नीरज पारख को रिलायंस पावर का सीईओ और कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया

रिलायंस पावर लिमिटेड ने 20 जनवरी, 2025 से तीन साल के कार्यकाल के लिए, शेयरधारकों की मंजूरी के अधीन, नीरज पारख को अपना कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है।

पेशेवर पृष्ठभूमि और योगदान

पारख के पास 29 साल से ज़्यादा का पेशेवर अनुभव है, जिसमें से 20 साल से ज़्यादा उन्होंने रिलायंस समूह को समर्पित किए हैं। उन्होंने जून 2004 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में सेंट्रल टेक्निकल सर्विसेज़ टीम में अतिरिक्त प्रबंधक के रूप में अपना कार्यकाल शुरू किया था। अपने पूरे करियर के दौरान, उन्होंने नियोजन, परियोजना निगरानी, ​​तकनीकी सेवाओं, संचालन, रखरखाव, खरीद और अप्रत्यक्ष कराधान में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। उनके नेतृत्व ने बड़े पैमाने की परियोजनाओं के सफल निष्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें शामिल हैं:

  • थर्मल पावर प्रोजेक्ट: यमुना नगर, हिसार, रोजा, सासन और बुटीबोरी।
  • नवीकरणीय ऊर्जा उद्यम: सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) और केंद्रित सौर ऊर्जा (सीएसपी) परियोजनाएँ।
  • ये पहल सामूहिक रूप से ₹50,000 करोड़ के पूंजी निवेश के साथ 10 गीगावाट से ज़्यादा बिजली उत्पादन में योगदान देती हैं।

शैक्षिक योग्यता

पाराख ने यशवंतराव चव्हाण कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (YCCE), नागपुर (1993) से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री और वेलिंगकर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, मुंबई (1996) से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) में मास्टर डिग्री प्राप्त की है।

रणनीतिक पहल और नेतृत्व

पाराख ने निम्नलिखित में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:

प्रौद्योगिकी चयन: परियोजनाओं में उन्नत और कुशल प्रौद्योगिकियों को अपनाना सुनिश्चित करना।

विक्रेता स्थानीयकरण: स्थानीय विक्रेताओं के एक मजबूत नेटवर्क को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता को कम करना, जिससे परिचालन आत्मनिर्भरता और स्थिरता बढ़े।

नियामक अनुपालन: कई डोमेन में अनुपालन बनाए रखने के लिए जटिल नियामक आवश्यकताओं और कर मामलों को नेविगेट करना, सुचारू परियोजना संचालन सुनिश्चित करना।

उनकी सहयोगी और मुखर नेतृत्व शैली ने आंतरिक और बाहरी हितधारकों के साथ मजबूत संबंधों को बढ़ावा दिया है, जिससे टीम की वृद्धि और विकास को बढ़ावा मिला है।

भविष्य का दृष्टिकोण

पाराख के नेतृत्व में, रिलायंस पावर का लक्ष्य ऊर्जा क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करना है, जो सतत विकास और परिचालन उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करता है। उनके व्यापक अनुभव और रणनीतिक दृष्टि से कंपनी के भविष्य के प्रयासों को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।

Top Current Affairs News 23 January 2025: फटाफट अंदाज में

Top Current Affairs 23 January 2025 in Hindi: बता दें, आज के इस दौर में सरकारी नौकरी पाना बेहद मुश्किल हो गया है। गवर्नमेंट जॉब की दिन रात एक करके तयारी करने वाले छात्रों को ही सफलता मिलती है। उनकी तैयारी में General Knowledge और Current Affairs का बहुत बड़ा योगदान होता है, बहुत से प्रश्न इसी भाग से पूछे जाते हैं। सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा का स्तर पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो गया है, जिससे छात्रों को और अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए हम 23 January के महत्वपूर्ण करेंट अफेयर लेकर आए हैं, जिससे तैयारी में मदद मिल सके।

Top Current Affairs 23 January 2025

 

ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी आउटलुक 2025

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी आउटलुक 2025 रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में भू-राजनीतिक तनाव, अप्रचलित प्रणालियों और साइबर सुरक्षा कौशल के अभाव के कारण महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिये बढ़ते साइबर खतरों पर प्रकाश डाला गया है और सुरक्षा बढ़ाए जाने और लचीलेपन की आवश्यकता पर बल दिया गया है। महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुभेद्यता: जल, जैव सुरक्षा, संचार, ऊर्जा और जलवायु जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे क्षेत्र पुरानी प्रौद्योगिकियों और परपस्पर संबद्ध प्रणालियों के कारण साइबर हमलों के प्रति सुभेद्य हैं। साइबर अपराधी और राज्य अभिकर्त्ता अधोसमुद्री केबलों सहित परिचालन प्रौद्योगिकी को लक्षित करते हैं, जिससे वैश्विक डेटा प्रवाह के लिये खतरे उत्पन्न होते हैं।

Parakram Diwas 2025:कब और क्यों मनाया जाता है?

पराक्रम दिवस हर साल 23 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को समर्पित है। इसका उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करना और देशभक्ति की भावना को जागृत करना है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ आज़ादी के लिए संघर्ष किया। सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर पराक्रम दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

महाराष्ट्र सरकार ने दावोस में 15.70 लाख करोड़ के 54 एमओयू पर हस्ताक्षर किए

महाराष्ट्र सरकार ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के दौरान 15.70 लाख करोड़ रुपये के 54 एमओयू पर हस्ताक्षर किए, इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ तीन लाख करोड़ रुपये का समझौता भी शामिल है। महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, आरआईएल के साथ समझौते से संभावित रूप से 3 लाख नौकरियां पैदा होंगी। महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि अमेजन भी मुंबई महानगर क्षेत्र में डेटा केंद्रों में 71,795 करोड़ रुपये का निवेश करेगा, जिससे 83,100 नौकरियां पैदा होंगी। सीएमओ महाराष्ट्र ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सरकार और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 3,05,000 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश होगा, जिसमें पेट्रोकेमिकल्स, नवीकरणीय ऊर्जा, खुदरा, डेटा सेंटर और दूरसंचार, आतिथ्य और रियल एस्टेट शामिल हैं।

रक्षा मंत्रालय ने 47 टी-72 ‘ब्रिज लेइंग टैंक’ के लिए भारी वाहन निर्माणी के साथ अनुबंध किया

रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को भारतीय सेना के लिए 47 टी-72 ‘ब्रिज लेइंग टैंक’ (बीएलटी) की खरीद के लिए भारी वाहन निर्माणी के साथ 1,561 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। भारी वाहन निर्माणी (एचवीएफ) बख्तरबंद वाहन निगम लिमिटेड (एवीएनएल) की एक इकाई है। ‘ब्रिज लेइंग टैंक’ एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसका उपयोग यांत्रिक बल द्वारा आक्रामक/रक्षात्मक अभियानों के दौरान पुलों का निर्माण करने के लिए किया जाता है। यह टैंक और बख्तरबंद वाहनों के बेड़े को पुल बनाने की क्षमता प्रदान करता है। इससे युद्ध के मैदान में गतिशीलता और आक्रामक क्षमता बढ़ती है।

प्रधानमंत्री जनमन पहल के तहत जनजातीय आजीविका बढ़ाने के प्रयासों को तेज

जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में 15 नवंबर, 2023 को आरंभ किया गया प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) भारत सरकार की एक ऐतिहासिक पहल है। इसका उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाना है। यह योजना सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सड़क और दूरसंचार संपर्क और स्थायी आजीविका सहित अन्‍य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती है। यह पक्के घर निर्माण, सचल चिकित्सा प्रणाली की तैनाती, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना और कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ वन धन विकास केंद्र स्थापित करने जैसी पहल द्वारा दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में विकास के अंतर को पाटने का प्रयास करता है।

धनंजय शुक्ला 2025 के लिए आईसीएसआई के अध्यक्ष चुने गए

भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) ने 2025 के लिए अपने नए पदाधिकारियों का चुनाव किया है। कंपनी सचिव (सीएस) धनंजय शुक्ला को अध्यक्ष और सीएस पवन जी चांडक को आईसीएसआई का उपाध्यक्ष चुना गया है। धनंजय शुक्ला 2024 के लिए आईसीएसआई के उपाध्यक्ष थे। सीएस धनंजय शुक्ला वाणिज्य और कानून स्नातक हैं और भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के फेलो सदस्य भी हैं। वह एक प्रैक्टिसिंग कंपनी सेक्रेटरी हैं और उन्हें कॉर्पोरेट लॉ, सिक्योरिटीज लॉ और टैक्सेशन के क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल है।

डी गुकेश बने भारत के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी

विश्व चैंपियन डी गुकेश ने अपनी तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को जारी रखते हुए हाल ही में जारी नवीनतम FIDE रैंकिंग में हमवतन अर्जुन एरिगैसी को पछाड़कर सर्वोच्च रैंकिंग वाले भारतीय शतरंज खिलाड़ी बन गए। 18 वर्षीय गुकेश ने यह उपलब्धि तब हासिल की जब उन्होंने विज्क आन जी (नीदरलैंड) में टाटा स्टील टूर्नामेंट में जर्मनी के विंसेंट कीमर को हराकर अपनी दूसरी जीत दर्ज की। हाल ही में ध्यानचंद खेल रत्न से सम्मानित गुकेश ने 2784 रेटिंग अंक अर्जित किए हैं, जबकि लंबे समय तक सर्वोच्च रैंकिंग वाले भारतीय रहे एरिगैसी 2779.5 रेटिंग अंकों के साथ पांचवें स्थान पर खिसक गए हैं।

Hindustan Unilever ने Minimalist में खरीदी 90% हिस्सेदारी, 2955 करोड़ रुपये में हुई डील

एफएमसीजी प्रमुख हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड ने कॉस्मेटिक ब्रांड Minimalist में 90.5 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है। यह डील 2,955 करोड़ रुपये में हुई। स्किनकेयर स्टार्टअप एंटी एजिंग और बाल झड़ने से रोकने जैसे कई प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है। मिनिमलिस्ट की स्थापना राहुल यादव और मोहित यादव ने की है। इस डील के बाद भी ये कंपनी चलना जारी रखेंगे। मिनिमलिस्ट का मूल्यांकन तीन साल में 630 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,000 करोड़ रुपये हो गया है।

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मिजोरम पूर्वोत्तर में संपत्ति कार्ड वितरण में अग्रणी

मिजोरम उत्तर-पूर्व भारत का पहला राज्य बन गया है, जिसने गांवों के आबादी क्षेत्रों के सर्वेक्षण और उन्नत तकनीक से मानचित्रण (SVAMITVA) योजना के तहत संपत्ति कार्ड वितरित किए हैं। 18 जनवरी 2025 को, राज्यपाल जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह ने राजभवन, आइजोल से वर्चुअल रूप से इस वितरण कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भाग लिया और 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के लाभार्थियों को 65 लाख से अधिक संपत्ति कार्ड वितरित किए। मिजोरम के 18 गांवों के 1,754 संपत्ति कार्डधारकों को इस कार्यक्रम के तहत उनके कार्ड सौंपे गए।

SVAMITVA योजना का अवलोकन

24 अप्रैल 2020 को शुरू की गई SVAMITVA योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के स्वामित्व का कानूनी दस्तावेज़ प्रदान करना है। इस योजना में ड्रोन और जीआईएस तकनीक का उपयोग किया जाता है। ये संपत्ति कार्ड स्वामित्व का कानूनी प्रमाण हैं और इन्हें ऋण और अन्य वित्तीय उद्देश्यों के लिए गिरवी रखा जा सकता है।

मिजोरम में SVAMITVA योजना की उपलब्धियां

  1. सर्वे ऑफ इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन:
    मिजोरम सरकार ने 8 जुलाई 2021 को सर्वे ऑफ इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, ताकि SVAMITVA योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
  2. ड्रोन सर्वेक्षण:
    9 दिसंबर 2021 को उन गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण शुरू किए गए, जहां राजस्व सर्वेक्षण नहीं हुआ था।
    2 दिसंबर 2024 तक 9 जिलों के 319 गांवों को कवर करते हुए यह सर्वेक्षण पूरा हुआ।
  3. संपत्ति कार्ड वितरण:
    – मिजोरम ने 24 अप्रैल 2023 को संपत्ति कार्ड वितरण शुरू किया।
    18 जनवरी 2025 तक कुल 2,909 संपत्ति कार्ड वितरित किए गए हैं।
    – भविष्य में लगभग 35,000 संपत्ति कार्ड वितरित करने की योजना है।

मिजोरम के लिए SVAMITVA योजना का महत्व

SVAMITVA योजना के तहत संपत्ति कार्डों का वितरण ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना गांवों में बसे घरों के मालिकों को ‘अधिकार रिकॉर्ड’ प्रदान करती है, जो उन्हें वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण की ओर बढ़ाने में मदद करता है।

इससे ग्रामीण समुदायों को वित्तीय स्वतंत्रता मिलेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। यह कदम न केवल मिजोरम बल्कि पूरे देश के लिए ग्रामीण विकास और स्वामित्व अधिकारों को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा।

 

भारत करेगा फिडे शतरंज विश्व कप 2025 की मेजबानी

2025 में, भारत प्रतिष्ठित फिडे शतरंज विश्व कप की मेजबानी करने जा रहा है, जो देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह भारत का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट होगा, जिसे 2022 चेन्नई शतरंज ओलंपियाड के बाद आयोजित किया जाएगा। इस घोषणा से भारत की वैश्विक शतरंज मंच पर स्थिति और भी मजबूत होगी, खासकर जब से देश में इस खेल का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।

टूर्नामेंट का विवरण

फिडे शतरंज विश्व कप 2025 31 अक्टूबर से 27 नवंबर 2025 तक आयोजित होगा। यह टूर्नामेंट नॉकआउट प्रारूप में होगा, जिसमें 200 से अधिक खिलाड़ी दुनिया भर से भाग लेंगे। यह टूर्नामेंट कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए एक प्रमुख क्वालीफायर के रूप में कार्य करता है, जो तीन योग्यता स्थान प्रदान करता है। कैंडिडेट्स टूर्नामेंट का विजेता मौजूदा विश्व शतरंज चैंपियन को चुनौती देता है।

हालांकि, फिडे के 2025 कैलेंडर में भारत को मेजबान राष्ट्र के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन बाद में इसे “घोषणा लंबित” स्थिति में बदल दिया गया। इसके बावजूद, अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) ने पुष्टि की है कि विश्व कप की मेजबानी के अधिकार भारत को सौंपे गए हैं।

भारत के शतरंज इतिहास का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत का फिडे शतरंज विश्व कप में हालिया प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। 2023 संस्करण में, आर. प्रग्गनानंदा ने इतिहास रचते हुए रजत पदक जीता था। वह फाइनल में मैग्नस कार्लसन से हार गए थे, लेकिन उनकी उपलब्धि ने पूरे विश्व में शतरंज प्रेमियों का ध्यान खींचा।

भारत के महानतम शतरंज खिलाड़ियों में से एक, विश्वनाथन आनंद, फिडे विश्व कप जीतने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2000 और 2002 में लगातार दो बार खिताब जीता था। उस समय टूर्नामेंट का प्रारूप राउंड-रॉबिन स्टेज भी शामिल करता था। आनंद की ये जीत न केवल उनकी महानता को दर्शाती हैं बल्कि उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय शतरंज मंच पर एक पहचान दिलाई।

अर्जुन एरिगैसी और कैंडिडेट्स 2026

प्रग्गनानंदा और आनंद के अलावा, भारत के अर्जुन एरिगैसी ने भी अंतरराष्ट्रीय शतरंज में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2024 में फिडे सर्किट रेटिंग्स के माध्यम से कैंडिडेट्स 2026 के लिए क्वालीफाई करने के करीब पहुंचकर, वह फैबियानो कारुआना से पीछे रह गए। फिर भी, अर्जुन की शानदार प्रदर्शन क्षमता उन्हें भविष्य में शतरंज के प्रमुख दावेदारों में से एक बनाती है।

फिडे शतरंज विश्व कप की भारत में मेज़बानी का महत्व

2025 में फिडे शतरंज विश्व कप की मेजबानी भारत के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। यह आयोजन भारत की समृद्ध शतरंज विरासत को प्रदर्शित करेगा और देश में शतरंज को लेकर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करेगा। यह न केवल इस खेल को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देगा, बल्कि भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।

इस समय, जब भारत शतरंज के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा है और युवा प्रतिभाएँ जैसे प्रग्गनानंदा और एरिगैसी अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर रहे हैं, यह टूर्नामेंट उभरती प्रतिभाओं के लिए अपने कौशल को घरेलू धरती पर दिखाने का सुनहरा अवसर होगा। यह उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

 

रत्नागिरी, ओडिशा की प्राचीन बौद्ध विरासत का अनावरण

दिसंबर 2024 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ओडिशा के ऐतिहासिक बौद्ध स्थल रत्नागिरी में 60 वर्षों के बाद खुदाई कार्य फिर से शुरू किया। ASI के अधीक्षक पुरातत्वविद् डी बी गरनायक के नेतृत्व में यह परियोजना रत्नागिरी के समृद्ध इतिहास को उजागर करने और दक्षिण-पूर्व एशिया की सांस्कृतिक और समुद्री विरासत से ओडिशा के संबंधों का पता लगाने का प्रयास कर रही है।

रत्नागिरी में हाल की खोजें

चल रहे खुदाई कार्य से कई महत्वपूर्ण पुरावशेष और वास्तु अवशेष मिले हैं, जो इस स्थल के इतिहास पर प्रकाश डालते हैं। प्रमुख खोजों में शामिल हैं:

  • विशाल बुद्ध सिर: यह महत्वपूर्ण खोज 8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी की मानी जाती है, जो उस युग की जटिल कारीगरी को दर्शाती है।
  • बड़ी हथेली की मूर्ति: संभवतः एक बड़े बुद्ध प्रतिमा का हिस्सा, यह अवशेष प्राचीन रत्नागिरी की कलात्मक और आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाता है।
  • प्राचीन दीवार और शिलालेखित अवशेष: ये संरचनात्मक जटिलता और इस स्थल के बौद्ध शिक्षा और पूजा केंद्र के रूप में महत्व को दर्शाते हैं।

ओडिशा में बौद्ध धर्म का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

अशोक का प्रभाव और बौद्ध धर्म का प्रसार

मौर्य सम्राट अशोक (304-232 ईसा पूर्व) के शासनकाल में ओडिशा का बौद्ध धर्म से गहरा संबंध स्थापित हुआ। 261 ईसा पूर्व में कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और इसे अपने साम्राज्य और उससे परे श्रीलंका, मध्य एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भौमकार वंश का योगदान

8वीं से 10वीं शताब्दी के दौरान भौमकार वंश ने ओडिशा में बौद्ध धर्म को प्रोत्साहन दिया। उनके शासनकाल में रत्नागिरी जैसे प्रमुख बौद्ध स्थलों का निर्माण हुआ, जो इस अवधि में शिक्षा और आध्यात्मिक अभ्यास का एक प्रमुख केंद्र बन गया।

रत्नागिरी का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व

स्थान और स्थलाकृतिक विशेषताएँ

रत्नागिरी, जिसका अर्थ है “रत्नों की पहाड़ियां,” ओडिशा के जाजपुर जिले में स्थित है, जो भुवनेश्वर से लगभग 100 किमी उत्तर-पूर्व में है। यह स्थल बिरुपा और ब्राह्मणी नदियों के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है और ओडिशा के प्रसिद्ध “डायमंड ट्रायंगल” (उदयगिरी, ललितगिरी और रत्नागिरी) का हिस्सा है।

दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ ओडिशा के समुद्री संबंध

ओडिशा के ऐतिहासिक व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान इसके दक्षिण-पूर्व एशिया से गहरे संबंधों को दर्शाते हैं। मुख्य व्यापारिक वस्तुओं में काली मिर्च, दालचीनी, रेशम, सोना और कपूर शामिल थे, जो जावा, सुमात्रा और बाली जैसे क्षेत्रों के साथ आदान-प्रदान किए जाते थे। ये संबंध बौद्ध धर्म के दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रसार में सहायक थे।

वार्षिक बलियात्रा उत्सव प्राचीन कलिंग और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों के बीच इन समुद्री संबंधों को श्रद्धांजलि देता है।

रत्नागिरी: बौद्ध शिक्षा का केंद्र

रत्नागिरी का स्वर्ण युग

विशेषज्ञ इस स्थल को 5वीं-13वीं शताब्दी का मानते हैं, जिसमें 7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच इसका निर्माण चरम पर था। इस अवधि के दौरान रत्नागिरी महायान और तंत्रयान (वज्रयान) बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र बन गया।

नालंदा से तुलना

थॉमस डोनाल्डसन के अनुसार, रत्नागिरी बौद्ध शिक्षा के केंद्र के रूप में नालंदा के बराबर था। तिब्बती ग्रंथों के अनुसार, रत्नागिरी वज्रयान बौद्ध धर्म से संबंधित रहस्यमय प्रथाओं के विकास में सहायक था।

पिछले उत्खनन और खोजें

1958-1961 के बीच पुरातत्वविद् देबला मित्रा के नेतृत्व में पहली व्यापक खुदाई हुई, जिसमें निम्नलिखित की खोज हुई:

  • एक ईंट स्तूप।
  • तीन मठ परिसर।
  • सैकड़ों स्मारक और स्मृति स्तूप।

हालिया खुदाई का महत्व

डी बी गरनायक के नेतृत्व में नवीनतम खुदाई का उद्देश्य:

  • आंशिक रूप से दृश्यमान संरचनाओं और मूर्तियों का पता लगाना।
  • एक श्राइन या चैत्य परिसर की उपस्थिति का अन्वेषण।
  • स्थल पर सिरेमिक वस्तुओं का अध्ययन करना।

सरकार की पहल और भविष्य की संभावनाएं

पर्यटन और बुनियादी ढांचा विकास

ओडिशा सरकार ने रत्नागिरी जैसे ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • ऐतिहासिक स्थलों का जीर्णोद्धार।
  • पहुंच में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे का विकास।

सांस्कृतिक पुनरुत्थान

ओडिशा की बौद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर उजागर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो सांस्कृतिक गर्व और स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देगा।

पहलू विवरण
समाचार में क्यों? भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 60 वर्षों के बाद ओडिशा के रत्नागिरी में खुदाई कार्य फिर से शुरू किया।
हाल की खोजें – विशाल बुद्ध सिर (8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी)।
– बड़ी हथेली की मूर्ति, संभवतः एक बड़े बुद्ध प्रतिमा का हिस्सा।
– प्राचीन दीवार और शिलालेखित अवशेष।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य अशोक की विरासत: कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और इसे फैलाने में योगदान दिया।
भौमकार वंश: 8वीं-10वीं शताब्दी के दौरान ओडिशा में बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया।
भौगोलिक महत्व स्थान: जाजपुर, ओडिशा में स्थित, उदयगिरी और ललितगिरी के साथ “डायमंड ट्रायंगल” का हिस्सा।
स्थिति: बिरुपा और ब्राह्मणी नदियों के बीच एक पहाड़ी पर स्थित।
सांस्कृतिक महत्व महायान और तंत्रयान बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र (5वीं-13वीं शताब्दी)।
व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के प्रसार में योगदान।
नालंदा से तुलना रत्नागिरी बौद्ध शिक्षा का केंद्र था और विशेष रूप से वज्रयान प्रथाओं के लिए नालंदा के बराबर था।
पिछले उत्खनन देबला मित्रा द्वारा खुदाई (1958-1961): स्तूप, मठ परिसर और पुरावशेषों की खोज।
डी बी गरनायक द्वारा वर्तमान प्रयास: छिपी हुई संरचनाओं और सिरेमिक वस्तुओं का पता लगाना।
सरकारी पहल विरासत पर्यटन को बढ़ावा देना, स्थलों का पुनर्स्थापन, और बौद्ध विरासत की वैश्विक पहचान को बढ़ावा देना।
भविष्य की संभावनाएं स्थलों का संरक्षण जारी रखना, गहन ऐतिहासिक खोजबीन, और सांस्कृतिक-आर्थिक पुनर्जागरण।

मुंबई में भारत के अपने तरह के पहले सीएसआईआर मेगा ‘‘इनोवेशन कॉम्प्लेक्स’’ का उद्घाटन

17 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुंबई में भारत के पहले CSIR मेगा इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। यह देश के नवाचार परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह अत्याधुनिक सुविधा स्टार्ट-अप्स, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), और उद्योग से जुड़े हितधारकों को उच्च स्तरीय वैज्ञानिक अवसंरचना और विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

इनोवेशन कॉम्प्लेक्स की मुख्य विशेषताएं

अवसंरचना और सुविधाएं:
यह परिसर नौ मंजिलों में फैला हुआ है और इसमें 24 पूरी तरह से सुसज्जित इनक्यूबेशन लैब, फर्निश्ड ऑफिस स्पेस और नेटवर्किंग ज़ोन शामिल हैं। ये सुविधाएं नवाचार को तेज़ करने और स्टार्ट-अप्स और MSMEs के विकास का समर्थन करने के लिए तैयार की गई हैं।

विनियामक अनुपालन के लिए समर्थन:
यह परिसर अनुसंधान और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के बीच की खाई को पाटने का लक्ष्य रखता है। यह हेल्थकेयर, केमिकल्स, एनर्जी और मटेरियल साइंस जैसे क्षेत्रों में विनियामक अध्ययनों, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और चुनौतियों का समाधान करता है।

सहयोग और भागीदारी:
यह सुविधा स्टार्ट-अप्स, MSMEs और CSIR के शोधकर्ताओं और इनोवेटर्स के नेटवर्क के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को साकार करने में योगदान करती है।

रणनीतिक सहयोग और उपलब्धियां

सहयोग ज्ञापन:
CSIR ने IIT बॉम्बे, iCreate और NRDC जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ छह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो नवाचार और उद्योग सहयोग को मजबूत बनाने का लक्ष्य रखते हैं।

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण:
CSIR संस्थानों से स्टार्ट-अप्स, MSMEs और संस्थानों को 50 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किए गए हैं। इससे अनुसंधान का व्यावसायीकरण संभव हुआ है और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला है।

भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

CSIR मेगा इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन भारत की प्रौद्योगिकी उन्नति के माध्यम से एक सतत और आत्मनिर्भर भविष्य को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सहयोग और नवाचार के लिए एक मंच प्रदान करके, यह परिसर आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्रेरित करने और भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखता है।

क्यों चर्चा में मुख्य बिंदु
CSIR मेगा इनोवेशन कॉम्प्लेक्स उद्घाटन 17 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा मुंबई में उद्घाटन, स्टार्ट-अप्स, MSMEs और उद्योगों को प्रोत्साहन।
सुविधा की विशेषताएं नौ मंजिलों में फैला, जिसमें 24 इनक्यूबेशन लैब, ऑफिस स्पेस और नेटवर्किंग ज़ोन शामिल।
प्रौद्योगिकी और उद्योग समर्थन हेल्थकेयर, ऊर्जा, केमिकल्स और मटेरियल साइंस जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बीच अंतर कम करना।
सहयोग और समझौता ज्ञापन (MOA) IIT बॉम्बे, iCreate, और NRDC जैसे संस्थानों के साथ 6 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण MSMEs, स्टार्ट-अप्स और संस्थानों को 50 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण।
आत्मनिर्भर भारत के साथ संरेखण नवाचार, उद्यमशीलता और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित, भारत के बढ़ते स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान।
रणनीतिक उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व के लिए आत्मनिर्भर, प्रौद्योगिकी-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री)।
स्थान मुंबई, महाराष्ट्र।
प्रधानमंत्री की दृष्टि नवाचार और उद्यमशीलता में भारत को वैश्विक नेता बनाने के दृष्टिकोण का समर्थन।
उद्घाटन की तारीख 17 जनवरी 2025।

सरला एविएशन ने भारत का पहला Air Taxi प्रोटोटाइप पेश किया

बेंगलुरु स्थित एयरोस्पेस स्टार्टअप, सरला एविएशन ने भारत का पहला इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (eVTOL) एयर टैक्सी प्रोटोटाइप ‘शून्य’ लॉन्च किया है। यह शहरी हवाई गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण प्रगति है, जिसका उद्देश्य भारतीय शहरों में यातायात जाम और प्रदूषण को कम करना है।

‘शून्य’ की मुख्य विशेषताएं

डिजाइन और क्षमता:
‘शून्य’ को 20-30 किलोमीटर की छोटी यात्राओं के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें अधिकतम 680 किलोग्राम के पेलोड के साथ छह यात्रियों की क्षमता है। यह वर्तमान में बाजार में उपलब्ध सबसे अधिक पेलोड वाला eVTOL वाहन है।

गति और दक्षता:
यह विमान 250 किमी/घंटा की गति तक पहुंच सकता है, जो पारंपरिक जमीनी परिवहन का एक तेज विकल्प प्रदान करता है।

पर्यावरणीय प्रभाव:
इलेक्ट्रिक वाहन होने के कारण, ‘शून्य’ स्वच्छ और स्थायी शहरी परिवहन का एक तरीका प्रदान करता है, जो भारत के स्मार्ट सिटी और स्थायित्व के प्रयासों के साथ मेल खाता है।

लॉन्च योजना और विस्तार

प्रारंभिक लॉन्च:
सरला एविएशन 2028 तक ‘शून्य’ को बेंगलुरु में लॉन्च करने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य शहर की यातायात समस्याओं का समाधान करना है।

भविष्य का विस्तार:
बेंगलुरु के बाद कंपनी अपनी सेवाओं को मुंबई, दिल्ली और पुणे जैसे अन्य प्रमुख शहरों में विस्तारित करने की योजना बना रही है।

रणनीतिक साझेदारी

सोना स्पीड सहयोग:
सरला एविएशन ने सटीक निर्माण फर्म सोना स्पीड के साथ साझेदारी की है, जो ‘शून्य’ के लिए मोटर्स और लैंडिंग गियर जैसे महत्वपूर्ण घटकों को डिजाइन और निर्मित करेगी। यह साझेदारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ सोना स्पीड की पिछली परियोजनाओं के अनुभव का लाभ उठाएगी।

भविष्य की सेवाएं

एयर एम्बुलेंस पहल:
यात्रियों के परिवहन के अलावा, सरला एविएशन शहरी क्षेत्रों में आपातकालीन चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक नि:शुल्क एयर एम्बुलेंस सेवा शुरू करने की योजना बना रही है, जिससे आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता में सुधार होगा।

क्यों चर्चा में? मुख्य बिंदु
सरला एविएशन ने ‘शून्य’ का अनावरण किया, भारत की पहली eVTOL एयर टैक्सी – भारत की पहली इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (eVTOL) एयर टैक्सी का प्रोटोटाइप पेश किया गया।
डिज़ाइन और क्षमता – 6 यात्रियों को ले जाने की क्षमता, 680 किलोग्राम का पेलोड।
गति और दक्षता – 250 किमी/घंटा की गति तक पहुंचने में सक्षम।
पर्यावरणीय प्रभाव – प्रदूषण कम करने और स्थायी परिवहन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन।
लॉन्च योजना – 2028 तक बेंगलुरु में लॉन्च होने की संभावना।
विस्तार योजना – मुंबई, दिल्ली, पुणे और अन्य प्रमुख शहरों में सेवाओं का विस्तार करने की योजना।
रणनीतिक साझेदारी – मोटर और लैंडिंग गियर घटकों के लिए सोना स्पीड के साथ साझेदारी।
भविष्य की सेवाएं – एयर एम्बुलेंस सेवाएं प्रदान करने की योजना।

अमेरिकी सरकार का एआई पर बड़ा एलान; 500 अरब डॉलर का होगा निवेश

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नई कंपनी के जरिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई के बुनियादी ढांचे में 500 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। इसकी योजना ओरेकल, सॉफ्टबैंक और ओपन एआई के साथ साझेदारी में बनाई जा रही है। माना जा रहै कि यह आईटी क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी परियोजना होगी।

10 डेटा केंद्रों से शुरू होगा एआई में निवेश का काम

‘स्टारगेट’ नामक यह उद्यम, अमेरिकी डेटा केंद्रों में प्रौद्योगिकी कंपनियों के महत्वपूर्ण निवेश का प्रतीक होगा। तीनों कंपनियों ने इस उद्यम के लिए वित्तीय मदद करने की योजना बनाई है। अन्य निवेशक भी इसमें निवेश कर पाएंगे। इसकी शुरुआत टेक्सास में बन रहे 10 डेटा केंद्रों से होगी। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में ओरेकल के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी लैरी एलिसन, सॉफ्टबैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मासायोशी सोन और ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन के साथ इसकी घोषणा की।

इतने लोगों को मिलेगी नौकरी

राष्ट्रपति ने कहा कि उस नाम को अपनी पुस्तकों में लिख लें क्योंकि मुझे लगता है कि आप भविष्य में इसके बारे में बहुत कुछ सुनने वाले हैं। एक नई अमेरिकी कंपनी जो अमेरिका में एआई बुनियादी ढांचे में 500 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी और बेहद तेजी से आगे बढ़ेगी और इससे तुरंत 1,00,000 से अधिक अमेरिकी नौकरियों का सृजन होगा।

एआई की दुनिया में स्टारगेट का काम जल्द होगा शुरू

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि स्टारगेट तुरंत काम शुरू करेगा, ताकि एआई में अगली पीढ़ी की प्रगति को बढ़ावा देने के लिए भौतिक और आभासी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा सके।

स्टारगेट क्या है?

स्टारगेट एक नई कंपनी है जिसका उद्देश्य उन्नत एआई के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित करना है। इसमें डेटा सेंटर और बिजली उत्पादन सुविधाएं बनाना शामिल है, जो तेजी से विकसित हो रहे AI परिदृश्य को शक्ति प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें शुरुआती निवेश 100 अरब डॉलर का होगा जिसे बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाया जा सकता है। यह परियोजना टेक्सास में केंद्रित है, जहां पहले 10 डेटा सेंटर का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है।

परियोजना में कौन-कौन लोग हैं शामिल?

स्टारगेट परियोजना का संचालन तीन दिग्गजों की साझेदारी में होगा। उनके नाम हैं-

  • मासायोशी सोन, सॉफ्टबैंक के संस्थापक
  • सैम ऑल्टमैन, ओपनएआई के सीईओ
  • लैरी एलिसन, ओरेकल के अध्यक्ष

एआई को 500 अरब डॉलर के परियेाजना की आवश्यकता क्यों पड़ी

एआई विकास के लिए बहुत ज़्यादा कंप्यूटिंग शक्ति की जरूरत होती है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरत होती है बहुत सारे डेटा सेंटर और ऊर्जा संसाधन की। उदाहरण के लिए, ओपनएआई ने चैटजीपीटी जैसी प्रणालियों को विकसित करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट के बुनियादी ढांचे पर भरोसा किया है, लेकिन अब वह अपनी क्षमताओं का विस्तार और अनुकूलन करने के लिए अपनी खुद की सुविधाएं बनाना चाहता है।

केंद्र सरकार ने कच्चे जूट की MSP बढ़ाई

केंद्र सरकार ने 2025-26 विपणन सत्र के लिए कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹315 बढ़ाकर ₹5,650 प्रति क्विंटल कर दिया है। यह निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया, जिसका उद्देश्य किसानों को उत्पादन लागत पर 66.8 प्रतिशत का लाभ देना है और उन्हें जूट की खेती में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना है।

2014-15 से कच्चे जूट के MSP में वृद्धि

2014-15 विपणन सत्र से कच्चे जूट के MSP में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 2.35 गुना बढ़ चुका है। यह सरकार के उस निरंतर प्रयास को दर्शाता है, जिसमें जूट किसानों को उचित मुआवजा देने और इस महत्वपूर्ण फसल के उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।

2025-26 सत्र के लिए MSP वृद्धि

2025-26 सत्र की MSP वृद्धि उल्लेखनीय है क्योंकि यह 2024-25 सत्र की तुलना में अधिक है, जब MSP ₹285 बढ़कर ₹5,335 प्रति क्विंटल तक पहुंचा था। आगामी सत्र के लिए ₹315 की वृद्धि से जूट उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे भारत में कम जूट उत्पादन की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) का विस्तार

कच्चे जूट के MSP में वृद्धि के अलावा, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) को अगले पांच वर्षों तक जारी रखने की मंजूरी दी है। NHM भारत के स्वास्थ्य ढांचे के विकास का एक प्रमुख स्तंभ रहा है, जो विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है।

NHM की उपलब्धियां

मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले दशक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा हासिल किए गए कई ऐतिहासिक मील के पत्थरों को रेखांकित किया। एक प्रमुख उपलब्धि 2021 और 2022 के बीच NHM कार्यबल में लगभग 12 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को जोड़ना थी। इस बड़े विस्तार ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने की देश की क्षमता को मजबूत किया है।

इसके अलावा, गोयल ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में NHM की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इस दौरान, NHM ने टीकाकरण अभियान, स्वास्थ्य सेवा वितरण, और सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में अहम योगदान दिया।

पहलू विवरण
समाचार में क्यों? केंद्र ने कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) का विस्तार मंजूर किया।
कच्चे जूट के MSP में वृद्धि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कच्चे जूट का MSP ₹315 बढ़ाकर 2025-26 विपणन सत्र के लिए ₹5,650 प्रति क्विंटल कर दिया।
MSP की वृद्धि (2014-15 से 2025-26) 2014-15 से कच्चे जूट के MSP में 2.35 गुना वृद्धि हुई, जो जूट किसानों के लिए सरकार के निरंतर समर्थन को दर्शाती है।
2024-25 के MSP से तुलना 2024-25 में ₹285 की वृद्धि कर MSP ₹5,335 प्रति क्विंटल था, जबकि 2025-26 में वृद्धि ₹315 की गई है, जिससे जूट उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) का विस्तार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने NHM को अगले पांच वर्षों तक जारी रखने की मंजूरी दी, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे को समर्थन मिलेगा।
NHM की उपलब्धियां 2021-2022 के बीच NHM में 12 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को जोड़ा गया और कोविड-19 महामारी में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कोविड-19 में प्रमुख भूमिका NHM ने टीकाकरण अभियान, स्वास्थ्य सेवा वितरण, और सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता में अहम योगदान दिया।

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी महेश कुमार अग्रवाल को बीएसएफ एडीजी नियुक्त किया गया

महेश कुमार अग्रवाल, तमिलनाडु कैडर के 1994 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी, को सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) के रूप में नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति की पुष्टि 19 जनवरी 2025 को गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा की गई। अग्रवाल इस पद पर चार वर्षों तक सेवा देंगे, जब तक कि वे पदभार ग्रहण करते हैं या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो।

कार्यकाल की प्रमुख बातें

वर्तमान पद: इस नियुक्ति से पहले, अग्रवाल तमिलनाडु में सशस्त्र पुलिस के विशेष पुलिस महानिदेशक (Special Director General of Police) के रूप में कार्यरत थे।

पिछले पद: उन्होंने चेन्नई और मदुरै के पुलिस आयुक्त सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

हाल के घटनाक्रम

पदोन्नति: 29 दिसंबर 2024 को, तमिलनाडु सरकार ने अग्रवाल और तीन अन्य आईपीएस अधिकारियों को पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर पदोन्नत किया।

विवाद:

  • कल्लाकुरिची हत्याकांड: जून 2024 में, कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी, जिसमें 60 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, के बाद अग्रवाल, जो उस समय प्रवर्तन ब्यूरो (ADGP) के अतिरिक्त महानिदेशक थे, का स्थानांतरण कर दिया गया था।
  • पिछली घटनाएं: 2023 में मरक्कनम और चेंगलपट्टू में जहरीली शराब के कारण 22 व्यक्तियों की मृत्यु के दौरान भी अग्रवाल प्रवर्तन ब्यूरो का नेतृत्व कर रहे थे।

निष्कर्ष

महेश कुमार अग्रवाल का करियर पुलिस सेवा में महत्वपूर्ण पदों और चुनौतियों से भरा हुआ है। सीमा सुरक्षा बल में उनकी नियुक्ति से इस क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता का उपयोग होगा, जबकि उनके विवादास्पद कार्यकाल उनकी भूमिका में सवाल भी खड़े करते हैं।

समाचार में क्यों? मुख्य बिंदु
महेश कुमार अग्रवाल BSF के ADG नियुक्त तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी, 19 जनवरी 2025 को BSF के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) के रूप में नियुक्त।
नियुक्ति की अवधि 4 वर्षीय कार्यकाल, पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी।
पिछला पद विशेष पुलिस महानिदेशक, सशस्त्र पुलिस, तमिलनाडु।
पिछले पद चेन्नई और मदुरै के पुलिस आयुक्त।
पदोन्नति 29 दिसंबर 2024 को पुलिस महानिदेशक (DGP) पद पर पदोन्नति।
विवाद जून 2024 में कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी के बाद स्थानांतरण।
राज्य तमिलनाडु (TN)
संबंधित मंत्रालय गृह मंत्रालय (MHA)
सुरक्षा बल सीमा सुरक्षा बल (BSF)

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