भारत ने महिला कबड्डी विश्व कप का खिताब फिर जीता

भारत की महिला कबड्डी टीम ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए महिलाओं का कबड्डी वर्ल्ड कप 2025 जीत लिया। ढाका, बांग्लादेश में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने चीनी ताइपे को 35–28 से हराकर अपना खिताब सफलतापूर्वक बचाया। इस जीत के साथ भारत ने वैश्विक कबड्डी में अपनी बादशाहत को और मजबूत किया।

फाइनल में दमदार प्रदर्शन

भारतीय टीम ने पूरे मैच में संयम और रणनीति का बेहतरीन प्रदर्शन किया—

  • पहले हाफ में मजबूत रक्षा और सटीक रेड के दम पर बढ़त बनाई।

  • ब्रेक के बाद अपने आक्रामक खेल को और धार दी, जिससे चीनी ताइपे की लय टूट गई।

  • मैच के हर चरण में नियंत्रण बनाए रखते हुए टीम ने 35–28 से जीत हासिल की।

नेतृत्व और प्रमुख खिलाड़ी

  • कप्तान ऋतु नेगी और उप-कप्तान पुष्पा राणा ने शांत और प्रभावी नेतृत्व किया।

  • पुष्पा राणा के तेज रेड और मजबूत डिफेंस ने टीम के संतुलन को बनाए रखा।

  • चम्पा ठाकुर, भावना ठाकुर और साक्षी शर्मा ने ऑलराउंड प्रदर्शन से टीम की मजबूती बढ़ाई।

  • छत्तीसगढ़ की 23 वर्षीय संजू देवी फाइनल की सबसे चमकदार खिलाड़ी रहीं और टूर्नामेंट की ‘स्टैंडआउट परफॉर्मर’ बनीं।

कोचिंग और रणनीति की सफलता

  • हेड कोच तेजस्वी और सहायक कोच प्रियंका की योजनाओं ने टीम को निरंतर बढ़त दिलाई।

  • ईरान के खिलाफ सेमीफाइनल में भारत ने शुरुआत में दो ऑल-आउट लेकर 33–21 से आसान जीत दर्ज की।

  • रेडिंग कॉम्बिनेशन, डिफेंस फॉर्मेशन और समय पर सब्सटीट्यूशन—इन सबने भारत को लगातार दूसरी बार विश्व विजेता बनाया।

मुख्य तथ्य 

बिंदु विवरण
फाइनल परिणाम भारत ने चीनी ताइपे को 35–28 से हराया
इवेंट महिला कबड्डी विश्व कप 2025
स्थान ढाका, बांग्लादेश
उपलब्धि लगातार दूसरा वर्ल्ड कप खिताब
कप्तान ऋतु नेगी
उप-कप्तान पुष्पा राणा
स्टार खिलाड़ी संजू देवी (छत्तीसगढ़)
सेमीफाइनल भारत ने ईरान को 33–21 से हराया

26/11 मुंबई हमले की 17वीं बरसी: 17 साल पहले थम गई थी मुंबई की लाइफलाइन

भारत ने 26 नवंबर 2008 को अपने इतिहास के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक का सामना किया, जिसे 26/11 मुंबई आतंकी हमला के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा रची गई इस साजिश में 166 लोगों की मौत हुई और 300 से अधिक लोग घायल हुए। इस घटना ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। 2025 में इस हमले की 17वीं बरसी पर देश मुंबई में शहीदों, पीड़ितों और बचे हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।

26/11 को क्या हुआ था?

10 भारी हथियारों से लैस आतंकवादी पाकिस्तान से समुद्री मार्ग से मुंबई पहुंचे। चार दिनों तक निरंतर आतंक फैलाते हुए उन्होंने शहर के कई प्रमुख स्थानों पर समन्वित हमले किए। उनके मुख्य निशाने थे:

  • ताजमहल पैलेस होटल

  • ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल

  • छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT)

  • लियोपोल्ड कैफे

  • नरीमन हाउस (यहूदी चाबाड केंद्र)

  • कामा अस्पताल

  • मेट्रो सिनेमा जंक्शन

इन हमलों ने भारत की आर्थिक राजधानी को ठहराव और भय में डाल दिया। सुरक्षा बलों ने कई घंटों तक लड़ाई कर शहर को दुबारा नियंत्रण में लिया।

वीरता की मिसाल

इन हमलों के दौरान अनेक पुलिसकर्मियों ने अद्वितीय साहस दिखाया, जिनमें असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले का बलिदान सर्वोच्च है। उन्होंने अपनी जान गंवाकर अजमल आमिर कसाब, एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकवादी, को पकड़ लिया।
कसाब को भारत में मुकदमे के बाद 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई और 2012 में पुणे की यरवदा जेल में उसे फांसी दी गई

2025 में 17वीं बरसी पर राष्ट्र की श्रद्धांजलि

इस वर्ष गृह मंत्रालय और NSG मुंबई ने गेटवे ऑफ इंडिया पर ‘Neverever’ थीम के साथ एक स्मृति कार्यक्रम आयोजित किया।

मुख्य गतिविधियाँ:

  • शहीदों और पीड़ितों की तस्वीरों के साथ पुष्पांजलि और मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि

  • जलाई गई मोमबत्तियों के मोम से बने प्रतीकात्मक “लिविंग मेमोरियल” का प्रदर्शन

  • मुंबई के 26 स्कूलों और 11 कॉलेजों में शपथ कार्यक्रम, युवाओं में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने के लिए

  • गेटवे ऑफ इंडिया को तिरंगे की रोशनी से सजाया गया, जिस पर “Neverever” संदेश प्रदर्शित किया गया

अंतरराष्ट्रीय और कानूनी प्रगति

NIA ने हाल ही में MLAT समझौते के तहत अमेरिका से तहव्वुर राणा से संबंधित अतिरिक्त जानकारी मांगी है। राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बाद उसके बयान नए सुरागों की ओर संकेत करते हैं, जो इस लंबे चले आ रहे मामले को आगे बढ़ा सकते हैं। यह कदम दर्शाता है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है।

भारत की सुरक्षा नीति में 26/11 की भूमिका

26/11 हमलों ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर किया और इसके बाद देश ने कई अहम कदम उठाए:

  • NSG का सुदृढ़ीकरण

  • NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की स्थापना

  • तटीय और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना

  • खुफिया तंत्र में बेहतर समन्वय

  • वैश्विक आतंकवाद-विरोधी साझेदारी को बढ़ावा

Never Forget 26/11” आज भी देश को सतर्क, एकजुट और दृढ़ रहने की प्रेरणा देता है।

राष्ट्रीय संविधान दिवस 2025: भारत के लोकतांत्रिक खाके का सम्मान

राष्ट्रीय संविधान दिवस, या संविधान दिवस (Samvidhan Divas), हर वर्ष 26 नवंबर को उस ऐतिहासिक दिन की स्मृति में मनाया जाता है, जब 1949 में संविधान सभा ने भारत का संविधान अपनाया था। यह दिवस नागरिकों को संविधान निर्माताओं के अद्वितीय योगदान की याद दिलाता है और उन संवैधानिक मूल्यों को पुन: पुष्ट करता है जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और शासन प्रणाली का आधार हैं।

संविधान दिवस का उद्देश्य छात्रों, सरकारी कर्मचारियों और आम नागरिकों में संवैधानिक साक्षरता बढ़ाना और उन्हें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों से जोड़ना है। संविधान दिवस 2025 में भारत संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होने का गौरव मनाता है।

संविधान दिवस का अर्थ और उद्देश्य

संविधान दिवस, संविधान सभा के उन सदस्यों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद एक नए भारत के लिए शासन और अधिकारों का व्यापक ढांचा तैयार किया।
भारत का संविधान बनने में कुल 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे — जो विश्व के सबसे विस्तृत संविधान-निर्माण प्रयासों में से एक है।

इस दिन विशेष रूप से डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर — संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष — के योगदान को स्मरण किया जाता है। संविधान दिवस नागरिकों को मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और लोकतांत्रिक जीवन के नैतिक आधारों की ओर पुनः उन्मुख करता है।

भारत में संविधान दिवस का इतिहास

हालाँकि संविधान 1949 में अपनाया गया था, लेकिन संविधान दिवस को आधिकारिक रूप से 2015 में घोषित किया गया।

मुख्य ऐतिहासिक तथ्य

  • संविधान दिवस को 19 नवंबर 2015 को सरकारी अधिसूचना के माध्यम से घोषित किया गया।

  • 26 नवंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि यही संविधान अंगीकरण का दिन है।

  • यह घोषणा डॉ. भी.रा. अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर की गई थी।

  • 2015 से पहले, यह दिन विधि समुदायों द्वारा Law Day के रूप में मनाया जाता था।

  • नए नामकरण का उद्देश्य संविधान के सामाजिक–राजनीतिक प्रभाव को रेखांकित करना और डॉ. अंबेडकर के योगदान का सम्मान करना था।

संविधान दिवस का महत्व

संविधान दिवस भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें याद दिलाता है कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं बल्कि एक जीवंत मार्गदर्शिका है जो शासन, अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करती है।

संविधान दिवस के प्रमुख महत्व

संविधान दिवस —

  • मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और नीति निदेशक सिद्धांतों के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।

  • मनमानी के विरुद्ध संवैधानिक सर्वोच्चता को रेखांकित करता है।

  • डॉ. अंबेडकर और संविधान निर्माताओं के योगदान का सम्मान करता है।

  • धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे मूल्यों के प्रति जन-भागीदारी सुनिश्चित करता है।

  • नागरिकों में लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।

भारतीय संविधान का निर्माण: समय-रेखा

भारत का संविधान तैयार करना एक ऐतिहासिक और बौद्धिक रूप से समृद्ध प्रक्रिया थी, जिसमें व्यापक बहस, विचार-विमर्श और सहमति शामिल थी।

मुख्य घटनाओं की कालानुक्रमिक सूची

घटना तिथि
संविधान सभा का गठन 9 दिसंबर 1946
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का अध्यक्ष के रूप में चयन 11 दिसंबर 1946
डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में मसौदा समिति का गठन 29 अगस्त 1947
संविधान के मसौदे का प्रस्तुतीकरण 4 नवंबर 1948
संविधान का अंगीकरण 26 नवंबर 1949
संविधान का लागू होना (गणतंत्र दिवस) 26 जनवरी 1950

संविधान पर खुले सत्रों में कुल 165 दिन बहस हुई — जिसमें विविध विचारों ने आधुनिक भारत की लोकतांत्रिक संरचना को आकार दिया।

संविधान दिवस पर मनाए जाने वाले संवैधानिक मूल्य

भारतीय संविधान की मूल आत्मा प्रस्तावना में व्यक्त होती है। यह भारत की राजनीतिक और सामाजिक दर्शन को परिभाषित करती है।

मुख्य संवैधानिक मूल्य

  • न्याय — सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय

  • स्वतंत्रता — विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना

  • समानता — अवसरों की समानता, गरिमा और अधिकार

  • बंधुत्व — राष्ट्रीय एकता, अखंडता और आपसी सम्मान

  • धर्मनिरपेक्षता — सभी धर्मों के प्रति राज्य की समान दूरी

  • लोकतंत्र — जन-भागीदारी, प्रतिनिधित्व और जवाबदेही

  • कानून का शासन — मनमानी पर कानून की सर्वोच्चता

संविधान दिवस बनाम गणतंत्र दिवस: मुख्य अंतर

विशेषता संविधान दिवस (26 नवंबर) गणतंत्र दिवस (26 जनवरी)
महत्व संविधान का अंगीकरण संविधान का लागू होना
घोषित संविधान दिवस (2015) राष्ट्रीय त्योहार
अवकाश सार्वजनिक अवकाश नहीं राष्ट्रीय अवकाश
फोकस संवैधानिक जागरूकता भारत के गणराज्य का उत्सव
गतिविधियाँ प्रस्तावना वाचन, चर्चाएँ, व्याख्यान परेड, पुरस्कार, सांस्कृतिक समारोह

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • अंगीकरण की तिथि: 26 नवंबर 1949

  • लागू होने की तिथि: 26 जनवरी 1950

  • संविधान दिवस की आधिकारिक घोषणा: 19 नवंबर 2015

  • निर्माण अवधि: 2 वर्ष, 11 महीने, 18 दिन

  • मसौदा समिति के अध्यक्ष: डॉ. बी.आर. अंबेडकर

  • अंगीकरण के समय कुल अनुच्छेद: 395

  • वर्तमान अनुच्छेद (2025): 448

  • संविधान की लंबाई: विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान

  • अनुसूचियों की संख्या: 12

असम में बहुविवाह पर रोक लगाने वाला बिल पेश

असम सरकार के विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि बहुविवाह को दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसके दोषी को कानून के अनुसार सात वर्ष तक के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह विधेयक 2023 में किए गए अपने वादे को पूरा करते हुए प्रस्तुत किया। यह कदम उन प्रभावित महिलाओं की स्थिति को देखते हुए उठाया गया है जिनके जीवन में बहुविवाह के कारण कठिनाइयाँ आईं। 2023 में राज्यव्यापी सर्वेक्षण के बाद सरकार को ऐसा कानून लाने की जरूरत महसूस हुई थी।

विधेयक के मुख्य प्रावधान

1. बहुविवाह की परिभाषा

किसी व्यक्ति द्वारा एक वैध विवाह चलते हुए दूसरी शादी करना, जब तक पहला विवाह कानूनी रूप से समाप्त न हुआ हो।

2. प्रथम अपराध के लिए सज़ा

  • अधिकतम 7 वर्ष की कैद

  • अदालत द्वारा निर्धारित जुर्माना

3. विवाह छुपाने पर कठोर दंड

  • अधिकतम 10 वर्ष की कैद

  • जुर्माना (विधेयक में राशि निर्दिष्ट नहीं)

4. पुनरावृत्ति पर सज़ा

  • पहले अपराध के दंड की तुलना में दोगुनी सज़ा

5. पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवज़ा

  • बहुविवाह से पीड़ित महिलाओं को मुआवज़ा देने का प्रावधान

लागू क्षेत्र और छूट

विधेयक पूरे असम में लागू होगा, लेकिन कुछ क्षेत्रों और समुदायों को छूट दी गई है:

1. छठी अनुसूची क्षेत्र (Sixth Schedule Areas) छूट

  • बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन

  • करबी आंगलोंग

  • दीमा हसाओ

इन क्षेत्रों में विशेष स्वशासन होने के कारण कानून लागू नहीं होगा।

2. अनुसूचित जनजातियाँ (STs) छूट

  • संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत सूचीबद्ध ST समुदाय इस कानून के दायरे से बाहर होंगे।

3. राज्य के बाहर की गई शादी पर भी लागू

यदि असम का कोई निवासी कानून लागू होने के बाद राज्य के बाहर बहुविवाह करता है, तो उस पर भी यह कानून लागू होगा।

अतिरिक्त दंडात्मक प्रावधान

1. साज़िश या सहायता करने वालों के लिए सज़ा

यदि कोई व्यक्ति बहुविवाह में मदद करता है, छुपाता है, या भाग लेता है — जैसे:

  • गांव प्रमुख

  • क़ाज़ी

  • माता-पिता या अभिभावक

तो उसे मिल सकती है—

  • 2 वर्ष तक की कैद

  • ₹1 लाख तक जुर्माना

2. अवैध विवाह संपन्न कराने वालों पर सज़ा

जो व्यक्ति यह जानते हुए भी बहुविवाह की शादी करवाता/संपन्न करता है:

  • 2 वर्ष तक की कैद

  • ₹1.5 लाख तक जुर्माना

सजा के बाद नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध

दोषी पाए जाने पर व्यक्ति:

  • सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य होगा

  • राज्य की किसी भी लाभकारी योजना से वंचित रहेगा

  • स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकेगा, जैसे—

    • पंचायत चुनाव

    • नगर निकाय चुनाव

स्थैतिक तथ्य (Static Facts)

विवरण जानकारी
विधेयक का नाम असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025
प्रस्तुतकर्ता मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा
पेश करने की तारीख 25 नवंबर 2025
पहली बार अपराध अधिकतम 7 वर्ष कैद
विवाह छुपाने पर अधिकतम 10 वर्ष कैद
दोबारा अपराध पिछली सज़ा से दोगुनी
छूट वाले क्षेत्र छठी अनुसूची क्षेत्र
छूट वाली समुदाय अनुसूचित जनजातियाँ (अनुच्छेद 342)

RCMS Bank को बेस्ट प्रॉफिट कमाने वाले कोऑपरेटिव बैंक का सम्मान मिला

सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए गर्व का क्षण, बेलगावी मुख्यालय वाले रानी चन्नम्मा महिला सहकारी बैंक (RCMS Bank) को वर्ष 2025 के लिए बेलगावी ज़िले का सर्वश्रेष्ठ लाभ कमाने वाला बैंक चुना गया है। यह सम्मान कर्नाटक के हावेरी में आयोजित 72वें अखिल भारतीय सहकार सप्ताह के दौरान प्रदान किया गया। यह पुरस्कार कर्नाटक स्टेट अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स फेडरेशन, बेंगलुरु द्वारा दिया गया, जिसने RCMS बैंक के मजबूत वित्तीय प्रदर्शन, उत्कृष्ट शासन व्यवस्था और महिलाओं उद्यमियों व वंचित समुदायों को प्रोत्साहित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

नेतृत्व और समावेशी विकास

बैंक की अध्यक्षा प्रीति कोरे दडडवाड ने RCMS बैंक की ओर से यह पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने बैंक की प्रतिबद्धता दोहराई कि RCMS केवल वित्तीय रूप से मज़बूत संस्था बनने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी कार्यरत है। उनके नेतृत्व में बैंक ने महिलाओं को लक्षित ऋण सेवाएँ, वित्तीय साक्षरता और उद्यमिता सहायता प्रदान कर उल्लेखनीय प्रगति की है।

यह सम्मान दर्शाता है कि महिला-नेतृत्व वाली सहकारी संस्थाएँ एक अधिक समावेशी और समुदाय-केंद्रित बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान – Coop Kumbh 2025

RCMS बैंक की उपलब्धियों को Coop Kumbh 2025 में भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया, जिसका आयोजन नई दिल्ली में किया गया था। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया। इस मंच पर बैंक की प्रोफेशनल डायरेक्टर सुश्री बीना आचार ने बैंक की प्रेरणादायक यात्रा प्रस्तुत की — एक क्षेत्रीय सहकारी से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्था तक।

इससे RCMS बैंक भारत के सहकारी बैंकिंग आंदोलन में अग्रणी संस्थानों में शामिल हो गया है, जो “लाभ के साथ उद्देश्य” का आदर्श प्रस्तुत करता है।

सहकारी बैंकिंग मूल्यों को मज़बूती

समारोह में NAFCUB के चेयरमैन एमेरिटस एच. के. पटेल और अन्य प्रमुख सहकारी बैंकिंग हस्तियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा दी। उनके संबोधनों में RCMS बैंक के शासन, पारदर्शिता और उपभोक्ता सेवा को एक अनुकरणीय मानक बताया गया।

RCMS बैंक लगातार यह सिद्ध कर रहा है कि यदि सहकारी बैंकों का संचालन पेशेवर और समावेशी ढंग से किया जाए, तो वे लाभ कमाने और प्रभाव उत्पन्न करने के मामले में मुख्यधारा के बैंकों की बराबरी कर सकते हैं — खासकर टियर-2 और ग्रामीण क्षेत्रों में।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • पुरस्कार: बेलगावी ज़िले का सर्वश्रेष्ठ लाभ कमाने वाला बैंक (2025)

  • बैंक: रानी चन्नम्मा महिला सहकारी बैंक (RCMS Bank)

  • मुख्यालय: बेलगावी, कर्नाटक

  • कार्यक्रम: 72वां अखिल भारतीय सहकार सप्ताह

  • स्थान: हावेरी, कर्नाटक

  • आयोजक: कर्नाटक स्टेट अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स फेडरेशन

  • अध्यक्षा: प्रीति कोरे दडडवाड

National Milk Day 2025: जानें क्यों 26 नवंबर को ही मनाते हैं राष्ट्रीय दुग्ध दिवस?

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के “श्वेत क्रांति के जनक” डॉ. वर्गीज़ कुरियन की जयंती को समर्पित है। वर्ष 2025 का समारोह न केवल उनके दूरदर्शी नेतृत्व को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि भारत की उस अद्भुत यात्रा को भी दर्शाता है जिसमें देश एक दूध–घाटा राष्ट्र से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना और आज वैश्विक उत्पादन का लगभग 25% हिस्सा अकेले भारत देता है।

दूध भारत की पोषण प्रणाली और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे 8 करोड़ से अधिक किसान परिवार जुड़े हुए हैं। दूध उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, कैल्शियम और आवश्यक पोषक तत्वों का प्रमुख स्रोत भी है।

ऐतिहासिक सफर : आयात पर निर्भरता से वैश्विक नेतृत्व तक

1950–60 के दशक में, विश्व की सबसे बड़ी पशुधन आबादी होने के बावजूद भारत दूध की भारी कमी से जूझ रहा था। इस संकट से समाधान मिला:

  • राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना (1965)

  • ऑपरेशन फ्लड का शुभारंभ (1970) – आनंद मॉडल पर आधारित

डॉ. कुरियन के नेतृत्व में,

  • गांव स्तर पर दुग्ध समितियों का विशाल नेटवर्क विकसित हुआ

  • किसान–शहर बाज़ार संबंध मजबूत हुए

  • बिचौलियों पर निर्भरता घटाई गई

  • करोड़ों ग्रामीण परिवारों की आय में स्थायी सुधार हुआ

भारत की डेयरी प्रगति : एक दशक की झलक

2014–15 से 2023–24 के बीच:

  • दूध उत्पादन में 63.56% वृद्धि

  • उत्पादन : 239.3 मिलियन टन

  • प्रति व्यक्ति उपलब्धता : 124 ग्राम → 471 ग्राम/दिन

भारत के 303.76 मिलियन पशुधन के कारण उत्पादकता में 27.39% वृद्धि, जो विश्व में सबसे तेज़ है। देसी नस्लों का योगदान भी तेजी से बढ़कर:

  • 29 मिलियन टन → 50 मिलियन टन हो गया।

इन उपलब्धियों के पीछे महत्वपूर्ण योजनाएँ हैं:

1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission)

(2014 में शुरू, 2025 में पुनर्गठित)

मुख्य उद्देश्‍य:

  • देसी नस्लों का संरक्षण व आनुवंशिक सुधार

  • एआई (Artificial Insemination) सेवाओं का विस्तार

  • IVF लैब और ब्रीड मल्टीप्लिकेशन फार्म स्थापित करना

₹3,400 करोड़ की कुल लागत से अब तक लाभार्थी:

  • 92 मिलियन पशु

  • 56 मिलियन किसान

2024–25 में:

  • 565.55 लाख एआई किए गए

राष्ट्रीय एआई कार्यक्रम के अंतर्गत:

  • 5.5 करोड़ किसानों तक सेवाएँ

  • सेक्स–सॉर्टेड सीमन

  • 38,700 MAITRIs द्वारा डोर-स्टेप सेवाएँ

2. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)

(2021 से संशोधित ढांचा)

घटक A:

  • दूध परीक्षण, चिलिंग, संग्रहण अवसंरचना विकसित करना

घटक B:

  • प्रोसेसिंग व बाजार विस्तार

उपलब्धियाँ:

  • 31,908 दुग्ध सहकारी समितियाँ बनीं

  • 120.68 लाख किग्रा/दिन अतिरिक्त दूध संग्रह क्षमता

  • 6,000 बल्क मिल्क कूलर्स

  • 61,677 गांवों में परीक्षण लैब्स

सबसे बड़ा प्रमुख संयंत्र

  • साबर डेयरी प्लांट, रोहतक (हरियाणा)

    • लागत : ₹350 करोड़

    • क्षमता : 150 MT दही/दिन और 3 लाख लीटर छाछ/दिन

महिलाओं की बढ़ती भूमिका

  • डेयरी क्षेत्र में 70% महिलाएँ सक्रिय

  • 48,000 से अधिक महिला-संचालित सहकारी समितियाँ

  • 16 महिला–प्रधान MPOs

  • आंध्र प्रदेश की श्रीजा MPO को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त

GST सुधार: डेयरी उपभोक्ताओं और किसानों के लिए राहत

56वीं GST परिषद (3 सितंबर 2025) में महत्वपूर्ण कटौतियाँ:

  • UHT दूध व पनीर – 0% GST

  • मक्खन/घी/डेयरी पेय – 12% → 5%

  • आइसक्रीम – 18% → 5%

  • दूध कैन और अन्य डेयरी इनपुट – अब 5%

ये सुधार 8 करोड़ ग्रामीण परिवारों और दूध मूल्य श्रृंखला को मजबूत करेंगे।

व्हाइट रिवोल्यूशन 2.0 (2024–29)

उद्देश्य:

  • 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियाँ बनाना

  • दूध संग्रह क्षमता को 1007 लाख किग्रा/दिन तक बढ़ाना

  • तीन मल्टी–स्टेट सहकारी समितियों की स्थापना:

    • फीड व इनपुट आपूर्ति

    • बायोफर्टिलाइज़र और प्राकृतिक खेती

    • पर्यावरण-संगत शव निपटान

यह योजना किसान आय, स्थिरता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत का डेयरी भविष्य : आँकड़े और अनुमान

APEDA (सितंबर 2025) के अनुसार:

  • भारत 2025–26 में वैश्विक दूध उत्पादन में 32% योगदान देगा

  • उत्पादन : 242 मिलियन टन

  • 2028–29 तक प्रोसेसिंग क्षमता : 100 मिलियन लीटर/दिन

  • FMD और ब्रूसीलोसिस उन्मूलन अभियान जारी

गोपाल रत्न पुरस्कार 2025

ये पुरस्कार 26 नवंबर को प्रदान किए जाएंगे, श्रेणियाँ:

  • देसी नस्ल दुग्ध पालन

  • कृत्रिम गर्भाधान सेवाएँ

  • दुग्ध सहकारी नेतृत्व

पुरस्कार राशि:

  • ₹5 लाख

  • ₹3 लाख

  • ₹2 लाख
    विशेष पुरस्कार: पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए

स्टैटिक फैक्ट्स (परीक्षा हेतु उपयोगी)

  • दिवस: 26 नवंबर (डॉ. कुरियन की जयंती)

  • भारत का उत्पादन (2023–24): 239.3 मिलियन टन

  • प्रति व्यक्ति उपलब्धता: 471 ग्राम/दिन

  • महिलाओं की भागीदारी: 70%

  • गोकुल मिशन बजट: ₹3,400 करोड़

  • AI (2024–25): 565.55 लाख

  • NPDD लक्ष्य: अवसंरचना + बाज़ार विस्तार

  • साबर डेयरी प्लांट, रोहतक: ₹350 करोड़

SIR फॉर्म में डिजिटाइजेशन में गोवा टॉप पर; केरल काफी पीछे

भारत की चुनावी प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, चुनाव आयोग 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दूसरे चरण का संचालन कर रहा है। इस अभियान का उद्देश्य मतदाता सूचियों का सत्यापन और अद्यतन करना है, जिसके लिए बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) द्वारा एकत्रित नामांकन प्रपत्रों के डिजिटलीकरण पर खास जोर दिया जा रहा है। जैसे-जैसे 4 दिसंबर 2025 की समय-सीमा नजदीक आ रही है, राज्यों के बीच प्रगति की असमानताएँ स्पष्ट होती जा रही हैं — गोवा सबसे आगे है, जबकि केरल और उत्तर प्रदेश पिछड़ रहे हैं।

प्रगति का अपडेट: नामांकन और डिजिटलीकरण की स्थिति

चुनाव आयोग के 24 नवंबर 2025 तक के ताज़ा आँकड़ों के अनुसार:

  • 99.07% मतदाता नामांकन फॉर्म एकत्रित किए जा चुके हैं — लगभग 50.50 करोड़ मतदाताओं को कवर करते हुए।

  • इनमें से 47.35% फॉर्म का सफलतापूर्वक डिजिटलीकरण हो चुका है — यानी 24.13 करोड़ से अधिक रिकॉर्ड

राज्यवार डिजिटलीकरण की स्थिति

  • गोवा: 76.89% — देश में सबसे अधिक

  • राजस्थान: 72.20% — दूसरे स्थान पर

  • केरल: ~23% — सबसे नीचे

  • उत्तर प्रदेश: 26.6% — केरल के साथ पिछड़ता हुआ

यह अभियान निम्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहा है:
छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप।

जमीनी स्थिति और BLOs की चुनौतियाँ

नामांकन और डिजिटलीकरण की पूरी जिम्मेदारी बूथ स्तर अधिकारियों पर है, जिनमें ज्यादातर शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, क्लर्क और फील्ड स्टाफ शामिल हैं। कई रिपोर्टों में सामने आया है कि BLO निम्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं:

  • ऐप में तकनीकी दिक्कतें, विशेषकर फोटो अपलोड करते समय

  • अधिक कार्यभार, खासकर उम्रदराज़ या तकनीक से कम परिचित अधिकारियों के लिए

  • मानसिक तनाव और अत्यधिक दबाव — कुछ राज्यों में विरोध प्रदर्शन और कार्य-दबाव से मृत्यु के मामले भी सामने आए हैं

उत्तर प्रदेश से कई उदाहरण सामने आए हैं:

  • BLO प्रक्रिया और ऐप के बारे में असमंजस व्यक्त करते हैं

  • कई BLO परिवारजनों से मदद लेते हैं

  • पर्यवेक्षकों की लगातार निगरानी तनाव बढ़ाती है

SIR अभियान का महत्व

चुनाव आयोग का यह डिजिटलीकरण प्रयास कई उद्देश्यों को पूरा करता है:

  • मतदाता सूची की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाना

  • दोहरे पंजीकरण और पुरानी जानकारी को कम करना

  • दावों एवं आपत्तियों को दर्ज करना अधिक सरल बनाना

  • चुनावों को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना

9 दिसंबर 2025 को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी, जिसके बाद दावों और आपत्तियों की अवधि शुरू होगी।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य 

  • SIR अवधि: 4 नवंबर – 4 दिसंबर 2025

  • फॉर्म एकत्रित: 99.07% (लगभग 51 करोड़ मतदाताओं का कवरेज)

  • फॉर्म डिजिटलीकरण: 47.35% (24 नवंबर 2025 तक)

  • शीर्ष राज्य: गोवा (76.89%)

  • निचले राज्य: केरल (~23%), उत्तर प्रदेश (26.6%)

  • अगली मुख्य तिथि: 9 दिसंबर 2025 — मसौदा मतदाता सूची जारी

  • डिजिटलीकरण द्वारा: बूथ स्तर अधिकारी (BLO)

जस्टिस विक्रम नाथ NALSA के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन नियुक्त

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ को नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया है। यह नियुक्ति उस परंपरा के अनुसार की गई है, जिसके तहत यह जिम्मेदारी भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश को दी जाती है। विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2025 की अधिसूचना के माध्यम से इस नामांकन की पुष्टि की, जो लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज़ एक्ट के तहत जारी की गई है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ: पृष्ठभूमि

  • 2021 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश

  • गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश

अपने नए पद में न्यायमूर्ति नाथ देश भर में NALSA की कानूनी सहायता पहलों का नेतृत्व करेंगे। उनका उद्देश्य गरीब, वंचित और कमजोर वर्गों तक नि:शुल्क कानूनी सहायता की पहुँच को और मजबूत करना होगा।

न्यायमूर्ति महेश्वरी को SCLSC का अध्यक्ष नियुक्त किया गया

इसी क्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत ने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार महेश्वरी को नामित किया है। NALSA की ओर से 20 नवंबर 2025 को इस संबंध में राजपत्र अधिसूचना जारी की गई।

न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार महेश्वरी: पृष्ठभूमि

  • 2021 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश

  • आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश

  • मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश

SCLSC सुप्रीम कोर्ट में न्याय की तलाश करने वाले वंचित और कमजोर वर्गों को कानूनी सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति महेश्वरी समिति की नीतियों, कार्यक्रमों और कानूनी सहायता पहलों के संचालन का मार्गदर्शन करेंगे।

सेना ने ऑपरेशन पवन के शहीदों को पहली बार दी श्रद्धांजलि

38 वर्षों में पहली बार, भारतीय सेना ऑपरेशन पवन के दौरान शहीद हुए सैनिकों को आधिकारिक रूप से श्रद्धांजलि देगी। 1987 से 1990 के बीच श्रीलंका में चलाया गया यह अभियान भारत का सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण बाहरी सैन्य अभियान माना जाता है। इस लंबे इंतज़ार के बाद मिलने वाला सम्मान उस बहादुरी को राष्ट्रीय मान्यता देता है, जो हजारों सैनिकों ने तमिल–सिंहला संघर्ष के कठिन दौर में दिखाई थी।

ऑपरेशन पवन की पृष्ठभूमि

ऑपरेशन पवन की शुरुआत 1987 में हुई, जब भारत ने इंडो–श्रीलंका समझौते के तहत श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) तैनात की। उद्देश्य था:

  • उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका में शांति बहाल करना

  • LTTE सहित सशस्त्र समूहों को निरस्त्र करना

  • अशांत क्षेत्रों को स्थिर करना

मिशन क्यों हुआ जटिल?

यद्यपि समझौते का लक्ष्य शांति स्थापित करना था, परन्तु LTTE ने इसे मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद:

  • अप्रत्याशित लड़ाई शुरू हो गई

  • IPKF को घने जंगलों और कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में ऑपरेशन करने पड़े

  • शांति स्थापना का मिशन प्रत्यक्ष युद्ध में बदल गया

ऑपरेशन पवन के उद्देश्य

  • उग्रवादी संगठनों को निरस्त्र करना (विशेष रूप से LTTE)

  • संघर्षग्रस्त इलाकों में शांति बहाल करना

  • श्रीलंका सरकार को तमिल बहुल क्षेत्रों में स्थिरता लाने में सहयोग देना

  • इंडो–श्रीलंका समझौते को लागू करना

भारी हताहतियाँ और वीरता के उदाहरण

यह मिशन भारत के सबसे कठिन विदेशी अभियानों में से एक माना जाता है।

  • 1,171 भारतीय सैनिक शहीद हुए

  • 3,500 से अधिक घायल हुए

  • घात लगाकर हमले, गुरिल्ला युद्ध और नज़दीकी लड़ाई आम थीं

  • कई बार परिस्थितियों के कारण शहीदों के पार्थिव शरीर भी नहीं लाए जा सके

मेजर रामास्वामी परमेश्वरन: एक महान वीर

25 नवंबर 1987 को, घात लगाकर हुए हमले के दौरान उन्होंने अद्वितीय साहस दिखाया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने कई उग्रवादियों को मार गिराया और अपने जवानों का नेतृत्व किया। इसके लिए उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

दशकों तक आधिकारिक मान्यता का अभाव

लगभग 38 वर्षों तक ऑपरेशन पवन की कोई आधिकारिक स्मृति समारोह भारत में आयोजित नहीं हुआ।
हालाँकि:

  • दिग्गज सैनिक,

  • शहीदों के परिवार,

  • और पूर्व IPKF कर्मी

खुद ही अलग-अलग स्मारकों पर श्रद्धांजलि देते रहे।

रोचक रूप से श्रीलंका ने भी कोलंबो में IPKF स्मारक बनाया है।

बहुप्रतीक्षित आधिकारिक सम्मान

26 नवंबर को भारतीय सेना राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर ऑपरेशन पवन के शहीदों को औपचारिक श्रद्धांजलि देगी।
कार्यक्रम में शामिल होंगे:

  • सेना प्रमुख और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी

  • दिग्गज सैनिक और शहीदों के परिवार

  • ऑपरेशन के महत्व और बलिदान का आधिकारिक उल्लेख

यह कदम एक ऐतिहासिक और देर से मिला हुआ सम्मान माना जा रहा है।

परीक्षा-उन्मुख तथ्य 

  • ऑपरेशन पवन का संचालन IPKF ने 1987–1990 के दौरान किया।

  • 1,171 भारतीय सैनिक शहीद हुए।

  • मेजर रामास्वामी परमेश्वरन को 1987 में मरणोपरांत परम वीर चक्र मिला।

  • 2024 में पहली बार ऑपरेशन पवन शहीदों को आधिकारिक श्रद्धांजलि दी गई।

  • यह भारत का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभियान माना जाता है।

Delhi में बड़ा प्रशासनिक बदलाव, 11 की जगह होंगे 13 जिले, जानें सबकुछ

दिल्ली बड़े प्रशासनिक पुनर्गठन की तैयारी कर रही है, क्योंकि सरकार ने राजस्व जिलों की संख्या 11 से बढ़ाकर 13 करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। दिल्ली कैबिनेट द्वारा सिद्धांत रूप में स्वीकृत इस पुनर्संरचना का उद्देश्य शासन को सरल बनाना, प्रशासन को विकेंद्रीकृत करना और आवश्यक सरकारी सेवाओं को नागरिकों के और करीब लाना है। यह बदलाव राजधानी की बदलती जनसंख्या आवश्यकताओं और तेज़, अधिक सुलभ सार्वजनिक सेवाओं की बढ़ती मांग को दर्शाता है।

बेहतर सार्वजनिक सेवाओं के लिए प्रशासनिक विस्तार

स्थानीय शासन को मजबूत करने के लिए उप-विभाजनों (SDM कार्यालयों) की संख्या 33 से बढ़ाकर 39 की जाएगी। इससे नागरिकों को प्रमाणपत्र, म्यूटेशन, पंजीकरण और अन्य ज़रूरी कार्यों के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।

सरकार को उम्मीद है कि प्रशासनिक इकाइयों के विस्तार से:

  • मौजूदा दफ्तरों में भीड़ कम होगी

  • फाइलों के निपटारे की गति बढ़ेगी

  • प्रशासनिक उत्तरदायित्व में सुधार होगा

  • स्थानीय स्तर पर सेवाएँ अधिक कुशलता से मिलेंगी

यह कदम दिल्ली में शासन के विकेंद्रीकरण और नागरिक सुविधा बढ़ाने की दीर्घकालिक योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कैबिनेट की मंजूरी और क्रियान्वयन प्रक्रिया

दिल्ली कैबिनेट पहले ही सिद्धांत रूप से मंजूरी दे चुकी है। अब अगला कदम उपराज्यपाल (LG) की अंतिम स्वीकृति है। मंजूरी मिलते ही पुनर्संरचना को आधिकारिक रूप से अधिसूचित कर पूरे शहर में लागू किया जाएगा।

समेकित सेवाओं के लिए मिनी-सचिवालय

प्रत्येक नए जिले को एक मिनी-सचिवालय दिया जाएगा, जहाँ अधिकांश सरकारी सेवाएँ एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी—कानून-व्यवस्था को छोड़कर, क्योंकि वह दिल्ली पुलिस के अधीन रहेगी।
इन मिनी-सचिवालयों का उद्देश्य विभिन्न विभागों को एकीकृत कर नागरिकों की प्रशासनिक कठिनाइयों को कम करना है।

नए जिले और संशोधित ज़ोन

सरकार मौजूदा 11 नगर निगम ज़ोनों के आधार पर नई सीमाएँ बना रही है। प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं:

मुख्य पुनर्गठन बिंदु:

  • सदर ज़ोन नए पुराने दिल्ली (Old Delhi) जिले का हिस्सा बनेगा।

  • पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली का नाम क्रमशः शाहदरा दक्षिण और शाहदरा उत्तर किया जाएगा।

  • दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बड़े हिस्से को नए नजफगढ़ जिले में बदला जाएगा।

यह बदलाव जनसंख्या वितरण और स्थानीय सेवा आवश्यकताओं के साथ प्रशासन को बेहतर ढंग से जोड़ने का प्रयास है।

दिल्लीवासियों के लिए लाभ

जिलों और उप-विभाजनों के विस्तार से नागरिकों को कई प्रत्यक्ष लाभ मिलेंगे:

  • सरकारी सेवाओं तक तेज़ पहुँच

  • दफ्तरों में भीड़ और प्रतीक्षा समय में कमी

  • अधिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व

  • प्रशासनिक भार का बेहतर वितरण

  • तेजी से बढ़ते इलाकों में अधिक संवेदनशील एवं प्रभावी शासन

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पुनर्संरचना दिल्ली की बदलती जनसांख्यिकीय चुनौतियों और अधिक विकेंद्रीकृत प्रणाली की आवश्यकता के अनुरूप है।

परीक्षा-उन्मुख तथ्य

  • दिल्ली के राजस्व जिले 11 से बढ़कर 13 होंगे।

  • उप-विभाग (SDM कार्यालय) 33 से बढ़कर 39 होंगे।

  • हर जिले में एक मिनी-सचिवालय स्थापित किया जाएगा।

  • सदर ज़ोन को पुराने दिल्ली जिले में शामिल किया जाएगा।

  • पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली नए नामों से जाने जाएँगे: शाहदरा दक्षिण और शाहदरा उत्तर।

  • दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के हिस्से से नया नजफगढ़ जिला बनेगा।

  • उद्देश्य: यात्रा कम करना, दक्षता बढ़ाना और जवाबदेही में सुधार करना।

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