जुलाई में GST संग्रह 10.3% बढ़कर 1.82 लाख करोड़ पर पहुंचा

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देश का सकल वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जुलाई में 10.3 प्रतिशत बढ़कर 1.82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में जीएसटी का कुल रिफंड 16,283 करोड़ रुपये रहा। रिफंड के बाद शुद्ध वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) संग्रह का आंकड़ा 14.4 प्रतिशत बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपये रहा।

आंकड़ों के अनुसार जुलाई में ग्रॉस जीएसटी रेवेन्यू (Gross GST Revenue) 1,82,075 करोड़ रुपये रहा। इसमें 32,386 करोड़ रुपये का केंद्रीय जीएसटी, 40,289 करोड़ रुपये का राज्य जीएसटी और 96,447 करोड़ रुपये का एकीकृत जीएसटी शामिल है। मुआवजा उपकर कलेक्शन 12,953 करोड़ रुपये रहा.जीएसटी राजस्व में बढ़ोतरी घरेलू गतिविधियों से संचालित रही।

अप्रैल, 2024 में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन

अप्रैल, 2024 में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था। उसके पहले अप्रैल, 2023 में अप्रत्यक्ष कर कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस तरह जुलाई 1.82 लाख करोड़ रुपये के साथ तीसरा सर्वाधिक कलेक्शन है। चालू वित्त वर्ष में अबतक कुल कर कलेक्शन 10.2 प्रतिशत बढ़कर लगभग 7.39 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

आर्थिक प्रभाव और लाभ

सकारात्मक प्रक्षेपवक्र: जीएसटी संग्रह में वृद्धि मजबूत घरेलू मांग और आयात गतिविधियों को दर्शाती है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक सुधार में योगदान देती है।

उपभोक्ता बचत: हाल ही में जीएसटी दर समायोजन ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम कर दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को मासिक घरेलू खर्चों पर लगभग 4% की बचत हुई है।

जीएसटी कार्यान्वयन और प्रभाव

परिचय: 1 जुलाई, 2017 को लागू किए गए जीएसटी ने खंडित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को प्रतिस्थापित किया, कर अनुपालन को सरल बनाया और कर के बढ़ते प्रभावों को कम किया।

जीएसटी परिषद की भूमिका

संरचना: केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से मिलकर बनी जीएसटी परिषद जीएसटी ढांचे की देखरेख करती है और कर प्रशासन के मुद्दों को संबोधित करती है।

भारत और वियतनाम ने लोथल में समुद्री विरासत परिसर पर साझेदारी की

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भारत और वियतनाम, दो ऐसे देश जिनका समुद्री इतिहास समृद्ध और आपस में जुड़ा हुआ है, गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) विकसित करने के लिए एक साथ आये हैं। सदियों पुराने समुद्री संबंधों पर आधारित यह साझेदारी दोनों देशों के बीच स्थायी बंधन और साझा विरासत को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह की उपस्थिति में नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में भारत और वियतनाम के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता ज्ञापन एनएमएचसी को स्वरुप देने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।

उद्देश्य

एनएमएचसी पर सहयोग के तहत, दोनों देशों की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से विभिन्न पहलू शामिल किये जायेंगे। यह परिसर भारत और वियतनाम के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर देगा, जो उनके साझा समुद्री इतिहास की निकटता और लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को उजागर करेगा।

अन्य पुरावशेषों के आदान-प्रदान

दोनों देश अपने समुद्री इतिहास से संबंधित कलाकृतियों, प्रतिकृतियों, चित्रों, अभिलेखीय डेटा और अन्य पुरावशेषों के आदान-प्रदान और ऋण देने के आधार पर मिलकर काम करेंगे। कलाकृतियों के आदान-प्रदान के अलावा, यह सहयोग डिजाइन, तकनीकी कार्यान्वयन और रखरखाव में विशेषज्ञता साझा करने तक विस्तारित होगा। इसका उद्देश्य एनएमएचसी को एक शैक्षिक और मनोरंजक स्थान बनाना है, जो नवीनतम तकनीक का उपयोग करता है।

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा

वियतनाम और भारत समुद्री विरासत पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने, डिजाइन की जानकारी साझा करने और एक समुद्री विरासत और संरक्षण प्रयोगशाला विकसित करने में भी सहयोग करेंगे। एनएमएचसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान, अनुसंधान और सीखने के लिए एक केंद्र-बिंदु के रूप में काम करेगा, जिसमें शैक्षिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों पर ज़ोर दिया जाएगा। यह पहल, न केवल भारत और वियतनाम के समृद्ध समुद्री इतिहास को संरक्षित करेगी, बल्कि दोनों देशों के बीच बेहतर समझ और सहयोग को बढ़ावा देगी, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।

400 एकड़ ज़मीन आवंटित

गुजरात सरकार ने एनएमएचसी के लिए सरगवाला गाँव में 400 एकड़ ज़मीन आवंटित की है और परियोजना के लिए बाहरी अवसंरचना का विकास भी किया है।

चरण 1ए का निर्माण कार्य

चरण 1ए का निर्माण कार्य जोरों पर है और 55% से अधिक भौतिक प्रगति पहले ही हासिल की जा चुकी है। अगले साल परियोजना को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। समुद्री परिसर में दुनिया के सबसे ऊंचे लाइटहाउस संग्रहालयों में से एक, दुनिया की सबसे बड़ी खुली जलीय गैलरी और भारत का सबसे भव्य समुद्री संग्रहालय होगा, जो इसे एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनाएगा।

भारत की समुद्री विरासत

मार्च 2022 में शुरू हुई इस परियोजना को लगभग 4500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है और इसमें कई नवीन और अनूठी विशेषताएं शामिल होंगी। इनमें हड़प्पा वास्तुकला और जीवन शैली के अनुभव के लिए लोथल मिनी मनोरंजन, चार थीम पार्क (स्मृति थीम पार्क, समुद्री थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क तथा साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क) एवं हड़प्पा काल से लेकर आज तक की भारत की समुद्री विरासत को उजागर करने वाली चौदह गैलरी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक तटीय राज्य मंडप भी होगा।

नेल्सन मंडेला से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को मिला यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा

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दक्षिण अफ्रीका के महान पुरुषों में से एक और मुक्ति संग्राम के प्रणेता नेल्सन मंडेला से जुड़े तमाम ऐतिहासिक स्थल अब यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हो गए हैं। भारत में आयोजित 46वें सत्र के दौरान जैसे ही इसकी घोषणा विश्व धरोहर समिति ने की, इसके बाद दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल के तमाम सदस्य जश्न मनाने लगे।

बता दें कि अफ्रीकी देश ने ‘मानवाधिकार, मुक्ति संग्राम और सुलह: नेल्सन मंडेला विरासत स्थल’ नाम से नामांकन प्रस्तुत किया। जिसका इटली, दक्षिण कोरिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, जापान समेत कई राज्य दलों ने नामांकन का समर्थन किया। वहीं इस पर टिप्पणी करते हुए एक जापानी प्रतिनिधि ने कहा कि ये स्थल सभी मानव जाति के लिए असाधारण महत्व रखते हैं।

मंडेला ने दशकों तक श्वेत अल्पसंख्यक रंगभेद शासनकाल वाले दक्षिण अफ्रीका में 27 वर्ष तक राजनीतिक कैदी के रूप में जेल की सजा काटी थी और इसके बाद वह देश के लोकतांत्रिक रूप से पहले निर्वाचित राष्ट्रपति बने।

इसमें कहा गया है, ‘‘ये 14 घटक मानव अधिकारों, मुक्ति और सुलह की विजय में मजबूत स्मृतियों और विश्वासों का उदाहरण हैं।’’ इसमें देश, इसके इतिहास और समृद्ध विरासत को दिए गए सम्मान के लिए यूनेस्को को धन्यवाद दिया गया है।

इन स्थलों में प्रिटोरिया में यूनियन बिल्डिंग्स शामिल हैं, जहां मंडेला ने पहली बार कार्यालय संभाला था और जोहानिसबर्ग में कांस्टीट्यूशन हिल, दक्षिण अफ्रीका के सर्वोच्च न्यायिक कार्यालय का मुख्यालय है, जो कभी कुख्यात फोर्ट जेल हुआ करता था। यहां मंडेला और उनसे पहले महात्मा गांधी दोनों को कैद किया गया था।

यूनियन बिल्डिंग विश्व धरोहर सूची में शामिल क्रेमलिन, कासुबी टॉम्ब्स, ताज महल, वेटिकन और अन्य वैश्विक स्थलों में शामिल हो गई है। बयान में कहा गया है कि इन दो क्रमिक संपत्तियों के शामिल होने से दक्षिण अफ्रीका की विश्व धरोहर स्थलों की सूची बढ़कर 12 हो गई है।

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को आईआईटी-खड़गपुर ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया

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गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। इसके बाद वह पढ़ने के लिए अमेरिका गए और फिर गूगल में नौकरी करने लगे। अपनी काबिलियत के दम पर धीरे-धीरे वह गूगल के सर्वोच्च पद पर पहुंच गए। हाल ही में आईआईटी खड़गपुर ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया है। इसके साथ ही वह अब डॉक्टर सुंदर पिचाई बन गए हैं। उनकी पत्नी अंजली पिचाई को भी आईआईटी से सम्मान दिया गया है।

सुंदर पिचाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने इस सम्मान के लिए आईआईटी खड़गपुर को धन्यवाद दिया है। मानद डिग्री उस व्यक्ति को दी जाती है, जिसने शिक्षा या समाज के हित में उल्लेखनीय काम किया हो। सुंदर पिचाई ने लिखा कि मेरे मां-बाप हमेशा से चाहते थे कि मैं डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करूं। अब पिछले हफ्ते मैंने इसे भी हासिल कर लिया है। मुझे लगता है मानद डिग्री से भी मेरे मां-बाप संतुष्ट हो जाएंगे।

गूगल के सीईओ ने क्या लिखा?

गूगल के सीईओ ने लिखा कि आईआईटी ने मुझे गूगल तक का रास्ता दिखाया। साथ ही इस संस्थान ने हमेशा ही लोगों तक टेक्नोलॉजी की आसान पहुंच बनाने की दिशा में काम किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उत्थान में भी आईआईटी ने अहम भूमिका निभाई है। उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री दी गई है। उनकी पत्नी अंजली पिचई को प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार दिया गया है। इन दोनों को यह सम्मान सेन फ्रांसिस्को में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिए गए।

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक बना

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भारत ने कई प्रमुख खनिजों में प्रभावशाली रैंकिंग के साथ खनिज उत्पादन में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक, तीसरा सबसे बड़ा चूना उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क और चूना पत्थर के उत्पादन में निरंतर वृद्धि उपयोगकर्ता उद्योगों जैसे इस्पात और सीमेंट में मजबूत मांग की स्थिति को दर्शाती है। एल्युमीनियम में वृद्धि के साथ, ये विकास रुझान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निर्माण, ऑटोमोटिव और मशीनरी जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में निरंतर सुदृढ़ आर्थिक गतिविधि की ओर संकेत करते हैं।

वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन

वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन स्तर पर पहुंचने के बाद, देश में लौह अयस्क और चूना पत्थर जैसे प्रमुख खनिजों के उत्पादन में वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में उल्लेखनीय वृद्धि जारी रही है। मूल्य के आधार पर कुल एमसीडीआर खनिज उत्पादन में लौह अयस्क और चूना पत्थर का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2023-24 में इन महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन के आंकड़े इस प्रकार थे:

  • वित्त वर्ष 2023-24 में लौह अयस्क का उत्पादन 275 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी)
  • वित्त वर्ष 2023-24 में चूना पत्थर का उत्पादन 450 एमएमटी

ये आंकड़े न केवल भारत के खनिज क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्शाते हैं, बल्कि इन कच्चे मालों पर निर्भर विभिन्न उद्योगों की मजबूत मांग को भी इंगित करते हैं।

लौह अयस्क का उत्पादन

लौह अयस्क का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-जून) में 72 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जून) में 79 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) हो गया है, जो 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

चूना पत्थर का उत्पादन

चूना पत्थर का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-जून) में 114 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जून) में 116 एमएमटी हो गया है, जो 1.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

मैंगनीज अयस्क का उत्पादन

मैंगनीज अयस्क का उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जून) में 11 प्रतिशत बढ़कर 1.0 एमएमटी हो गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 0.9 एमएमटी था।

अलौह धातु क्षेत्र में

अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, अलौह धातु क्षेत्र में, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जून) में प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-जून) में 10.28 लाख टन (एलटी) थी, जो वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जून) में बढ़कर 10.43 लाख टन हो गया।

भारत और WHO ने वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र हेतु ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर

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भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 31 जुलाई, 2024 को जिनेवा में डब्ल्यूएचओ मुख्यालय में आयोजित एक हस्ताक्षर समारोह में एक दाता समझौते (डोनर एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते, जो गुजरात के जामनगर में स्थित डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी) की गतिविधियों को लागू करने के वित्तीय शर्तों की रूपरेखा तैयार करता है, पर क्रमशः आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ की ओर से संयुक्त राष्ट्र, जिनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि महामहिम अरिंदम बागची और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एंड लाइफ कोर्स के सहायक महानिदेशक डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने हस्ताक्षर किए।

आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए। इस कार्यक्रम का संचालन डब्ल्यूएचओ जीटीएमसी की ए.आई. निदेशक डॉ. श्यामा कुरुविला ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का प्रतिनिधित्व करने वाली शेफ डी कैबिनेट डॉ. रजिया पेंडसे ने किया।

85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान

इस सहयोग के माध्यम से, भारत गणराज्य की सरकार भारत के गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी) के संचालन का समर्थन करने के लिए 10 वर्षों (2022-2032) की अवधि में 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान देगी।

उद्देश्य

यह दाता समझौता (डोनर एग्रीमेंट) लोगों और धरती के स्वास्थ्य एवं कल्याण को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से साक्ष्य-आधारित पारंपरिक पूरक एवं एकीकृत चिकित्सा (टीसीआईएम) के लिए एक प्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना को मान्यता देता है।

समझौते पर हस्ताक्षर

केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ 25 मार्च, 2022 को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच एक मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना को दुनिया भर में पारंपरिक दवा के पहले और एकमात्र वैश्विक आउट-पोस्ट सेंटर (कार्यालय) के रूप में चिन्हित करता है।

वेब-आधारित प्रशिक्षण शामिल

डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी का अंतरिम कार्यालय में कामकाज पहले से ही शुरू है, जो अपने उद्देश्यों के लिए प्रासंगिक क्षमता-निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। इन कार्यक्रमों में डब्ल्यूएचओ अकादमी और अन्य रणनीतिक भागीदारों के साथ साझेदारी में परिसर-आधारित, आवासीय या वेब-आधारित प्रशिक्षण शामिल होगा।

डब्ल्यूएचओ के साथ सहयोग

आयुष मंत्रालय ने विभिन्न मोर्चों पर डब्ल्यूएचओ के साथ सहयोग किया है, जिसमें आयुर्वेद, यूनानी एवं सिद्ध प्रणालियों में प्रशिक्षण व अभ्यास के लिए मानक दस्तावेजों का विकास, इन प्रणालियों के लिए डब्ल्यूएचओ शब्दावली का निर्माण, रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण-11 के पारंपरिक चिकित्सा अध्याय में दूसरे मॉड्यूल की शुरूआत, एम-योग जैसे ऐप का विकास और इंटरनेशनल फार्माकोपिया ऑफ हर्बल मेडिसिन (आईपीएचएम) के लिए समर्थन शामिल है। डब्ल्यूएचओ जीटीएमसी सहित ये सहयोगी प्रयास, पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में भारत की मदद करेंगे।

सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता

आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ के संयुक्त प्रयासों से न केवल भारत को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे में भी योगदान मिलेगा और इससे पारंपरिक चिकित्सा के जरिए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत होगी।

IPEF ने भारत को आपूर्ति श्रृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना

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भारत को इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) के तहत सप्लाई चेन काउंसिल का उपाध्यक्ष चुना गया है। यह नियुक्ति इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। यह चुनाव, आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन पर एक बड़े समझौते का हिस्सा है, जो क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला नीतियों को आकार देने में भारत को 13 अन्य आईपीईएफ भागीदारों के साथ स्थापित करता है।

प्रमुख निकाय और नेतृत्व

आईपीईएफ समझौते के तहत तीन प्रमुख आपूर्ति श्रृंखला निकायों की स्थापना की गई है:

  • आपूर्ति श्रृंखला परिषद: यूएसए (अध्यक्ष), भारत (उपाध्यक्ष)
  • संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क: कोरिया गणराज्य (अध्यक्ष), जापान (उपाध्यक्ष)
  • श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड: यूएसए (अध्यक्ष), फिजी (उपाध्यक्ष)

प्रत्येक निकाय दो वर्ष के कार्यकाल के लिए निर्वाचित अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के साथ काम करेगा।

उद्देश्य और आगामी बैठकें

सप्लाई चेन काउंसिल ने संदर्भ की शर्तें अपना ली हैं और सितंबर 2024 में वाशिंगटन, डी.सी. में होने वाली अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक में प्रारंभिक प्राथमिकताओं का पता लगाएगी। क्राइसिस रिस्पांस नेटवर्क एक टेबलटॉप अभ्यास आयोजित करेगा और सप्लाई चेन समिट के साथ-साथ अपनी उद्घाटन बैठक की योजना बनाएगा। श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड का लक्ष्य IPEF आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम अधिकारों को बढ़ाना है।

समझौते के लाभ

IPEF समझौते का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला झटकों से होने वाले आर्थिक व्यवधानों को कम करना और संकट समन्वय में सुधार करना है। यह भारत सहित सदस्य देशों को चीन पर निर्भरता कम करने और संभावित आपूर्ति व्यवधानों पर समय पर अपडेट प्रदान करने में मदद करेगा। परिषद राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करती है।

IPEF समीक्षा

23 मई, 2022 को टोक्यो में लॉन्च किए गए आईपीईएफ में 14 सदस्य शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका। इस ढांचे में चार स्तंभ शामिल हैं: व्यापार (स्तंभ I), आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (स्तंभ II), स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III) और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (स्तंभ IV)। भारत स्तंभ II से IV में भाग लेता है और स्तंभ I में पर्यवेक्षक का दर्जा रखता है।

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प्रधानमंत्री को गिर और एशियाई शेरों पर परिमल नाथवानी की पुस्तक प्राप्त हुई

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राज्यसभा सांसद परिमल नाथवानी ने 31 जुलाई को प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित एक छोटे से पारिवारिक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी नई पुस्तक ‘कॉल ऑफ द गिर’ की पहली प्रति भेंट की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवानी द्वारा लिखित पुस्तक ‘कॉल ऑफ द गिर’ की सराहना की है।

पीएम को समर्पित क्यों?

नाथवानी ने यह पुस्तक प्रधानमंत्री मोदी को ‘प्रोजेक्ट लॉयन और लॉयन@2047: विजन फॉर अमृत काल’ के पीछे दूरदर्शी होने के लिए समर्पित की। पुस्तक में प्रधानमंत्री का एक संदेश भी है। नाथवानी के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान, मोदी ने गिर में पर्यटन की स्थिति के बारे में जानकारी ली और गिर में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि गिर अभयारण्य की परिधि के आसपास वनरोपण समय की मांग है।

इस किताब के बारे में

‘कॉल ऑफ़ द गिर’ नाथवानी की दूसरी ऐसी कॉफ़ी-टेबल बुक है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध प्रकाशक क्विग्नॉग ने प्रकाशित किया है। इससे पहले 2017 में उन्होंने ‘गिर लायंस: प्राइड ऑफ़ गुजरात’ लिखी थी, जिसे टाइम्स ग्रुप बुक्स (TGB) ने प्रकाशित किया था। यह किताब गिर के परिदृश्यों पर आधारित है, जो एशियाई शेरों के लिए जाने जाते हैं। संरक्षण प्रयासों की तात्कालिकता को उजागर करने के लिए पुस्तक में जीवंत फोटोग्राफी और आख्यानों का संयोजन किया गया है।

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ICG ने प्रशिक्षण प्रोटोकॉल को बढ़ाने के लिए ‘सुविधा सॉफ्टवेयर संस्करण 1.0’ लॉन्च किया

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भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 30 जुलाई, 2024 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित ‘वार्षिक परिचालन समुद्री प्रशिक्षण सम्मेलन’ के उद्घाटन के दौरान अपने नए ‘सुविधा सॉफ्टवेयर संस्करण 1.0’ का अनावरण किया। इस उन्नत सॉफ्टवेयर का उद्देश्य प्रशिक्षण प्रोटोकॉल में सुधार करना और सभी आईसीजी प्लेटफार्मों पर एकरूपता बनाए रखना है।

मुख्य भाषण

उप महानिदेशक (समुद्री प्रशिक्षण) महानिरीक्षक अनुपम राय ने अपने मुख्य भाषण के दौरान आईसीजी के भीतर उत्कृष्टता और अनुकूलनशीलता की संस्कृति विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन हाइलाइट्स

सम्मेलन में विभिन्न आईसीजी क्षेत्रों के वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्रिय भागीदारी की। इसमें जटिल अभियानों के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया गया, सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया, और उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतियों के संरेखण की सुविधा प्रदान की गई।

उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्धता

इस कार्यक्रम में आईसीजी के नवाचार और परिचालन प्रशिक्षण उत्कृष्टता के प्रति समर्पण को प्रदर्शित किया गया, तथा समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को आगे बढ़ाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया गया।

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शिक्षा मंत्री ने NATS 2.0 का किया शुभारंभ

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय प्रशिक्षुता एवं प्रशिक्षण योजना (NATS) 2.0 पोर्टल लॉन्च किया है और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रशिक्षुओं को 100 करोड़ रुपये का वजीफा वितरित किया है। इस पहल का उद्देश्य आईटी, विनिर्माण और ऑटोमोबाइल सहित विभिन्न क्षेत्रों में युवा स्नातकों और डिप्लोमा धारकों के लिए रोजगार कौशल को बढ़ाना है।

NATS 2.0 की मुख्य विशेषताएं

  • पोर्टल लॉन्च: NATS 2.0 पोर्टल को प्रशिक्षुता के अवसरों को सरल बनाने, लाभार्थियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए पंजीकरण और आवेदन प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • वजीफा वितरण: 100 करोड़ रुपये की राशि के वजीफे को डीबीटी प्रणाली के माध्यम से सीधे प्रशिक्षुओं के बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाता है, जिससे समय पर, कुशल और पारदर्शी वितरण सुनिश्चित होता है।
  • कौशल विकास: पोर्टल युवा व्यक्तियों को रोजगार कौशल हासिल करने में सहायता करता है और गारंटीकृत मासिक वजीफा प्रदान करता है।

मंत्री जी की अपील और उद्देश्य

  • व्यापक पहुंच: केंद्रीय मंत्री ने शिक्षण संस्थानों और उद्योगों से प्रशिक्षुता के अवसरों को अधिकतम करने के लिए NATS 2.0 पोर्टल में भाग लेने का आग्रह किया।
  • एनईपी 2020 के साथ संरेखण: यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ संरेखित है, जो व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत करने पर जोर देती है, जिससे छात्रों के लिए ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज गतिशीलता की सुविधा मिलती है।
  • एईडीपी के लिए दिशानिर्देश: एनईपी 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप यूजीसी और एआईसीटीई द्वारा अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (एईडीपी) के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

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