दिल्ली ने आयुष्मान भारत योजना लागू की और 35वां राज्य बना

दिल्ली सरकार ने राजधानी में बहुप्रतिक्षित आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान योजना) को लागू करने के लिए केंद्र के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही, दिल्ली इस स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू करने वाला 35वां राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन गया। पश्चिम बंगाल अब एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने इस योजना को लागू नहीं किया है। यह योजना भारत सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य पहल है, और अब राष्ट्रीय राजधानी के निवासी भी इसके लाभ उठा सकेंगे। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस निर्णय को एक महत्वपूर्ण प्रगति बताया और कहा कि इससे अधिक से अधिक लोगों को व्यापक स्वास्थ्य कवरेज का लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने पूर्ववर्ती आप सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि योजना के क्रियान्वयन में अनावश्यक देरी की गई थी। उन्होंने जानकारी दी कि लाभार्थियों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 10 अप्रैल 2025 से शुरू होगी। यह योजना पहले से ही देश के 34 अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है, और अब दिल्ली की भागीदारी इसके दायरे का और विस्तार करती है, जिससे क्षेत्र के लाखों लोगों की स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित होगी।

मुख्य बिंदु

ऐतिहासिक कदम
दिल्ली द्वारा आयुष्मान भारत योजना को औपचारिक रूप से अपनाना एक ऐतिहासिक निर्णय माना गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे राजधानी के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य लाभों के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।

PMJAY का विवरण
आयुष्मान भारत योजना एक व्यापक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करता है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को देशभर के चिन्हित अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाती है।

पूर्व की देरी
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने इस योजना को लागू करने में अनावश्यक देरी की। उन्होंने घोषणा की कि योजना के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 10 अप्रैल 2025 से शुरू होगी।

एमओयू पर हस्ताक्षर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) और दिल्ली सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो राजधानी में इस योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।

मुख्य लाभ
आयुष्मान भारत योजना पहले से ही 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है और 50 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ पहुंचा रही है। यह योजना आर्थिक जाति जनगणना पर आधारित है। इसके अतिरिक्त, इसमें 36 लाख फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

राष्ट्रीय प्रभाव
यह योजना अपने व्यापक दायरे और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रशंसा प्राप्त कर चुकी है, जिससे करोड़ों कमजोर वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा के माध्यम से चिकित्सा सेवाएं प्राप्त हो रही हैं।

भारत AI में सबसे अधिक निवेश करने वाले 10 देशों में शामिल

संयुक्त राष्ट्र (UN) की हाल ही में जारी रिपोर्ट में भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित किया गया है, जिसमें भारत को निजी AI निवेश के मामले में वैश्विक स्तर पर 10वां स्थान प्राप्त हुआ है। वर्ष 2023 में भारत ने लगभग ₹11,943 करोड़ (यूएस$ 1.4 बिलियन) का निजी निवेश आकर्षित किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत AI विकास में अग्रणी देशों में से एक बन गया है। चीन के साथ-साथ भारत एकमात्र ऐसे विकासशील देशों में शामिल है जिन्होंने AI में इतना महत्वपूर्ण निवेश हासिल किया है। यह उपलब्धि वैश्विक AI परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। साथ ही, भारत की प्रगति संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा जारी ‘फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज़ की तैयारी’ सूचकांक में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिसमें भारत 2022 में 48वें स्थान से बढ़कर 2024 में 170 देशों में से 36वें स्थान पर पहुंच गया है। यह सुधार इस बात का संकेत है कि भारत भविष्य की तकनीकों में लगातार निवेश कर रहा है, जो वैश्विक उद्योगों को नया आकार दे सकती हैं।

मुख्य बिंदु 

AI में निवेश और वैश्विक रैंकिंग
भारत ने वर्ष 2023 में ₹11,943 करोड़ (यूएस$ 1.4 बिलियन) का निजी निवेश प्राप्त कर वैश्विक स्तर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में 10वां स्थान प्राप्त किया है। चीन के साथ भारत उन गिने-चुने विकासशील देशों में से एक है, जहाँ AI में इतना अधिक निवेश हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के निष्कर्ष
भारत ने UNCTAD के ‘फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज़ की तैयारी’ सूचकांक में अपनी रैंकिंग 2022 में 48वें स्थान से सुधारकर 2024 में 36वें स्थान पर पहुंचा दी है।
विशिष्ट रैंकिंग:

  • ICT तैनाती में: 99वां स्थान

  • कौशल (Skills): 113वां स्थान

  • अनुसंधान एवं विकास (R&D): 3रा स्थान

  • औद्योगिक क्षमता: 10वां स्थान

  • वित्तीय पहुंच: 70वां स्थान

वैश्विक AI निवेश में अग्रणी देश

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: ₹5,71,577 करोड़ (यूएस$ 67 बिलियन) के साथ पहले स्थान पर

  • चीन: ₹66,541 करोड़ (यूएस$ 7.8 बिलियन) के साथ दूसरे स्थान पर

AI का आर्थिक प्रभाव
AI के वर्ष 2033 तक ₹4,09,48,800 करोड़ (यूएस$ 4.8 ट्रिलियन) का वैश्विक आर्थिक प्रभाव डालने की संभावना है, जो उद्योगों में व्यापक बदलाव ला सकता है।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

  • रोज़गार पर प्रभाव: AI आधारित ऑटोमेशन से 40% वैश्विक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, जिससे बेरोज़गारी और असमानता की आशंका है।

  • कॉर्पोरेट नियंत्रण: 100 वैश्विक कंपनियाँ—मुख्यतः अमेरिका और चीन से—कुल कॉर्पोरेट AI R&D खर्च का 40% नियंत्रित करती हैं, जिससे तकनीक का केंद्रीकरण बढ़ रहा है।

भारत की ताकत और प्रमुख क्षेत्र

  • भारत के पास 1.3 करोड़ सॉफ्टवेयर डेवलपर्स हैं, जो अमेरिका के बाद GitHub गतिविधि में दूसरे स्थान पर हैं।

  • India AI मिशन और IIT AI अनुसंधान केंद्र नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

  • नैनोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी भारत उभरती तकनीकों में अग्रणी है।

वैश्विक प्रतियोगिता
भारत को विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा का सामना है:

  • पवन ऊर्जा में जर्मनी

  • इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) में जापान

  • 5G वायरलेस नेटवर्क में दक्षिण कोरिया

भविष्य की दिशा
भारत को अपनी स्थिति बनाए रखने और मजबूत करने के लिए AI में अनुसंधान एवं विकास (R&D) और कार्यबल के कौशल विकास में सतत निवेश करना होगा।

पहलू विवरण
समाचार में क्यों? वैश्विक AI निवेश और विकास में भारत की स्थिति
भारत की AI निवेश रैंक 2023 में ₹11,943 करोड़ (US$ 1.4 बिलियन) निजी निवेश के साथ वैश्विक स्तर पर 10वां स्थान
वैश्विक सूचकांक में सुधार UNCTAD ‘Readiness for Frontier Technologies’ इंडेक्स में भारत 2022 में 48वें से बढ़कर 2024 में 36वें स्थान पर पहुंचा
AI निवेश में वैश्विक नेता अमेरिका: ₹5,71,577 करोड़ (US$ 67 बिलियन); चीन: ₹66,541 करोड़ (US$ 7.8 बिलियन)
AI का आर्थिक प्रभाव वर्ष 2033 तक ₹4,09,48,800 करोड़ (US$ 4.8 ट्रिलियन) अनुमानित
वैश्विक रोजगार संकट AI आधारित ऑटोमेशन से 40% वैश्विक नौकरियों पर खतरा
AI R&D में कॉर्पोरेट नियंत्रण 100 वैश्विक कंपनियाँ कॉर्पोरेट AI अनुसंधान एवं विकास खर्च का 40% नियंत्रित करती हैं
भारत की ताकत 1.3 करोड़ सॉफ्टवेयर डेवलपर्स (US के बाद दूसरा स्थान); नैनोटेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता
प्रतिस्पर्धी देश जर्मनी (पवन ऊर्जा), जापान (इलेक्ट्रिक वाहन), दक्षिण कोरिया (5G नेटवर्क)
भविष्य की प्राथमिकताएँ AI में अनुसंधान, नवाचार, और कार्यबल कौशल विकास पर निवेश की आवश्यकता

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025: थीम, इतिहास और महत्व

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 को 7 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जा रहा है, जो 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना की वर्षगांठ का प्रतीक है। इस वर्ष की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशावान भविष्य” है, जो मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य पर केंद्रित है। इस अवसर पर एक वर्षव्यापी वैश्विक अभियान की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य रोके जा सकने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को घटाना और महिलाओं व नवजातों के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाना है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सरकारों, स्वास्थ्य संस्थानों, नागरिक समाज और व्यक्तियों को सक्रिय करने का मंच प्रदान करता है। हर वर्ष एक विशिष्ट थीम निर्धारित की जाती है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्राथमिक क्षेत्रों को दर्शाती है। इन थीमों का उद्देश्य स्वास्थ्य चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा नीति स्तर पर हस्तक्षेप को प्रोत्साहित करना होता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम
इस वर्ष की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशावान भविष्य” (Healthy Beginnings, Hopeful Futures) मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य में सुधार पर केंद्रित है। यह थीम विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक व्यापक वर्षभर चलने वाले वैश्विक अभियान की शुरुआत का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य है:

  • सरकारों और स्वास्थ्य प्रणालियों को प्रेरित करना कि वे रोके जा सकने वाली मातृ एवं नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए अपने प्रयास तेज़ करें।

  • गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान माताओं के स्वास्थ्य और दीर्घकालिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करना।

  • विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और नवजातों के लिए सुलभ और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना।

यह थीम अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाती है कि जीवन की एक स्वस्थ शुरुआत एक सुरक्षित गर्भावस्था और सुरक्षित प्रसव से शुरू होती है। माताओं का स्वास्थ्य सीधे तौर पर शिशुओं, परिवारों और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित करता है।

मातृ और नवजात स्वास्थ्य की आपातकालीन स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी किए गए चिंताजनक आंकड़ों के अनुसार:

  • हर साल लगभग 300,000 महिलाएँ गर्भावस्था या प्रसव के कारण होने वाली जटिलताओं से मृत्यु को प्राप्त होती हैं।

  • 2 मिलियन से अधिक शिशु अपनी पहली महीने में मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।

  • 2 मिलियन और शिशु मृत पैदा होते हैं, जिनमें से कई समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से बच सकते थे।

  • यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि इसका अर्थ है हर 7 सेकंड में एक रोका जा सकने वाली मौत।

ये आंकड़े मातृ और नवजात स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण अंतर को उजागर करते हैं। वर्तमान में जो स्थिति है, वह दर्शाती है कि:

  • 5 में से 4 देश 2030 तक मातृ मृत्यु दर को कम करने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं।

  • 3 में से 1 देश नवजात मृत्यु दर को कम करने के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहेगा।

यह स्थिति विशेष रूप से निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल को प्रदर्शित करती है, जहाँ आवश्यक मातृ और नवजात देखभाल तक पहुँच अभी भी सीमित है।

भारत-श्रीलंका ने भविष्य के लिए ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और श्रीलंका ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों के बीच इस तरह का पहला समझौता है। यह पहल लगभग 40 वर्षों बाद आई है, जब भारतीय शांति सेना (IPKF) को श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान तैनात किया गया था। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोलंबो यात्रा और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुर कुमारा डिसानायके के साथ हुई चर्चाओं के दौरान संपन्न हुआ। यह दोनों देशों के बीच साझा रणनीतिक दृष्टिकोण और सुरक्षा व विकास के मामलों में बढ़ती परस्पर निर्भरता को दर्शाता है। यह समझौता रक्षा, ऊर्जा, डिजिटल सहयोग और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में केंद्रित दस प्रमुख समझौतों के व्यापक ढांचे का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत और श्रीलंका के बीच साझेदारी को और गहरा करना है।

भारत-श्रीलंका रक्षा समझौता और अन्य समझौतों के प्रमुख बिंदु:

रक्षा सहयोग

  • यह रक्षा सहयोग पर पहला फ्रेमवर्क समझौता ज्ञापन (MoU) है।

  • इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और उच्च स्तरीय वार्तालाप शामिल हैं।

  • यह इस विचार को सुदृढ़ करता है कि दोनों देशों की सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका द्वारा भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता को रेखांकित किया।

  • राष्ट्रपति अनुर कुमारा डिसानायके ने आश्वासन दिया कि श्रीलंकाई भूमि का उपयोग भारत के विरुद्ध नहीं होने दिया जाएगा

ऊर्जा और अवसंरचना

संपूर पावर प्रोजेक्ट

  • इस परियोजना की शिलान्यास समारोह वर्चुअली आयोजित की गई।

  • यह परियोजना श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा को सशक्त बनाएगी।

मल्टी-प्रोडक्ट ऊर्जा पाइपलाइन परियोजना

  • भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर।

  • त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करने की योजना।

ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी समझौता

  • भारत और श्रीलंका की बिजली ग्रिड को जोड़ने का प्रस्ताव।

  • इससे बिजली व्यापार और विद्युत निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी।

डिजिटल परिवर्तन

  • भारत और श्रीलंका के बीच डिजिटल गवर्नेंस समाधानों को साझा करने के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर।

  • श्रीलंका के डिजिटल परिवर्तन को तेज करने का उद्देश्य।

नवीकरणीय ऊर्जा पहल

सोलर रूफटॉप प्रोजेक्ट

  • 5,000 धार्मिक स्थलों पर रूफटॉप सोलर पैनलों की स्थापना की जाएगी।

  • भारत द्वारा 17 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता से वित्तपोषित।

  • 25 मेगावॉट हरित ऊर्जा उत्पन्न होगी।

  • इसमें हिंदू, बौद्ध, ईसाई और मुस्लिम धार्मिक स्थलों को शामिल किया गया है।

स्वास्थ्य और औषधि

MoU के तहत साझेदारी

  • भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और

  • श्रीलंका के स्वास्थ्य और मास मीडिया मंत्रालय के बीच।

  • उद्देश्य: स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग।

अलग समझौता ज्ञापन

  • इंडियन फार्माकोपिया कमीशन और

  • श्रीलंका की नेशनल मेडिसिन्स रेगुलेटरी अथॉरिटी के बीच।

  • औषधीय मानकों और प्रथाओं में सहयोग सुनिश्चित करने के लिए।

क्षेत्रीय समर्थन और विकास

  • भारत ने 2.4 अरब श्रीलंकाई रुपये की सहायता योजना की घोषणा की।

  • श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के सामाजिक और आर्थिक विकास पर केंद्रित।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? भारत-श्रीलंका ने भविष्य के लिए ऐतिहासिक रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए
रक्षा रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन: संयुक्त प्रशिक्षण, सैन्य अभ्यास, उच्चस्तरीय आदान-प्रदान
ऊर्जा सम्पूर पावर प्रोजेक्ट; यूएई के साथ त्रिंकोमाली एनर्जी हब; ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी समझौता
डिजिटल परिवर्तन भारत द्वारा श्रीलंका को डिजिटल समाधान साझा करना
नवीकरणीय ऊर्जा 5,000 धार्मिक स्थलों पर सौर ऊर्जा प्रणालियाँ (25 मेगावाट)
स्वास्थ्य एवं औषधि दो समझौता ज्ञापन – एक स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग पर, दूसरा औषधीय मानकों पर
क्षेत्रीय विकास श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु ₹2.4 अरब की सहायता

हरियाणा ने दो हड़प्पा स्थलों को संरक्षित पुरातात्विक स्मारक घोषित किया

हरियाणा सरकार ने भिवानी जिले में स्थित दो हड़प्पा सभ्यता स्थलों — मिताथल और टीघराना — को आधिकारिक रूप से संरक्षित पुरातात्विक स्थल और स्मारक घोषित किया है। ये स्थल लगभग 4,400 वर्ष पुराने हैं और इनका ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। ये स्थल प्रारंभिक कृषि समाजों के विकास, नगर नियोजन, शिल्प उद्योग और हड़प्पा व उत्तर-हड़प्पा काल में व्यापार की झलक प्रस्तुत करते हैं। हरियाणा विरासत एवं पर्यटन विभाग द्वारा हरियाणा प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1964 के तहत इन स्थलों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है। इस कदम का उद्देश्य इन प्राचीन बस्तियों को अतिक्रमण और क्षति से बचाना है, जिसके लिए अब यहां बाड़बंदी और सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी।

मुख्य बिंदु: कानूनी संरक्षण

हरियाणा सरकार द्वारा 13 मार्च 2025 को एक अधिसूचना जारी की गई, जिसे हरियाणा विरासत एवं पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव कला रामचंद्रन ने जारी किया। इस अधिसूचना के तहत मिताथल और टीघराना स्थलों को हरियाणा प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1964 के अंतर्गत संरक्षित घोषित किया गया है। मिताथल का स्थल लगभग 10 एकड़ में फैला हुआ है और इसे अब औपचारिक रूप से कानूनी सुरक्षा प्राप्त हो गई है।

मिताथल स्थल (हड़प्पा सभ्यता)

मिताथल स्थल की खोज सबसे पहले 1913 में हुई थी, जहां से समुद्रगुप्त (गुप्त वंश) के सिक्कों का एक खजाना प्राप्त हुआ था। इसके बाद 1968 में खुदाई की गई, जिसमें भारत-गंगा दोआब क्षेत्र की ताम्र-कांस्य युगीन संस्कृति (ईसा पूर्व तीसरी से दूसरी सहस्राब्दी) के महत्वपूर्ण प्रमाण मिले। 1965 से 1968 के बीच हुई खुदाइयों में पूर्व-ऐतिहासिक सामग्री जैसे मालाएं (beads) और तांबे के उपकरण पाए गए, जो उस काल की सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी प्रगति को दर्शाते हैं।

पुरातात्विक विशेषताएँ

मिताथल स्थल पर हड़प्पा शैली की नगर योजना, वास्तुकला, कला और शिल्प के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं।

मृद्भांड (Pottery): यहाँ से पाई गई मिट्टी की हांड़ियाँ मजबूत लाल रंग की हैं, जो अच्छी तरह से पकाई गई थीं और उन पर काले रंग से पीपल के पत्ते, मछली के शल्क, और ज्यामितीय आकृतियाँ चित्रित थीं।

कलात्मक वस्तुएँ (Artifacts): खुदाई में मालाएं, चूड़ियाँ, टेरीकोटा (मृत्तिका शिल्प) तथा पत्थर, शंख, तांबा, हाथी दांत, और हड्डी से बनी वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं, जो उस काल के विकसित हस्तशिल्प और व्यापार की जानकारी देती हैं।

तिगराना स्थल (उत्तर-हड़प्पा / ताम्रपाषाण संस्कृति)

तिगराना एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल है, जिसकी बस्ती लगभग 2400 ईसा पूर्व की मानी जाती है। यह क्षेत्र ताम्रपाषाण कालीन कृषि समुदायों, जिन्हें सोथी समुदाय कहा जाता है, द्वारा बसाया गया था।

यह स्थल हरियाणा के चांग, मिताथल, तिगराना और आस-पास के क्षेत्रों में फैला हुआ था, जहाँ इस संस्कृति के स्पष्ट अवशेष पाए गए हैं। यह बस्ती हड़प्पा के बाद के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को दर्शाती है।

बस्ती की विशेषताएँ

तिगराना स्थल पर पाई गई बस्तियाँ फूस की छतों वाले कच्ची ईंटों से बने घरों की थीं, जिनमें से कुछ के किलेबंद होने की संभावना भी जताई गई है। प्रत्येक बस्ती में 50 से 100 घर पाए गए, जो उस समय की जनसंख्या और सामाजिक संगठन को दर्शाते हैं।

जीवनशैली और उपकरण

यहाँ के निवासी कृषि कार्य करते थे और उन्होंने गाय, बैल और बकरी जैसे पशुओं को पालतू बनाया था। वे पहिए से बनाए गए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते थे, जिन पर काले और सफेद द्विवर्णीय डिज़ाइनों में चित्रकारी की गई थी। इसके अलावा, उन्होंने तांबे, कांसे और पत्थर के औजारों का भी बड़े पैमाने पर प्रयोग किया।

हस्तशिल्प उद्योग

इस क्षेत्र में मनकों और हरे कार्नेलियन से बने कंगनों की मौजूदगी इस बात की पुष्टि करती है कि यहाँ आभूषण निर्माण और मनका-निर्माण व्यापार प्रचलित था।

खोज और महत्व

तिगराना स्थल से पूर्व-सिसवाल, पूर्व-हड़प्पा और उत्तर-हड़प्पा काल से संबंधित अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिससे यह स्थल एक महत्वपूर्ण कालानुक्रमिक (chronological) पुरातात्विक स्थल बन जाता है।

Meta ने लॉन्च किया Llama 4

मेटा (Meta), जिसके सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग हैं, ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए एलएलएएमए-4 (Llama-4) नामक अगली पीढ़ी के बड़े भाषा मॉडल सूट को लॉन्च किया है। यह घोषणा 6 अप्रैल 2025 को की गई। इस सूट में तीन शक्तिशाली एआई मॉडल शामिल हैं – स्काउट (Scout), मैवरिक (Maverick), और बेहेमोथ (Behemoth) – जिन्हें मल्टीमॉडल क्षमताओं और तार्किक सोच के विभिन्न स्तरों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस रणनीतिक कदम के माध्यम से मेटा अब सीधे ओपनएआई के चैटजीपीटी और गूगल के जेमिनी जैसे प्रमुख एआई प्लेटफॉर्म्स से टक्कर ले रहा है, साथ ही चीन के डीपसीक (DeepSeek) जैसे उभरते वैश्विक खिलाड़ियों को भी जवाब दे रहा है।

मुख्य विशेषताएं और मुख्य बिंदु

  • लॉन्च की तारीख: 6 अप्रैल 2025

  • पेश किए गए मॉडल:

    • स्काउट (Scout): मेटा का दावा है कि यह अब तक का सबसे बेहतरीन मल्टीमॉडल मॉडल है, जो टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो आदि को एकसाथ प्रोसेस करने में सक्षम है।

    • मैवरिक (Maverick): मेटा का प्रमुख एआई असिस्टेंट मॉडल, जिसे उपयोगकर्ताओं की दैनिक जरूरतों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

    • बेहेमोथ (Behemoth): मेटा द्वारा विकसित किया गया सबसे शक्तिशाली लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM), जिसे एक “टीचर मॉडल” की भूमिका निभाने के लिए बनाया गया है, यानी अन्य एआई मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

क्षमताएं (Capabilities)

  • टेक्स्ट, इमेज और वीडियो के माध्यम से उन्नत तार्किक विश्लेषण (advanced reasoning) को संभालने में सक्षम।

  • डॉक्यूमेंट समरी, कोड जनरेशन, और विज़ुअल प्रोसेसिंग जैसी जटिल कार्यक्षमताएं प्रदान करता है।

  • उच्च सटीकता और व्यक्तिगत अनुभव (personalization) के साथ मल्टीमॉडल कार्यों के लिए अनुकूल।

प्रदर्शन संबंधी दावे (Performance Claims)

  • Gemma 3, Gemini 2.0, Flash Lite, और Mistral 3.1 जैसे प्रमुख एआई मॉडल्स को प्रदर्शन में पीछे छोड़ता है।

  • Maverick को कोडिंग, तर्कशक्ति (reasoning) और इमेज आधारित कार्यों में GPT-4o और Gemini 2.0 से बेहतर बताया गया है।

  • Scout को अब तक का सबसे सटीक और सक्षम मल्टीमॉडल एआई मॉडल माना जा रहा है।

उपलब्धता (Availability)

  • Scout और Maverick मेटा की वेबसाइट पर नि:शुल्क उपलब्ध हैं।

  • Behemoth फिलहाल पूर्वावलोकन चरण (preview stage) में है और अभी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराया गया है।

मेटा की एआई इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश योजना (Meta’s AI Infrastructure & Investment Plans – Hindi)

2025 के लिए निवेश लक्ष्य

  • मेटा ने $65 बिलियन का बजट एआई के विकास और तैनाती (deployment) के लिए निर्धारित किया है।

प्रमुख परियोजनाएं (Key Projects)

  • $10 बिलियन की लागत से लुइज़ियाना में एक विशाल डेटा सेंटर का निर्माण हो रहा है।

  • एआई ऑपरेशनों को शक्ति देने के लिए उच्च प्रदर्शन वाले चिप्स (high-performance chips) की खरीद।

  • एआई अनुसंधान, विकास और तैनाती से जुड़े क्षेत्रों में नई प्रतिभाओं की नियुक्ति

लक्ष्य (Goal)

  • 2025 के अंत तक Meta AI को दुनिया का सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला AI असिस्टेंट बनाना।

  • मेटा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में एआई को सहज रूप से एकीकृत करना।

  • एआई-संचालित स्मार्ट ग्लास और वियरेबल टेक्नोलॉजी की दिशा में विस्तार।

वैश्विक एआई प्रतिस्पर्धा की प्रतिक्रिया (Response to Global AI Competition)

  • DeepSeek से मिल रही चुनौती: चीन की DeepSeek मॉडल्स (R1 और V3) ने Llama-2 को कई बेंचमार्क्स में पीछे छोड़ा।

  • मेटा ने Llama-4 के विकास को तेज करते हुए आंतरिक स्तर पर “AI वॉर रूम्स” बनाए।

  • Behemoth मॉडल को DeepSeek की दक्षता और लागत नवाचारों (efficiency & cost innovations) को रीवर्स-इंजीनियर करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।

One State-One RRB: जानें सरकार का बड़ा कदम

भारतीय सरकार “वन स्टेट, वन आरआरबी” (एक राज्य, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) नीति को लागू करने जा रही है, जिसका उद्देश्य संचालन क्षमता में सुधार, आपसी प्रतिस्पर्धा में कमी और मौजूदा 43 आरआरबी को घटाकर 28 में समेकित करना है। वित्त मंत्रालय इस नीति के तहत छोटे और कम प्रभावी बैंकों को मिलाकर इनकी सेवा वितरण क्षमता और लागत प्रभावशीलता को बेहतर बनाना चाहता है। यह पहल एक व्यापक समेकन प्रयास का हिस्सा है, जो पहले ही आरआरबी की संख्या को 196 से घटाकर 43 कर चुकी है। इस नीति से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण प्रवाह में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे आरआरबी की वित्तीय स्थिति और संचालन ढांचा और मजबूत होगा।

पहल के प्रमुख बिंदु

नीति का उद्देश्य:
इस पहल का मुख्य उद्देश्य संचालन दक्षता में सुधार करना, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के बीच प्रतिस्पर्धा को कम करना और समेकन के माध्यम से लागत में कटौती हासिल करना है। वर्तमान में 43 आरआरबी हैं, जिन्हें घटाकर 28 किया जाएगा।

संघटन से प्रभावित राज्य:

  • आंध्र प्रदेश: यहां सबसे अधिक 4 आरआरबी हैं, जिन्हें समेकित किया जाएगा।

  • उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल: इन दोनों राज्यों में 3-3 आरआरबी हैं।

  • अन्य राज्य: बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में प्रत्येक राज्य में 2-2 आरआरबी हैं, जिन्हें एकीकृत किया जाएगा।

तेलंगाना में परिसंपत्तियों और दायित्वों का विभाजन पूर्ण
तेलंगाना ने आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (APGVB) और तेलंगाना ग्रामीण बैंक के बीच परिसंपत्तियों और दायित्वों का सफलतापूर्वक विभाजन पूरा कर लिया है।

आरआरबी में पूंजी निवेश
वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, सरकार ने आरआरबी की संचालन क्षमताओं को मजबूत करने और विकास को बढ़ावा देने हेतु दो वर्षों में ₹5,445 करोड़ की वृद्धि पूंजी के रूप में निवेश किया।

हाल की प्रदर्शन सुधार

  • वित्त वर्ष 2023-24 में आरआरबी ने रिकॉर्ड ₹7,571 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया।

  • 31 मार्च, 2024 तक आरआरबी की समेकित पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio) 14.2% तक पहुँच गई।

  • सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (GNPA) घटकर अब तक के न्यूनतम स्तर 6.1% पर पहुँच गई हैं।

आरआरबी एकीकरण का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
केंद्र सरकार द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के एकीकरण की प्रक्रिया वर्ष 2004-05 में शुरू की गई थी। इस प्रक्रिया के तहत तीन चरणों में वर्ष 2020-21 तक आरआरबी की संख्या को 196 से घटाकर 43 कर दिया गया।

आरआरबी की स्थापना RRB अधिनियम, 1976 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करना था।

2015 में RRB अधिनियम में संशोधन
2015 में आरआरबी अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे इन बैंकों को केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों के अलावा अन्य स्रोतों से भी पूंजी जुटाने की अनुमति मिली।

वर्तमान हिस्सेदारी संरचना में:

  • केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50% है,

  • प्रायोजक बैंकों की 35%, और

  • राज्य सरकारों की 15% हिस्सेदारी है।

वर्तमान आरआरबी नेटवर्क

31 मार्च 2024 तक, देशभर में 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) संचालित हो रहे हैं, जिनकी 22,069 शाखाएँ 26 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों में फैली हुई हैं। ये बैंक 700 जिलों को कवर करते हैं।

ग्रामीण ग्राहकों की सुविधा बढ़ाने के लिए अब कई आरआरबी डिजिटल सेवाएं भी प्रदान करने लगे हैं, जिससे बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच और भी आसान हो गई है।

सारांश / स्थैतिक विवरण जानकारी
क्यों है खबरों में? सरकार “एक राज्य, एक आरआरबी” नीति लागू करने जा रही है
नीति का नाम एक राज्य, एक आरआरबी (One State, One RRB)
लक्ष्य कार्यक्षमता बढ़ाना, प्रतिस्पर्धा कम करना, आरआरबी का एकीकरण
विलय हेतु आरआरबी 43 से घटाकर 28 किया जाएगा
प्रभावित राज्य आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात आदि
तेलंगाना में विभाजन एपीजीवीबी और तेलंगाना ग्रामीण बैंक के बीच विभाजन पूर्ण
पूंजी निवेश (2021-22) दो वर्षों में ₹5,445 करोड़ का निवेश
लाभ (वित्त वर्ष 2023-24) ₹7,571 करोड़ (अब तक का सर्वाधिक लाभ)
पूंजी पर्याप्तता अनुपात (2024) 14.2%
सकल एनपीए (2024) 6.1% (पिछले 10 वर्षों में सबसे कम)
आरआरबी अधिनियम संशोधन (2015) गैर-सरकारी स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति
वर्तमान आरआरबी नेटवर्क (मार्च 2024) 43 आरआरबी, 22,069 शाखाएं, 700 जिले

भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ

भारत और चीन ने अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक-दूसरे को संदेश भेजे, जिनमें द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को रेखांकित किया गया। अपने संदेश में राष्ट्रपति शी ने भारत और चीन के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए “ड्रैगन और हाथी के सहयोगात्मक नृत्य” की उपमा दी। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश आधुनिकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं और उन्हें एक रणनीतिक और दीर्घकालिक साझेदारी का निर्माण करना चाहिए। वर्षगांठ के समारोहों में पिछले पाँच महीनों के दौरान विश्वास और सहयोग को पुनः स्थापित करने की दिशा में हुई प्रगति पर भी चिंतन किया गया, विशेष रूप से सीमा सुरक्षा, रक्षा और लोगों से लोगों के संपर्क जैसे क्षेत्रों में।

75वीं वर्षगांठ समारोह की प्रमुख विशेषताएँ:

स्मरणीय कार्यक्रम

यह कार्यक्रम भारत में स्थित चीनी दूतावास द्वारा आयोजित किया गया।

मुख्य हस्तियाँ

इस अवसर को चिह्नित करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक-दूसरे को बधाई संदेश भेजे।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दोनों देशों के संबंधों में आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और हितों के महत्व पर बल दिया।

भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने द्विपक्षीय संबंधों की रणनीतिक प्रकृति को उजागर किया।

द्विपक्षीय संबंध

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत और चीन को “प्राचीन सभ्यताएँ” और ग्लोबल साउथ के प्रमुख सदस्य बताया, जो वर्तमान में व्यापक आधुनिकता की दिशा में अग्रसर हैं।

विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत-चीन संबंधों को आपसी सम्मान और सहयोग की नींव पर फिर से स्थापित किया जाना चाहिए, जिसमें विशेष ध्यान लोगों के बीच संपर्क और परस्पर विश्वास की पुनः स्थापना पर हो।

प्रमुख पहलें

  • पूर्वी लद्दाख में डिसएंगेजमेंट: तनाव कम करने के उद्देश्य से सेनाओं के पीछे हटने और गश्त फिर से शुरू करने जैसे कदम उठाए गए हैं।

  • व्यावहारिक सहयोग: कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया गया है, नदियों पर सहयोग और सीधी हवाई सेवाओं पर चर्चा की जा रही है।

  • लोगों के बीच संपर्क: वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भारत में चीनी दूतावास द्वारा 70,000 वीज़ा जारी किए गए, जो दोनों देशों के नागरिकों के बीच बढ़ते संपर्क को दर्शाता है।

सीमा अग्रवाल को अग्निशमन एवं बचाव सेवाओं का DGP नियुक्त किया गया

भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की वरिष्ठ अधिकारी सीमा अग्रवाल को अग्निशमन एवं बचाव सेवाओं का नया DGP/निदेशक नियुक्त किया गया है। वे 31 मार्च को पूर्व DGP आभाष कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद यह पदभार संभालेंगी। इस पद से पहले सीमा अग्रवाल नागरिक आपूर्ति विभाग की DGP रह चुकी हैं।

भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की वरिष्ठ अधिकारी सीमा अग्रवाल को पुलिस महानिदेशक (DGP)/अग्निशमन एवं बचाव सेवाओं की निदेशक नियुक्त किया गया है। वे 31 मार्च को पूर्व DGP अभय कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद यह पदभार संभालेंगी। इस पद से पहले सीमा अग्रवाल नागरिक आपूर्ति विभाग की DGP रह चुकी हैं।

सात अन्य IPS अधिकारियों को नई भूमिकाओं में स्थानांतरित किया गया

सीमा अग्रवाल की नई पोस्टिंग के साथ ही राज्य सरकार ने सात अन्य IPS अधिकारियों का भी तबादला किया है। ये तबादले पुलिस विभाग को कुशलतापूर्वक और बिना किसी रुकावट के काम करने के लिए किए जाने वाले नियमित अपडेट का हिस्सा हैं।

रूपेश कुमार मीना को नया प्रभार

रूपेश कुमार मीना, जो अब सिविल सप्लाईज-सीआईडी ​​के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) हैं, सिविल सप्लाईज के DGP के रूप में कार्य करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी संभालेंगे। इसका मतलब है कि वे अभी एक साथ दो भूमिकाएँ संभालेंगे।

विजयेंद्र एस बिदारी की पोस्टिंग

आईजीपी विजयेंद्र एस. बिदारी को आईजीपी/अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, मुख्यालय, ग्रेटर चेन्नई पुलिस के पद पर नियुक्त किया गया है । इस पद पर कार्यरत पूर्व अधिकारी कपिल कुमार सी. सरतकर को अब आईजीपी, प्रवर्तन, चेन्नई के पद पर स्थानांतरित किया गया है।

यातायात पुलिस नियुक्ति

जी. कार्तिकेयन को ग्रेटर चेन्नई ट्रैफिक पुलिस का नया आईजीपी/अतिरिक्त पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। पूर्व अधिकारी आर. सुधाकर को केंद्रीय सेवाओं में प्रतिनियुक्त किया गया है।

आर्थिक अपराध शाखा में बदलाव

सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक संयुक्त निदेशक संतोष कुमार को आर्थिक अपराध शाखा का नया पुलिस महानिरीक्षक बनाया गया है। इस शाखा की पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एम. सत्या प्रिया को कल्याण पुलिस महानिरीक्षक के पद पर भेजा गया है।

एम. दुरई को पुलिस मुख्यालय में डीआईजी पद पर तैनात किया गया

एम. दुरई को मुख्यालय में पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद पर नियुक्त किया गया है । उनकी नई भूमिका में मुख्य कार्यालय से महत्वपूर्ण फाइलों और दैनिक पुलिस कार्यों को संभालने में वरिष्ठ अधिकारियों की सहायता करना शामिल है।

समाचार का सारांश

अधिकारी का नाम नई पोस्टिंग 
सीमा अग्रवाल DGP/निदेशक, अग्निशमन एवं बचाव सेवाएं
रूपेश कुमार मीना आईजीपी, नागरिक आपूर्ति-सीआईडी ​​और DGP, नागरिक आपूर्ति का अतिरिक्त प्रभार
विजयेंद्र एस. बिदैर आईजीपी/अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, मुख्यालय ग्रेटर चेन्नई पुलिस
कपिल कुमार सी. सरतकर आईजीपी, प्रवर्तन, चेन्नई
जी. कार्तिकेयन आईजीपी/अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, ग्रेटर चेन्नई यातायात पुलिस
आर. सुधाकर केंद्रीय सेवाओं में प्रतिनियुक्त
संतोष कुमार आईजीपी, आर्थिक अपराध शाखा
एम. सत्या प्रिया आईजीपी, कल्याण
एम. दुरई पुलिस उपमहानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय

तमिलनाडु ने 9.69% की वृद्धि के साथ नया उच्च स्तर स्थापित किया

तमिलनाडु ने वर्ष 2024-25 के लिए भारत में सबसे अधिक वास्तविक आर्थिक विकास दर हासिल की है। राज्य ने 9.69% की दर से विकास किया, जो देश में सबसे अच्छा है और पिछले 10 वर्षों में तमिलनाडु के लिए भी सबसे अधिक है। यह वृद्धि दर्शाती है कि तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था साल दर साल मजबूत होती जा रही है।

तमिलनाडु ने वर्ष 2024-25 के लिए भारत में सबसे अधिक वास्तविक आर्थिक विकास दर हासिल की है। राज्य ने 9.69% की दर से विकास किया, जो देश में सबसे अच्छा है और पिछले 10 वर्षों में तमिलनाडु के लिए भी सबसे अधिक है। यह वृद्धि दर्शाती है कि तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था साल दर साल मजबूत होती जा रही है।

वास्तविक आर्थिक विकास क्या है?

वास्तविक वृद्धि का मतलब मुद्रास्फीति को शामिल किए बिना अर्थव्यवस्था की वृद्धि है। इससे यह स्पष्ट तस्वीर मिलती है कि वास्तविक प्रगति कितनी हुई है। दूसरी ओर, नाममात्र वृद्धि में मुद्रास्फीति शामिल है। 2024-25 में, तमिलनाडु की नाममात्र वृद्धि दर 14.02% थी, जो सभी भारतीय राज्यों में सबसे अधिक है।

तमिलनाडु के जीडीपी आंकड़े

स्थिर मूल्यों पर (2011-12 आधार वर्ष):

  • 2023-24 में जीएसडीपी 15,71,368 करोड़ रुपये थी।
  • 2024-25 में यह बढ़कर 17,23,698 करोड़ रुपये हो जाएगा।

यह वृद्धि दर्शाती है कि राज्य की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।

पिछले वर्षों से तुलना

  • 2017-18: वृद्धि दर 8.59% रही।
  • 2020-21 ( कोविड-19 अवधि): वृद्धि दर 0.07% पर बहुत कम थी, लेकिन फिर भी सकारात्मक थी।
  • 2024-25: विकास दर 9.69% तक पहुंची, जो 10 वर्षों में सर्वोत्तम है।

महामारी जैसे कठिन समय में भी तमिलनाडु मजबूत बना रहा।

विशेषज्ञों से सहायता

मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एमएसई) ने अर्थशास्त्री डॉ. सी. रंगराजन और डॉ. के.आर. शनमुगम के एक अध्ययन में 9.3% की वृद्धि की भविष्यवाणी की थी। तमिलनाडु आर्थिक सर्वेक्षण में 8% से अधिक की वृद्धि की उम्मीद थी। लेकिन वास्तविक संख्या – 9.69% – इससे भी बेहतर थी।

क्षेत्रवार वृद्धि

तृतीयक (सेवा) क्षेत्र:

इस क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि, 12.7% हुई। इसमें शामिल हैं:

  • रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाएं: 13.6% वृद्धि
  • संचार एवं प्रसारण: 13% वृद्धि
  • व्यापार, होटल और रेस्तरां: 11.7% वृद्धि

यह क्षेत्र अब राज्य की अर्थव्यवस्था में लगभग 53% का योगदान देता है।

द्वितीयक क्षेत्र

इस क्षेत्र में 9% की वृद्धि हुई। इसमें शामिल हैं:

  • निर्माण : 10.6% वृद्धि
  • विनिर्माण : 8% वृद्धि

यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में 37% का योगदान देता है।

प्राथमिक क्षेत्र

इस क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। इसकी वृद्धि दर केवल 0.15% रही, जबकि अर्थव्यवस्था में इसका योगदान 10% है।

  • फसल उत्पादन: -5.93% (ऋणात्मक वृद्धि)
  • पशुधन : 3.84% वृद्धि

भविष्य की संभावनाएँ

डॉ. शनमुगम ने कहा कि तमिलनाडु 2021-22 से 8% से अधिक की दर से बढ़ रहा है। अगर यह 9.7% की दर से बढ़ता रहा और निर्यात बढ़ता रहा, तो राज्य 2032-33 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हर क्षेत्र 2024-25 की तुलना में सिर्फ़ 0.5% ज़्यादा बढ़ता है, तो 2025-26 में कुल वृद्धि 10.7% हो सकती है। बजट में 2025-26 में 14.5% नाममात्र वृद्धि की भी उम्मीद है।

समाचार का सारांश

घटनाक्रम विवरण
वास्तविक आर्थिक विकास दर तमिलनाडु ने 2024-25 में 9.69% की वृद्धि दर्ज की, जो भारत में और 10 वर्षों में सबसे अधिक है।
नॉमिनल वृद्धि दर राज्य ने 14.02% नाममात्र वृद्धि हासिल की, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद जीएसडीपी 15.71 लाख करोड़ रुपये (2023-24) से बढ़कर 17.23 लाख करोड़ रुपये (2024-25) हो गई।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाला क्षेत्र तृतीयक (सेवा) क्षेत्र में 12.7% की वृद्धि हुई – जिसका नेतृत्व रियल एस्टेट, संचार और व्यापार ने किया।
द्वितीयक क्षेत्र विकास निर्माण क्षेत्र में 10.6% तथा विनिर्माण क्षेत्र में 8% की वृद्धि हुई।
प्राथमिक क्षेत्र का प्रदर्शन 0.15% की बहुत कम वृद्धि।
फसल उत्पादन में -5.93% की गिरावट
विकास की भविष्यवाणी एमएसई के विशेषज्ञों ने 9.3% की भविष्यवाणी की थी, जो कि इससे भी अधिक थी।
भविष्य का दृष्टिकोण यदि उच्च विकास जारी रहा तो तमिलनाडु 2032-33 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।

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