अमेरिका लगातार चौथे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

वित्त वर्ष 2024–25 में भारत के विदेश व्यापार के आँकड़े प्रमुख वैश्विक साझेदारों के साथ विविध रुझान दर्शाते हैं। अमेरिका को भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जिससे व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) और अधिक बढ़ गया। दूसरी ओर, चीन के साथ व्यापार घाटा और गहराता गया, जिसका मुख्य कारण आयात में वृद्धि और निर्यात में गिरावट रहा। चीन भारत का सबसे बड़ा आयात स्रोत बना रहा, जबकि अमेरिका भारतीय निर्यात का प्रमुख गंतव्य बना रहा।

मुख्य बिंदु 

अमेरिका के साथ व्यापार (FY25)

  • अमेरिका को निर्यात: $86.5 अरब (वृद्धि: 11.59%, FY24 में $77.5 अरब)

  • अमेरिका से आयात: $45.3 अरब (वृद्धि: 7.44%, FY24 में $42.19 अरब)

  • व्यापार अधिशेष (सरप्लस): $41.2 अरब (FY24 में $35.4 अरब से अधिक)

चीन के साथ व्यापार (FY25)

  • चीन को निर्यात: $14.25 अरब (गिरावट: 14.49%, FY24 में $16.66 अरब)

  • चीन से आयात: $113.45 अरब (वृद्धि: 11.52%, FY24 में $101.7 अरब)

  • व्यापार घाटा: $99.2 अरब (FY24 में $85.1 अरब से अधिक)

  • मुख्य आयात वस्तुएँ: इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ईवी बैटरियाँ, सौर सेल, औद्योगिक कच्चा माल

  • टिप्पणी: पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजनाओं के चलते चीन से आयातित पुर्जों की मांग बढ़ रही है।

भारत के शीर्ष निर्यात गंतव्य (FY25)

क्रम देश निर्यात मूल्य ($ अरब में) वृद्धि दर (%)
1 अमेरिका 86.5 11.59%
2 संयुक्त अरब अमीरात (UAE) 36.6 2.84%
3 नीदरलैंड 22.7 1.75%
4 यूनाइटेड किंगडम (UK) 14.5 12%

भारत के शीर्ष आयात स्रोत (FY25)

क्रम देश आयात मूल्य ($ अरब में) वृद्धि दर (%)
1 चीन 113.45 11.52%
2 रूस 63.8 4.39%
3 संयुक्त अरब अमीरात (UAE) 63.4 32%
4 अमेरिका 45.3 7.44%

5 सैन्यकर्मियों को प्रतिष्ठित मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल से सम्मानित किया गया

वर्ष 2023 और 2024 के लिए पाँच विशिष्ट सैन्य अधिकारियों को सैन्य गुप्तचर, अन्वेषण और साहसिक अभियानों में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रतिष्ठित मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल से सम्मानित किया गया। यह सम्मान नई दिल्ली में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) द्वारा आयोजित एक समारोह में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान द्वारा प्रदान किया गया।

मुख्य बिंदु

मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल के बारे में

  • स्थापना तिथि: 3 जुलाई 1888

  • नामकरण: मेजर जनरल सर चार्ल्स मेटकाफ मैकग्रेगर के नाम पर, जो 1870 में स्थापित यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) के संस्थापक थे।

  • मूल उद्देश्य: सैन्य गुप्तचर और अन्वेषण यात्राओं में उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित करना।

  • विस्तारित दायरा (1986 के बाद): सैन्य अभियानों और साहसिक गतिविधियों को भी शामिल किया गया।

  • पात्रता: सशस्त्र बलों के सभी रैंक (सेवारत/सेवानिवृत्त), टेरिटोरियल आर्मी, रिजर्व फोर्स, राष्‍ट्रीय राइफल्स और असम राइफल्स के कर्मी।

  • अब तक दिए गए पदक: कुल 127 (स्वतंत्रता से पहले 103)

मैकग्रेगर मेडल विजेता – 2023

  • विंग कमांडर डी. पांडा (भारतीय वायु सेना)

  • इलेक्ट्रिकल आर्टिफिसर (रेडियो) राहुल कुमार पांडेय (भारतीय नौसेना)

मैकग्रेगर मेडल विजेता – 2024

  • चीफ इलेक्ट्रिकल एयरक्राफ्ट आर्टिफिसर (रेडियो) राम रतन जाट (भारतीय नौसेना)

  • सार्जेंट झूमर राम पूनिया (भारतीय वायु सेना)

  • कर्नल रणवीर सिंह जमवाल – निदेशक, राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं साहसिक खेल संस्थान (NIMAS), अरुणाचल प्रदेश
    (वर्तमान में माउंट कंचनजंगा अभियान पर हैं)

समारोह में पुस्तक विमोचन

  • पुस्तक का नाम: Bravest of the Brave

  • लेखक: लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दूआ (सेवानिवृत्त)

  • विषय: वीर योद्धा नायब सूबेदार चुन्नी लाल की प्रेरणादायक जीवन यात्रा

यह समारोह भारतीय सशस्त्र बलों की अद्वितीय वीरता, खोजी भावना और साहसिक परंपरा को सम्मानित करने का प्रतीक रहा।

तमिलनाडु ने राज्य की स्वायत्तता को मजबूत करने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विधानसभा में केंद्र-राज्य संबंधों, संवैधानिक प्रावधानों और नीतियों की समीक्षा हेतु एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की है। इस समिति का उद्देश्य राज्यों की स्वायत्तता को मजबूत करने के लिए सुझाव देना है। यह कदम भारतीय संविधान की संघीय भावना के अनुरूप उठाया गया है, खासकर उस पृष्ठभूमि में जब राज्यों की शक्तियों में कटौती को लेकर चिंता बढ़ रही है। तीन सदस्यीय यह समिति जनवरी 2026 तक अपनी अंतरिम रिपोर्ट और दो वर्षों के भीतर अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।

मुख्य बिंदु 

समिति का विवरण

  • घोषणा करने वाले: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन

  • घोषणा की तिथि: 15 अप्रैल 2025

  • प्रकार: उच्च स्तरीय समीक्षा समिति

सदस्य

  • न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ (सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश) – अध्यक्ष

  • के. अशोक वर्धन शेट्टी (सेवानिवृत्त आईएएस, पूर्व कुलपति, इंडियन मरीन यूनिवर्सिटी)

  • एम. नागनाथन (पूर्व उपाध्यक्ष, राज्य योजना आयोग)

  • अंतरिम रिपोर्ट: जनवरी 2026 तक

  • अंतिम रिपोर्ट: दो वर्षों के भीतर

समिति का उद्देश्य

  • केंद्र-राज्य संबंधों से जुड़े संविधान, कानूनों, नियमों और नीतियों की समीक्षा

  • राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित विषयों की पुनर्स्थापना हेतु सिफारिश

  • राज्यों की प्रशासनिक क्षमता बढ़ाने के उपाय सुझाना

  • राष्ट्रीय एकता को प्रभावित किए बिना राज्यों की स्वायत्तता को बढ़ाने के लिए सुधार प्रस्तावित करना

  • इन समितियों की सिफारिशों पर भी विचार:

    • राजामन्नार समिति (1971)

    • सरकारिया आयोग (1983)

    • पुंछी आयोग (2004)

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • 1969: डीएमके के संस्थापक एम. करुणानिधि के नेतृत्व में राजामन्नार समिति का गठन

  • 1974: तमिलनाडु विधानसभा ने उसकी सिफारिशों को अपनाया

प्रमुख मुद्दे

  1. नीट (NEET) थोपे जाने का मुद्दा

    • तमिलनाडु की समावेशी शिक्षा नीति को कमजोर करता है

    • कोचिंग संस्थानों को बढ़ावा, वंचित छात्रों के लिए बाधा

    • तमिलनाडु द्वारा पारित NEET छूट विधेयक को मंजूरी नहीं मिली

  2. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020

    • त्रिभाषा फॉर्मूला से गैर-हिंदी राज्यों पर हिंदी थोपने का आरोप

    • केंद्र ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत ₹2,500 करोड़ की राशि रोकी

    • मांग: शिक्षा को फिर से राज्य सूची में लाया जाए

  3. वित्तीय स्वायत्तता

    • GST लागू होने से राज्यों की राजकोषीय स्वतंत्रता में कमी

    • तमिलनाडु का योगदान अधिक, लेकिन प्रति ₹1 पर केवल 29 पैसे मिलते हैं

    • GST लागू करने में राज्य की आपत्तियों की अनदेखी हुई

  4. सीमा पुनर्निर्धारण (Delimitation) 2026 को लेकर चिंता

    • जनसंख्या नियंत्रण में सफलता पाने वाले राज्यों को नुकसान

    • तमिलनाडु की संसद में सीटें घट सकती हैं

यह समिति तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों के अधिकारों की बहाली और संघीय ढांचे की मजबूती की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

विवरण जानकारी
समाचार में क्यों? तमिलनाडु ने राज्य की स्वायत्तता मजबूत करने हेतु उच्च स्तरीय समिति का गठन किया
समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ (सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश)
अन्य सदस्य के. अशोक वर्धन शेट्टी, एम. नागनाथन
अंतरिम रिपोर्ट की समयसीमा जनवरी 2026
अंतिम रिपोर्ट की समयसीमा दो वर्षों के भीतर
समिति का कार्यक्षेत्र केंद्र-राज्य कानूनों की समीक्षा, स्वायत्तता को बढ़ाने हेतु सुझाव देना
ऐतिहासिक सन्दर्भ राजामन्नार समिति (1969–1971)
उठाए गए प्रमुख मुद्दे NEET, GST, सीमा पुनर्निर्धारण (Delimitation), नई शिक्षा नीति 2020 (NEP), वित्तीय विकेंद्रीकरण

देश का निर्यात मार्च में 0.7 प्रतिशत बढ़कर 41.97 अरब डॉलर

मार्च 2025 में भारत ने निर्यात में मामूली वृद्धि और आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की। इस दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 21.54 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो चालू खाता पर दबाव को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2024–25 में माल निर्यात लगभग स्थिर रहा, जबकि सेवाओं सहित कुल व्यापार में मध्यम वृद्धि देखी गई। यह सेवा निर्यात की मजबूती को दर्शाता है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद टिकाऊ बनी रही।

मुख्य बिंदु 

मार्च 2025 व्यापार डेटा

  • निर्यात: वार्षिक आधार पर 0.7% की वृद्धि के साथ $41.97 अरब हुआ।

  • आयात: 11.3% की बढ़ोतरी के साथ $63.51 अरब पर पहुँचा।

  • व्यापार घाटा: बढ़कर $21.54 अरब हो गया, जो आयात में तेज़ वृद्धि के कारण हुआ।

वित्त वर्ष 2024–25 (अप्रैल 2024–मार्च 2025)

  • कुल माल निर्यात: $437.42 अरब, वार्षिक आधार पर मात्र 0.08% की वृद्धि।

  • कुल माल आयात: $720.24 अरब, 6.62% की सालाना वृद्धि।

  • कुल निर्यात (माल + सेवाएं): 5.5% बढ़कर $820.93 अरब तक पहुँचा।

  • कुल व्यापार घाटा: आयात मांग बढ़ने के कारण ऊँचा बना रहा।

व्यापार प्रवृत्तियों के कारण

  • मध्यम वैश्विक मांग: भारत के माल निर्यात पर असर पड़ा।

  • आयात में उछाल: ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक कच्चे माल के अधिक आयात से वृद्धि।

  • सेवा क्षेत्र: कुल निर्यात वृद्धि में मज़बूत योगदान करता रहा।

  • उच्च आधार प्रभाव: निर्यात आंकड़े मार्च 2024 की मजबूत तुलना में अपेक्षाकृत कम रहे।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • व्यापार घाटा बढ़ने से चालू खाता घाटा (CAD) पर दबाव पड़ सकता है।

  • आयात बिल बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित हो सकता है।

  • निर्यात में विविधता और आयात प्रतिस्थापन नीतियों की आवश्यकता महसूस हो रही है।

 

क्रिसिल ने बैंकिंग ऋण में 12-13% वृद्धि का अनुमान लगाया

भारत के बैंकिंग क्षेत्र में वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में 12-13% की ऋण वृद्धि (क्रेडिट ग्रोथ) होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए अनुमानित 11-11.5% वृद्धि से थोड़ा अधिक है। क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा साझा की गई इस सकारात्मक भविष्यवाणी के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि अनुकूल विनियामक उपाय, कर कटौती के कारण उपभोग में वृद्धि, और ब्याज दरों में नरमी।

हालाँकि यह परिदृश्य उत्साहवर्धक है, लेकिन बैंकों की इस वृद्धि को बनाए रखने की क्षमता मुख्यतः जमा वृद्धि (डिपॉजिट ग्रोथ) जैसे अहम कारकों पर निर्भर करेगी। इसके अतिरिक्त, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में किए गए नियामक बदलाव बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) — दोनों क्षेत्रों को सहारा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। इन उपायों में कुछ एनबीएफसी को दिए गए ऋणों के लिए जोखिम भार (रिस्क वेट) में की गई कटौती शामिल है, जिससे इन संस्थानों को ऋण उपलब्धता में सुधार होगा और समग्र ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य बिंदु

ऋण वृद्धि का अनुमान वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में

  • अनुमानित वृद्धि: 12-13%, जो FY25 (11-11.5%) से थोड़ी अधिक है।

समर्थनकारी कारक

  • विनियामक समर्थन: NBFCs को दिए गए ऋणों पर जोखिम भार में बदलाव और लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) मानदंडों की लागू होने की तिथि में देरी।

  • कर कटौती: उपभोग में वृद्धि का अनुमान, जिससे ऋण की मांग में वृद्धि होगी।

  • नरम ब्याज दरें: विभिन्न क्षेत्रों में उधारी को प्रोत्साहित करने का अनुमान।

ऋण वृद्धि पर नियामक बदलावों का प्रभाव

  • NBFCs के लिए जोखिम भार का रोलबैक: 1 अप्रैल 2025 से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कुछ NBFCs को दिए गए बैंक ऋणों के लिए जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि को वापस ले लिया, जिसे नवंबर 2023 में लागू किया गया था।

  • ऋण प्रवाह पर प्रभाव: इस रोलबैक से NBFCs को ऋण प्रवाह में सुधार होगा, जिनकी FY25 में वृद्धि धीमी रही थी।

  • LCR मानदंडों की स्थगित क्रियान्वयन: RBI ने कठोर लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) मानदंडों की लागू होने की तिथि एक साल के लिए स्थगित कर दी है।

  • बैंकों पर प्रभाव: यह स्थगन बैंकों को वह फंड्स उपयोग करने की अनुमति देगा, जो पहले एक बफर के रूप में रिजर्व किए गए थे, अब उधारी के लिए उपयोग किए जा सकेंगे।

ऋण वृद्धि के विभिन्न क्षेत्र

  • कॉर्पोरेट ऋण

    • वृद्धि का अनुमान: FY26 में 9-10%, जबकि FY25 में यह 8% था।

    • कुल बैंक ऋण में हिस्सेदारी: लगभग 41%

  • NBFCs को ऋण देना

    • वृद्धि दर: जबकि वृद्धि की दर दो अंकों में रहने की उम्मीद है, यह FY23 और FY24 में देखी गई 21% की वृद्धि से कम होगी।

    • कॉर्पोरेट ऋण का उप-क्षेत्र: NBFCs को दिया गया ऋण कुल कॉर्पोरेट ऋण का लगभग 18% है।

क्रिसिल रेटिंग्स से प्रमुख निष्कर्ष

  • बैंकिंग प्रणाली पर प्रभाव: FY23 और FY24 में NBFCs के प्रति ऋण में 21% की संयुग्मित वार्षिक वृद्धि दर (CAGR), जो FY25 में घटकर 6% हो गई।

  • भविष्य का दृष्टिकोण: NBFCs को दिए गए ऋणों में FY26 में दो अंकों में वृद्धि होने का अनुमान है, लेकिन पिछले वर्षों की उच्च वृद्धि तक नहीं पहुंचेगा।

सारांश/स्थैतिक जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? CRISIL ने बैंकिंग ऋण के लिए 12-13% वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया
ऋण वृद्धि का अनुमान (FY26) 12-13%
कॉर्पोरेट ऋण वृद्धि (FY26) 10%
NBFCs को ऋण देने की वृद्धि दो अंकों में वृद्धि का अनुमान, लेकिन FY23-24 (21%) से कम
जमा वृद्धि (FY25) 10.3%
विनियामक समर्थन NBFCs के लिए जोखिम भार में वृद्धि का रोलबैक, LCR मानदंडों की स्थगन
कर कटौती का प्रभाव उपभोग को बढ़ावा देने की उम्मीद, जिससे ऋण की मांग में वृद्धि होगी
नरम ब्याज दरें विभिन्न क्षेत्रों में उधारी को प्रोत्साहित करने का अनुमान
RBI उपायों का प्रभाव NBFCs को ऋण प्रवाह में सुधार, बैंकों के लिए ऋण देने के लिए तरलता में वृद्धि
कॉर्पोरेट ऋण का हिस्सा कुल बैंक ऋण का लगभग 41%

भारतीय नौसेना ने मेघयान-25 के तीसरे संस्करण की मेजबानी की

भारतीय नौसेना ने 14 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली स्थित नौसेना भवन में अपने प्रतिष्ठित मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान संगोष्ठी – ‘मेघायन-25’ के तीसरे संस्करण का आयोजन किया। यह कार्यक्रम विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य समुद्री मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में जागरूकता और सहयोग को बढ़ावा देना था। संगोष्ठी का वर्चुअल उद्घाटन नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने किया। इस आयोजन में प्रमुख वैज्ञानिक एवं रक्षा संस्थानों की सक्रिय भागीदारी रही।

मुख्य बिंदु – मेघायन-25

कार्यक्रम का नाम: मेघायन-25
आयोजक: भारतीय नौसेना
संस्करण: तीसरा
तिथि: 14 अप्रैल 2025
स्थान: नौसेना भवन, नई दिल्ली
अवसर: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) दिवस 2025
थीम: यह संगोष्ठी इस वर्ष के डब्ल्यूएमओ दिवस के विषय – ‘प्रारंभिक चेतावनी गैप को एक साथ पाटना’ के अनुरूप आयोजित की गई।

उद्घाटन एवं गणमान्य अतिथि

  • वर्चुअल उद्घाटन: एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, नौसेना प्रमुख

  • अध्यक्षता: वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, उप नौसेना प्रमुख

उपस्थित प्रमुख व्यक्ति:

  • वाइस एडमिरल तरुण सोबती – उप नौसेना प्रमुख

  • वाइस एडमिरल लोचन सिंह पठानिया – भारत सरकार के मुख्य हाइड्रोग्राफर

  • डॉ. निलेश देसाई – निदेशक, SAC अहमदाबाद (विशिष्ट अतिथि)

  • डॉ. मृत्युंजय महापात्र – महानिदेशक, IMD एवं मानद उपाध्यक्ष, WMO (मुख्य भाषण)

भाग लेने वाले संस्थान:

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)

  • भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)

  • भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)

  • राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT)

  • अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC), ISRO

  • भारतीय वायु सेना

  • नेशनल मैरिटाइम फाउंडेशन (NMF)

  • आईआईटी मद्रास

तकनीकी सत्र

सत्र I

  • संयोजक: रियर एडमिरल जी. रामबाबू (प्राचार्य, INA)

  • केंद्रबिंदु: समुद्री मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान में नवीन विकास

  • प्रारूप: प्रस्तुतियाँ व प्रश्नोत्तर

सत्र II

  • संयोजक: कमोडोर एसएमयू अथर

  • केंद्रबिंदु: मौसम पूर्वानुमान में सांख्यिकीय दृष्टिकोण

  • प्रारूप: प्रस्तुतियाँ व दर्शकों से संवाद

पैनल चर्चा

  • विषय:  इस कार्यक्रम में एक तीक्ष्ण और विचारोत्तेजक पैनल चर्चा भी शामिल थी, जिसका ध्यान “प्रारंभिक चेतावनी गैप को एक साथ पाटना: समुद्री सुरक्षा और समन्वय को बढ़ाने” पर केंद्रित था।

  • संयोजक: वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान (सेवानिवृत्त), महानिदेशक, NMF

  • उद्देश्य: समुद्री सुरक्षा और आपदा तैयारी के लिए एकीकृत रणनीतियाँ विकसित करना

विशेष उपलब्धियाँ व लॉन्च:

  • सम्मान: कमोडोर पीआई ओोमेन (सेवानिवृत्त), जो नौसेना के मौसम विज्ञान विशेषज्ञता के अग्रदूत माने जाते हैं, को सम्मानित किया गया।

  • लॉन्च: MOSDAC-IN वेब सेवाएँ

    • DNOM और SAC द्वारा संयुक्त रूप से विकसित

    • उपग्रह-आधारित मौसम डेटा की अनुकूलित जानकारी प्रदान करता है

    • नौसेना के मौसम कार्यालयों के लिए व्यक्तिगत लॉगिन सुविधा

  • पुनः प्रकाशन: सागरमंथन पत्रिका का 10वां संस्करण, जो एक दशक बाद पुनः प्रकाशित हुआ।

बनारस की शहनाई को जीआई टैग की मान्यता मिली

हाल ही में बनारस शहनाई को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किया जाना भारत की समृद्ध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को एक ऐतिहासिक मान्यता है। पूरी दुनिया में उस्ताद बिस्मिल्ला खान के माध्यम से प्रसिद्ध हुई शहनाई केवल एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक संगीत का प्रतीक है। वाराणसी (काशी) के पारंपरिक कारीगरों के लिए यह GI टैग केवल एक आधिकारिक प्रमाणपत्र नहीं है, बल्कि उनकी पीढ़ियों से चली आ रही विरासत, निष्ठा और शिल्प कौशल को मिला एक भावनात्मक और सांस्कृतिक सम्मान है।

मुख्य बिंदु

बनारस शहनाई के बारे में

  • वाद्य यंत्र: पारंपरिक वायु-वाद्य यंत्र, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों पर विशेष महत्व प्राप्त है।

  • उत्पत्ति: वाराणसी (बनारस), उत्तर प्रदेश।

  • सांस्कृतिक महत्व: मंदिरों, विवाह समारोहों, घाटों और शास्त्रीय संगीत प्रस्तुतियों में बजाई जाती है।

GI टैग और मान्यता

  • प्रदान किया गया द्वारा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

  • कारीगरों की ओर से प्राप्त किया: रमेश कुमार, चौथी पीढ़ी के शहनाई निर्माता।

  • महत्त्व: बनारस शहनाई की विशिष्टता और भौगोलिक विरासत की प्रामाणिकता को संरक्षित और बढ़ावा देता है।

उस्ताद बिस्मिल्ला खान की भूमिका

  • शहनाई को वैश्विक पहचान दिलाई।

  • वाराणसी के निवासी, बनारस शहनाई का चेहरा माने जाते हैं।

  • इस वाद्य यंत्र को शास्त्रीय मंचों पर विशेष स्थान दिलाने में अहम योगदान।

कारीगरों की शिल्पकला

  • प्रयुक्त सामग्री: शीशम और सागवान की लकड़ी।

  • रीड का स्रोत: डुमरांव, बिहार।

  • निर्माण में लगने वाला समय: प्रति शहनाई 2–3 दिन।

  • प्रक्रिया: स्वर की शुद्धता के लिए अत्यंत सटीक गणनाओं की आवश्यकता।

  • भावना और दर्शन: इसे एक पवित्र रचना के रूप में देखा जाता है, न कि केवल एक व्यावसायिक उत्पाद के रूप में।

सारांश/स्थैतिक जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? बनारस शहनाई को भौगोलिक संकेत (GI) टैग की मान्यता मिली
वाद्य यंत्र बनारस शहनाई
GI टैग प्रदान किया गया अप्रैल 2025 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
सांस्कृतिक प्रतिनिधि उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान
भौगोलिक उत्पत्ति वाराणसी, उत्तर प्रदेश
प्रयुक्त सामग्री शीशम और सागवान की लकड़ी, डुमरांव (बिहार) से प्राप्त रीड
निर्माण अवधि प्रति शहनाई 2–3 दिन

आयुष मंत्रालय ने राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम का आयोजन किया

आयुष मंत्रालय ने दिल्ली स्थित आयुष भवन में ‘राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम’ का एक विशेष सत्र आयोजित किया। यह पहल ‘मिशन कर्मयोगी’ ढांचे के तहत क्षमता निर्माण आयोग (CBC) के सहयोग से आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मंत्रालय के कर्मियों में सेवा भावना, व्यावसायिक क्षमता तथा जन सेवा की दक्षता को बढ़ाना है।

मुख्य बिंदु

  • आयोजक मंत्रालय: आयुष मंत्रालय
  • कार्यक्रम का नाम: राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम
  • आयोजन की तिथि: 16 अप्रैल, 2025
  • स्थान: आयुष भवन, नई दिल्ली
  • मिशन के अंतर्गत: मिशन कर्मयोगी
  • सहयोग: क्षमता निर्माण आयोग (CBC)

कार्यक्रम का चरणबद्ध विवरण

प्रथम चरण

  • उद्घाटन: वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्रालय द्वारा

  • उद्देश्य: उत्तरदायी और दक्ष कार्यबल का निर्माण

  • प्रशिक्षण को दैनिक सरकारी कार्यों में व्यवहारिक रूप से लागू करने पर बल

द्वितीय चरण

  • नेतृत्व: डॉ. सुभोध कुमार (कार्यक्रम निदेशक)

  • संचालन: श्रीमती शिप्रा सिंह

  • शिक्षण विधि: संवादात्मक व गतिविधि-आधारित

    • समूह चर्चाएं

    • टीम आधारित अभ्यास

    • समस्या समाधान गतिविधियाँ

प्रशिक्षण सत्र की मुख्य विषयवस्तु

  • आत्म-जागरूकता

  • प्रेरणा

  • नेतृत्व

  • लोक सेवा में योगदान

  • अध्ययन के साधन: आयुर्वेद, योग और पारंपरिक चिकित्सा से केस स्टडी

  • वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रासंगिक संदर्भ प्रदान किया गया

भागीदारी और प्रभाव

  • मंत्रालय के अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी

  • लोक सेवा में व्यक्तिगत भूमिका की बेहतर समझ

  • संगठनात्मक लक्ष्यों और नागरिक केंद्रित सेवा वितरण के प्रति जागरूकता में वृद्धि

सारांश/स्थैतिक जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? आयुष मंत्रालय ने राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम का आयोजन किया
आयोजक आयुष मंत्रालय
स्थान आयुष भवन, नई दिल्ली
ढांचे के अंतर्गत मिशन कर्मयोगी
सहयोगी संस्था क्षमता निर्माण आयोग (CBC)
प्रथम चरण का नेतृत्व वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्रालय
द्वितीय चरण का नेतृत्व डॉ. सुभोध कुमार (निदेशक), सह-संचालक – श्रीमती शिप्रा सिंह
कार्यप्रणाली संवादात्मक प्रारूप, समूह कार्य, चर्चाएँ, केस स्टडी
मुख्य विषयवस्तु आत्म-जागरूकता, प्रेरणा, नेतृत्व, सेवा की जिम्मेदारी

रक्षा साहित्य महोत्सव ‘कलम और कवच 2.0’ का आयोजन

रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (एचक्यू आईडीएस) के तत्वावधान में संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र (सीईएनजेओडब्ल्यूएस) ने पेंटागन प्रेस के सहयोग से नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में रक्षा साहित्य महोत्सव ‘कलम और कवच 2.0’ का दूसरी बार सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस वर्ष का विषय ‘रक्षा सुधारों के माध्यम से देश के उत्थान को सुरक्षित करना’ था। 15 अप्रैल, 2025 को आयोजित इस कार्यक्रम में रक्षा प्रौद्योगिकी और विशेष रूप से भविष्य के युद्ध पर रक्षा विनिर्माण के संदर्भ में ध्यान केंद्रित किया गया। यह प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के अनुरूप था और इसमें अधिग्रहण और खरीद सुधारों के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया।

प्रमुख बिंदु 

1. रक्षा प्रौद्योगिकी और भविष्य का युद्ध

  • आधुनिक युद्ध में तकनीक की भूमिका: चर्चा का केंद्र था कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर तकनीक, क्वांटम कंप्यूटिंग, ड्रोन, अंतरिक्ष तकनीक और सेमीकंडक्टर्स जैसी उभरती तकनीकों का सैन्य अभियानों में एकीकरण।

  • भविष्य का युद्ध: युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों (थल, वायु, जल, साइबर और अंतरिक्ष) के एकीकरण पर विशेष बल दिया गया, जिससे एक समन्वित और बहु-आयामी रक्षा रणनीति बन सके।

  • AI और साइबर तकनीक: साइबर सुरक्षा और संचालन क्षमता बढ़ाने में AI और साइबर क्षमताओं की महत्ता पर ज़ोर दिया गया।

2. रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भरता

  • आत्मनिर्भर भारत: कार्यक्रम में रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को दोहराया गया।

  • मेक इन इंडिया रक्षा तकनीक: भारत को रक्षा तकनीक और निर्माण में अपनी स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता घटे।

3. अधिग्रहण और खरीद सुधार

  • रणनीतिक रोडमैप: भारत की रक्षा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए जारी सुधारों पर चर्चा की गई।

  • रक्षा खरीद नीति: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा देने के लिए रक्षा खरीद नीतियों में सुधार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता पर विचार किया गया।

4. बहु-क्षेत्रीय और पार-क्षेत्रीय क्षमताएं

  • पार-क्षेत्रीय संचालन क्षमताएं: सेना के संचालन में थल, वायु, जल, साइबर और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों के सामूहिक एकीकरण की अहमियत को रेखांकित किया गया।

  • नई सुरक्षा चुनौतियां: समुद्री सुरक्षा (maritime security) पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें समुद्री सीमाओं की रक्षा और भविष्य की रणनीतियों को सामने रखा गया।

5. सुधारों का वर्ष – 2025

  • रक्षा मंत्री की घोषणा: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए “सुधारों का वर्ष” घोषित किया।

  • मिशन मोड दृष्टिकोण: रक्षा सुधारों, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मिशन मोड में लागू करने की प्रतिबद्धता जताई गई, जिससे सेना को तकनीकी रूप से उन्नत और युद्ध-तैयार बल बनाया जा सके।

6. प्रमुख निष्कर्ष 

  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर रणनीतिक फोकस

  • रक्षा खरीद प्रणाली में सुधार

  • रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

  • रक्षा प्रौद्योगिकी का एकीकरण

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? रक्षा साहित्य महोत्सव ‘कलम और कवच 2.0’ का आयोजन
कार्यक्रम की थीम ‘रक्षा सुधारों के माध्यम से भारत के उत्थान को सुरक्षित करना’
मुख्य फोकस क्षेत्र रक्षा प्रौद्योगिकी, भविष्य का युद्ध, AI, साइबर टेक, रक्षा निर्माण
चर्चित प्रमुख तकनीकें AI, साइबर तकनीक, क्वांटम कंप्यूटिंग, ड्रोन, अंतरिक्ष तकनीक, सेमीकंडक्टर्स
आत्मनिर्भरता (Aatmanirbharta) स्वदेशी निर्माण व रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता पर जोर
खरीद सुधार रक्षा खरीद नीति में पारदर्शिता और आधुनिकीकरण पर बल
बहु-क्षेत्रीय संचालन (Multi-Domain) थल, वायु, जल, साइबर और अंतरिक्ष में समन्वय
सुधारों का वर्ष – 2025 सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से सक्षम और युद्ध-तैयार बनाने पर बल
रक्षा मंत्री की घोषणा 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया गया

कौन हैं जस्टिस बीआर गवई, जो होंगे देश के अगले CJI

भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। यह नामांकन कानून मंत्रालय को भेजे गए पत्र के माध्यम से किया गया। सरकार की मंजूरी के बाद, न्यायमूर्ति गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। वे 13 मई 2025 को न्यायमूर्ति खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद इस पद को संभालेंगे। न्यायमूर्ति गवई 2019 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए थे और उनका कानूनी सफर दशकों तक फैला है। उन्होंने विशेष रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में भारतीय न्यायशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

न्यायमूर्ति बीआर गवई का करियर विवरण 

पृष्ठभूमि और प्रारंभिक करियर

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की।
शुरुआत में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता और न्यायाधीश राजा एस. भोसले के अधीन कार्यरत रहे (1985–1987)।
उन्होंने मुख्यतः बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून पर प्रैक्टिस की।

सरकारी भूमिकाएं

1992-93 में उन्हें नागपुर पीठ के लिए सहायक सरकारी वकील एवं अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।
2000 में वे सरकारी वकील और लोक अभियोजक के पद पर पदोन्नत हुए।

न्यायिक करियर

  • नवंबर 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए।

  • नवंबर 2005 में स्थायी न्यायाधीश बनाए गए।

  • मई 2019 में उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

न्यायमूर्ति गवई के प्रमुख न्यायिक योगदान

1. विमुद्रीकरण पर फैसला (जनवरी 2023)

न्यायमूर्ति गवई उस बहुमत पीठ का हिस्सा थे, जिसने केंद्र सरकार के 2016 में ₹500 और ₹1000 के नोटों को विमुद्रीकृत करने के फैसले को वैध ठहराया।

2. अनुसूचित जाति एवं जनजातियों का उपवर्गीकरण (अगस्त 2024)

इस ऐतिहासिक मामले में उन्होंने “क्रीमी लेयर” की अवधारणा को अनुसूचित जातियों और जनजातियों पर लागू करने की वकालत की, ताकि केवल वास्तविक जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ मिले।

3. अनुच्छेद 370 की समाप्ति (2019)

न्यायमूर्ति गवई उस पाँच-न्यायाधीशों की पीठ में शामिल थे, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को संवैधानिक ठहराया।

4. बुलडोजर से तोड़फोड़ की आलोचना (नवंबर 2024)

एक द्वि-न्यायाधीशीय पीठ में, न्यायमूर्ति गवई ने अपराध के संदिग्धों की संपत्ति को बिना उचित प्रक्रिया के बुलडोजर से गिराए जाने की आलोचना की और इसे कानून के शासन के विरुद्ध बताया।

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