के लिए एक ऐतिहासिक अध्याय साबित हुई।
यह उपलब्धि न केवल भारतीय खिलाड़ियों के दृढ़ निश्चय, मेहनत और कौशल की गवाही देती है, बल्कि भारत के समावेशी और सशक्त खेल भविष्य की भी झलक पेश करती है।

देश भर में 1,000 आईटीआई के आधुनिकीकरण के लिए पीएम सेतु योजना शुरू की गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कौशल दीक्षांत समारोह (Skills Convocation) के दौरान प्रधानमंत्री कौशल संवर्धन एवं तकनीकी उन्नयन योजना (PM SETU – Prime Minister’s Skill Enhancement and Technical Upgradation) का शुभारंभ किया। ₹60,000 करोड़ के बजट वाली यह योजना देशभर के 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) को आधुनिक, उद्योगोन्मुख और रोजगार-उन्मुख केंद्रों में बदलने का लक्ष्य रखती है।

यह महत्वाकांक्षी पहल “विकसित भारत @2047” के दृष्टिकोण से जुड़ी है, जिसका उद्देश्य एक नवाचार-प्रेरित और कौशलयुक्त कार्यबल (skilled workforce) तैयार करना है, जो वैश्विक उद्योगों की बदलती आवश्यकताओं को पूरा कर सके।

PM SETU योजना के बारे में

प्रधानमंत्री कौशल संवर्धन एवं तकनीकी उन्नयन योजना (PM SETU) का उद्देश्य भारत की व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली (vocational training ecosystem) को पुनर्जीवित करना है। इसके तहत ITIs को आधुनिक, प्रेरणादायक और उद्योग से जुड़े संस्थानों में बदला जाएगा।

मुख्य फोकस क्षेत्र:

  • बुनियादी ढांचे और पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण

  • उद्योग साझेदारी को बढ़ावा देना

  • वैश्विक मानकों वाले प्रयोगशालाओं की स्थापना

  • छात्रों को रोजगार के लिए बेहतर रूप से तैयार करना

इस योजना के अंतर्गत ITIs को पारंपरिक ट्रेड्स के साथ-साथ AI, ऑटोमेशन, ग्रीन एनर्जी, रोबोटिक्स और मैन्युफैक्चरिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्र बनाया जाएगा।

PM SETU योजना के उद्देश्य

  1. ITI प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधारना – कार्यशालाओं, उपकरणों और शिक्षण पद्धति को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुँचाना।

  2. पाठ्यक्रम को उद्योग आवश्यकताओं से जोड़ना – व्यवहारिक प्रशिक्षण और इंटर्नशिप को शामिल करना।

  3. उद्योग भागीदारी को मजबूत करना – निजी कंपनियों के साथ साझेदारी से अप्रेंटिसशिप और इंटर्नशिप कार्यक्रम बढ़ाना।

  4. समग्र विकास को प्रोत्साहन देना – ITIs को नवाचार और उद्यमिता के केंद्र बनाना।

  5. ITIs को आकर्षक संस्थान बनाना – युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण के प्रति प्रेरित करना।

बजट और कार्यान्वयन योजना

विवरण जानकारी
कुल बजट ₹60,000 करोड़
अवधि 2025–2030 (5 वर्ष)
कवरेज 1,000 ITIs (200 हब + 800 स्पोक्स)
लाभार्थी लगभग 20 लाख युवा
तकनीकी फोकस SAP आधारित डिजिटल लर्निंग और प्रबंधन प्रणाली, स्मार्ट लैब, सिमुलेशन आधारित लर्निंग और AI मूल्यांकन प्रणाली

राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र 

PM SETU के तहत 5 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहाँ प्रशिक्षकों और विद्यार्थियों को उन्नत औद्योगिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

स्थान विशेषता क्षेत्र
लुधियाना (पंजाब) मैन्युफैक्चरिंग और टेक्सटाइल इंजीनियरिंग
कानपुर (उत्तर प्रदेश) लेदर और फुटवियर डिजाइन
भुवनेश्वर (ओडिशा) औद्योगिक ऑटोमेशन और रोबोटिक्स
हैदराबाद (तेलंगाना) सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता
चेन्नई (तमिलनाडु) विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग

ये केंद्र वैश्विक संस्थानों और उद्योगों के साथ साझेदारी में अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम तैयार करेंगे।

पहला चरण: ITI क्लस्टर मॉडल 

योजना के पहले चरण में 15 ITI क्लस्टर चुने गए हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग और संसाधन साझा करने के केंद्र होंगे।

चयनित 15 क्लस्टर:

  1. सोनीपत (हरियाणा)

  2. विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश)

  3. बिजनौर और मेरठ (उत्तर प्रदेश)

  4. हरिद्वार (उत्तराखंड)

  5. उज्जैन (मध्य प्रदेश)

  6. बेंगलुरु अर्बन (कर्नाटक)

  7. भरतपुर (राजस्थान)

  8. दरभंगा और पटना (बिहार)

  9. होशियारपुर (पंजाब)

  10. हैदराबाद (तेलंगाना)

  11. संबलपुर (ओडिशा)

  12. चेन्नई (तमिलनाडु)

  13. गुवाहाटी (असम)

हर क्लस्टर एक विशेष औद्योगिक क्षेत्र — जैसे मैन्युफैक्चरिंग, आईटी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग या ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी — पर केंद्रित होगा।

PM SETU योजना का महत्व

  • कौशल अंतर को कम करना: शिक्षा, उद्योग और रोजगार के बीच बेहतर सामंजस्य।

  • युवाओं को सशक्त बनाना: रोजगार योग्यता और आत्मनिर्भरता में वृद्धि।

  • मेक इन इंडिया को समर्थन: घरेलू प्रतिभा से औद्योगिक विकास को गति।

  • उद्यमिता को प्रोत्साहन: नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा।

  • डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को मजबूती: डिजिटल लर्निंग और प्रबंधन प्रणाली का समावेश।

यह योजना आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के लक्ष्य को भी सुदृढ़ करती है, जिससे भारतीय उद्योगों को देश में प्रशिक्षित, उच्च कौशलयुक्त कार्यबल उपलब्ध होगा।

संक्षिप्त तथ्य सारणी

बिंदु विवरण
पूरा नाम प्रधानमंत्री कौशल संवर्धन एवं तकनीकी उन्नयन योजना (PM SETU)
लॉन्च करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
लॉन्च तिथि 4 अक्टूबर 2025
स्थान विज्ञान भवन, नई दिल्ली
बजट ₹60,000 करोड़
अवधि 2025–2030
कवरेज 1,000 ITIs (200 हब + 800 स्पोक्स)
लाभार्थी लगभग 20 लाख युवा

निष्कर्ष:
PM SETU योजना भारत के कौशल विकास मिशन का एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाएगी, बल्कि युवाओं को विश्वस्तरीय तकनीकी दक्षता देकर भारत को वैश्विक कौशल महाशक्ति (Global Skill Powerhouse) बनने की दिशा में अग्रसर करेगी।

BRO ने 19,400 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बनाई

भारत ने एक और असाधारण इंजीनियरिंग उपलब्धि हासिल की है। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने लद्दाख में समुद्र तल से 19,400 फीट की ऊँचाई पर विश्व की सबसे ऊँची मोटर योग्य सड़क का निर्माण किया है, जिससे उसने अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया। यह सड़क प्रोजेक्ट हिमांक (Project Himank) के तहत मिग ला दर्रे (Mig La Pass) से होकर गुजरती है, जो 2021 में बने उमलिंग ला (19,024 फीट) के पिछले रिकॉर्ड को पार करती है।

एक अभूतपूर्व उपलब्धि

यह उपलब्धि केवल एक नया विश्व रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि भारत के उस संकल्प का प्रतीक है जिसके माध्यम से वह पृथ्वी के सबसे कठिन और दुर्गम इलाकों में भी कनेक्टिविटी स्थापित कर रहा है।

यह नई सड़क लिकारू–मिग ला–फुकचे (Likaru–Mig La–Fukche) मार्ग का हिस्सा है, जो सैन्य दृष्टि से रणनीतिक और पर्यटन की दृष्टि से आकर्षक दोनों है।
ब्रिगेडियर विशाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में यह कार्य संपन्न हुआ। उन्होंने स्थल पर राष्ट्रीय ध्वज और BRO का झंडा फहराकर इस ऐतिहासिक उपलब्धि को राष्ट्र को समर्पित किया।

यह उपलब्धि कठोर जलवायु, कम ऑक्सीजन और अत्यधिक ठंडे तापमान में काम करने की अदम्य क्षमता, नवाचार और समर्पण को दर्शाती है।

मिग ला दर्रे का महत्व

मिग ला दर्रा लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र के दक्षिणी सेक्टर में, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट स्थित है।
नई सड़क के बनने से फुकचे (Fukche) तक पहुँचने के लिए तीसरा रणनीतिक मार्ग तैयार हुआ है।

यह सड़क निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देगी —

  • सैन्य लॉजिस्टिक्स और तैनाती में तीव्रता

  • सीमा सुरक्षा ढांचे की मजबूती

  • दूरस्थ नागरिक क्षेत्रों तक विकास एवं राहत पहुँचाने में सुविधा

रणनीतिक एवं नागरिक प्रभाव

सैन्य महत्व

  • सैनिकों और भारी सैन्य उपकरणों की तेज़ आवाजाही

  • उच्च संघर्ष क्षेत्रों में संचालन क्षमता में वृद्धि

  • आपातकालीन परिस्थितियों में प्रतिक्रिया समय में कमी

नागरिक और पर्यटन लाभ

  • नई ट्रेकिंग एवं साहसिक पर्यटन स्थलों तक पहुँच

  • लद्दाख में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा

  • स्थानीय समुदायों के लिए बेहतर आधारभूत ढाँचा

  • इंडस घाटी (Indus Valley) के अद्भुत दृश्य — साहसिक यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र

BRO की उच्च हिमालयी इंजीनियरिंग विरासत

  • 2021 में उमलिंग ला पास (19,024 फीट) की सड़क बनाकर BRO ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।

  • अब मिग ला पास (19,400 फीट) की सड़क से भारत ने एक बार फिर विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है।

  • प्रोजेक्ट हिमांक लंबे समय से भारत की उत्तरी सीमाओं में अत्यंत ऊँचाई पर सड़कों का निर्माण करता रहा है, जहाँ मौसम और भूगोल दोनों ही अत्यधिक चुनौतीपूर्ण हैं।

मुख्य तथ्य एक नज़र में

बिंदु विवरण
घटना विश्व की सबसे ऊँची मोटर योग्य सड़क का निर्माण
निर्माण एजेंसी सीमा सड़क संगठन (BRO)
परियोजना प्रोजेक्ट हिमांक
स्थान मिग ला पास, लद्दाख
ऊँचाई 19,400 फीट — विश्व में सबसे ऊँची
पिछला रिकॉर्ड उमलिंग ला पास (19,024 फीट), BRO द्वारा (2021)
रणनीतिक महत्व फुकचे तक तीसरा मार्ग, LAC के समीप
नागरिक प्रभाव पर्यटन व कनेक्टिविटी में वृद्धि

गांधीनगर में भूमि एवं आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू

देश में भूमि शासन के आधुनिकीकरण, आपदा प्रबंधन की सुदृढ़ता, और नागरिकों को सुरक्षित भूमि अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से दो दिवसीय “भूमि प्रशासन और आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन” 3 अक्टूबर 2025 को गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में आरंभ हुआ। यह आयोजन भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय) और गुजरात राजस्व विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया है।

मुख्य उद्घाटन और घोषणाएँ

उद्घाटन सत्र में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि भूमि प्रशासन को डिजिटलीकरण और स्वदेशी तकनीक के माध्यम से नागरिक-केंद्रित बनाया जाना चाहिए, ताकि जमीनी स्तर पर सुरक्षित और पारदर्शी भूमि अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें। सम्मेलन का उद्देश्य राज्यों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों का साझा मंच तैयार करना भी है।

सम्मेलन में प्रमुख लॉन्च और उद्घाटन इस प्रकार रहे:

  • नए राजस्व कार्यालयों का उद्घाटन — प्रशासनिक पहुंच और सेवा वितरण को सुदृढ़ करने हेतु।

  • रेवेन्यू डायरी और इंटीग्रेटेड लैंड एडमिनिस्ट्रेशन (ILA) सिस्टम का शुभारंभ — भूमि अभिलेख, पंजीयन, राजस्व न्यायालयों के मामलों और पुनर्सर्वेक्षण को एकीकृत डिजिटल मंच पर लाने की पहल।

  • घुमंतू जनजातियों को स्वामित्व कार्ड (SVAMITVA कार्ड) का वितरण — भूमि अधिकारों के औपचारिककरण की दिशा में बड़ा कदम।

देशभर के राजस्व अधिकारी, नीति विशेषज्ञ और तकनीकी विशेषज्ञ इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, जो विभिन्न विषयगत सत्रों और पैनल चर्चाओं में योगदान दे रहे हैं।

मुख्य विषय और फोकस क्षेत्र

सम्मेलन में भूमि प्रशासन और आपदा प्रबंधन से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो रही है, जिनमें शामिल हैं —

  • नए भूमि शासन लक्ष्यों के अनुरूप राजस्व कानूनों का आधुनिकीकरण

  • भूमि अभिलेख और पंजीकरण प्रणालियों का उन्नयन तथा पेपरलेस ऑनलाइन कार्यप्रणाली का विस्तार

  • शहरी भूमि मानचित्रण और GIS/रिमोट सेंसिंग आधारित पुनर्सर्वेक्षण

  • राजस्व न्यायालयों एवं भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं में सुधार

  • आपदा जोखिम प्रबंधन के सर्वोत्तम अभ्यास — भूमि उपयोग नियोजन और जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे पर केंद्रित

  • मानव संसाधन और क्षमता निर्माण में नवाचार

यह सम्मेलन केंद्र की प्रमुख योजनाओं जैसे डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) को आगे बढ़ाने और राज्यों के बीच संस्थागत समन्वय को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।

महत्व और प्रासंगिकता

यह सम्मेलन भारत की भूमि शासन प्रणाली में गहराई से जुड़े कई आयामों को संबोधित करता है —

  • भूमि अधिकार सुदृढ़ीकरण: घुमंतू जनजातियों को स्वामित्व कार्ड देकर औपचारिक भूमि स्वामित्व सुनिश्चित करना और विवादों को कम करना।

  • डिजिटल प्रशासन की दिशा में कदम: ILA सिस्टम और रेवेन्यू डायरी जैसी पहलों से पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही में वृद्धि।

  • आपदा प्रबंधन एकीकरण: भूमि उपयोग नियोजन में जलवायु और आपदा जोखिमों को समाहित करना।

  • राज्यों के बीच सहयोग: नवाचारों और सफल नीतिगत मॉडलों का आदान-प्रदान।

मुख्य तथ्य एक नज़र में

बिंदु विवरण
कार्यक्रम का नाम भूमि प्रशासन और आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन
स्थान महात्मा मंदिर, गांधीनगर
अवधि 3–4 अक्टूबर 2025
आयोजक भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय) एवं गुजरात राजस्व विभाग
मुख्य लॉन्च ILA सिस्टम, रेवेन्यू डायरी, स्वामित्व कार्ड वितरण
मुख्य उद्देश्य डिजिटलीकरण, संस्थागत सुधार, और आपदा-लचीला भूमि शासन

विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस 2025: थीम, इतिहास और महत्व

हर वर्ष 6 अक्टूबर को विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस (World Cerebral Palsy Day – WCPD) मनाया जाता है, ताकि सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy – CP) नामक न्यूरोलॉजिकल विकार के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके — जो बचपन में होने वाली सबसे आम शारीरिक विकलांगताओं में से एक है। यह दिन समावेशन, समानता और सशक्तिकरण के विचारों को बढ़ावा देता है, ताकि सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित व्यक्ति और उनके परिवार समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

2025 का विषय (Theme): “Unique and United” (अद्वितीय और एकजुट)
यह विषय दो मूल भावों पर आधारित है —

  • अद्वितीयता (Uniqueness) — प्रत्येक व्यक्ति में अपनी अलग क्षमताएँ, संभावनाएँ और ताकत होती हैं।

  • एकता (Unity) — समानता, सहानुभूति और सामूहिक प्रयासों से ही वास्तविक समावेशन संभव है।

यह थीम समाज से आग्रह करती है कि हम विविधता को पहचानें, बाधाएँ तोड़ें और एक ऐसे समावेशी वातावरण का निर्माण करें जहाँ सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित लोग गरिमा, पहुंच और अवसरों के साथ जीवन जी सकें।

सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy) क्या है?

सेरेब्रल पाल्सी एक तंत्रिका संबंधी विकार (neurological disorder) है, जो मस्तिष्क के असामान्य विकास या क्षति के कारण शरीर की गति, मुद्रा (posture) और मांसपेशियों के समन्वय (coordination) को प्रभावित करता है।

  • यह आमतौर पर जन्म से पहले, जन्म के दौरान या जन्म के तुरंत बाद होती है।

  • यह जीवनभर रहने वाली स्थिति है, लेकिन समय के साथ और गंभीर नहीं होती

  • इसके लक्षण और गंभीरता व्यक्ति-व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं — कुछ में हल्की मोटर कठिनाइयाँ होती हैं, जबकि कुछ को गहरी शारीरिक अक्षमता का सामना करना पड़ता है।

मुख्य कारण और जोखिम कारक 

  • गर्भावस्था या शैशवावस्था में मस्तिष्क को चोट या क्षति

  • समय से पहले जन्म (Premature birth) या कम जन्म वजन

  • मातृ संक्रमण — जैसे जर्मन खसरा (Rubella) या साइटोमेगालोवायरस (CMV)

  • Rh असंगति (Rh incompatibility) — माँ और भ्रूण के रक्त समूहों में असमानता

  • जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी (Birth asphyxia)

मुख्य लक्षण 

  • मोटर विकास में देरी (बैठने, रेंगने या चलने में देर)

  • मांसपेशियों में कठोरता या ढीलापन

  • समन्वय और संतुलन में कठिनाई

  • बोलने या निगलने में समस्या

  • दृष्टि या श्रवण से संबंधित कठिनाइयाँ

वैश्विक और भारतीय आँकड़े 

Cerebral Palsy Alliance Research Foundation (CPARF) के अनुसार:

  • विश्वभर में लगभग 1.7 करोड़ (17 million) लोग सेरेब्रल पाल्सी के साथ जीवन जी रहे हैं।

  • लगभग 350 मिलियन लोग ऐसे हैं जो किसी न किसी रूप में CP से प्रभावित व्यक्ति से जुड़े हैं।

  • भारत में इसकी घटनाएं लगभग 1,000 जीवित जन्मों पर 3 हैं।

  • भारत में 15–20% शारीरिक रूप से विकलांग बच्चे सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित हैं।

सहवर्ती समस्याएँ 

स्थिति अनुपात
बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability) 1 में से 2
सीमित या बिना चलने की क्षमता 1 में से 3
भाषण या मूत्राशय संबंधित कठिनाई 1 में से 4
दीर्घकालिक दर्द (Chronic Pain) 3 में से 4
दृष्टि में गंभीर समस्या 1 में से 10

इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि सेरेब्रल पाल्सी का प्रभाव केवल शारीरिक गतिशीलता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।

विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस का महत्व 

यह दिवस कई स्तरों पर जागरूकता और बदलाव को प्रोत्साहित करता है —

  • प्रारंभिक पहचान, उपचार और पुनर्वास की जानकारी बढ़ाना

  • शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार में समावेशी नीतियों की वकालत करना

  • शारीरिक एवं न्यूरोलॉजिकल विकलांगता से जुड़े कलंक को समाप्त करना

  • वैज्ञानिक अनुसंधान और पुनर्वास तकनीकों को प्रोत्साहित करना

  • अभियानों, कार्यशालाओं और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से सहानुभूति और एकजुटता बढ़ाना

चक्रवात शक्ति: अरब सागर में तूफान और महाराष्ट्र पर प्रभाव

अक्टूबर 2025 में अरब सागर में बना चक्रवात “शक्ति” भारत के पश्चिमी तट पर बढ़ते उष्णकटिबंधीय तूफानों की चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है। भले ही यह चक्रवात सीधे स्थलभाग से टकराने (landfall) की संभावना नहीं रखता, लेकिन इसके विकास ने महाराष्ट्र और गुजरात में सतर्कता बढ़ा दी है। यह चक्रवात इस बात की स्पष्ट झलक देता है कि जलवायु परिवर्तन कैसे अरब सागर की मौसम प्रणालियों को नया रूप दे रहा है — जिससे आपदा प्रबंधन और पर्यावरणीय योजना दोनों पर दूरगामी असर पड़ेगा।

चक्रवात शक्ति कैसे बना 

  • यह चक्रवात अरब सागर के पूर्व-मध्य भाग में बना, जहाँ समुद्र की सतही तापमान सीमा 27°C से अधिक थी — जो उष्णकटिबंधीय चक्रवात बनने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है।

  • कम ऊर्ध्वाधर पवन कतरन (low wind shear), पर्याप्त नमी और ऊपरी वायुमंडल में अच्छा अपवाह (outflow) होने से यह तंत्र तेजी से तीव्र हुआ।

  • इन अनुकूल परिस्थितियों ने इसे “Severe Cyclonic Storm” (गंभीर चक्रवाती तूफान) के स्तर तक पहुँचा दिया, जिसकी हवा की गति 89 किमी/घंटा से अधिक रही।

नामकरण 

  • शक्ति (Shakti)” नाम का अर्थ है “शक्ति या ऊर्जा”, जिसे श्रीलंका ने विश्व मौसम संगठन (WMO)/ESCAP पैनल के तहत प्रस्तावित किया था।

  • इस नामकरण प्रणाली में 13 देश शामिल हैं, जो उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में बनने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं।

  • नामकरण का उद्देश्य जनता में जागरूकता बढ़ाना और आपात स्थिति में संचार को आसान बनाना है।

वर्गीकरण और तीव्रता 

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) चक्रवातों को हवा की गति के आधार पर वर्गीकृत करता है।

  • Cyclone Shakti को “Severe Cyclonic Storm (गंभीर चक्रवाती तूफान)” श्रेणी में रखा गया है — जिसकी सतत वायु गति 89–117 किमी/घंटा होती है।

  • इससे ऊपर की श्रेणियाँ हैं —

    • Very Severe Cyclonic Storm (अत्यंत गंभीर चक्रवात)

    • Extremely Severe Cyclonic Storm (अत्यधिक गंभीर चक्रवात)

    • Super Cyclone (सुपर चक्रवात)

  • यह वर्गीकरण आपदा प्रबंधन एजेंसियों को संभावित क्षति का अनुमान लगाने और बचाव कार्यों की योजना बनाने में मदद करता है।

भौगोलिक स्थिति 

  • 4 अक्टूबर 2025 तक, Cyclone Shakti द्वारका (गुजरात) से लगभग 420 किमी दूर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित था और 18 किमी/घंटा की गति से आगे बढ़ रहा था।

  • इसके भारत से टकराने की संभावना नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र के कोकण तट, विशेषकर मुंबई, ठाणे, पालघर और रायगढ़ में इसके बाहरी प्रभाव देखे जा रहे हैं।

  • IMD ने इन क्षेत्रों में मध्यम से भारी वर्षा, तेज़ हवाओं और समुद्र में ऊँची लहरों की चेतावनी जारी की है।

अरब सागर में बढ़ती चक्रवाती गतिविधियाँ 

पहले की तुलना में अरब सागर में अब अधिक शक्तिशाली चक्रवात बनने लगे हैं —

  • 2001 से 2019 के बीच अरब सागर में गंभीर चक्रवातों की संख्या 52% तक बढ़ी

  • समुद्र का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे चक्रवात बनने की संभावना भी बढ़ जाती है।

  • Indian Ocean Dipole (IOD) जैसे समुद्री घटनाक्रम भी चक्रवात की तीव्रता और दिशा को प्रभावित करते हैं।

  • यह प्रवृत्ति बताती है कि आने वाले वर्षों में महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात जैसे पश्चिमी तटीय राज्य चक्रवातीय जोखिमों का अधिक सामना कर सकते हैं।

स्थिर तथ्य 

बिंदु विवरण
चक्रवात का नाम शक्ति (Shakti)
नाम प्रस्तावित देश श्रीलंका
चक्रवात मौसम (Arabian Sea) अप्रैल से दिसंबर (मुख्यतः मई और अक्टूबर–नवंबर)
न्यूनतम तापमान आवश्यकता 26.5°C – 27°C
वर्गीकरण संस्था भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
नामकरण संस्था WMO/ESCAP Panel on Tropical Cyclones
वर्तमान श्रेणी Severe Cyclonic Storm
वायु गति 89–117 किमी/घंटा

ऑस्ट्रेलिया ने शुरुआती चरण के उपयोग के लिए अल्जाइमर ड्रग लेकेनमैब को मंजूरी दी

डिमेंशिया देखभाल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, ऑस्ट्रेलिया की Therapeutic Goods Administration (TGA) ने लेकेनेमैब (Lecanemab) को शुरुआती चरण के अल्ज़ाइमर रोग के उपचार के लिए मंज़ूरी दे दी है। सितंबर 2025 में लिया गया यह निर्णय ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते अल्ज़ाइमर मामलों के बीच आया है — जो अब देश में मृत्यु का प्रमुख कारण बन चुका है। लेकेनेमैब इस बीमारी को संशोधित (disease-modifying) करने वाली केवल दूसरी दवा है जिसे ऑस्ट्रेलिया में नियामक स्वीकृति मिली है। हालांकि यह रोगियों के लिए आशा की किरण है, लेकिन लागत, उपलब्धता और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ भी उठी हैं।

लेकेनेमैब कैसे काम करती है

  • यह एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी है जो एमाइलॉयड-बीटा (amyloid-beta) प्लाक्स को निशाना बनाती है — जो अल्ज़ाइमर रोग की मुख्य पहचान मानी जाती है।

  • ये प्लाक्स तब बनते हैं जब असामान्य प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच जमा होकर उनकी संचार प्रणाली को बाधित करते हैं।

  • लेकेनेमैब घुलनशील एमाइलॉयड प्रोटोफाइब्रिल्स से जुड़कर प्रतिरक्षा प्रणाली को उन्हें साफ करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे रोग की प्रगति धीमी पड़ती है — विशेषकर हल्के संज्ञानात्मक ह्रास (mild cognitive impairment) या माइल्ड डिमेंशिया वाले मरीजों में।

क्लिनिकल परिणाम और प्रभावशीलता

18 महीनों के एक फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल (1,795 प्रतिभागी) में दवा ने प्रभावी परिणाम दिखाए —

  • 27–30% तक धीमा संज्ञानात्मक पतन (placebo की तुलना में)

  • 5–6 महीने तक रोग की प्रगति में विलंब

  • ब्रेन स्कैन में एमाइलॉयड प्लाक में निरंतर कमी

हालांकि, यह दवा लक्षणों को उलट नहीं सकती और न ही रोग को पूरी तरह रोक सकती है। इसका मुख्य लाभ केवल शुरुआती चरणों में याददाश्त ह्रास को धीमा करने में है।

सुरक्षा चिंताएँ और MRI निगरानी

TGA ने दवा की स्वीकृति कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल्स के साथ दी है, क्योंकि इससे मस्तिष्क सूजन (ARIA-E) और सूक्ष्म रक्तस्राव (ARIA-H) का खतरा रहता है —

  • 12.6% मरीजों में मस्तिष्क में सूजन देखी गई

  • जिन मरीजों में APOE ε4 जीन की दो प्रतियाँ थीं, उनमें यह जोखिम 32.6% तक बढ़ गया

  • दुष्प्रभाव: सिरदर्द, चक्कर, धुंधला दिखना, और दुर्लभ मामलों में गंभीर रक्तस्राव

  • मरीजों को हर तीन महीने में MRI स्कैन कराना अनिवार्य होगा

इसी कारण, TGA ने यह दवा केवल उन रोगियों के लिए स्वीकृत की है जो APOE ε4 जीन के गैर-वाहक (non-carriers) या heterozygotes हैं।

लागत और उपलब्धता

लेकेनेमैब की ऊँची कीमत इसे आम मरीजों की पहुँच से दूर बनाती है —

  • लागत: लगभग A$40,000 प्रति वर्ष

  • अतिरिक्त खर्च: बार-बार MRI स्कैन, चिकित्सक परामर्श, और इन्फ्यूजन फीस

  • अभी यह Pharmaceutical Benefits Scheme (PBS) के तहत सब्सिडी में शामिल नहीं है

  • Pharmaceutical Benefits Advisory Committee (PBAC) इस पर समीक्षा कर रही है

  • फिलहाल, यह उपचार केवल विशेषज्ञ मेमोरी क्लीनिकों और चुनिंदा केंद्रों में ही उपलब्ध रहेगा।

कौन लेकेनेमैब से लाभान्वित हो सकता है

योग्य मरीज:

  • शुरुआती चरण के अल्ज़ाइमर (माइल्ड कॉग्निटिव इंपेयरमेंट या माइल्ड डिमेंशिया)

  • एमाइलॉयड प्लाक्स की पुष्टि (PET स्कैन या CSF टेस्टिंग से)

  • APOE ε4 जीन के गैर-वाहक या heterozygotes

अनुशंसित नहीं:

  • उन्नत अल्ज़ाइमर वाले मरीज

  • अन्य प्रकार के डिमेंशिया (जैसे वैस्कुलर या लुई बॉडी)

  • रक्त-पतला करने वाली दवाएँ (blood thinners) लेने वाले मरीज

इस दवा के उपयोग के लिए शुरुआती पहचान, मेमोरी टेस्टिंग, और जीन परीक्षण बेहद आवश्यक होंगे ताकि योग्य मरीजों की पहचान की जा सके।

सारांश:

लेकेनेमैब (Leqembi) की मंज़ूरी अल्ज़ाइमर के इलाज में एक वैज्ञानिक मील का पत्थर है। यह रोग की गति को धीमा करने में मदद कर सकती है, पर इसके उच्च खर्च, सुरक्षा जोखिम और सीमित पात्रता इसे फिलहाल एक चुनिंदा उपचार बनाते हैं।

Recent Posts

about | - Part 80_12.1